बे ऑफ बंगाल इनिशिएटिव फॉर मल्टी–सेक्टोरल टेक्निकल एंड इकोनॉमिक को–ऑपरेशन यानी बिम्सटेक (BIMSTEC) का परिवहन संपर्क (ट्रांसपोर्ट कनेक्टिविटी) को लेकर मास्टर प्लान दक्षिण एशिया और दक्षिण–पूर्व एशिया के सदस्य देशों के लिए काफ़ी महत्व रखता है. क्षेत्रीय एकीकरण, व्यापार और आर्थिक विकास पर ध्यान के साथ मास्टर प्लान बिम्सटेक के सदस्य देशों के बीच परिवहन संपर्क को विकसित करने और उसे मजबूत करने को लेकर एक व्यापक रूपरेखा पेश करता है.
बिम्सटेक ट्रांसपोर्ट कनेक्टिविटी वर्किंग ग्रुप (BTCWG) की चौथी बैठक, जो 20 मार्च 2023 को वर्चुअली आयोजित हुई थी, में बिम्सटेक के सभी सदस्य देशों के प्रतिनिधि एक साथ जमा हुए. इससे क्षेत्र में ट्रांसपोर्ट कनेक्टिविटी को आगे बढ़ाने को लेकर उनकी सामूहिक प्रतिबद्धता दिखाई दी. बैठक के दौरान प्रतिनिधियों के बीच ट्रांसपोर्ट कनेक्टिविटी को लेकर बिम्सटेक के मास्टर प्लान को लागू करने में प्रगति को लेकर अच्छी बातचीत हुई.
बिम्सटेक की दक्षता और हालात के मुताबिक बदलने की क्षमता के सबूत के तौर पर भागीदार देश एक विशेषज्ञ समूह (एक्सपर्ट ग्रुप) की स्थापना के लिए तैयार हुए जिसका काम तय परियोजनाओं की सूची को अपडेट करना और उसमें फेरबदल करना है.
मास्टर प्लान को पांचवें बिम्सटेक शिखर सम्मेलन के दौरान 30 मार्च 2022 को अपनाया गया था. ये सदस्य देशों के बीच बेरोकटोक कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के लिए एक ब्लूप्रिंट की तरह है. बिम्सटेक की दक्षता और हालात के मुताबिक बदलने की क्षमता के सबूत के तौर पर भागीदार देश एक विशेषज्ञ समूह (एक्सपर्ट ग्रुप) की स्थापना के लिए तैयार हुए जिसका काम तय परियोजनाओं की सूची को अपडेट करना और उसमें फेरबदल करना है. मास्टर प्लान का उद्देश्य इंफ्रास्ट्रक्चर की खामियों को दूर करना, रेगुलेटरी ढांचे को दुरुस्त करना और सदस्य देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना है. ये सक्रिय रवैया सुनिश्चित करता है कि मास्टर प्लान प्रासंगिक बना रहे और बदलते क्षेत्रीय हालात को लेकर प्रतिक्रिया देने योग्य हो.
महत्वपूर्ण बात है बिम्सटेक वर्किंग ग्रुप की दूसरी बैठक आयोजित करने का फैसला जो कि इस साल की दूसरी तिमाही में होनी है. इस बैठक में मोटर व्हीकल एग्रीमेंट के मसौदे को लेकर बातचीत पर ध्यान दिया जाएगा. ये बातचीत बिम्सटेक क्षेत्र के भीतर दूसरे देशों की गाड़ियों और सामानों की आवाजाही को सुगम बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. सीमा के पार बेरोकटोक व्यापार की सुविधा देकर और कनेक्टिविटी को बढ़ाकर ये समझौता क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण और व्यवसाय को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ावा देगा.
मल्टी मॉडल हिस्सा
वैसे तो मास्टर प्लान तैयार करना क्षेत्रीय सहयोग और कनेक्टिविटी को बढ़ाने की तरफ बिम्सटेक के सदस्य देशों की मजबूत राजनीतिक प्रतिबद्धता के बारे में बताता है, लेकिन मास्टर प्लान एक मल्टीमॉडल परिवहन नेटवर्क की जरूरत को भी स्वीकार करता है. इस मल्टीमॉडल परिवहन नेटवर्क में सड़क, रेलवे, बंदरगाह, हवाई रास्ता और अंतर्देशीय जलमार्ग (इनलैंड वॉटरवे) शामिल हैं ताकि कनेक्टिविटी लिंक के फायदों को ज्यादा–से–ज्यादा किया जा सके.
