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ऐसे वक्त में, जब आतंकवादी जेनरेटिव एआई का लगातार लाभ उठा रहे हैं, यूरोपीय संघ ने अपनी आतंकवाद-विरोधी रणनीति में एआई को शामिल किया है और वह नवाचार, नियमन व नैतिकता के बीच संतुलन बनाने में जुटा है.
Image Source: Getty
यह लेख रायसीना एडिट 2025 शृंखला का हिस्सा है
विस्फोटक हमलों के लिए जानकारी जुटाने में लार्ज लैंग्वेज मॉडल (LLM) का बढ़ता उपयोग, इस्लामिक स्टेट से जुड़े मीडिया तंत्रों द्वारा AI की मदद से तैयार फ़र्जी ख़बरों के प्रचार-प्रसार और होलोकॉस्ट (नाजी जर्मनी द्वारा यूरोप के यहूदियों के ख़िलाफ़ किए गए नरसंहार) से इनकार करने वाली सामग्रियों को प्रसारित करने के लिए तैयार किए गए ख़ास चैटबॉट ने यह चिंता बढ़ा दी है कि आतंकी और राष्ट्र विरोधी अन्य हिंसक तत्व जेनरेटिव AI की क्षमता का विध्वंसक इस्तेमाल कर सकते हैं. जेनरेटिव AI भले ही आतंकी लड़ाकों की भर्ती, संगठन-संचालन के योजना-निर्माण और दुष्प्रचार (प्रसारित की जाने वाली सामग्रियों के स्वतः निर्माण, सांस्कृतिक भिन्नताओं को बताने वाली सामग्रियों के अनुवाद और 3-डी मुद्रण प्रौद्योगिकी का प्रयोग करके हथियारों के उत्पादन और रासायनिक हथियारों के बारे में जानकारी जुटाने) की सुविधा उपलब्ध करा सकता है, लेकिन उसका असल विध्वंसक प्रभाव किस हद तक हो सकता है, इसको लेकर अलग-अलग मत हैं. फ़िलहाल, अभी तक यह साफ नहीं हो सका है कि जेनरेटिव AI ने आतंकी संगठनों की घातकता को कितना बढ़ा दिया है, पर ख़ासतौर से स्वचालित व अर्ध-स्वचालित हथियारों और स्वचालित वाहनों के मामले में AI-संचालित उपकरण आतंकियों के हाथों में अधिक विध्वंसक साबित हो सकते हैं. इनका लाभ उनको आतंकी हमलों में मिलता है, जिनमें AI की मदद से वे कमांड-और-कंट्रोल की उन्नत क्षमताएं पा सकते हैं और अधिक मारक हमले कर सकते हैं.
जेनरेटिव AI भले ही आतंकी लड़ाकों की भर्ती, संगठन-संचालन के योजना-निर्माण और दुष्प्रचार की सुविधा उपलब्ध करा सकता है, लेकिन उसका असल विध्वंसक प्रभाव किस हद तक हो सकता है, इसको लेकर अलग-अलग मत हैं.
यह सही है कि आतंकवादी संगठनों द्वारा AI तकनीक को अपनाने की दर का मूल्यांकन करने पर हमें मिला-जुला नतीजा मिलता है, लेकिन वैश्विक आतंकी ख़तरों के मामले में इसकी क्षमता निर्विवाद रूप से चिंताजनक है. यह कानून लागू करने वाली एजेंसियों, सुरक्षा सेवा देने वाली संस्थाओं और सिविल सोसाइटी को अपनी आतंकवाद-विरोधी प्रयासों को, जिसमें AI भी शामिल हो, बढ़ाने और तमाम उपलब्ध उपायों को अपनाने के लिए मजबूर कर रहा है. ‘आतंक के ख़िलाफ़ वैश्विक जंग’ में सबसे आगे रहने वाले देशों के पास चूंकि कट्टरपंथ, आतंकी घटनाओं, दुष्प्रचार वाली सामग्रियों और आतंकवाद-विरोधी उपायों को लेकर वर्षों का डाटा उपलब्ध है, इसलिए इस प्रयास में वह स्वाभाविक रूप से आगे हैं. मशीन लर्निंग तकनीक से चलने वाले तंत्र, जिनमें शुरुआती रोकथाम से लेकर आतंकियों की मौजूदा क्षमताओं का पता लगाने तक के उपाय शामिल हैं, एक ताकतवर उपकरण के रूप में उभरे हैं. इसमें अमेरिका सबसे आगे है, क्योंकि अपने आतंकवाद-विरोधी प्रयासों के लिए विकसित मशीन लर्निंग तंत्रों के साथ-साथ पिछले दो दशकों में आतंकवाद पर जुटाए गए पेटाबाइट डाटा (डिजिटल डाटा की बड़ी इकाई) का उसे लाभ मिल रहा है. 7 अक्टूबर के बाद से यूरोप में बढ़े ख़तरों को देखते हुए, यूरोपीय आतंकवाद-विरोधी प्रयासों में AI के उन्नत इस्तेमाल में एकजुटता ज़रूरी है. इसका उपयोग सीसीटीवी फुटेज और यात्रा डाटा की विसंगति का पता लगाने से लेकर आर्थिक लेन-देन की गड़बड़ियों की जांच करने और आतंकवादी संगठनों के आर्थिक ढांचे को तोड़ने तक में किया जा सकता है.
