Published on Jun 05, 2021 Updated 0 Hours ago

भारत और फिलीपींस के बीच हालिया IPBC-MFA बैठक ये दर्शाती है कि दोनों देशों के संबंध अब रक्षा संवादों के पारंपरिक क्षेत्र के अलावा ब्लू इकॉनमी में भी बढ़ रहे हैं.

ब्लू इकॉनमी की ओर बढ़ता भारत और फिलीपींस के सहयोग का दायरा

27 मई को भारत और फिलीपींस के बीच समुद्री मत्स्य उद्योग और एक्वाकल्चर की पहली फिलीपींस-भारत वर्चुअल बिज़नेस कांफ्रेंस (IPBC-MFA) हुई. इस वर्चुअल कारोबारी कार्यक्रम में भारत के मत्स्य उद्योग के प्रतिनिधि फिलीपींस के चैंबर ऑफ़ एग्रीकल्चर ऐंड फिशरीज़ इनकॉरपोरेशन और मनीला में भारतीय दूतावास ने हिस्सा लिया.

भारत और फिलीपींस के बीच ब्लू इकॉनमी के मोर्चे पर सहयोग का स्रोत काफ़ी हद तक भारत के हिंद प्रशांत महासागरीय इनिशिएटिव (IPOI) को माना जाता है. वर्ष 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुरक्षित और स्थिर समुद्री क्षेत्र के लिए हिंद प्रशांत महासागरीय पहल (IPOI) की स्थापना करने का प्रस्ताव रखा था. ऐसी किसी भी पहल के केंद्र में दिलचस्पी रखने वाले देशों के बीच ऐसी साझेदारियों का निर्माण करना होता है, जिससे समुद्री सुरक्षा, टिकाऊ तरीक़े से समुद्री संसाधनों का इस्तेमाल और आपदा से बचाव और उसके प्रबंधन में सहयोग को बढ़ावा दिया जा सके. भारत और फिलीपींस के बीच हालिया IPBC-MFA बैठक ये दर्शाती है कि दोनों देशों के संबंध अब रक्षा संवादों के पारंपरिक क्षेत्र के अलावा ब्लू इकॉनमी में भी बढ़ रहे हैं.

टूना उद्योग का अधिकतम लाभ उठाने का प्रयास

भारत और फिलीपींस के मत्स्य एवं अक्वाकल्चर उद्योग से जुड़ी इस बैठक में जिन मुद्दों पर ख़ास तौर से चर्चा हुई, उनमें टूना प्रसंस्करण की फिलीपींस की क्षमताओं का भारत में निवेश करने या फिर भारत से अपने टूना उद्योग की ज़रूरत के लिए कच्चा माल आयात करने का विषय भी शामिल था. भारत की M/s HIC ABF स्पेशल फूड्स कंपनी के प्रबंध निदेशक चेरियन कुरियन के मुताबिक़, भारत ज़्यादातर ऐसी टूना मछली का उत्पादन करता है, जिसे डिब्बाबंद करके बेचा जाता है. इसी संदर्भ में अगर हम टूना प्रसंस्करण और डिब्बाबंद करने उद्योग के क्षेत्र में पूरी दुनिया में अव्वल फिलीपींस की क्षमताओं को देखें, तो इस क्षेत्र में भारत के ऐसे संसाधन का उत्पादन करने की क्षमता का लाभ फिलीपींस को मिल सकता है.

माना जाता है कि फिलीपींस का टूना उद्योग देश के निर्यात में सालाना क़रीब 30 करोड़ डॉलर का योगदान देता है और इस उद्योग से क़रीब एक लाख बीस हज़ार लोगों को रोज़गार भी मिलता है.

टूना फिलीपींस के सबसे बड़े सी-फूड निर्यात उत्पादों में से एक है. माना जाता है कि फिलीपींस का टूना उद्योग देश के निर्यात में सालाना क़रीब 30 करोड़ डॉलर का योगदान देता है और इस उद्योग से क़रीब एक लाख बीस हज़ार लोगों को रोज़गार भी मिलता है. इसके अलावा फिलीपींस की फ्राबेल फिशिंग कॉर्प के अध्यक्ष फ्रांसिस्को टियू लॉरेल जूनियर ने कहा कि भारत में टूना के मत्स्य उद्योग में भारत के स्थानीय मछली उत्पादकों के लिए भी काफ़ी संभावनाएं हैं. फ्रांसिस्को लॉरेल ने कहा कि, ‘अगर हमें मछली पकड़ने की इजाज़त दी जाए तो फिलीपींस का टूना बेड़ा ऐसे विस्तार के लिए हमेशा तैयार है.’

