Author : Abhijit Singh

Published on Nov 29, 2023 Updated 0 Hours ago
हिंद महासागर में चीन और पाकिस्तान के नौसैनिक अभ्यास का मतलब?

उत्तरी अरब सागर में चीन और पाकिस्तान के समुद्री युद्धाभ्यास में क्या ख़ास बात है? इस सवाल के जवाब में हो सकता है कि कुछ लोग कहें कि इसमें कोई ख़ास बात नहीं. क्योंकि, दोनों देश हिंद महासागर में नियमित रूप से अभ्यास करते हैं और उनका साझा युद्धाभ्यास, सी गार्जियन अब हर साल होने लगा है. आम तौर पर ये नौसैनिक अभ्यास पाकिस्तान की समुद्री सीमा के पास होता है और इससे कभी भी ये नहीं लगता कि भारत के हितों को सीधे तौर पर चुनौती दी जा रही है. चीन- पाकिस्तान के सैन्य सहयोग को लेकर भले ही शोर मचाया जा रहा हो, लेकिन कम से कम अब तक तो चीन, पाकिस्तान में कोई स्थायी नौसैनिक ठिकाना बनाने से बचता रहा है.

  ख़बरों के मुताबिक़, चीन और पाकिस्तान के कमांडों ने एक दूसरे के नौसैनिक जहाज़ों में जाकर इस अभ्यास का निरीक्षण किया था. चीन का एक पर्यवेक्षक तो पाकिस्तान के पनडुब्बी रोधी गश्ती विमान में सवार हुआ था.

ऐसे में सवाल ये उठता है कि इस साल उत्तरी अरब सागर में हुए सी गार्जियन अभ्यास- 3 को लेकर इतनी दिलचस्पी क्यों दिखाई जा रही है? ऐसा लगता है कि इसके पीछे पाकिस्तान है, जो इस नौसैनिक अभ्यास को बहुत बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर रहा है. पाकिस्तान के नौसैनिक कमांडर तो इस युद्ध अभ्यास चीन और पाकिस्तान द्वारा पहली साझा समुद्री गश्त के तौर पर प्रचारित किया जा रहा है.

ख़बरों के मुताबिक़, चीन और पाकिस्तान के कमांडों ने एक दूसरे के नौसैनिक जहाज़ों में जाकर इस अभ्यास का निरीक्षण किया था. चीन का एक पर्यवेक्षक तो पाकिस्तान के पनडुब्बी रोधी गश्ती विमान में सवार हुआ था.

इस मामले को समझने के लिए ये बताना ज़रूरी है कि ये तीसरा मौक़ा है, जब चीन और पाकिस्तान की नौसेनाएं ‘सी गार्जियन’ नौसैनिक अभ्यास के लिए साथ आई थीं. इससे पहले के दो मौक़ों की बात करें, तो जनवरी 2020 में ये अभ्यास उत्तरी अरब सागर में हुआ था, तो जुलाई 2022 में पूर्वी चीन सागर में. सी गार्जियन अभ्या से पहले से ही चीन और पाकिस्तान की नौसेनाएं नियमित रूप से द्विपक्षीय अभ्यास कर रही थीं और ये सिलसिला 2014 से चला आ रहा है. इस बार के युद्धाभ्यास को लेकर इतनी अटकलें शायद इसलिए लगाई गईं क्योंकि, इसका आयोजन, भारत और अमेरिका के बीच 2+2 की मंत्रिस्तरीय बातचीत के एक दिन बाद किया गया था. भारत और अमेरिका के विदेश और रक्षा मंत्रियों की बातचीत का एक प्रमुख मुद्दा हिंद प्रशांत में समुद्री सुरक्षा का भी था. बैठक के बाद भारत ने अमेरिका की अगुवाई वाले उस बहुपक्षीय समूह कम्बाइंड मैरिटाइम फ़ोर्सेज़ का हिस्सा बनने का एलान किया, जो बहरीन में स्थित है. भारत के विश्लेषकों का मानना है कि चीन भी हिंद महासागर में अमेरिका और भारत की गतिविधियों का सामरिक जवाब देने का उत्सुक है.

पाकिस्तान की नेवी का आधुनिकीकरण

इस समय पाकिस्तान की नौसेना का आधुनिकीकरण किया जा रहा है, जो शायद हिंद महासागर में भारतीय नौसेन की बढ़ती ताक़त और मौजूदगी को देखते हुए हो रहा है. पाकिस्तान की नौसेना के कमांडर, भारतीय नौसेना को शक की नज़र से देखते रहे हैं. हाल के वर्षों में भारतीय नौसेना की ताक़त में लगातार इज़ाफ़ा होते देखकर ही, पाकिस्तान की नौसेना अपनी ताक़त और संसाधनों का विस्तार कर रही है.