यूरोपीय संघ और उसके सदस्य देशों को आतंकवाद-विरोधी प्रयासों में AI को सफलतापूर्वक शामिल करने के लिए तीन बड़ी मुश्किलों को दूर करना चाहिए. पहली, उन्हें आतंकवाद-विरोधी प्रयासों में उभरती प्रौद्योगिकियों के विकास और उपयोग को अत्यधिक नियमों में बांधने से बचना चाहिए. भले ही नैतिकता और निजता की जटिलताओं से इनकार नहीं किया जा सकता, लेकिन आतंकवाद-विरोधी कामों में AI का पूरा लाभ न उठा पाना गैर-ज़िम्मेदारी भरा रवैया होगा और हिंसक राष्ट्र विरोधी तत्वों को लाभ देने का ख़तरा मोल लेना होगा. दूसरी मुश्किल, सभी 27 सदस्य देशों को नवाचार (इनोवेशन) वाले AI उपकरण अपनाने का एक साझा तरीका खोजना होगा. भले ही यूरोपीय संघ के गठन से जुड़े समझौते में राष्ट्रीय सुरक्षा प्रत्येक यूरोपीय देश की अपनी ज़िम्मेदारी मानी गई है, लेकिन आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए खुफ़िया सूचनाओं को साझा करने और कई स्रोतों से संसाधन जुटाकर साझा करने के लिए मज़बूत भागीदारी की आज सबसे अधिक आवश्यकता है. इसमें AI उपकरणों का विकास और साझा उपयोग भी शामिल है. तीसरी मुश्किल, यूरोपीय संघ को आतंकवाद-विरोधी प्रयासों में AI तंत्रों को तैयार करने के लिए उपयोग किए जाने वाले डाटा के विस्तार के लिए रणनीतिक साझेदारी को सक्रियता से आगे बढ़ाना होगा, ताकि आतंकवाद-विरोधी उपायों की सटीकता और प्रभाव बढ़ सके.
यूरोप पर आतंकवाद के ख़तरे को देखते हुए और नियमों के सख़्त पालन के मद्देनजर यूरोपीय आतंकवाद-विरोधी प्रयासों में AI के एकीकरण की ज़रूरत विशेष रूप से AI अधिनियम और सामान्य डाटा संरक्षण विनियमन (GDPR) में भी महसूस की गई है. 2017 की शुरुआत में, यूरोपीय संघ की पुलिस यूरोपोल ने आतंकवाद-विरोधी जांच और कार्रवाइयों में एक सॉफ्टवेयर प्लेटफॉर्म ‘पलान्टिर गौथम’ को अपनाया. 2020 में यूरोपीय संघ के आतंकवाद-विरोधी एजेंडे में साफ-साफ यह माना गया कि आतंकवाद-विरोधी प्रयासों में AI एक प्रभावशाली तकनीक है, जिसका प्रभाव सार्वजनिक स्थानों पर छोड़े गए सामान के फुटेज का पता लगाने से लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर आतंकी सामग्रियों की पहचान करने तक में दिखता है. 2020 के एजेंडे में पूर्वानुमान विश्लेषण की क्षमता पर भी ज़ोर दिया गया और ‘हॉरिजॉन 2020’ प्रोग्राम के तहत AI के एकीकरण पर काम कर रहे यूरोपीय संघ द्वारा समर्थित विभिन्न योजनाओं पर प्रकाश डाला गया. हॉरिजॉन 2020 प्रोग्राम साल 2014 से 2020 तक यूरोपीय संघ द्वारा आर्थिक मदद प्राप्त अनुसंधान और नवाचार बढ़ाने वाला एक कार्यक्रम था.
2020 में यूरोपीय संघ के आतंकवाद-विरोधी एजेंडे में साफ-साफ यह माना गया कि आतंकवाद-विरोधी प्रयासों में AI एक प्रभावशाली तकनीक है, जिसका प्रभाव सार्वजनिक स्थानों पर छोड़े गए सामान के फुटेज का पता लगाने से लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर आतंकी सामग्रियों की पहचान करने तक में दिखता है.
