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Published on Mar 15, 2024 Updated 0 Hours ago

युगांडा के साथ भारत किस तरह के रिश्ते रखे. भारत और युगांडा के संबंधों में संतुलन बनाना भारतीय कूटनीति के लिए बड़ी परीक्षा की घड़ी है.

युगांडा से कूटनीतिक रिश्तों में संतुलन कैसे बनाए भारत?

युगांडा को गुटनिरपेक्ष देशों के संगठन की अध्यक्षता मिलने के बाद से भारत इस बात को लेकर धर्म संकट में है कि वो युगांडा के साथ किस तरह के राजनयिक रिश्ते रखे. युगांडा ने हाल ही में समलैंगिकता के खिलाफ बहुत कड़ा कानून बनाया है. वहां मानवाधिकारों का उल्लंघन हो रहा है. विपक्षी पार्टियों के कार्यकर्ताओं के अपहरण और मर्डर के मामले सामने आए हैं. मुख्य विपक्षी दल के नेता रॉबर्ट क्यागुलनाई सेंतामु को गिरफ्तार किया गया है. इसी के बाद अमेरिका के साथ युगांडा के रिश्ते खराब हुए. मई 2023 में युगांडा ने एंटी होमोसेक्सुअलिटी कानून बनाया. इस कानून में समलैंगिक संबंध रखने पर उम्रकैद से लेकर मौत तक की सज़ा का प्रावधान है. इसके विरोध में अमेरिका ने एक जनवरी 2024 से युगांडा को अफ्रीकन ग्रोथ एंड ऑपर्च्युनिटी एक्टर (AGOA) से निलंबित कर दिया. AGOA में शामिल देशों को ये फायदा होता है कि उनके यहां के 6000 उत्पादों के आयात में अमेरिका में कोई शुल्क नहीं लगता.

इस सम्मेलन में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर की मौजूदगी से ये संदेश गया कि भारत भी गुटनिरपेक्ष देशों की अध्यक्षता युगांडा को मिलने को मान्यता देता है. 

अमेरिका के इस फैसले का असर युगांडा की अर्थव्यवस्था के हर क्षेत्र में दिख रहा है. वर्ल्ड बैंक ने ऋण देना बंद कर दिया है. पश्चिमी देश भी युगांडा में निवेश करने से बच रहे हैं. ऐसे में युगांडा को एक ऐसा अंतर्राष्ट्रीय मंच चाहिए था, जहां वो अपनी आवाज़ उठा सके. 15-20 जनवरी के बीच गुटनिरपेक्ष देशों के 19वें सम्मेलन को आयोजित करके युगांडा को ये मौका मिल गया. ये सम्मेलन युगांडा के राष्ट्रपति योवेरी मुसेवेनी के लिए राजनीतिक और राजनयिक तौर पर काफी अहम साबित हुआ. इस सम्मेलन में मुसेवेनी ने गुटनिरपेक्ष देशों से अपनी विदेश नीति इस तरह बनाने की अपील की जिससे ग्लोबल साउथ के देशों में सहयोग बढ़े.

इस सम्मेलन में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर की मौजूदगी से ये संदेश गया कि भारत भी गुटनिरपेक्ष देशों की अध्यक्षता युगांडा को मिलने को मान्यता देता है. इतना ही नहीं इस सम्मेलन को सफलतापूर्वक कराने के लिए भारत ने युगांडा को दस एक्ज़ीक्यूटिव बस, पांच एंबुलेंस, दस ट्रैक्टर और 2,664 झंडे दिए. एक ऐसे वक्त पर जब पश्चिमी देश अपने दरवाजे युगांडा के लिए बंद कर रहे हैं, ऐसी मुसीबत की घड़ी में युगांडा को उम्मीद है कि भारत के साथ उसके जो पुराने और ऐतिहासिक रिश्ते हैं, वो उसे राजयनिक तौर पर अलग-थलग होने से बचाएंगे.

यहां पर गौर करने वाली बात ये है कि युगांडा की मदद के लिए भारत के साथ-साथ चीन, रूस, टर्की और ईरान जैसे दूसरे देश भी सामने रहे हैं. इन देशों के भी अफ्रीका में अपने-अपने हित हैं. इन देशों में से कुछ के साथ भारत के संबंध उतने सौहार्दपूर्ण नहीं हैं. ऐसे में भारत के लिए ये ज़रूरी है कि युगांडा की मदद करते वक्त वो इस बात का भी ध्यान रखे कि कहीं इसे लेकर अमेरिका के साथ उसके रिश्ते खराब ना हो जाएं.

युगांडा के साथ भारत के ऐतिहासिक रिश्ते

युगांडा के साथ भारत के रिश्तों की शुरुआत तब हुई जब भारतीय नाविक व्यापार के लिए वहां गए. इस दौरान भारतीय बड़ी संख्या में युगांडा में बस गए और उसे ही अपना घर बना लिया. युगांडा का रेलवे नेटवर्क बनाने में भारतीय मजदूरों का ही हाथ है. इतना ही नहीं भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन से प्रेरित होकर युगांडा में भी आज़ादी की जंग चली और 1962 में युगांडा को आज़ादी मिली.


