Author : Sheena Magenya

Published on Mar 24, 2021 Updated 0 Hours ago

2020 ने औपचारिक और अनौपचारिक- दोनों क्षेत्रों को तेज़ी से तकनीक को अपनाते हुए देखा है. कई कंपनियों ने तो अपनी रणनीति ऐसी बनाई है जो कर्मचारियों को घर से काम करने की इजाज़त देती है.

साल 2021, कीनिया का परिदृश्य और महिलाओं के लिए उपलब्ध तकनीक़

कीनिया समेत दुनिया भर के देशों के लिए साल 2020 भारी उथल-पुथल वाले वर्ष के रूप में याद किया जाएगा. नोवल कोरोना वायरस के तेज़ और असरदार ढंग से दुनिया भर में फैलने की वजह से लोगों के आवागमन पर अलग-अलग तरह की पाबंदियां लगाई गईं जिनकी गूंज आने वाले वर्षों में सुनाई देती रहेगी. लोगों के आवागमन पर अचानक रोक की वजह से सिविल सोसायटी, ग़ैर-सरकारी संगठनों और आंदोलनों द्वारा मौजूदा सामाजिक-सांस्कृतिक, आर्थिक, स्वास्थ्य और सुरक्षा से जुड़े जिन मुद्दों को लेकर नीति बनाने के लिए कहा जा रहा था, वो सतह पर आ गए. पूरे देश में शाम से लेकर सुबह तक कर्फ्यू और एक प्रांत से दूसरे प्रांत जाने पर पाबंदी, जिनमें अब काफ़ी हद तक छूट दे दी गई है, उसका अर्थव्यवस्था के साथ-साथ लोगों के सामाजिक, सांस्कृतिक और स्वास्थ्य से जुड़े अधिकार पर बेहद ख़राब असर पड़ा है. वर्ल्ड बैंक के मुताबिक़ देश में तेज़ बेरोज़गारी दर और सुस्त औद्योगिक गतिविधियों का सबसे ज़्यादा असर महिलाओं, नौजवानों और शरणार्थियों पर पड़ा है. ऐतिहासिक रूप से महिलाओं को विभिन्न संरचनागत उल्लंघनों का सबसे ज़्यादा खामियाजा उठाना पड़ता है जो देश में ग़रीबी का बोझ कम करने में समान रूप से योगदान देने और समान अवसर हासिल करने में हमारी क्षमता को सीमित करते हैं.

वर्ल्ड बैंक के मुताबिक़ देश में तेज़ बेरोज़गारी दर और सुस्त औद्योगिक गतिविधियों का सबसे ज़्यादा असर महिलाओं, नौजवानों और शरणार्थियों पर पड़ा है.

लोगों और प्राथमिक तौर पर देश के भीतर कृषि सामानों के आने-जाने और कीनिया के भीतर और बाहर सैलानियों के आवागमन पर निर्भर अर्थव्यवस्था को इन आपातकालीन क़दमों की वजह से बहुत ज़्यादा नुक़सान का सामना करना पड़ा. इन क़दमों को अत्यंत कठिन के तौर पर देखा गया और अभी भी इन्हें एक कट्टर और ऐतिहासिक तौर पर अनियतंत्रित पुलिस बल द्वारा ख़राब ढंग से लागू किया जा रहा है. कीनिया सरकार ने कहा कि- एक ऐसे देश में जहां के स्वास्थ्य देखभाल की प्रणाली बेहद पंगु हो, वहां वायरस के फैलाव को रोकने के लिए ये अत्यंत कठिन क़दम ज़रूरी थे. कोविड-19 के मामलों में बढ़ोतरी के बाद कीनिया के अस्पतालों में उनके इलाज की क्षमता का आकलन करने पर पता चला कि कीनिया में ऑक्सीजन समेत क्रिटिकल केयर संसाधनों की कमी है. साथ ही क्रिटिकल केयर के लिए स्वास्थ्यकर्मियों और स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं की भी कमी है.

मोबाइल आधारित व्यवसायिक संस्कृति

तकनीकी मोर्चे पर 2020 ने औपचारिक और अनौपचारिक- दोनों क्षेत्रों को तेज़ी से तकनीक को अपनाते हुए देखा है. कई कंपनियों ने तो अपनी रणनीति ऐसी बनाई है जो कर्मचारियों को घर से काम करने की इजाज़त देती है. कुछ अनौपचारिक क्षेत्रों के कामगारों ने तो अपने कारोबार के कई पहलुओं को ऑनलाइन कर लिया है. ये बाज़ार में बदलाव की तरह है जिसके पीछे मज़बूत मोबाइल-मनी इंफ्रास्ट्रक्चर और संस्कृति और 40 प्रतिशत से थोड़ा ज़्यादा इंटरनेट की पहुंच है. हालांकि ये चीज़ें शहरों और शहरों के आस-पास के इलाक़ों की वास्तविकताएं हैं. ज़रूरी इंफ्रास्ट्रक्चर तक सीमित पहुंच की वजह से ग्रामीण और कस्बाई क्षेत्र लेन-देन के डिजिटल मॉडल को अपनाने में सुस्त हैं.

2021 और उसके आगे भी लोगों के आवागमन पर पाबंदी बनी रहने की आशंका है. शहरी क्षेत्रों में महिला एंटरप्रेन्योर्स को अपने कारोबार को और ज़्यादा ऑनलाइन प्लैटफॉर्म और मोबाइल पर मौजूद ऐप पर ले जाना होगा. 