उल्लेखनीय यह भी है कि RED-अलर्ट सिस्टम को यूरोपीय संघ से आर्थिक मदद मिली और इसे यूरोपोल की आतंकवाद-विरोधी इकाई ने अपनाया. इस परियोजना का लाभ मशीनी भाषा को समझने, सामाजिक नेटवर्क का विश्लेषण करने और जटिल घटना के पैटर्न की पहचान करने में उठाया गया, ताकि कानून लागू करने वाली एजेंसियां को आतंकवादियों की भर्ती, प्रचार-प्रसार और हमले की योजना से लड़ने में मदद मिल सके. इसमें शामिल होने वाली एजेंसियों के मुताबिक, RED-अलर्ट सिस्टम ने अब तक के सभी तरीकों की तुलना में बेहतर काम किया. PREVISION को भी यूरोपीय संघ की तरफ से आर्थिक मदद दी गई, ताकि बड़े पैमाने पर, मिश्रित डाटा के विश्लेषण में कानूनी एजेंसियों को ताक़तवर बनाया जा सके. इसमें सोशल मीडिया और ओपेन वेब डाटा, डार्कनेट व डीप वेब डाटा, सर्विलांस डाटा, टैरिफ व मोबिलिटी डाटा और आर्थिक लेन-देन शामिल था. पूर्वानुमान विश्लेषण के माध्यम से, यह प्लेटफॉर्म एजेंसियों को कट्टरपंथ के शुरुआती संकेतों के बारे में जागरूक करता था. बेशक यह परियोजना ख़त्म कर दी गई है, लेकिन यूरोपीय एजेंसियां इसके प्लेटफॉर्म का लगातार उपयोग कर रही हैं. हॉरिजॉन 2020 के तहत तैयार किए गए अन्य प्रभावी उपकरणों में TENSOR प्लेटफॉर्म और DANTE प्रोजेक्ट भी ख़ासा उल्लेखनीय थे.
हॉरिजॉन 2020 प्रोजेक्ट जब ख़त्म हो रहा था, तब ब्रुसेल्स का AI से जुड़े सुरक्षा संबंधी मसलों पर विशेष ज़ोर देना और यूरोप में आतंकवाद व महामारी प्रबंधन में AI उपकरणों के नकारात्मक कवरेज ने आतंकवाद-विरोधी प्रयासों में AI के एकीकरण पर बुरा असर डाला. AI अधिनियम, जो अब एक व्यापक नियामक ढांचे के रूप में लागू है, कुछ AI प्रयोगों को इसलिए रोकता है, क्योंकि उससे कुछ अलग तरह के जोखिम हो सकते हैं. ये प्रयोग हैं- लोगों के चेहरे की पहचान करने वाले डाटाबेस, ख़ास विशेषताओं का पता लगाने वाले बायोमेट्रिक सिस्टम और सार्वजनिक जगहों पर बायोमेट्रिक पहचान करने वाले तंत्र का विकास. हालांकि, इस अधिनियम में कानून का पालन करने और राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर कुछ अपवाद भी दिए गए हैं. मसलन, एजेंसियों को लक्षित आतंकी खतरों या आपराधिक जांच के लिए चेहरे की पहचान करने के अधिकार दिए गए हैं, लेकिन इसके लिए पहले न्यायिक अनुमति की ज़रूरत होती है. इसके अलावा, राष्ट्रीय सुरक्षा, रक्षा या सैन्य सुरक्षा के उद्देश्यों के लिए तैयार AI सिस्टम को AI अधिनियम के बाहर रखा गया है. हालांकि, यदि उसी तंत्र का उपयोग कानून लागू करने और सार्वजनिक सुरक्षा के उद्देश्यों के लिए किया जाता है, तो उसका उपयोग अधिनियम के प्रावधानों के तहत किया जा सकता है. संक्षेप में कहें, तो भले ही AI अधिनियम सख़्त है, लेकिन विभिन्न अपवादों द्वारा यह आतंकवाद-विरोधी प्रयासों में AI के एकीकरण की अनुमति देता है. ऐसे में, नीति-निर्माताओं को उन नियमों के ख़िलाफ़ ज़ोर लगाना चाहिए, जो आमतौर पर आतंकवाद-विरोधी प्रयासों में प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल को लेकर ब्रुसेल्स के नज़रिये का समर्थन करते हैं.