युगांडा के राष्ट्रपति के न्योते पर जुलाई 2018 में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वहां जाकर ये संदेश दिया कि भारत की विदेश नीति में युगांडा की भी महत्वपूर्ण भूमिका है. नरेंद्र मोदी युगांडा की संसद को संबोधित करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री भी बने. 

हालांकि 1970 के दशक में ईदी अमीन के शासन के दौरान करीब साठ हज़ार भारतीयों या भारतीय मूल के लोगों को युगांडा से निर्वासित किया गया. लेकिन 1986 में जब योवेरी मुसेवेनी युगांडा के राष्ट्रपति बने तो भारत विरोधी नीतियों को वापस ले लिया गया. दोनों देशों के रिश्ते सुधारने के लिए कई कदम उठाए गए. जिन निर्वासित भारतीयों की संपत्ति ज़ब्त की गई थी, उसे वापस किया गया.

युगांडा में बढ़ रही है भारत की मौजूदगी

पिछले ढाई दशक में युगांडा और भारत के व्यापारिक रिश्ते मजबूत हुए हैं. युगांडा को भारत का निर्यात 695 मिलियन डॉलर तक पहुंच गया है जो 2005 में 57.4 मिलियन डॉलर था. युगांडा उन देशों में शामिल है जिन्हें भारत शुल्क मुक्त व्यापार की सुविधा (DFTP) देता है. भारत ये सुविधा उन देशों को देता है जो विकास की दौड़ में अभी काफी पीछे हैं. युगांडा से भारत कॉफी, कोको बीन्स और सूखी फलियों का आयात करता है जबकि भारत से युगांडा को दवाइयां, गाड़ियां, प्लास्टिक, कागज़ और कार्बनिक रसायनिक उत्पादों का निर्यात होता है.

युगांडा के राष्ट्रपति के न्योते पर जुलाई 2018 में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वहां जाकर ये संदेश दिया कि भारत की विदेश नीति में युगांडा की भी महत्वपूर्ण भूमिका है. नरेंद्र मोदी युगांडा की संसद को संबोधित करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री भी बने. हालांकि अफ्रीका को लेकर भारत की कोई तयशुदा नीति नहीं है लेकिन युगांडा की संसद में अपने संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने 10 ऐसे सिद्धांतों की बात की, जो अफ्रीकी महाद्वीप के देशों के साथ भारत के रिश्तों में अहम भूमिका निभाएंगे.

प्रधानमंत्री मोदी के इस दौरे में दोनों देशों के बीच कई समझौते हुए. एक समझौता ऑफिशियल और डिप्लोमेटिक पासपोर्ट रखने वालों को वीज़ा से छूट देने को लेकर था. इसके अलावा एक प्रयोगशाला बनाने और द्विपक्षीय सुरक्षा सहयोग के बारे में भी समझौता हुआ. इतना ही नहीं भारत ने युगांडा में दुग्ध और कृषि उत्पादों के उत्पादन के लिए 64 मिलियन डॉलर और बिजली घरों और बिजली लाइन की स्थापना के लिए 141 मिलियन डॉलर का कर्ज़ देने का भी समझौता किया. इसके साथ ही इस बात पर भी सहमति बनी कि युगांडा की सेना को भारत के आर्मी ट्रेनिंग सेंटर में प्रशिक्षण दिया जाएगा.

खास बात ये भी है कि विदेश में भारत का जो पहला सरकारी शैक्षिक संस्थान खोला गया, उसकी स्थापना भी युगांडा में की गई. अप्रैल 2023 में जिन्जा शहर में नेशनल फॉरेंसिक साइसेंज यूनिवर्सिटी (NFSU) स्थापित की गई. इस यूनिवर्सिटी में डिजिटल फोरेंसिक, साइबर सिक्योरिटी, बिहेवियरल साइंसेज, फॉरेंसिक साइंसेज और इससे जुड़े दूसरे कोर्सेज की पढ़ाई होगी. युगांडा में सबसे ज्यादा भारतीय जिन्जा में ही रहते हैं. 1997 में तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री आईके गुजराल ने वहां महात्मा गांधी की प्रतिमा का अनावरण किया था. ये बात बहुत कम लोग जानते होंगे कि 1948 में गांधी जी की अस्थियों के कुछ हिस्से का विसर्जन जिन्जा शहर के पास ही नील नदी में किया गया.

पश्चिमी देशों के वित्तीय संस्थाओं ने जिस तरह युगांडा को ऋण देने पर रोक लगा रखी है, उसे देखते हुए ये आशंका जताई जा रही है कि युगांडा आर्थिक मदद के लिए चीन के चंगुल में फंस सकता है. 


