Published on Jan 25, 2022 Updated 0 Hours ago

आरई उत्पादकों के साथ जैसे-जैसे लगातार नीतिगत समर्थन और कॉर्पोरेट बिजली ख़रीद समझौते (पीपीए) बढ़े हैं उसकी वजह से यूरोप में साल 2022 तक 49 गीगावाट की आरई क्षमता में वृद्धि की उम्मीद की जा सकती है.

2022 में ऊर्जा से जुड़े रुझान: ‘ज्ञात’ और ‘अज्ञात’ की पहली!

ये लेख हमारी सीरीज़ Comprehensive Energy Monitor: India and the World का हिस्सा है.


वैश्विक स्थिति

अक्षय ऊर्जा (आरई) में क्षमता वृद्धि के लिए आशावादी अनुमान, ख़ास कर फोटोवोल्टिक (पीवी) बिजली उत्पादन क्षमता और फ़ॉसिल फ़्यूल (जीवाश्म ईंधन ) के क्षेत्र में निवेश के लिए कम आशावादी पूर्वानुमान, ये वो दो प्रमुख मुद्दे हैं जो 2022 के लिए ऊर्जा क्षेत्र की अपेक्षाओं पर अधिकांश रिपोर्टों में शामिल हैं. ज़्यादातर विकसित मुल्कों में और भारत जैसे बड़े बाज़ारों में भी आरई के लिए वित्तीय और गैर-वित्तीय सब्सिडी के साथ-साथ नीति और सार्वजनिक समर्थन (क्षमता में बढ़ोतरी और अनुसंधान और विकास के लिए), आरई की क्षमता वृद्धि को लेकर जो आशावादी अनुमान नज़र आते हैं  वो ‘ज्ञात’ हैं.

वैश्विक क्षमता को बढ़ाने में भविष्य में आरई का हिस्सा 90 प्रतिशत होने की उम्मीद है और पीवी क्षमता 2022 में करीब 162 गीगावाट तक पहुंचने की उम्मीद है. पवन ऊर्जा क्षमता वृद्धि में 2022 में धीमी गति से बढ़ोतरी होने की उम्मीद है

वैश्विक क्षमता को बढ़ाने में भविष्य में आरई का हिस्सा 90 प्रतिशत होने की उम्मीद है और पीवी क्षमता 2022 में करीब 162 गीगावाट तक पहुंचने की उम्मीद है. पवन ऊर्जा क्षमता वृद्धि में 2022 में धीमी गति से बढ़ोतरी होने की उम्मीद है लेकिन ईंधन सेक्टर की औसत वृद्धि के मुकाबले यह 2017-18 में 80 गीगावाट क्षमता वृद्धि के साथ तेजी से बढ़ रही है. आरई उत्पादकों के साथ जैसे-जैसे लगातार नीतिगत समर्थन और कॉर्पोरेट बिजली ख़रीद समझौते (पीपीए) बढ़े हैं उसकी वजह से यूरोप में साल 2022 तक 49 गीगावाट की आरई क्षमता में वृद्धि की उम्मीद की जा सकती है. संयुक्त राज्य अमेरिका में विकेंद्रीकृत आरई की संभावनाएं बेहतर दिखती हैं, हालांकि, अधिकांश रिपोर्ट में बताया गया है कि कार्बन के ख़ात्मे का लक्ष्य निर्धारित करने को लेकर कुछ अनिश्चितताएं हो सकती हैं. जहां तक बात चीन में आरई क्षमता बढ़ोतरी की है तो साल 2022 में इसके घटने का अनुमान है. इसका मुख्य कारण चरणबद्ध तरीके से इस क्षेत्र में सब्सिडी हटाने के फैसले को लेकर है लेकिन फिर भी आरई क्षमता वृद्धि में 58 फ़ीसदी की बढ़ोतरी होने की उम्मीद की जा रही है. इसे देखते हुए चीन में पवन टरबाइन निर्माण क्षमता का 50 प्रतिशत से अधिक और सौर पैनल उत्पादन का लगभग 70 प्रतिशत हिस्सा है, लेकिन वैश्विक आपूर्ति की सख़्ती से 2022 में वैश्विक आरई क्षमता वृद्धि को चुनौती मिल सकती है.

