परिवहन और उद्योग क्षेत्र में एलपीजी का उपयोग बिना स्थिरता और समानता से समझौता किए इसकी ऊर्जा सुरक्षा को और मज़बूत करेगा
स्वच्छ ईंधन आधारित ऊर्जा तंत्र की ओर संक्रमण के लिए Energy Trillema यानी ऊर्जा से जुड़ी तिहरी चुनौतियों (ऊर्जा सुरक्षा, स्थिरता और लागत वहन करने की क्षमता) से निपटना होगा. प्राकृतिकगैस के बारे में ऐसा माना जाता है कि यह ऊर्जा से जुड़ी इन तीनों बाधाओं को दूर कर सकता है लेकिन एलपीजी (द्रवीकृत पेट्रोलियम गैस) शायद एक ऐसा विकल्प है जिसके बारे में कम लोग जानते हैं पर यह प्राकृतिक गैस जितनी क्षमता रखता है, बल्कि यह संभवतः उससे बेहतर साबित हो सकता है. एलपीजी प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है जो ऊर्जासुरक्षा सुनिश्चित करती है, साथ ही यह भी टिकाऊ है क्योंकि इसे आधिकारिक तौर पर शून्य ग्लोबल वार्मिंग क्षमता वाले स्वच्छ ईंधन के रूप में वर्गीकृत किया गया है. उत्पादन और परिवहन की सरलता के कारण एलपीजी एक किफायती ईंधन है.
द्रवीकृतपेट्रोलियमगैस: संक्षिप्तजानकारी
एलपीजी प्रोपेन (C3H8) और ब्यूटेन (C4H10) गैसों का यौगिक मिश्रण है लेकिन उपयोगिता के आधार पर इन दोनों गैसों के अनुपात में अंतर हो सकता है. भारत में, LPG गैस में प्रोपेन और ब्यूटेन का अनुपात 60:40 है, लेकिन यह अनुपात उपयोगिता और ब्यूटेन और प्रोपेन की सापेक्षिक कीमतों के अनुसार बदल भी सकता है. अमेरिका में, एलपीजी में प्रोपेन की मात्रा कम से कम 90 प्रतिशत होती है, वहीं यूरोप के लिए यह आंकड़ा 70-85 प्रतिशत है, जो मौसम पर निर्भर करता है. दक्षिण कोरिया गर्मियों के मौसम में एलपीजी में 85 प्रतिशतसेअधिकब्यूटेनकाउपयोग करता है. एलपीजी ईंधनकीगुणवत्ता जैसे ऊर्जा मात्रा, वाष्प दाब और ऑक्टेन नंबर आदि इन गैसों के अनुपात पर निर्भर करती है.
एलपीजी प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है जो ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करती है, साथ ही यह भी टिकाऊ है क्योंकि इसे आधिकारिक तौर पर शून्य ग्लोबल वार्मिंग क्षमता वाले स्वच्छ ईंधन के रूप में वर्गीकृत किया गया है.
एलपीजी का वाष्पदाब बहुत कम होता है जिसके कारण उच्चऊर्जाघनत्व के लिए इसे बेहद कम दबाव पर स्टील के सस्ते कंटेनरों में तरल अवस्था में संग्रहित किया जा सकता है. प्राकृतिक गैस से तुलना करें तो परिवहन क्षेत्र में इसके इस्तेमाल के लिए इसे वायुमंडलीय दबाव पर संपीड़ित करने या फिर –160 डिग्रीसेल्सियस से भी कम तापमान पर इसे क्रायोजेनिक रूप से ठंडा करके तरल अवस्था में ले आने की ज़रूरत होती है. CNG (कंप्रेस्ड नेचुरल गैस) और LNG (लिक्विफाइड नेचुरल गैस) को अधिकदबाव या तापमान की आवश्यकता के कारण अधिक महंगे भंडारण टैंक की आवश्यकता होती है.