भारत और युगांडा के बीच सम्पर्क बढ़ाने के लिए 7 अक्टूबर 2023 को युगांडियन एयरलाइंस ने कम्पाला और मुंबई के बीच सीधी विमान सेवा की शुरुआत की. खास बात ये है कि अफ्रीकी महाद्वीप से बाहर ये इकलौती जगह है, जहां के लिए कम्पाला से डायरेक्ट फ्लाइट है. इसी के साथ युगांडा उन पांच देशों में शामिल हो गया, जिनकी राजधानी से सीधी विमान सेवा भारत से जुड़ी है. युगांडा के अलावा तंज़ानिया, केन्या, रवांडा और इथोपिया से भी भारत के लिए डायरेक्ट फ्लाइट है. फिलहाल मुंबई और कम्पाला के बीच हफ्ते में तीन फ्लाइट हैं. युगांडियन एयरलाइंस अब चेन्नई और दिल्ली के लिए भी विमान सेवा शुरू करना चाहती है.

सबसे बडी बात ये है कि युगांडा में रह रहे भारतीयों का वहां के सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक क्षेत्र में काफी प्रभाव है. हालांकि युगांडा में सिर्फ बीस हज़ार भारतीय रहते हैं, जो युगांडा की आबादी का एक प्रतिशत से भी कम हैं लेकिन युगांडा के कुल टैक्स में भारतीयों की हिस्सेदारी 65 प्रतिशत की है. युगांडा की अर्थव्यवस्था में भारतीयों का अहम योगदान है. निर्माण, व्यापार, कृषि उत्पाद, बैंकिंग, चीनी उद्योग, रियल एस्टेट, होटल, पर्यटन और सूचना तकनीकी के क्षेत्र में भारतीय अहम भूमिका निभाते हैं. सबसे ज्यादा टैक्स देने के साथ-साथ भारतीय समुदाय के लोग युगांडा के हज़ारों लोगों को रोज़गार भी मुहैया कराते हैं. पिछले दो दशकों में भारतीय समुदाय के लोगों ने युगांडा में एक अरब डॉलर का निवेश किया है.

भारत-युगांडा रिश्तों के सामने चुनौतियां

अफ्रीकी महाद्वीप के ज्यादातर छोटे देशों की तरह युगांडा भी आर्थिक विकास और अधिनायकवादी सत्ता के बीच फंसा है. योवेरी मुसेवेनी पिछले 35 साल से सत्ता पर काबिज हैं. 2021 में हुआ चुनाव में जीत हासिल कर वो फिर पांच साल राष्ट्रपति बने रहेंगे. हालांकि उनके नेतृत्व में युगांडा ने कोरोना जैसी महामारी से जूझने के बावजूद वित्त वर्ष 2022-23 में 5.3 फीसदी की विकास दर हासिल की लेकिन एक सच्चाई ये भी है कि युगांडा की आर्थिक स्थिति खराब चल रही है. चीन, वर्ल्ड बैंक और आईएमएफ का उस पर करीब एक अरब डॉलर का कर्ज़ हो चुका है. पश्चिमी देशों के वित्तीय संस्थाओं ने जिस तरह युगांडा को ऋण देने पर रोक लगा रखी है, उसे देखते हुए ये आशंका जताई जा रही है कि युगांडा आर्थिक मदद के लिए चीन के चंगुल में फंस सकता है. राष्ट्रपति मुसेवेनी ये बात कह भी चुके हैं कि अगर कर्ज़ लेना बहुत ज़रूरी हो जाएगा तो वर्ल्ड बैंक और आईएमएफ से अलग भी कई ऐसी संस्थाएं और देश हैं, जिनसे ऋण लिया जा सकता है.

आगे का रास्ता क्या?

युगांडा के साथ कैसे रिश्ते रखें जाएं. इसी से भारतीय कूटनीति की योग्यता की परख होगी. युगांडा के राष्ट्रपति योवेरी मुसेवेनी इस वक्त गुटनिरपेक्ष देशों के अध्यक्ष हैं. फिलहाल भारत और युगांडा करीबी सहयोगी हैं. दोनों देशों के संबंध ऐसे महत्वपूर्ण मोड़ में हैं, जहां से वो ग्लोबल साउथ के देशों के अगुआ बन सकते हैं. विदेश मंत्री एस जयशंकर जिस तरह दो साल में युगांडा के दो दौरे कर चुके हैं, वो भी मजबूत होते रिश्तों का सबूत है. लेकिन भारत को इस बात को लेकर सावधानी बरतनी चाहिए कि युगांडा के साथ उसके प्रगाढ़ संबंधों से दुनिया में ये संदेश ना जाए कि युंगाडा सरकार की हर नीति का भारत समर्थन करता है. युगांडा में लोकतंत्र कमज़ोर हो रहा है. समलैंगिकता के खिलाफ युगांडा सरकार ने जो कड़े कानून बनाए हैं, उनका दुनियाभर में विरोध हो रहा है. भारत हमेशा से मानवाधिकारों का सम्मान करने वाला देश रहा है. ऐसे में दुनिया और ग्लोबल साउथ में भारत की भूमिका इस बात से भी तय होगी कि युगांडा से अपने रिश्तों को लेकर वो मानवाधिकार जैसे बुनियादी अधिकारों और द्विपक्षीय संबंधों में संतुलन कैसे बनाता है.

 

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