Author : Manish Vaid

Expert Speak Raisina Debates
Published on Feb 21, 2025 Updated 0 Hours ago

रूसी गैस के परिवहन पर यूरोप की निर्भरता का अंत वैश्विक ऊर्जा की गतिशीलता में एक बुनियादी बदलाव का प्रतीक है. यूरोप अब अमेरिका और क़तर से LNG का आयात कर रहा है और वो ऊर्जा के मामले में एक स्वतंत्र भविष्य के लिए ख़ुद को तैयार कर रहा है.

रूसी गैस से यूरोप का दूर हटना: ऊर्जा के क्षेत्र में एक नये युग की शुरुआत

Image Source: Getty

रूसी गैस के परिवहन की समाप्ति यूरोप के भू-राजनीतिक परिदृश्य में एक बहुत बड़ा बदलाव है. दशकों तक रूसी गैस की पाइपलाइन न केवल ऊर्जा पहुंचाती थी बल्कि प्रभाव का साधन भी थी जो यूरोप की ऊर्जा नीति और कूटनीति की रूप-रेखा को निर्धारित कर रही थी. यूरोप तक रूसी गैस का प्रवाह ऊर्जा सुरक्षा और राजनीतिक लाभ के नाज़ुक संतुलन का प्रतिनिधित्व करता था जो गंभीर रूप से एक-दूसरे पर उनकी निर्भरता को उजागर करता था.

इस युग का अंत ऊर्जा आपूर्ति में महज़ एक बदलाव से कहीं अधिक का प्रतीक है; ये यूरोप की भू-राजनीति में एक नए अध्याय की शुरुआत करता है जहां ऊर्जा स्वतंत्रता और विविधता की खोज सबसे महत्वपूर्ण बन जाती है.

अब पाइपलाइन को बंद करने के साथ यूरोप एक नई वास्तविकता का सामना कर रहा है, ये ऐसी वास्तविकता है जहां रूसी गैस की अनुपस्थिति उसकी ऊर्जा रणनीतियों और गठबंधनों की फिर से समीक्षा के लिए मजबूर करती है. ये बदलाव चुनौतियों से भरा है क्योंकि अलग-अलग देश आर्थिक स्थिरता को बरकरार रखते हुए वैकल्पिक ऊर्जा के स्रोतों को हासिल करने की अनिश्चितताओं का सामना कर रहे हैं. इस युग का अंत ऊर्जा आपूर्ति में महज़ एक बदलाव से कहीं अधिक का प्रतीक है; ये यूरोप की भू-राजनीति में एक नए अध्याय की शुरुआत करता है जहां ऊर्जा स्वतंत्रता और विविधता की खोज सबसे महत्वपूर्ण बन जाती है. ये बदले हुए ऊर्जा परिदृश्य के सामने सामर्थ्य और इनोवेशन के लिए आवश्यकता का संकेत है. 

गैस कूटनीति 

40 साल से अधिक समय तक रूस और यूक्रेन के बीच गैस ट्रांज़िट समझौता यूरोप की ऊर्जा रूप-रेखा के केंद्र में था. अतीत के सोवियत युग के दौरान स्थापित यूरेनगॉय-पोमारी-उझगोरोद पाइपलाइन, जिसे ब्रदरहुड पाइपलाइन के नाम से भी जाना जाता है, 80 के दशक की शुरुआत में काम-काज प्रारंभ करने के समय से यूक्रेन के रास्ते साइबेरिया से यूरोप तक प्राकृतिक गैस का परिवहन कर रही थी. इस समझौते ने ये सुनिश्चित किया कि यूरोप को लगातार ऊर्जा की आपूर्ति होती रहे जबकि रूस को बड़ी मात्रा में पैसा और भू-राजनीतिक प्रभाव हासिल हो. 

लेकिन पांच साल का समझौता, जिसे कई बार बढ़ाया गया, मौजूदा रूस-यूक्रेन संघर्ष की वजह से बिना किसी नई व्यवस्था के 31 दिसंबर 2024 को समाप्त हो गया. ये यूरोप-रूस ऊर्जा संबंधों में एक महत्वपूर्ण अध्याय के ख़त्म होने का प्रतीक था. 