एलपीजी को बिनागुणवत्तासेसमझौताकिए लंबे समय तक संग्रहीत किया जा सकता है, जो इसे ग्रामीण, शहरी और औद्योगिक क्षेत्रों में कई तरह के उपयोगों के लिए उपयुक्त बनाता है. ग्रामीण ऊर्जा के संदर्भ में देखें तो इस बात पर विचार करना महत्वपूर्ण होता है कि ईंधन के भंडारण की अधिकतम अवधि कितनी है क्योंकि प्रतिस्थापन और रखरखाव से जुड़ी सुविधाएं अक्सर दुर्लभ होती हैं. एलपीजीकोएकजगहसेदूसरेजगहलेजानाबेहदआसानहै क्योंकि इसे छोटे या बड़े भंडारण टैंकों में आराम संग्रहित से किया जा सकता है. और यही कारण है कि एलपीजी को विभिन्न उद्देश्यों के लिए घरेलू से लेकर औद्योगिक स्तर पर एक प्रमुख ईंधन और फीडस्टॉक के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है. एलपीजीकेपरिवहन के लिए भारी-भरकम पाइपलाइनों के निर्माण की आवश्यकता नहीं होती है, और अक्सर ऐसा देखने को मिलता है कि द्वीपों या बहुत ऊंचाई वाले क्षेत्रों और आपातकाल या प्राकृतिक आपदा के दौरान केवल यही ईंधन के रूप में उपलब्ध होता है, जिस पर लोगों का जीवन निर्भर है.
जबकि एलपीजी में ब्यूटेन और प्रोपेन का अनुपात भिन्न-भिन्न हो सकता है, इसलिए इसकी दहनऊष्मा भी अलग-अलग होती है. फिर भी, इसकी दहन ऊष्मा तुलनात्मक रूप से अधिक होती है यानी इसमें ज्यादातर ईंधनों की तुलना में प्रति किलोग्राम अधिक ऊर्जा होती है. द्रव्यमान के आधार पर देखें तो एलपीजीसबसेअधिकऊर्जावालेईंधनोंमेंएक है. हालांकि, आयतन के आधार पर एलपीजी में पेट्रोल और डीजल जैसे पारंपरिक ईंधन की तुलना में ऊर्जा की मात्रा कम होती है. इसके पीछे कारण यह है कि पारंपरिक ईंधनों की तुलना में एलपीजी का घनत्व कम होता है. इसका अर्थ यह हुआ कि पारंपरिक ईंधनों से हमें जितनी ऊर्जा प्राप्त होती है, उतनी ऊर्जा प्राप्त करने के लिए आयतन के आधार पर और अधिक एलपीजी की और अधिक मात्रा की आवश्यकता होगी. इस संबंध में एलएनजी और इथेनॉल जैसे अन्य वैकल्पिक ईंधनों से तुलना की जाए तो एलपीजी के कुछफ़ायदे हैं.
पेट्रोल की तुलना में, एलपीजी की ऑक्टेनसंख्याथोड़ीअधिक होती है. सामान्य तौर पर, जैसे-जैसे एलपीजी में प्रोपेन की तुलना में जटिल हाइड्रोकार्बन (जैसे ब्यूटेन) की मात्रा बढ़ती जाती है, उसकी ऑक्टेन संख्या घटती है और मीथेन और इथेन जैसे निम्न हाइड्रोकार्बन के साथ इसका विपरीत होता है. पेट्रोल की तुलना में एलपीजी की ऑक्टेनसंख्याअधिक होने के कारण यह उच्च प्रदर्शन और दक्षता जैसे लाभ दे सकता है. पेट्रोल की तुलना में एलपीजी ईंधन में देर से दहन की शुरुआत होती है और इसका संपीड़न अनुपात भी ज्यादा होता है इसलिए इसमें समयसेपहलेदहन या Knock (जब ईंधन में समान रूप से दहन नहीं होता है) की समस्या कम होती है.
एलपीजी को एक जगह से दूसरे जगह ले जाना बेहद आसान है क्योंकि इसे छोटे या बड़े भंडारण टैंकों में आराम संग्रहित से किया जा सकता है.