पिछले साल दिसंबर में यूरोपीय संघ परिषद् ने आतंकवाद-विरोधी साझा प्रयासों को मज़बूत करने के लिए भविष्य की प्राथमिकताओं के बारे में बताया था. उसने आतंकवाद-विरोधी नवाचार में निवेश की आवश्यकता पर ज़ोर दिया, जिसमें AI उपकरणों, बिग डाटा एनालिटिक्स, डिक्राइप्शन तकनीक, बायोमेट्रिक डाटा का विश्लेषण और डिजिटल फोरेंसिक उपकरण जैसे उपाय शामिल हैं. यूरोपीय संघ ने दो अंतरराष्ट्रीय परियोजनाओं (AI-POL और CT-Tech+) को भी आर्थिक मदद देनी शरू की है, जो कानूनी एजेंसियों द्वारा AI के ज़िम्मेदार इस्तेमाल से जुड़ी हैं. यह सही है कि इन उपायों में आतंकवाद-विरोधी प्रयासों में AI के महत्व को कुछ हद तक समझने की कोशिश की गई है, लेकिन यूरोपीय संघ को आतंकी व अवैध सामग्रियों के हटाने तक ही AI के इस्तेमाल को सीमित नहीं कर देना चाहिए. AI में आतंकवाद-विरोधी प्रयासों को आगे बढ़ाने की काफी अधिक क्षमता है और यूरोपीय देशों में कानून लागू करने वाली एजेंसियां इसके महत्व को समझती हैं. AI और पुलिसिंग पर यूरोपोल की 2024 की रिपोर्ट में बताया गया है कि AI को पुलिस व्यवस्था में किस तरह शामिल किया जा सकता है. इसमें चेहरे की पहचान करने से लेकर वास्तविक समय में डाटा के विश्लेषण करने और घटनाओं के पैटर्न की पहचान करने तक के काम शामिल हैं. सदस्य राष्ट्रों में स्थानीय पुलिस व खुफ़िया एजेंसियों और कानून लागू करने वाली अन्य संस्थाओं द्वारा पहले से AI के कई तरह के इस्तेमाल हो रहे हैं. ऐसे में, पूरे यूरोपीय देशों में समन्वय बनाने की ज़रूरत है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यूरोपीय संघ AI का सर्वोत्तम साझा इस्तेमाल कर रहा है और आतंकवाद-विरोधी कामों में AI के इस्तेमाल को लगातार सुधार रहा है.
सदस्य राष्ट्रों में स्थानीय पुलिस व खुफ़िया एजेंसियों और कानून लागू करने वाली अन्य संस्थाओं द्वारा पहले से AI के कई तरह के इस्तेमाल हो रहे हैं. ऐसे में, पूरे यूरोपीय देशों में समन्वय बनाने की ज़रूरत है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यूरोपीय संघ AI का सर्वोत्तम साझा इस्तेमाल कर रहा है
राष्ट्रीय और सार्वजनिक सुरक्षा में इनोवेशन को बढ़ावा देने वाले माहौल और आतंकवाद-विरोधी कामों में AI के प्रभावी एकीकरण पर मज़बूत अंतर-यूरोपीय सहयोग (सभी यूरोपीय देशों में आपसी सहयोग) के अलावा, इस काम में सफलता के लिए डाटा एक अहम औज़ार है. डाटा की मदद से ही हम AI-संचालित सबसे प्रभावी आतंकवाद-विरोधी उपकरण और सिस्टम बना सकते हैं. ये डाटा ही इन उपकरणों की कार्यक्षमता और प्रभावशीलता को तय करते हैं. ऐसे में, ज़रूरी है कि सभी भागीदार देश कट्टरपंथ, आतंकी गतिविधियों, दुष्प्रचार और आतंकवाद-विरोधी उपायों से जुड़े आंकड़ों को एक-दूसरे से साझा करें. अटलांटिक महासागर के दोनों ओर के देशों के बीच संबंधों में बढ़ते तनाव के बीच भी, आतंकवाद-विरोधी काम में आपसी सहयोग बनाने पर ज़ोर देना चाहिए, ताकि एक-दूसरे को लाभ मिले. हालांकि, यूरोपीय संघ को अटलांटिक और सरकारी संस्थानों से अलग हटकर भी AI उद्देश्यों के लिए डाटा साझा करने के लिए रणनीतिक साझेदारी बनानी चाहिए. हिंसक उग्रवाद को रोकने और पुनर्वास पर ध्यान लगाने वाले सिविल सोसाइटी संस्थानों के साथ-साथ गैर-पश्चिम सरकारों के पास अक्सर बहुमूल्य डाटा होते हैं, जिनको इन प्रयासों में शामिल करने से यूरोपीय संघ को पीछे नहीं हटना चाहिए.
(क्लारा ब्रोकेर्ट द सौफन सेंटर में रिसर्च फेलो और द सौफन ग्रुप में एक विश्लेषक हैं)
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Clara Broekaert is a Research Fellow at The Soufan Center focusing on foreign interference, emerging technologies, terrorism, and multilateral security cooperation. ...
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