हालांकि, फिलीपींस के टूना कैनर्स एसोसिएशन के कार्यकारी निदेशक फ्रांसिस्को ब्यूएनकैमिनो ने सुझाव ये दिया कि अगर फिलीपींस भारत से टूना उद्योग के कच्चे माल को ख़रीद ले और अपने यहां लाकर इसकी प्रॉसेसिंग करे, तो ये ज़्यादा व्यवहारिक विकल्प होगा. ये ज़्यादा फ़ायदेमंद भी है, क्योंकि फिलीपींस के टूना उद्योग के निर्यात को यूरोपीय संघ (EU) से व्यापार करने में रियायतें मिलती हैं. इसके अलावा, जैसा कि चेरियन कुरियन ने कहा कि भारत के समुद्र में अपने विशेष आर्थिक क्षेत्र (EEZ) में टूना मछली के संसाधनों की संभावनाएं क़रीब 21.3 लाख टन तक पहुंच सकती हैं.

भारत और फिलीपींस टूना उद्योग को बढ़ावा देने के लिए प्रभावी ढंग से साझेदारी कर सकते हैं. सैद्धांतिक रूप से देखें तो अगर भारत टूना मछलियों का फिलीपींस को निर्यात बड़ी मात्रा में करता है, तो इससे फिलीपींस अपने यहां इसके प्रसंस्करण और डिब्बाबंद करने के उद्योग को और विस्तार दे सकता है. इससे दोनों देश मिलकर ब्लू ओशन इकॉनमी के क्षेत्र में सहयोग को विस्तार दे सकते हैं.

समुद्री वनस्पतियों के उद्योग को बढ़ावा देना

IPBC-MFA की कारोबारी बैठक के दौरान मेसर्स अक्वा एग्रो प्रॉसेसिंग मनामदुरिया के उपाध्यक्ष डॉक्टर मुनीसामी षनमुघम ने ज़ोर देकर कहा कि भारत के समुद्री वनस्पति उद्योग में निवेश की भी काफ़ी अहमियत है. उन्होंने कहा कि, ‘भारत में समुद्री शैवाल हाइड्रोकोलॉयड की काफ़ी मांग है. लेकिन इस समय इस मांग का 50 से लेकर 90 प्रतिशत तक हिस्सा आयात से पूरा किया जाता है.’ डॉक्टर मुनीसामी का ये बयान ऐसे समय पर आया है जब भारत सरकार ने समुद्री वनस्पति उद्योग को बढ़ावा देने और इसकी खेती के लिए सब्सिडी के रूप में 640 करोड़ रुपए के बजट की घोषणा की है.

भारत ने हाल ही में समुद्री शैवाल के मूल्य वर्धित रूप कैरागीनन के उत्पादन के लिए प्रसंस्करण केंद्र स्थापित करने शुरू किए हैं. हालांकि, फिलीपींस ने कैरागीनन और सी-वीड के क्षेत्र में स्वयं को विश्व में अग्रणी के रूप में स्थापित कर लिया है. फिलीपींस ने अन्य देशों की तुलना में समुद्री वनस्पतियों और कैरागीनन के प्रसंस्करण के केंद्र काफ़ी पहले स्थापित कर लिए थे. वास्तव में फिलीपींस दुनिया का पहला देश है, जिसने कैरागीनन बनाने के लिए कप्पाफिकस नाम की समुद्री शैवाल को कारोबारी नज़रिए से उगाने के लिए विकसित किया था.

समुद्री वनस्पति उद्योग के क्षेत्र में फिलीपींस के पास जो तकनीक, अनुभव और अनुसंधान की ताक़त है, उस पर दोनों देशों की साझेदारी की मज़बूत बुनियाद खड़ी की जा सकती है.

