Published on Oct 06, 2020 Updated 0 Hours ago

एक विश्व समुदाय के रूप में हम कोविड-19 महामारी का किस तरह मुकाबला करते हैं, यह वैश्विक सहयोग और साझा समृद्धि के लिए हमारा भविष्य भी काफी हद तक बदल सकता है.

इतिहास और कोविड-19 महामारी से हमें ‘ग्लोबल पब्लिक हेल्थ गवर्नेंस’ पर मिली सीख

बीते तीन दशकों में ग्लोबलाइजेशन ने हमारी ज़िंदगी के हर पहलू को छुआ है और दुनिया भर में लोगों की हवाई यात्राओं में बढ़ोत्तरी से ग्लोबल शहरों में बढ़ोत्तरी हुई है. आज हवाई अड्डों के हब बर्लिन से लेकर न्यूयॉर्क और अबू धाबी तक दुनिया के सभी महत्वपूर्ण शहरों को जोड़ते हैं. इसने ग्लोबल कॉस्मोपॉलिटन नागरिक ही नहीं बल्कि सार्स (SARS) जैसी कॉस्मोपॉलिटन बीमारियों को भी जन्म दिया है जो 2002 से 2004 तक दुनिया में छाई रही. 2009 से 2010 तक एच1एन1 (H1N1), और मर्स (MERS) 2012 से लगातार जारी महामारी है, और नवीनतम कोविड-19 पिछले साल से है. बीते कुछ महीनों के दौरान हमने महसूस किया है कि मामला जब वैश्विक महामारी से निपटने का आता है तो लिए हम कितने असंबद्ध हैं. मसला सिर्फ़ मेडिकल सप्लाई के आयात/निर्यात उपायों तक सीमित नहीं है, बल्कि हेल्थ डेटा साझा करने के बारे में सरकारों के बीच संचार की भी कमी है और बताता है कि भविष्य की महामारियों से लड़ने के लिए हमें क्या करने की ज़रूरत है. कई देश अभी भी विदेश यात्राओं पर पाबंदी लगा रहे हैं क्योंकि कोविड-19 की टेस्टिंग के नतीजे डिजिटल रूप में दूसरे देशों से साझा नहीं किए जा सकते, जो इस महामारी के दौर में अंतरराष्ट्रीय आवागमन को आसान कर सकते हैं. हालांकि, ऑर्गेनाइज़ेशन फॉर इकोनॉमिक कोऑपरेशन एंड डेवलपमेंट (ओईसीडी) 7 सालों से ओपेन गवर्नमेंट डेटा इनिशिएटिव का आयोजन कर रहा है और डब्ल्यूएचओ ने आपात स्थिति के दौरान डेटा साझा करने के वास्ते शोधकर्ताओं से अपील की है, विश्व समुदाय कोविड-19 महामारी से पहले वैश्विक संगठनों और देशों की सरकारों के बीच इन डेटा को साझा किए जाने की पहल के नतीजे नहीं देख सका.

इतिहास महामारी का समाधान खोजने में गहन जांच पर आधारित डेटा के महत्व पर रौशनी डालता है. 1854 में लंदन में फैली हैज़ा महामारी पर जॉन स्नो की रिपोर्ट सबसे अच्छे उदाहरणों में से एक है.