यूक्रेनी गैस ट्रांज़िट डील के ख़त्म होने का यूरोप की ऊर्जा सुरक्षा के लिए गंभीर असर है. 2022 से यूरोपियन यूनियन (EU) ने रूसी गैस पर अपनी निर्भरता कम करने के लिए सक्रिय रूप से अपने ऊर्जा स्रोतों को अलग-अलग बनाया है. समझौते की समाप्ति का समय नज़दीक आने के साथ ही उसके प्रयास और तेज़ हो गए. स्लोवाकिया और ऑस्ट्रिया जैसे देशों ने वैकल्पिक आपूर्ति सुरक्षित की है जबकि EU ने अमेरिका, क़तर और नॉर्वे से लिक्विफाइड नैचुरल गैस (LNG) के अपने आयात में पर्याप्त बढ़ोतरी की है. ये बदलाव उभरती भू-राजनीतिक चुनौतियों के बीच यूरोप की ऊर्जा रणनीति में एक निर्णायक परिवर्तन का संकेत है. 

भू-राजनीतिक संबंधों का असफल होना 

रूस-यूक्रेन गैस ट्रांज़िट समझौते का समाप्त होना गहरे भू-राजनीतिक तनाव को दिखाता है जो मौजूदा संघर्ष से और तेज़ हुआ है. रूस के द्वारा 2014 में क्रीमिया को मिलाने और 2022 में यूक्रेन पर हमले के बाद संबंध ख़राब होने के साथ ये समझौता विफल हो गया. 

यूक्रेन के द्वारा समझौते को बढ़ाने से इनकार करने के कारण रूस की आमदनी का एक बड़ा स्रोत ख़त्म हो गया जिससे सेना को उसकी फंडिंग में दिक्कत आ रही है. इसके साथ-साथ यूरोप ने रूसी ऊर्जा पर अपनी निर्भरता को कम करने के लिए प्रयास तेज़ कर दिए हैं जो उसके व्यापक ऊर्जा विविधता के लक्ष्यों के साथ मेल खाता है. 

समझौते का ख़त्म होना एक निर्णायक भू-राजनीतिक बदलाव का प्रतीक है जो यूक्रेन की आर्थिक और राजनीतिक स्वतंत्रता को मज़बूत करते हुए ऊर्जा को लेकर यूरोप से रूस के फायदों को कम करता है. ये बदलाव पूरे क्षेत्र में ऊर्जा गतिशीलता को नया आकार दे रहा है. 

समझौते का ख़त्म होना एक निर्णायक भू-राजनीतिक बदलाव का प्रतीक है जो यूक्रेन की आर्थिक और राजनीतिक स्वतंत्रता को मज़बूत करते हुए ऊर्जा को लेकर यूरोप से रूस के फायदों को कम करता है. ये बदलाव पूरे क्षेत्र में ऊर्जा गतिशीलता को नया आकार दे रहा है. 

ऊर्जा में बदलाव का सामना 

यूक्रेन-रूस गैस ट्रांज़िट समझौते की समाप्ति ने यूरोप को ऊर्जा के मामले में महत्वपूर्ण कमी का समाधान करने के लिए मजबूर कर दिया है. यूरोप के गैस बाज़ार में एक समय रूस का हिस्सा 35 प्रतिशत था जो अब घटकर 8 प्रतिशत रह गया है. 1 दिसंबर 2024 तक यूक्रेन के ज़रिए रूसी गैस की सप्लाई 14 अरब क्यूबिक मीटर (bcm) के नीचे हो गई जो 2020 में समझौते की शुरुआत के समय 65 bcm/वर्ष की सप्लाई से काफी कम थी. 

गैस की सप्लाई को पूरा करने के लिए यूरोप ने अमेरिका, क़तर और नॉर्वे से LNG के आयात में महत्वपूर्ण बढ़ोतरी की है. नॉर्वे ने 2023 में 87.8 bcm गैस की सप्लाई की जो कुल आयात का 30.3 प्रतिशत था. वहीं अमेरिका ने 56.2 bcm (19.4 प्रतिशत) की सप्लाई की. अमेरिका तीन वर्षों के लिए यूरोप का शीर्ष LNG आपूर्तिकर्ता भी रहा है. 2023 में LNG आयात में उसका हिस्सा 48 प्रतिशत (200 मिलियन क्यूबिक मीटर/दिन) था. सप्लाई में विविधता का साथ देने के लिए यूरोप की LNG रिगैसीफिकेशन (LNG को फिर से गैस में बदलने की प्रक्रिया) क्षमता 829.7 मिलियन क्यूबिक मीटर/दिन पहुंच गई जो 2021 की तुलना में 33 प्रतिशत की बढ़ोतरी है. 