कोविड-19 के हालात में लगातार बदलाव को देखते हुए हम ये उम्मीद लगा सकते हैं कि 2021 में कीनिया में अलग-अलग रुझान बने रहेंगे, ख़ासतौर पर महिलाओं के लिए. 2021 और उसके आगे भी लोगों के आवागमन पर पाबंदी बनी रहने की आशंका है. शहरी क्षेत्रों में महिला एंटरप्रेन्योर्स को अपने कारोबार को और ज़्यादा ऑनलाइन प्लैटफॉर्म और मोबाइल पर मौजूद ऐप पर ले जाना होगा. कीनिया में पहले से ही बाज़ार ई-कॉमर्स को तेज़ी से अपना रहा था, कोविड-19 संकट की वजह से इसमें और तेज़ी आ गई. अनुमान बताते हैं कि 2020 के आख़िर तक ई-कॉमर्स का जो बाज़ार 16 प्रतिशत था वो 2025 तक 26 प्रतिशत से ज़्यादा हो जाएगा. शहरी क्षेत्रों में रहने वाली वो महिलाएं जिनके पास स्मार्टफ़ोन हैं, उनके लिए इंस्टाग्राम और दूसरे सोशल मीडिया साइट जैसे फ़ेसबुक और ट्विटर डिजिटल बाज़ार बन गए हैं जहां सामानों और सेवाओं की ख़रीद-बिक्री होती है. कपड़ों की ख़रीदारी और दूसरी घरेलू सेवाओं के लिए सोशल मीडिया बेहद लोकप्रिय हैं लेकिन 2020 से इसमें बदलाव आ गया है और यहां अब मूलभूत ज़रूरतों जैसे खाने-पीने के सामानों की भी ऑनलाइन बिक्री हो रही है. ख़रीदने और बेचने वालों के बीच ये डिजिटल संपर्क 2021 और उसके आगे भी बना रहेगा.

पॉडकास्टिंग की नई लहर

सामाजिक और सांस्कृतिक मोर्चे पर जिस चीज़ का ज़िक्र ज़रूरी है वो ये है कि सोशल मीडिया न सिर्फ़ लोकप्रिय संस्कृति और समाज पर बल्कि नीतियों, शासन व्यवस्था और नागरिकता के मुद्दों पर भी महत्वपूर्ण असर बना हुआ है और आगे भी बना रहेगा. 2021 में आप और ज़्यादा डिजिटल कंटेंट की रचना देखेंगे, ख़ासतौर पर सामाजिक न्याय की चिंताओं पर प्रकाश डालते पॉडकास्ट और महिलाओं द्वारा वीडियो ब्लॉग के साथ-साथ एडुटेनमेंट(एजुकेशन और इंटरटेनमेंट) को. केन्या में पॉडकास्टिंग को लेकर 2019 में दर्शकों के एक सर्वे में पता चला कि इसमें भाग लेने वाले 50 प्रतिशत से ज़्यादा दर्शक महिलाएं हैं. अपने संदेश को लोगों तक पहुंचाने और महिलाओं और नारीत्व को लेकर रूढ़िवादी सोच को तोड़ने के लिए वैकल्पिक कंटेंट बनाने में पॉडकास्ट एक प्रचलित तरीक़ा बन गया है. ये मनोरंजन का भी एक ज़रिया है जहां लोग अपने समय के मुताबिक़ आते हैं. कुछ ऐसे पॉडकास्ट भी हैं जो कीनिया में जेंडर और लिंग भेद, स्वास्थ्य और प्रचलित संस्कृति पर ध्यान देते हैं. पॉडकास्ट को स्ट्रीम करने के लिए लोकप्रिय प्लैटफॉर्म साउंडक्लाउड, स्पॉटिफाई, एपल पॉडकास्ट और बज़स्प्राउट हैं. कीनिया में उभर रहे अलग-अलग तरह के पॉडकास्ट के लिए टेकवीज़ ने पॉडकास्ट की एक लिस्ट भी जारी की है जिसे देखा जा सकता है.

अपने संदेश को लोगों तक पहुंचाने और महिलाओं और नारीत्व को लेकर रूढ़िवादी सोच को तोड़ने के लिए वैकल्पिक कंटेंट बनाने में पॉडकास्ट एक प्रचलित तरीक़ा बन गया है. 

2021 में पॉडकास्टिंग में बढ़ोतरी के अलावा हम ऑनलाइन वीडियो ब्लॉग या व्लॉग में भी इज़ाफ़ा देखेंगे. यहां नौजवान, शहरों में रहने वाली महिलाओं का दबदबा है. ज़्यादातर व्लॉगर्स के लिए यूट्यूब पसंदीदा प्लैटफॉर्म है. लोगों के लिए कंटेंट को अपलोड करने और विचारों को साझा करने या किसी सामान, सेवा या कॉन्सेप्ट को बेचने में व्लॉगिंग एक तेज़ और सुविधाजनक तरीक़ा बन गया है. शुरुआत में ‘प्रभाव डालने वाली’ घटना से लोकप्रिय व्लॉगिंग अब अलग-अलग तरह के कंटेंट और क्रिएटर में तब्दील हो गया है. यहां अभी भी महिलाओं का दबदबा है और टिकटॉक और आईजीटीवी जैसे दूसरे ऐप, जो छोटे और लंबे वीडियो अपलोड करने की इजाज़त देते हैं, अतिरिक्त प्लैटफॉर्म बनाते हैं जहां युवा, ख़ासतौर पर स्मार्टफ़ोन और अच्छे इंटरनेट कनेक्शन से लैस महिलाएं, कंटेंट बनाती हैं. इस प्लैटफॉर्म पर 2021 में भी महिलाओं का दबदबा लगातार जारी रहेगा. कंटेंट बनाने वाले लोग यूट्यूब के लंबे वीडियो फॉर्मेट से हटकर टिकटॉक स्टाइल छोटे और तेज़ फॉर्मेट की तरफ़ जाएंगे.

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