कार्बन की कीमतें अनुपालन बाज़ार में, जिसमें यूरोपीय संघ के इमिशन ट्रेडिंग सिस्टम (ईयूईटीएस) और चीन की नेशनल इमिशन ट्रेडिंग स्कीम शामिल हैं, उनकी कीमतें नीतियों की मदद से साल 2022 में बढ़ने की उम्मीद है. औद्योगिक संपन्न देशों में सरकारों से ऐसी आशा की जाती है कि वो कार्बन टैक्स की दरों में बढ़ोतरी करे और अपने कॉर्बन उत्सर्जन के लक्ष्यों में कमी के संकल्प को पूरा करने के लिए नए करों को लागू करने की कोशिश करे. हालांकि, स्वैच्छिक कार्बन बाज़ारों में, कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य को शून्य स्तर तक लाने की महत्वाकांक्षी योजना कॉर्पोरेट संस्थाओं के उच्च गुणवत्ता वाले कार्बन ऑफ़सेट की मांग को बढ़ा सकते हैं.

एक तरफ जहां यूरोप से इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए सुपर क्रेडिट स्कीम को शुरू करने की उम्मीद की जा रही है तो वहीं चीन से सब्सिडी में कटौती का अनुमान है. 

2022 में, इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) की पहली बार वैश्विक बाज़ार में मांग दो अंकों तक पहुंचने की उम्मीद है और ईवी की बिक्री 5.8 मिलियन तक पहुंचने की उम्मीद की जा रही है. कुछ अनुमानों के मुताबिक 7.8 मिलियन से अधिक इकाइयों की बिक्री की उम्मीद है. एक तरफ जहां यूरोप से इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए सुपर क्रेडिट स्कीम को शुरू करने की उम्मीद की जा रही है तो वहीं चीन से सब्सिडी में कटौती का अनुमान है. हालांकि इलेक्ट्रिक वाहनों की उत्पादन लागत लिथियम, एल्युमिनियम और कॉपर की कीमत में बढ़ोतरी के चलते बढ़ने की उम्मीद है लेकिन उपभोक्ताओं पर इस कीमत बढ़ोतरी का असर नहीं होगा जैसे कि  सरकारों द्वारा स्थापित ईवी इन्सेन्टिव स्कीम के तहत इलेक्ट्रिक वाहनों को कम कीमत पर ही बाज़ार में लाया जा रहा है.

भारत की स्थिति


साल 2022 तक भारत की आरई क्षमता में बढ़ोतरी नए रिकॉर्ड स्तर को छू सकती है क्योंकि कई योजनाएं जिसे पूरा करने में देर हुई थी वो अब पूरे होने के कगार पर हैं. हालांकि इस बढ़ोतरी के बावजूद आरई क्षमता संवर्धन के कम रहने की आशंका है ख़ास कर 40 गीगावाट के वार्षिक संवर्धन के मुकाबले जो कि कॉप 26 में 500 गीगावाट के लक्ष्य को हासिल करने का भारत ने संकल्प लिया था. साल 2022 तक सरकार का लक्ष्य आरई क्षमता ( जिसमें 114 गीगावाट सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा क्षमता को 67 गीगावाट करना शामिल है ) को 227 गीगावाट पहुंचाना है जिसका लक्ष्य पेरिस समझौते के तहत 175 गीगावाट रखा गया था. भारत का अक्षय ऊर्जा सेक्टर साल 2022 तक 15 बिलियन अमेरिकी डॉलर निवेश आकर्षित करने की उम्मीद रखता है.

2021 के अंत तक, कोरोना महामारी के बाद दुनिया भर में जो आर्थिक सुधार हुए हैं उससे जीवाश्म ईंधन की मांग में बढ़ोतरी हुई है, जिससे जीवाश्म ईंधन की कीमत में अप्रत्याशित बढ़ोतरी हुई है. इससे एक बात का आभास होता है कि आपूर्ति को बाधित करके जीवाश्म ईंधन से अलग हटने का दबाव ज्ञात है