इतिहास महामारी का समाधान खोजने में गहन जांच पर आधारित डेटा के महत्व पर रौशनी डालता है. 1854 में लंदन में फैली हैज़ा महामारी पर जॉन स्नो की रिपोर्ट सबसे अच्छे उदाहरणों में से एक है. औद्योगिक क्रांति के बाद तेज़ी से बढ़े शहरीकरण के कारण– जिसकी तुलना भूमंडलीकरण के बाद बढ़े आज के ग्लोबल शहरों से की जा सकती है– जब हैज़ा ने बुरी तरह हमला बोला तो लंदन तैयार नहीं था. इस मामले में, जॉन स्नो की “1854 की सर्दियों के दौरान सेंट जेम्स, वेस्टमिंस्टर इलाके में फैले हैजा प्रकोप पर रिपोर्ट” सार्वजनिक स्वास्थ्य कानून बनाने का आधार बनी. यह कानून सरकारी नीतियों के माध्यम से शहरी ज़िंदगी के हालात को नियंत्रित करने के लिए सफ़ाई के रखरखाव पर ध्यान केंद्रित करने की दिशा में पहला कदम था. जब कोविड-19 और मर्स जैसी संक्रामक बीमारियां जो हवा के ज़रिये नहीं फैलती हैं, बढ़ी हुई यात्राओं (यहां कास्मोपोलिटन बीमारियां) के माध्यम से ज़्यादा आम हो जाती हैं– तब वैश्विक हेल्थकेयर समुदाय और स्वास्थ्य सेवा के नीति निर्माताओं को बीमारी के केंद्र स्थल व इसके फैलने के रास्ते और सफाई की स्थिति के बारे में वैध स्रोत से मिली जानकारी से लैस होने की ज़रूरत होती है. इसके लिए, इन इलाकों के बारे में डेटा साझा करने में राष्ट्रीय और क्षेत्रीय सरकारों के बीच बेहतर तालमेल की ज़रूरत है. इसके लिए  डब्ल्यूएचओ जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों की केंद्रीय भूमिका नए सिरे से तय करने और मज़बूत करने की ज़रूरत है. कुछ देश हालांकि, पहले से ही नियमित रूप से कन्फर्म मरीजों के रास्तों और बीमारी के संभावित रूप से फैलने वाले क्षेत्रों की विस्तृत जानकारी को या तो ट्रैकिंग एप्स  या ऑनलाइन वेबसाइटों से अपडेट कर रहे हैं, लेकिन विश्व स्तर पर बीमारियों के फैलाव को रोकने के लिए यह और इससे जुड़ी दूसरी जानकारियां अभी भी देशों के बीच साझा नहीं की जा रही हैं. वैश्विक स्तर पर ट्रैकिंग एप्लीकेशन की मदद से महानगरीय बीमारियों की मैपिंग करने से पूरे विश्व में रहने की दशाएं इतनी अच्छी हो सकती हैं, जैसी पहले कभी नहीं थीं.

वैश्विक स्तर पर ट्रैकिंग एप्लीकेशन की मदद से महानगरीय बीमारियों की मैपिंग करने से पूरे विश्व में रहने की दशाएं इतनी अच्छी हो सकती हैं, जैसी पहले कभी नहीं थीं.

डिजिटल दौर में दुनिया के लोगों की अच्छी सेहत के लिए हेल्थकेयर

शुक्र है कि वायरस के हमारे पिछले तजुर्बों ने हमें कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए ज़्यादा तैयार रखा. ताइवान में कोविड-19 की तात्कालिक प्रतिक्रिया काफ़ी हद तक सार्स महामारी के दौरान उसके पिछले तज़ुर्बे पर आधारित थी, जबकि कोविड-19 का सामना करने में दक्षिण कोरिया की सफलता मर्स महामारी के दौरान इसकी प्रतिक्रिया पर आधारित थी. हमने लंदन में हैज़ा के प्रकोप में जनस्वास्थ्य के लिए केंद्रीय सरकार और क्षेत्रीय प्रशासन की भूमिका और 14वीं शताब्दी में प्लेग महामारी में क्वारंटाइन के महत्व को सीखा था. अब यह नई महामारी सरकारी संस्थाओं के पारस्परिक तालमेल की नीति बनाने और केंद्रीय सरकार द्वारा वैश्विक स्वास्थ्य नीतियों को लागू करने में इसी तरह सहयोग करने के महत्व पर रौशनी डालती है. वैश्विक संस्थागत सहयोग जैसे कि एक्सेस टू कोविड​​-19 (एसीटी) टूल्स एक्सेलेरेटर भी कोविड​​-19 महामारी के विभिन्न पहलुओं पर बीमारी का पता लगाने, ट्रीटमेंट, वैक्सीन से लेकर हेल्थकेयर सिस्टम की मज़बूती के लिए काम कर रहा है. ओईसीडी ने हाल ही में कोविड-19 के इलाज में क्लिनिकल ​​ट्रायल्स के तालमेल पर एक अध्ययन प्रकाशित किया है. जब कोविड-19 वैक्सीन तैयार हो जाएगी तो इसे जनस्वास्थ्य के लिए ज़रूरी दवा के रूप में मान्यता देने की ज़रूरत होगी ताकि यह वायरस से प्रभावित सभी लोगों को आसानी से मिल सके. इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ डेटा (ईएचआर) को साझा करने और इस्तेमाल करने से डिजिटल टेक्नोलॉजी का लाभ उठाना और महामारी संबंधी शोधों के लिए एआई को लागू करना एक दिन हमें पब्लिक हेल्थ एक्ट 1875 के बराबर पहुंचा सकता है, जो दुनिया भर के सभी क्षेत्रों में स्वच्छता में सुधार ला सकता था. हालांकि, अंतरराष्ट्रीय जनस्वास्थ्य कानून अंतरराष्ट्रीय कानून का अपेक्षाकृत नया क्षेत्र है, तो भी हम कोविड-19 महामारी के दौरान और बाद में वैश्विक जन स्वास्थ्य कानून को अंतरराष्ट्रीय कानून के एक महत्वपूर्ण उप-श्रेणी के रूप में मज़बूत होने की उम्मीद कर सकते हैं.