इसके साथ-साथ यूरोप नवीकरणीय ऊर्जा पर अपने निवेश को भी बढ़ा रहा है. 2023 में EU के सदस्य देशों ने 60 गीगावॉट (GW) सोलर PV (फोटोवोल्टिक) और 15 GW पवन ऊर्जा क्षमता जोड़ी. हीट पंप की बिक्री 2030 तक सालाना 25 GW से बढ़कर 45 GW से ज़्यादा होने का अनुमान है. EU के नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन में 2023 में ज़ोरदार बढ़ोतरी हुई जिसकी वजह से ऊर्जा से जुड़े कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) के उत्सर्जन में उल्लेखनीय कमी आई. 2030 तक अंतरराष्ट्रीय  ऊर्जा एजेंसी के घोषित नीतिगत परिदृश्य के तहत EU की तेल की मांग 15 प्रतिशत कम होगी जबकि प्राकृतिक गैस में 10 प्रतिशत और कोयले की मांग में लगभग 50 प्रतिशत कमी आने की उम्मीद है. दूसरी तरफ नवीकरणीय ऊर्जा की परियोजनाओं से 80 प्रतिशत बिजली का उत्पादन होगा. 

ऊर्जा के स्रोतों को अलग-अलग बनाने की कोशिशों ने रूसी गैस पर निर्भरता को नाटकीय रूप से कम कर दिया है. 2021 में रूसी गैस का हिस्सा 40 प्रतिशत था जो अब 10 प्रतिशत के नीचे आ गया है. दूसरी तरफ EU के गैस आयात में अब LNG का हिस्सा 40 प्रतिशत से ज़्यादा हो गया है. EU का नेट ज़ीरो इंडस्ट्री एक्ट (स्वच्छ ऊर्जा तकनीकों के लिए EU की उत्पादन क्षमता बढ़ाने का लक्ष्य रखने वाला कानून) 2030 तक स्वच्छ ऊर्जा के उपयोग में 40 प्रतिशत आत्मनिर्भरता का लक्ष्य रखता है जो 2050 तक कार्बन तटस्थता को लेकर उसकी प्रतिबद्धता को मज़बूत करता है. लेकिन कार्बनमुक्त लक्ष्यों के साथ LNG पर निर्भरता को संतुलित करने से चुनौतियां खड़ी होती हैं क्योंकि LNG और नवीकरणीय ऊर्जा के लिए बुनियादी ढांचे पर पर्याप्त निवेश की आवश्यकता होती है. यूरोप का ऊर्जा भविष्य स्थायित्व और स्थिरता- दोनों को सुनिश्चित करने के लिए इन मुश्किलों का सामना करने पर निर्भर करता है. 

आर्थिक दबाव 

रूस-यूक्रेन गैस ट्रांज़िट समझौते की समाप्ति के महत्वपूर्ण आर्थिक और राजनीतिक परिणाम होंगे.  

यूक्रेन के लिए इसका अर्थ है ट्रांज़िट फीस के रूप में हर साल 1 अरब अमेरिकी डॉलर गंवाना जो रूस के साथ उसके मौजूदा संघर्ष की वजह से हो रहे आर्थिक नुकसान के बीच एक बड़ा झटका है. लेकिन इस कदम का रणनीतिक उद्देश्य रूस को अपने युद्ध की फंडिंग की क्षमता कमज़ोर करना है. 

रूस तो और भी बड़े वित्तीय झटके का सामना कर रहा है. उसे हर साल 6 अरब अमेरिकी डॉलर की राजस्व हानि का अनुमान लगाया गया है.

रूस तो और भी बड़े वित्तीय झटके का सामना कर रहा है. उसे हर साल 6 अरब अमेरिकी डॉलर की राजस्व हानि का अनुमान लगाया गया है. रूस की सरकारी गैस कंपनी गैज़प्रॉम यूक्रेन के रास्ते यूरोप को गैस की बिक्री से हर साल 5 अरब अमेरिकी डॉलर की कमाई करती थी. यूरोप तक उसके बाकी बचे दो पाइपलाइन रूट में से एक का नुकसान रूस के सबसे बड़े ऊर्जा बाज़ार पर उसका प्रभाव कमज़ोर करता है. 