‘ज्ञात’ जो अज्ञात है — वैश्विक

फ़ॉसिल फ़्यूल (जीवाश्म ईंधन) में निवेश जो बड़े पैमाने पर बाज़ार के बुनियादी सिद्धांतों द्वारा निर्धारित किया जाता था, उस पर जलवायु परिवर्तन से संबंधित विघटनकारी, सक्रिय निवेशकों के दबाव और कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए सरकारी नीतियों का भी असर होता है. 2014 में, प्रबंधन के तहत केवल 52 बिलियन अमेरिकी डॉलर की संपत्ति वाले निवेशकों ने जीवाश्म ईंधन से निवेश को दूर करने का संकल्प किया था. 2021 में, कम से कम 1,485 संस्थागत निवेशक, जो प्रबंधन के अधीन 39.2 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की विशाल संपत्ति का प्रतिनिधित्व करते हैं, वो जीवाश्म ईंधन से कम से कम किसी न किसी रूप में विनिवेश के लिए प्रतिबद्ध हैं. बैंक अब जीवाश्म ईंधन कंपनियों को ऋण देने को राजनीतिक जोख़िम उठाने के रूप में भी देखने लगे हैं. इन सब से जीवाश्म ईंधन की आपूर्ति में निवेश की कमी आई है लेकिन इसका असर मांग पर नहीं पड़ा है.

2021 के अंत तक, कोरोना महामारी के बाद दुनिया भर में जो आर्थिक सुधार हुए हैं उससे जीवाश्म ईंधन की मांग में बढ़ोतरी हुई है, जिससे जीवाश्म ईंधन की कीमत में अप्रत्याशित बढ़ोतरी हुई है. इससे एक बात का आभास होता है कि आपूर्ति को बाधित करके जीवाश्म ईंधन से अलग हटने का दबाव ज्ञात है, जबकि वैश्विक ऊर्जा बाज़ार जो अभी भी 83 प्रतिशत मांग को पूरा करने के लिए जीवाश्म ईंधन पर कहीं ना कहीं निर्भर है, वह अज्ञात रहता है. आईईए (अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी) ने अपने कार्बन उत्सर्जन को शून्य के स्तर पर लाने के लिए जीवाश्म ईंधन में निवेश को रोकने की अपील की है और ओपेक (पेट्रोलियम निर्यातक देशों का संगठन) से तेल बाज़ारों को अच्छी तरह से आपूर्ति करने के लिए  कहा है जो कि इस विरोधाभास को साफ तौर पर दिखाता है.

उत्तरी अमेरिका और यूरोप में, कोयला आधारित बिजली उत्पादन के बदले गैस की मांग में बढ़ोतरी देखी गई है. हालांकि, कोयला आधारित उत्पादन में गिरावट ने गैस की मांग और कीमतों के लिए एक अहम प्रतिरोध को हटा दिया है. इसका नतीजा यह है कि गैस की मांग कम लोचदार है, प्राकृतिक गैस की कीमतों में बढ़ोतरी, कीमतों में अस्थिरता में वृद्धि के साथ विडंबना यह है कि कुछ बाज़ारों में कोयले की वापसी हुई है. 2019 और 2020 में गिरावट दर्ज़ होने के बाद भी कोयले से वैश्विक बिजली उत्पादन 2021 में 9 प्रतिशत बढ़कर 10,350 टीडब्ल्यूएच (टेरावाट- घंटे) के सबसे उच्च स्तर पर पहुंचने की उम्मीद है. मौसम के पैटर्न और आर्थिक विकास पर आधारित कुल कोयले की मांग साल 2022 में सबसे ज़्यादा होने जा रही है जबकि वैश्विक उत्पादन 2022 में बढ़कर 8 बिलियन टन के सबसे उच्चतम स्तर को छूने जा रहा है. यह अगले दो वर्षों तक इसी स्तर पर रहने वाला है, जिससे ईंधन सुरक्षा की अहमियत कमतर होगी. विविध ऊर्जा आपूर्ति के साथ आरई ऊर्जा क्षेत्र को कुछ हद तक बाज़ार की ताकतों से बचा सकती है लेकिन मौसम की अस्थिरता प्राकृतिक ताकतों पर निर्भरता बढ़ा सकती है.

2022 में भारत से 163 मिलियन टन कोयले के उत्पादन में सबसे बड़ी वृद्धि की उम्मीद है, जिसमें कुल उत्पादन 1 बीटी के निशान को पार कर सकता है लेकिन इस लक्ष्य को हासिल करना बड़े अज्ञात, जो कि कोरोना  महामारी का भविष्य में असर क्या होता है और अर्थव्यवस्था कैसे बढ़ती है, इस पर निर्भर करता है. 