पूरे बिम्सटेक क्षेत्र में बिना किसी रुकावट के सामानों और लोगों के परिवहन की व्यवस्था को हासिल करने का उद्देश्य परिवहन के अलग–अलग साधनों का इस्तेमाल करके हासिल किया जा सकता है. इससे परिवहन पर खर्च कम होगा. शुष्क बंदरगाह (ड्राई पोर्ट) या इनलैंड कंटेनर डिपो (ICD) इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए एक असरदार माध्यम है. इसके अलावा ज्यादा महत्वाकांक्षी पहल जैसे कि एक मल्टीनेशनल, मल्टी मॉडल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर की स्थापना, जैसे कि भारत के पूर्वोत्तर, म्यांमार और बाकी भारत के बीच संपर्क, क्षेत्र के भीतर बेरोकटोक कनेक्टिविटी में और योगदान दे सकती है.
मास्टर प्लान में संभावित टाइमलाइन के साथ कई प्रोजेक्ट की प्रस्तावना और परिकल्पना की गई है. लेकिन बिम्सटेक मास्टर प्लान में पेश टाइम टेबल और मौजूदा प्रगति के बीच अंतर साफ तौर पर दिखता है (तालिका 1).
तालिका 1: मल्टी मॉडल और इंटर मॉडल परिवहन विकास के लिए योजना में शामिल प्रमुख परियोजनाएं
परियोजना का विवरण |
बिम्सटेक विकास के पीछे दलील |
2018 में अनुमानित लागत (मिलियन डॉलर में) |
फंड देने वाला संगठन (संभावित) |
काम पूरा होने का अनुमानित वर्ष |
मौजूदा स्थिति |
बांग्लादेश के गाजीपुर के धीराश्रम में रेल से जुड़ा दूसरा ICD |
सड़क और (चट्टोग्राम) पोर्ट पर भीड़ से राहत के लिए क्योंकि ढाका में पहला ICD अपनी क्षमता को पार कर चुका है |
200 |
ADB और PPP |
2020 |
परियोजना की शुरुआत 2024 से होगी |
बांग्लादेश में मौजूदा सड़क और राष्ट्रीय राजमार्ग को चौड़ा करके इकोनॉमिक जोन से पास की जमीन और समुद्री बंदरगाह तक रोड नेटवर्क बनाना |
मल्टी मॉडल और इंटर मॉडल कनेक्टिविटी की सुविधा |
अभी तय नहीं |
अभी तक निर्धारित नहीं |
अभी निश्चित नहीं |
योजना की प्रक्रिया में |
भूटान में गेलेफू ट्रांसपोर्ट केंद्र का विकास |
बिम्सटेक व्यापार और परिवहन के लिए एंट्री और एग्जिट के प्वाइंट का विस्तार |
अभी तय नहीं |
अभी तक निर्धारित नहीं |
2018–2028 |
तैयारी का काम 2022 में शुरू |
यांगोन–डेगोन ICD, म्यांमार |
कंटेनर ट्रैफिक से निपटने के लिए मल्टी मॉडल और इंटर मॉडल सुविधा का विकास |
16 |
निजी |
2021 |
कोई जानकारी उपलब्ध नहीं |
म्यांमार में यांगोन रीजन ड्राई पोर्ट |
यांगोन हवाई अड्डे, यांगोन–बागो रेल लाइन और अंत में हंथावाड्डी हवाई अड्डे (साथ में यांगोन इनलैंड वॉटरवे पोर्ट) को जोड़ना |
40 |
PPP |
2019 |
2019 में ड्राई पोर्ट का काम पूरा, जोड़ने का काम बाकी |
म्यांमार में मांडले रीजन ड्राई पोर्ट |
मांडले–यांगोन रेल लाइन को जोड़ना |
40 |
PPP |
2019 |
2019 में ड्राई पोर्ट का काम पूरा, जोड़ने का काम बाकी |
कलादान मल्टी मॉडल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट, भारत–म्यांमार |
लंबे सड़क रास्ते के एक विकल्प के तौर पर अंतर्देशीय जल परिवहन रूट का संभावित इस्तेमाल |
453 |
भारत का विदेश मंत्रालय |
2020 |
मई 2023 में सित्तवे पोर्ट शुरू; 110 किमी का रोड का हिस्सा अधूरा |
उत्तर–पश्चिमी यांगोन के वर्तायार औद्योगिक क्षेत्र में लॉजिस्टिक केंद्र और ट्रक या ट्रेलर टर्मिनल की स्थापना |
कंटेनर ट्रैफिक से निपटने के लिए मल्टी मॉडल और इंटर मॉडल सुविधा का विकास |
15–20 |
PPP |
योजना बनाना बाकी |
फरवरी 2021 की सैन्य बगावत के बाद परियोजना रद्द (कोई वजह नहीं बताई गई) |
म्यांमार में बेरोकटोक मल्टी मॉडल और इंटर मॉडल आवाजाही के लिए सॉफ्टवेयर की व्यवस्था का विकास (यानी पोर्ट और ICD या जमीनी कस्टम केंद्रों के बीच ऑनलाइन क्लीयरेंस, प्रोटोकॉल, सुरक्षित सील के इस्तेमाल के लिए) |
मल्टी मॉडल और इंटर मॉडल कनेक्टिविटी की सुविधा |
5 |
तय नहीं |
निर्णय नहीं |
जानकारी उपलब्ध नहीं |
स्रोत: ट्रांसपोर्ट कनेक्टिविटी को लेकर बिम्सटेक मास्टर प्लान पर आधारित लेखक की अपनी जानकारी
दिक्कतें कायम
कई कारणों जैसे कि वित्तीय मजबूरी, रेगुलेटरी बाधाओं, तालमेल की कमी, राजनीतिक मुद्दों या तकनीकी मुश्किलों ने सूचीबद्ध परियोजनाओं को समय पर पूरा करने में देरी में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है.