प्रतिबंधों और वैश्विक ऊर्जा की मांग में गिरावट के साथ ये नुकसान रूस की आर्थिक चुनौतियों को बढ़ाता है और उसके भू-राजनीतिक लाभ को कम करता है.  

भू-राजनीतिक परिणाम

रूस-यूक्रेन गैस ट्रांज़िट समझौते की समाप्ति का गंभीर भू-राजनीतिक परिणाम है जिससे वैश्विक ऊर्जा परिदृश्य में नए विजेता तैयार होंगे. 

अमेरिका इस स्थिति के एक बड़े लाभार्थी के रूप में उभरा है. इसकी वजह से यूरोप तक उसके LNG निर्यात में बढ़ोतरी होती है और आर्थिक संबंधों एवं भू-राजनीतिक प्रभाव- दोनों में वृद्धि होती है. इसी के समान, भारत ने रियायती रूसी तेल का लाभ उठाया और ख़ुद को बदलती ऊर्जा गतिशीलता के एक महत्वपूर्ण लाभार्थी के रूप में स्थापित किया.

इसी तरह, क़तर अपने विशाल LNG भंडार और रणनीतिक बुनियादी ढांचे के साथ यूरोप के लिए एक विश्वसनीय वैकल्पिक ऊर्जा सप्लायर के रूप में अपनी स्थिति को मज़बूत करने के लिए तैयार है जिससे रूसी गैस पर यूरोप की निर्भरता कम होगी.  

यूरोप नवीकरणीय ऊर्जा की तरफ अपने बदलाव को भी तेज़ कर रहा है और ऊर्जा सुरक्षा एवं स्थायित्व को बढ़ाने के लिए सौर, पवन एवं पनबिजली पर अपना निवेश बढ़ा रहा है. ये बदलाव  पर्यावरण से जुड़े दीर्घकालिक लक्ष्यों के साथ मेल खाते हुए तत्काल आवश्यकताओं को पूरा करता है. 

लेकिन ये बदलाव चुनौतियां भी खड़ी करता है जिनमें बहुत ज़्यादा अनुकूलन लागत और नया बुनियादी ढांचा विकसित करने की मुश्किलें शामिल हैं. ट्रांज़िट समझौते का ख़त्म होना एक निर्णायक क्षण का प्रतीक है जहां अमेरिका, क़तर और नवीकरणीय ऊर्जा वैश्विक ऊर्जा भू-राजनीति के नए युग को आकार दे रही हैं. 

इस बदलाव से निपटने की यूरोप की क्षमता न केवल उसके ऊर्जा भविष्य को तय करेगी बल्कि तेज़ी से बदलती दुनिया में स्थिरता के साथ स्थायित्व को संतुलित करने के लिए एक उदाहरण भी पेश करेगी. 
 

निष्कर्ष 

रूसी गैस ट्रांज़िट डील की समाप्ति यूरोप के ऊर्जा और भू-राजनीतिक परिदृश्य में नाटकीय बदलाव का प्रतीक है. इसने निर्भरता के एक अध्याय को ख़त्म कर दिया है और सामर्थ्य के अध्याय को शुरू किया है. जैसे-जैसे यूरोप LNG आयात और नवीकरणीय ऊर्जा निवेश की तरफ बढ़ रहा है, वैसे-वैसे वो कार्बनमुक्त लक्ष्यों को आगे बढ़ाने और ऊर्जा सुरक्षा को सुनिश्चित करने की दोहरी चुनौती का सामना कर रहा है. ये बदलाव वैसे तो मुश्किलों से भरा है लेकिन ये वैश्विक ऊर्जा गतिशीलता को फिर से परिभाषित करने का एक अवसर भी पेश करता है जहां अमेरिका और क़तर जैसे देश प्रमुख किरदार के रूप में उभर रहे हैं. अंत में, इस बदलाव से निपटने की यूरोप की क्षमता न केवल उसके ऊर्जा भविष्य को तय करेगी बल्कि तेज़ी से बदलती दुनिया में स्थिरता के साथ स्थायित्व को संतुलित करने के लिए एक उदाहरण भी पेश करेगी. 


मनीष वैद ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन में जूनियर फेलो हैं. 

The views expressed above belong to the author(s). ORF research and analyses now available on Telegram! Click here to access our curated content — blogs, longforms and interviews.