साल 2022 में, जीवाश्म ईंधन कंपनियों की तकनीकी प्रौद्योगिकियों जैसे कार्बन कैप्चर, यूटिलाइजेशन एंड स्टोरेज़ (सीसीयूएस) में निवेश और कम कार्बन हाइड्रोजन आरई बनाम आरई के बीच प्रतिस्पर्धा की शुरुआत कर सकती है, जबकि सोलर प्लस बैटरी वाले कैंप सीसीयूएस और हाइड्रोजन कैंप के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल सकते हैं. उन्नत बाज़ारों में प्रोत्साहन जैसे कम कार्बन हाइड्रोजन का 3 अमेरिकी डॉलर प्रति किलोग्राम का उत्पादन क्रेडिट और नीले रंग के 45Q टैक्स क्रेडिट (सीसीयूएस के साथ जीवाश्म ईंधन से प्राप्त हाइड्रोजन) हाइड्रोजन आरई के प्रतिस्पर्धा दौड़ के स्तर को दोनों खेमों के लिए कुछ हद तक बराबर कर सकती है और प्रतियोगिता को आगे बढ़ा भी सकती है.

‘ज्ञात’ ज अज्ञात है — भारत


भारत के लिए, दिवालिया हो चुके डिस्कॉम में सुधार की कोशिशों के लिए ‘ज्ञात’ अज्ञात 2022 में भी जारी रहेगा. बिजली संशोधन विधेयक (2020) के मसौदे का भविष्य ‘अज्ञात’ कारकों पर निर्धारित होगा. जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) के 9-10 प्रतिशत से अधिक बढ़ने का अनुमान है, जिससे 2022 में बिजली की मांग और कोयले की मांग में काफी वृद्धि होने का भी अनुमान है. 2022 में भारत से 163 मिलियन टन कोयले के उत्पादन में सबसे बड़ी वृद्धि की उम्मीद है, जिसमें कुल उत्पादन 1 बीटी के निशान को पार कर सकता है लेकिन इस लक्ष्य को हासिल करना बड़े अज्ञात, जो कि कोरोना  महामारी का भविष्य में असर क्या होता है और अर्थव्यवस्था कैसे बढ़ती है, इस पर निर्भर करता है. 2022 भारत की आरई क्षमता संवर्धन के लिए एक और चुनौती पेश कर सकता है जो कोयले पर इसकी लागत प्रतिस्पर्द्धात्मकता पर निर्भर करता है. कोयले के उत्पादन  में गिरावट आ रही है, जबकि सौर, पवन और भंडारण प्रौद्योगिकियों के लिए जरूरी खनिजों की वैश्विक मांग में वृद्धि के चलते उनकी पूंजीगत लागत में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. इसका आरई के लिए क्षमता संवर्धन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है. इसके अलावा, 2022 में अपेक्षित आरई क्षमता में पर्याप्त वृद्धि, आरई परियोजनाओं की आर्थिक व्यावहारिकता से समझौता करते हुए टैरिफ़ को कम कर सकती है.

कुल मिलाकर 2022 में ‘ज्ञात’ ऊर्जा परिणामों, जो कि आरई में निवेश बढ़ाने के लिए राज्य के नेतृत्व वाली नीतियों का नतीजा है और ज्ञात’ अज्ञात जो राज्य के नेतृत्व में आरई में निवेश बढ़ाने वाली बाज़ार की प्रतिक्रिया है, जो मुख्य तौर पर जीवाश्म ईंधन क्षेत्र की तरफ से है. इन सबके बीच तनाव को उजागर करने वाले दिलचस्प समय की शुरुआत देखी जा सकती है.

Source: International Energy Agency
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Authors

Akhilesh Sati

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Akhilesh Sati is a Programme Manager working under ORFs Energy Initiative for more than fifteen years. With Statistics as academic background his core area of ...

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Lydia Powell

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Ms Powell has been with the ORF Centre for Resources Management for over eight years working on policy issues in Energy and Climate Change. Her ...

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Vinod Kumar Tomar

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Vinod Kumar, Assistant Manager, Energy and Climate Change Content Development of the Energy News Monitor Energy and Climate Change. Member of the Energy News Monitor production ...

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