फिलीपींस समुद्री शैवाल की खेती के लिए अभी भी बहुत बड़े इलाक़े का उपयोग करता है. फिलीपींस के सी-वीड इंडस्ट्री एसोसिएशन के अध्यक्ष अल्फेड्रो पेड्रोसा तृतीय ने इस वर्चुअल सम्मेलन में कहा कि, ‘ये ऐसे संसाधन हैं, जो हमारे उद्योग को चलाते हैं. हमारे समुद्री तटों पर खेती के लिए क़रीब दो लाख हेक्टेयर ज़मीन है. इसमें से केवल 60 हज़ार हेक्टेयर इलाक़े में खेती है. इसके अलावा हमारे पास गहरे समुद्र में वनस्पतियां उगाने के लिए पांच लाख हेक्टेयर क्षेत्र मौजूद है.’

इससे भारत और फिलीपींस के बीच सहयोग की संभावनाओं वाला एक और द्वार खुलता है. भारत सी-वीड की अपनी घरेलू मांग को पूरा करने के लिए फिलीपींस से सहयोग कर सकता है. इसके साथ साथ समुद्री वनस्पति उद्योग के क्षेत्र में फिलीपींस के पास जो तकनीक, अनुभव और अनुसंधान की ताक़त है, उस पर दोनों देशों की साझेदारी की मज़बूत बुनियाद खड़ी की जा सकती है.

झींगा उद्योग का उपयोग करना

भारत और फिलीपींस के बीच सहयोग बढ़ाने का एक और क्षेत्र झींगा उद्योग में विकसित किया जा सकता है. भारत इस क्षेत्र में अपनी मूल्यवान विशेषज्ञता, तकनीक, और रिसर्च को फिलीपींस को दे सकता है. क्योंकि, फिलीपींस अभी भी झींगा उद्योग से पैदा होने वाली बीमारियों से जूझ रहा है. इसके अतिरिक्त यहां ये बात भी ध्यान देने लायक़ है कि भारत मूल्य के लिहाज़ से दुनिया का सबसे बड़ा झींगा निर्यातक है. जनवरी से अक्टूबर 2020 के दौरान भारत ने 3.5 अरब डॉलर मूल्य के झींगे का निर्यात किया था.

भारत में 12 लाख हेक्टेयर खारे पानी वाले इलाक़े में झींगे पालने की संभावनाएं हैं. लेकिन अभी इसके केवल दस प्रतिशत इलाक़े का ही इस्तेमाल किया जा रहा है.

भारत में एक लाख साठ हज़ार हेक्टेयर क्षेत्र में झींगे की खेती होती है. भारत में दुनिया भर में सबसे ज़्यादा झींगे का उत्पादन वर्ष 2019 में हुआ था, जब यहां 8 लाख पांच हज़ार टन झींगे की पैदावार हुई थी. हालांकि, भारत में 12 लाख हेक्टेयर खारे पानी वाले इलाक़े में झींगे पालने की संभावनाएं हैं. लेकिन अभी इसके केवल दस प्रतिशत इलाक़े का ही इस्तेमाल किया जा रहा है. इस तरह से झींगा उद्योग में भारत की क्षमता और विशेषज्ञता का लाभ उठाकर फिलीपींस अपने झींगा उद्योग की क्षमताओं का विस्तार कर सकता है. 

भारत और फिलीपींस के बहुआयामी संबंधों के भविष्य की राह

भारत और फिलीपींस के बीच मत्स्य एवं अक्वाकल्चर उद्योग की इस वर्चुअल कारोबारी बैठक (IPBC-MFA) की शुरुआत से दोनों देशों को और क़रीब आने और अपने संबंधों को और प्रखर बनाने का सुअवसर प्राप्त हुआ है. हालांकि, भारत और फिलीपींस ने रक्षा के क्षेत्र में द्विपक्षीय साझेदारी को वर्ष 2014 के बाद काफ़ी बढ़ाया है. इस सहयोग के बीच, ऐसे कारोबारी सम्मेलन की शुरुआत करके फिलीपींस और भारत दोनों ने न केवल मौजूदा क्षेत्रों में आपसी सहयोग को और मज़बूत बनाने बल्कि आपसी संवाद और सहयोग का दायरा बढ़ाकर ऐसे क्षेत्रों में समन्वय की संभावनाएं तलाशने का इरादा जताया है, जिनका अब तक उपयोग नहीं हो सका है. इस वर्चुअल सम्मेलन की सफलता, भविष्य में ऐसे और विविधता भरे संवादों का रास्ता खोलेगा. फिर इन संवादों से भारत और फिलीपींस के बीच और अधिक मज़बूत और बहुआयामी साझेदारी का विकास हो सकेगा.

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