हमने लंदन में हैज़ा के प्रकोप में जनस्वास्थ्य के लिए केंद्रीय सरकार और क्षेत्रीय प्रशासन की भूमिका और 14वीं शताब्दी में प्लेग महामारी में क्वारंटाइन के महत्व को सीखा था. अब यह नई महामारी सरकारी संस्थाओं के पारस्परिक तालमेल की नीति बनाने और केंद्रीय सरकार द्वारा वैश्विक स्वास्थ्य नीतियों को लागू करने में इसी तरह सहयोग करने के महत्व पर रौशनी डालती है.

विश्व समुदाय ने दवा के लिए एआई के बारे में ज़्यादा चर्चा करना शुरू किया है, और जबकि सरकारें और अन्य संगठन स्वास्थ्य डेटा के इस्तेमाल को उच्चतम स्तर पर ले जा रहे हैं, तो सवाल उठता है कि हम डेटा गोपनीयता की सुरक्षा किस तरह कर सकते हैं. यह भी एक महत्वपूर्ण बिंदु है जिस पर ध्यान देना चाहिए. उच्चतम स्तर की संवेदनशीलता के साथ, इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ डेटा को संबंधित शख्स की सहमति के बिना, अनधिकृत वितरण या दुरुपयोग से हर कीमत पर सुरक्षित रखने की ज़रूरत है. जबकि कि ईएचआर के परस्पर-उपयोग पर अभी राष्ट्रों के अंदर और बाहर अध्ययन किया जा रहा है, स्वास्थ्य सूचना गोपनीयता पर राष्ट्रीय कानूनों और अंतरराष्ट्रीय सहमति का अभाव है. विश्व समुदाय को इस स्वास्थ्य डेटा का पूरी क्षमता के साथ इस्तेमाल करने के लिए अभी लंबा रास्ता तय करना है. परिष्कृत दवाओं को व्यापक रूप से अपनाने और ज़्यादा व्यक्तिगत मेडिकल केयर को मुमकिन बनाने के लिए स्वास्थ्य जानकारी के डिजिटाइजेशन के साथ, व्यक्तिगत स्वास्थ्य डेटा के अधिकारों की पूरी ज़िंदगी के लिए गारंटी देने की ज़रूरत है. यह ईएचआर डेटा साझा करने के मामले में, सार्वजनिक रूप से जितना अधिक उपलब्ध होगा, उतना ही देशों के बीच ज़्यादा प्राइवेसी (निजता) उपायों की ज़रूरत होगी, बल्कि इन हेल्थ डेटा को वैश्विक स्तर पर इस्तेमाल की छूट देने वाले कानून बनाने की भी ज़रूरत होगी. हेल्थ डेटा की पहचान ज़ाहिर नहीं होने के बारे में टेक्नोलॉजी विकसित करने की ज़रूरत है. प्राइवेसी की हिफ़ाज़त के लिए ईयू जीडीपीआर (यूरोपियन यूनियन जनरल डाटा प्रोटेक्शन रेगुलेशन) जैसे राष्ट्रीय या राष्ट्रों के बाहर भी लागू होने वाले कानून– जो कि स्वास्थ्य से संबंधित डेटा को विशेष श्रेणी में वर्गीकृत करते हैं या ‘अंडरस्टैंडिंग पेशेंट डेटा’ जैसे संस्थागत प्रयासों से हेल्थ डेटा प्राइवेसी मज़बूत होगी. एक विश्व समुदाय के रूप में हम कोविड-19 महामारी का किस तरह मुकाबला करते हैं, यह वैश्विक सहयोग और साझा समृद्धि के लिए हमारा भविष्य भी काफी हद तक बदल सकता है.

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