एलपीजी का उत्पादन या तो तेलशोधनप्रक्रिया के ज़रिए किया जाता है या फिर पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस की तरह सीधे जमीन से निकाला जाता है. दुनिया भर में, लगभग 60 प्रतिशत एलपीजी का उत्पादन प्राकृतिक गैस के प्रसंस्करण से किया जाता है. एलपीजीउत्पाद कच्चे तेल के प्रकार, तेल शोधन इकाइयों की गुणवत्ता और अन्य तेल उत्पादों की तुलना में ब्यूटेन और प्रोपेन के बाजार मूल्यों पर निर्भर करता है.
चूंकि एलपीजी एक सह-उत्पाद है, इसकी आपूर्ति प्राकृतिक गैस की उपलब्धता और कच्चे तेल के शोधन पर निर्भर करती है. वैश्विक स्तर पर एलपीजी का अधिशेषउत्पादन (खपत से थोड़ा ज्यादा) किया जाता है और कुछ देशों में एलपीजी की मांग बढ़ गई है क्योंकि इसे मांग केंद्रों तक ले जाने की लागत उत्पाद के मूल्य से अधिक है. हाल ही में उत्तरअमेरिकाऔरदूसरेक्षेत्रोंमेंशेलगैसोंकेउत्पादननेएलपीजीकेउत्पादनकोबढ़ायाहै, और वहीं प्राकृतिकगैसक्षेत्रों से एलपीजी का उत्पादन किया जाता है. इससे यह बात तो स्पष्ट है कि आने वाले कुछ दशकों तक यह अधिशेष बना रहेगा. भारत में आयत के माध्यम से एलपीजी की 50 प्रतिशत से अधिक खपत पूरी होती है.
कार्बनतीव्रताऔरग्लोबलवार्मिंगक्षमता
एलपीजी की संरचना (प्रोपेन, ब्यूटेन और अन्य हाइड्रोकार्बन का अनुपात) इसकी कार्बन तीव्रता निर्धारित करती है जिसे अक्सर ईंधन के हाइड्रोकार्बन में हाइड्रोजन–टू–कार्बन (H:C) अनुपात द्वारा निर्धारित किया जाता है. प्रोपेन में 8 हाइड्रोजन परमाणु और 3 कार्बन परमाणु होते हैं, इसलिए उसका H:C अनुपात लगभग 2.67 होता है. मीथेन और ईथेन जैसे निचले क्रम के एल्केन यौगिकों के लिए H:C अनुपातबढ़ता है और ब्यूटेन जैसे उच्च-क्रम वाले एल्केन यौगिकों के लिए घटता है. वहीं दूसरी ओर, पारंपरिक ईंधन जैसे पेट्रोल और डीजल का H:C अनुपात 1.7 से 1.9 होता है. सैद्धांतिक रूप से देखें, तो वैकल्पिक जीवाश्म ईंधन की तुलना में एलपीजी का H:C अनुपात अधिक होने के कारण उससे CO2 (कार्बनडाइऑक्साइड) उत्सर्जनकमहोताहै और कालिख का उत्पादन भी कम होता है.
एलपीजी ईंधन की कार्बन तीव्रता या प्रति यूनिट ऊर्जा पर कार्बन के उत्सर्जन की मात्रा इसके रासायनिकसंयोजन और उपयोग पर भी निर्भर करती है लेकिन सामान्य तौर पर इसकी तुलना प्राकृतिक गैस से की जा सकती है. एलपीजी ईंधन के एक पूर्ण जीवन चक्र के लिए उसकी उत्सर्जनतीव्रता 76 CO2e/MJ (कार्बन-डाई-ऑक्साइड प्रति मिलियन जूल के बराबर) होती है, जबकि प्राकृतिक गैस के लिए यह आंकड़ा लगभग 75-78 CO2e/MJ, पेट्रोल और डीजल के लिए लगभग 90 CO2e/MJ और कोयले के लिए 112 CO2e/MJ है.
एलपीजी ईंधन की कार्बन तीव्रता या प्रति यूनिट ऊर्जा पर कार्बन के उत्सर्जन की मात्रा इसके रासायनिकसंयोजन और उपयोग पर भी निर्भर करती है लेकिन सामान्य तौर पर इसकी तुलना प्राकृतिक गैस से की जा सकती है.