फंडिंग से जुड़े मुद्दों की वजह से 2013 से ही वर्षों की देरी के बाद निर्धारित परियोजनाओं की सूची में से गाजीपुर का धीराश्रम, जो कि बांग्लादेश का सबसे बड़ा इनलैंड कंटेनर डिपो (ICD) है, 2024 से शुरू होने वाला है. बांग्लादेश सरकार ने सफलतापूर्वक इस प्रोजेक्ट के लिए फंडिंग हासिल की है. इसकी लागत लगभग 774.56 मिलियन अमेरिकी डॉलर होने का अनुमान है. कमलापुर ICD, जो कि बांग्लादेश में रेल लिंक से जुड़ा इकलौता ICD है, अपने परिसर के भीतर और आस–पास की सड़कों में भीड़–भाड़ का अनुभव कर रहा है. इस समस्या के समाधान के लिए धीराश्रम ICD प्रोजेक्ट का लक्ष्य रेल के जरिए कंटेनर परिवहन की क्षमता को बढ़ाना है.
एशियन डेवलपमेंट बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार ढाका के नजदीक और ढाका–चट्टोग्राम रेल कॉरिडोर के बराबर धीराश्रम ICD की सामरिक लोकेशन उसे एक क्षेत्रीय व्यापार का लॉजिस्टिक केंद्र बनने के लिए महत्वपूर्ण फायदे प्रदान करती है.
ये प्रोजेक्ट बांग्लादेश और भारत के बीच व्यापार को सुगम बनाने में बेहद महत्वपूर्ण है. सड़क परिवहन का द्विपक्षीय व्यापार में दबदबा है और इसका हिस्सा कुल व्यापार में लगभग 70 प्रतिशत है. रेल परिवहन का हिस्सा सबसे कम है और नियमित रूप से अंतर्राष्ट्रीय कंटेनर मालगाड़ियों के संचालन की कमी है. व्यापार को बढ़ाने के लिए बांग्लादेश और भारत सक्रिय रूप से दोनों देशों के बीच अंतर्राष्ट्रीय कंटेनर ट्रेन चलाने को बढ़ावा दे रहे हैं.
- पलेतवा से जोरिनपुई के बीच महत्वपूर्ण हिस्सा
म्यांमार में कई परियोजनाएं काफी अड़चनों का सामना कर रही हैं और उनकी मौजूदा स्थिति को लेकर उपलब्ध जानकारी की कमी साफ है. मई 2023 में सितवे पोर्ट की शुरुआत भारत के पूर्वोत्तर तक अच्छे ढंग से सामानों की आवाजाही के लिए एक महत्वपूर्ण कॉरिडोर है. लेकिन कलादान प्रोजेक्ट के मल्टी मॉडल हिस्से का पूरी तरह इस्तेमाल करने के लिए म्यांमार के पलेतवा से लेकर भारत के जोरिनपुई तक सड़क के रास्ते को पूरा करना महत्वपूर्ण है. दुर्भाग्य की बात ये है कि इसकी प्रगति में कई अड़चनें हैं.
चुनौतियों में सीमा के दोनों तरफ अलग–अलग एजेंसियों के बीच तालमेल की जरूरत, ऊबड़–खाबड़ इलाके, जमीन के लिए मुआवजे से जुड़े मुद्दे और क्षेत्रीय उग्रवाद की वजह से सुरक्षा से जुड़ी चिंताएं शामिल हैं. कोविड-19 महामारी और 2021 में म्यांमार में सैन्य बगावत की वजह से राजनीतिक उथल–पुथल ने प्रोजेक्ट की प्रगति में और भी रुकावट डाली है. चिन स्टेट, जिसके नजदीक निर्माण का काम चल रहा है, को मौजूदा समय में असुरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया है और इसलिए काम को जारी रखना एक अनिश्चित समय के लिए चुनौती बनी रहेगी.
