अमेरिकी कांग्रेस की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा के बाद कई अमेरिकी नेता भी वहां पहुंचे हैं. हाल में ही इंडियाना गवर्नर एरिक होलकोंब ने ताइवान की यात्रा की है. विशेषज्ञ मानते हैं कि ताइवान सिर्फ सामरिक रूप से ही नहीं बल्कि सांकेतिक रूप से भी पश्चिम के लिए बहुत खास है. ताइवान एशिया में कामयाब लोकतंत्र का बेहतरीन उदाहरण है. यहां अपनी बात कहने की आजादी है. ताइवान में कानून का राज है और चुनावी प्रक्रिया है. यह उन मूल्यों का भी प्रतीक है, जो पश्चिमी पहचान के केंद्र में हैं. आखिर नैंसी पेलोसी की यात्रा के बाद चीन की क्या रणनीति है. क्या चीन अमेरिका से डर गया. क्या चीन ताइवान पर हमला करेगा. इस सवालों पर क्या है विशेषज्ञों की राय.
नैंसी पेलोसी की यात्रा के बाद चीन की क्या रणनीति है. क्या चीन अमेरिका से डर गया. क्या चीन ताइवान पर हमला करेगा. इस सवालों पर क्या है विशेषज्ञों की राय.
- विदेश मामलों के जानकार प्रो हर्ष वी पंत का कहना कि इस बात की आशंका कम ही है कि चीन, ताइवान पर हमला करेगा. उन्होंने कहा कि लेकिन इसका खतरा बढ़ा है. उन्होंने कहा कि इसमें कोई शक नहीं कि चीन ने बीते दशकों में अपनी सैन्य ताकत मे इजाफा किया है. उसके पास अत्याधुनिक हथियारों के साथ साइबर वारफेयर की भी क्षमता है. उन्होंने कहा कि यूक्रेन जंग चीन के लिए एक सबब बन सकता है. चीन ने यूक्रेन जंग में देख लिया कि रूस इस युद्ध में बूरी तरह से उलझ गया है. इसलिए वह अमेरिकी के जाल में फंसने वाला नहीं है. चीन जानता है कि अगर उसने ताइवान पर हमला किया तो यह यूक्रेन जैसा ही हाल होगा. अमेरिका व पश्चिमी देश ताइवान के साथ खड़े हो जाएंगे हैं. फिर यह जंग केवल चीन ताइवान के बीच होगी, बल्कि प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष अमेरिका व पश्चिमी देशों से भी होगा.
- उन्होंने कहा कि चीन ताइवान जंग में बीजिंग का साथ रूस भी नहीं दे पाएगा, क्योंकि वह खुद यूक्रेन युद्ध में उलझा हुआ है. इस तरह देखा जाए तो जंग के बाद चीन पूरी दुनिया से अलग-थलग पड़ सकता है. चीन इस बात को समझ रहा है कि अमेरिका व पश्चिमी देश उसको उकसा रहे हैं कि वह युद्ध के लिए आगे आए. ऐसे में यदि चीन ताइवान पर हमला करता है तो अमेरिका दूसरे की धरती से चीन को चुनौती दे सकता है. अमेरिका के समर्थन में नाटो व पश्चिमी देश आगे आ सकते हैं. इसके बाद यह जंग चीन बनाम अमेरिका व नाटो की हो जाएगी. यूक्रेन की अपेक्षा इस जंग का विस्तार ज्यादा होगा. यूक्रेन में तो अमरिका व पश्चिमी देश बाहर से मदद कर रहे हैं, लेकिन चीन ताइवान जंग में अमेरिका प्रत्यक्ष रूप से सक्रिय हो सकता है, क्योंकि यह उसके प्रतिष्ठा का विषय बन जाएगा.
- पेलोसी की यात्रा के बाद चीन की आक्रामकता को देखते हुए यह आशंका जताई गई थी कि चीन ताइवान पर हमला करने जा रहा है. लेकिन ऐसा हुआ नहीं. उन्होंने कहा कि ये होना ही था. उन्होंने कहा कि ताइवान पर हमले का अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था पर बुरा प्रभाव पड़ेगा. उन्होंने कहा कि ताइवान सेमीकंडक्टर सप्लाई का हब है. इसके अलावा कंज्यूमर गुड्स और फाइनेंस में भी उसकी बड़ी भागीदारी है. यहां बने चिप दुनियाभर में मोबाइल फोन, कंप्यूटर और कारों में इस्तेमाल होते हैं. दुनिया के 94 फीसद एडवांस सेमी कंडक्टर ताइवान में निर्मित होते हैं. 2021 में उसने 118 अरब डालर का एक्सपोर्ट सिर्फ सेमी कंडक्टर कैटेगरी में किया था.
- प्रो पंत ने कहा कि नैंसी की ताइवान यात्रा के बाद चीन की पोल खुली है. नैंसी की यात्रा के समय चीनी सेना ने कहा था कि अगर नैंसी का विमान ताइवान सीमा में प्रवेश करता है तो वह उनके विमान को गिरा देगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इसके बाद चीन और बाहर कई तरह से सवाल खड़े हो गए हैं. अमेरिका भी इस बात को अच्छी तरह से समझ चुका है. यही कारण है कि नैंसी की यात्रा के बाद पश्चिमी देशों का प्रतिनिधिमंडल ताइवान की यात्रा में जाने की तैयारी में है. यह इस बात का संकेत है कि अमेरिका व पश्चिमी देश ताइवान के साथ हैं. इसके साथ अमेरिका ने यह भी संकेत दिया है कि ताइवान यूक्रेन नहीं है. अगर चीन ने ताइवान की ओर देखा तो उसका मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा.
ताइवान पर हमले का अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था पर बुरा प्रभाव पड़ेगा. उन्होंने कहा कि ताइवान सेमीकंडक्टर सप्लाई का हब है. इसके अलावा कंज्यूमर गुड्स और फाइनेंस में भी उसकी बड़ी भागीदारी है.
हाई अलर्ट पर ताइवानी सेना
बता दें कि दो अगस्त को नैंसी ताइवान पहुंची थीं. इसके बाद चीन ने ताइवान के आस-पास समुद्र में सैन्य अभ्यास शुरू कर दिया था. इसके बाद से चीनी वारशिप और फाइटर जेट गश्त कर रहे हैं. इसके जवाब में ताइवान ने भी जंग की तैयारी कर ली है. ताइवान सरकार भी हाई अलर्ट पर है. ताइवानी सेना की चीन सेना की हर हरकत पर पूरी नजर है. हालांकि, नैंसी की यात्रा के समय चीन ने बड़ी-बड़ी बातें की थी. उसने कहा था कि नैंसी के विमान को चीनी सेना मार गिराएगी, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. इसके बाद अमेरिका व पश्चिमी देशों ने चीन पर और दबाव बनाना शुरू कर दिया है. नैंसी की ताइवान यात्रा के बाद पश्चिमी देशों का भी प्रतिनिधिमंडल वहां जा रहा है.
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यह लेख जागरण में प्रकाशित हो चुका है.
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