‘कार्बनफुटप्रिंट‘ एक ईंधन की ग्लोबल वार्मिंग क्षमता (GWP) को बताता है, जिसे प्रति किलोग्राम या प्रति टन CO2 उत्सर्जन में मापा जाता है. UNFCCC (यूनाइटेड नेशंस फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज) के हिस्से के रूप में IPCC (जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल) ने समय-समय पर वायुमंडलीय गैसों के लिए GWP के मान को कई बार परिभाषित किया है. IPCC के तहत GWP100 (पिछले सौ वर्षों में उत्सर्जित ग्रीनहाउस गैसों की ग्लोबल वार्मिंग क्षमता) का प्रयोग मुख्यत: ईंधन के जीवन चक्र और कार्बन फुटप्रिंट के विश्लेषण के लिए किया जाता है और कार्बन फुटप्रिंट से जुड़े दिशानिर्देशों में इनका उपयोग किया जाता है. एक ईंधन का GWP पिछले 100 सालों में समतुल्य CO2 उत्सर्जन के सापेक्ष उसके ग्लोबल वार्मिंग प्रभाव को बताता है. परिभाषा के अनुसार, CO2 के GWP का मान 1 है. IPCC की इस परिभाषा के अनुसार चलें तो एलपीजी एक ग्रीनहाउस गैस नहीं है यानी कि इसका GWP का मान शून्य है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार स्वच्छईंधनएवंप्रौद्योगिकियां वे हैं जिनका वार्षिक औसत AQG (एयर क्वालिटी गाइडलाइन) 5 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर (µg/m3) या PM 2.5 (पार्टिकुलेट मैटर) के लिए 35 µg/m3 और CO (कार्बनमोनोऑक्साइड) केलिए7 mg/m3 है. इस मानदंड के तहत, सौर/इलेक्ट्रिक कुकर, बायोगैस, प्राकृतिक गैस, एलपीजी और इथेनॉल सहित अल्कोहल ईंधन स्वास्थ्य के लिहाज से स्वच्छ ईंधन हैं. एलपीजी और प्राकृतिक गैस जैसे प्रचुर मात्रा में उपलब्ध जीवाश्म ईंधन को स्वच्छ ईंधन के रूप में शामिल करने से SDG केसातवेंलक्ष्य (सतत विकास लक्ष्य के लिए संयुंक्त राष्ट्र का एजेंडा 2030) को हासिल किया जा सकता है, जो “सस्ती, टिकाऊ और आधुनिक ऊर्जा तक सार्वभौमिक पहुंच” की बात करता है.
सामान्य तौर पर एलपीजी को एक स्वच्छ ईंधन नहीं माना जाता है. संभवतः इसका कारण यह है कि “पेट्रोलियम” शब्द के साथ नकारात्मकअर्थ जुड़ा है. लेकिन एलपीजी ईंधन एक बहुउद्देशीय, मज़बूत और स्वच्छ ईंधन है, जो ऊर्जा से जुड़ी तीनों चुनौतियों का समाधान करने में योगदान दे सकता है. भारत, जो Energy Trilrmma Index में 91 देशोंमें63वेंस्थानपरहै, अगर असंसाधित बायोमास की जगह एलपीजी को प्राथमिक कुकिंग ईंधन के रूप में बढ़ावा देता है तो इससे उसकी वरीयता में सुधार होगा. परिवहन और उद्योग क्षेत्र में एलपीजी का उपयोग बिना स्थिरता और समानता से समझौता किए इसकी ऊर्जासुरक्षा को और मज़बूत करेगा.
The views expressed above belong to the author(s). ORF research and analyses now available on Telegram! Click here to access our curated content — blogs, longforms and interviews.
Akhilesh Sati is a Programme Manager working under ORFs Energy Initiative for more than fifteen years. With Statistics as academic background his core area of ...
Vinod Kumar, Assistant Manager, Energy and Climate Change Content Development of the Energy News Monitor Energy and Climate Change.
Member of the Energy News Monitor production ...