परिवहन के इंफ्रास्ट्रक्चर को विकसित करने में लगे लोगों और संस्थानों के हुनर, जानकारी और विशेषज्ञता को मजबूत करने के लिए क्षमता निर्माण की कोशिशों में निवेश करना भी समान रूप से महत्वपूर्ण है.
वैसे तो सितवे पोर्ट म्यांमार के साथ व्यापार को आसान बनाने, खास तौर पर पूर्वोत्तर क्षेत्र (NER) में सामानों, गैस या तेल के परिवहन के लिए, की दिशा में महत्वपूर्ण संभावना रखता है, लेकिन पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए नियमित परिवहन के किफायती रास्ते के तौर पर उसकी क्षमता का निर्धारण होना अभी बाकी है. ये अनिश्चितता मुख्य रूप से बार–बार बल्क ब्रेकिंग (कंटेनर की जगह थैले, बक्से या किसी अन्य चीज में सामानों को ले जाने) और ट्रांस–शिपमेंट गतिविधियों (मंजिल तक पहुंचाने से पहले कंटेनर को किसी जगह एक जहाज से दूसरे जहाज तक ले जाना) की वजह से अनुमानित ऊंची लागत के कारण है. इसके अलावा, पलेतवा टर्मिनल का शुरू होना सितवे पोर्ट और पलेतवा को जोड़ने वाली कलादान नदी के बराबर ड्रेजिंग (नदी के तले में जमा कीचड़ को विशेष मशीन से साफ करना) के पूरा होने पर निर्भर है. जब ड्रेजिंग का काम पूरा हो जाएगा तभी मालवाहक जहाज सितवे पोर्ट तक सामान को ले जाएंगे. इसकी वजह से पलेतवा टर्मिनल के कामकाज का दायरा सीमित है.
आगे का रास्ता
वैसे तो चुनौतियां बनी हुई हैं लेकिन कनेक्टिविटी को बेहतर करने, परिवहन का खर्च कम करने और बिम्सटेक क्षेत्र के भीतर व्यापार को बढ़ावा देने के लिए मौजूदा पहल के महत्व को स्वीकार करना महत्वपूर्ण है. इसके लिए परिवहन की परियोजनाओं में शामिल बिम्सटेक देशों और उचित हिस्सेदारों के बीच तालमेल और सहयोग को बढ़ावा देना अनिवार्य है. इसके अलावा परिवहन से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर और पहल को विकसित करने के लिए पर्याप्त वित्तीय, तकनीकी और मानव संसाधन की उपलब्धता को सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण होगा.
परिवहन के इंफ्रास्ट्रक्चर को विकसित करने में लगे लोगों और संस्थानों के हुनर, जानकारी और विशेषज्ञता को मजबूत करने के लिए क्षमता निर्माण की कोशिशों में निवेश करना भी समान रूप से महत्वपूर्ण है. इसे हुनर से जुड़ी खामियों एवं संस्थागत कमजोरियों को दूर करने के लिए समय–समय पर ट्रेनिंग कार्यक्रमों, वर्कशॉप और तकनीकी सहायता से हासिल किया जा सकता है.
कल्पना किए गए सभी मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट से जुड़ी सोच और वास्तविकता के बीच अंतर को समझना भी जरूरी है. लागू करने से जुड़ी चुनौतियों, सर्वश्रेष्ठ पद्धतियों को साझा करने और हिस्सेदारों के बीच विश्वास को बढ़ावा देने के लिए समय पर जानकारी साझा करने, नियमित बातचीत, बैठक और संयुक्त रूप से निगरानी की व्यवस्था का इंतजाम किया जाना चाहिए. बिम्सटेक के सदस्य देश अच्छी तरह से जुड़े और समृद्ध क्षेत्र का निर्माण करने के अपने साझा लक्ष्य को रुकावट दूर करके, तालमेल को बढ़ावा देकर और बदलते क्षेत्रीय हालात के मुताबिक खुद को ढाल कर आगे बढ़ा सकते हैं.
श्रीपर्णा बनर्जी ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन के स्ट्रैटेजिक स्टडीज प्रोग्राम में जूनियर फेलो हैं.
अनसुइया बासु राय चौधरी ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन में सीनियर फेलो हैं.
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