 अभी हाल ही में यानी 2019 में पुलवामा के आतंकी हमले के तुरंत बाद भारत ने अपने जंगी जहाज़ों के एक बेड़े को पाकिस्तान की समुद्री सीमा के बेहद क़रीब तैनात कर दिया था. इस तैनाती का मक़सद भारत की मज़बूत इच्छाशक्ति को दिखाना था.

 

पाकिस्तान की नौसेना इस आशंका को लेकर भी परेशान है कि अगर भारत के साथ कोई सियासी संकट पैदा होता है तो भारतीय नौसेना उसके मकरान तट की नाकेबंदी कर सकती है. 1999 में ऑपरेशन विजय और 2001 में ऑपरेशन पराक्रम के दौरान, भारतीय नौसेना ने उत्तरी अरब सागर में जंगी जहाज़ तैनात किए थे और एक तरह से पाकिस्तान की ढीली-ढाली नाकेबंदी कर ली थी. अभी हाल ही में यानी 2019 में पुलवामा के आतंकी हमले के तुरंत बाद भारत ने अपने जंगी जहाज़ों के एक बेड़े को पाकिस्तान की समुद्री सीमा के बेहद क़रीब तैनात कर दिया था. इस तैनाती का मक़सद भारत की मज़बूत इच्छाशक्ति को दिखाना था. लेकिन, पाकिस्तानी नौसेना ने इसे भारत के कुछ ज़्यादा ही आक्रामक रुख़ के तौर पर देखा था.

भारत के लिए एक समस्या ये भी है कि पाकिस्तान के सामरिक तबक़े में ये सोच गहरी जड़ें जमाए हुए है कि भारत और पाकिस्तान के बीच एक सीमित युद्ध छिड़ने की आशंका हमेशा बनी रहती है. पाकिस्तान की स्ट्रैटेजिक प्लान्स डिवीज़न के महानिदेशक, ख़ालिद किदवाई संकेत देते हैं कि भारत के मुक़ाबले में पाकिस्तान एक कमज़ोर देश है. ऐसे में उसकी सोच भारत के ठीक उलट है. खालिद किदवाई कहते हैं कि पाकिस्तान अपने सामरिक विकल्पों में मौजूद हर उस (पारंपरिक से लेकर अपारंपरिक और एटमी) हथियार का इस्तेमाल करेगा, जिससे भारत को निशाना बनाया जा सके. ख़ालिद का मानना है कि भारत, बेहद आक्रामक इरादे रखता है और वो ‘कोल्ड स्टार्ट’ जैसी अपनी रणनीतियों से पाकिस्तान को उकसाने की कोशिश करता रहता है. हो सकता है कि भारत के पर्यवेक्षकों के लिए ऐसी बातचीत ख़याली पुलाव लगे, मगर पाकिस्तान के कमांडर्स इस सोच पर पक्का विश्वास रखते हैं.

भारत के पर्यवेक्षकों को ये बात दिलचस्प लगेगी कि इस साल मई में चीन ने पाकिस्तानी नौसेना को टाइप 054A/P दर्जे की गाइडेड मिसाइलों से लैस चार फ्रिगेट की डिलिवरी पूरी कर ली थी. पाकिस्तान, चीन से युआन क्लास की आठ पनडुब्बियां भी लेने जा रहा है. इनमें से चार की डिलिवरी तो 2024 के आख़िर तक हो जानी है. इस बीच तुर्की ने भी बाबर क्लास का पहला जंगी जहाज़, पाकिस्तानी नौसेना को सौंप दिया है. पाकिस्तान में इसे PN MILGEM कहा जाता है. पाकिस्तान और तुर्की मिलकर जिन्ना क्लास फ्रिगेट विकसित कर रहे हैं. पाकिस्तान की सरकारी कंपनी कराची शिपयार्ड इनका निर्माण, बाबर क्लास के जंगी जहाज़ों की डिलिवरी के बाद शुरू करेगी. ऐसा लगता है कि पाकिस्तान अपनी नौसेना को हिंद महासागर की एक बड़ी ताक़त बनाने के लिए ये सारे क़दम उठा रहा है.

  पाकिस्तानी नौसेना को ये बात बख़ूबी पता है कि भारतीय नौसेना उसे हिंद महासागर के सहयोगात्मक ढांचे से दूर रखना चाहती है.

फिर भी, पाकिस्तान की नौसेना को पूरी तरह से दुश्मन मान लेना, भारतीय पर्यवेक्षकों की एक बड़ी भूल होगा. आज की पाकिस्तानी नौसेना परिकल्पना के स्तर पर पहले के मुक़ाबले बिल्कुल अलग है और उसके निशाने पर सिर्फ़ भारत नहीं है. 2018 में सामने रखे गए पाकिस्तान के समुद्री सिद्धांत में हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) को ‘एक सामरिक इलाक़ा बताया गया था, जहां बहुत से क्षेत्रीय और क्षेत्र के बाहर के देशों के हित आपस में मिलते हैं, और इस इलाक़े में पाकिस्तान के लिए सहयोगात्मक रवैया अपनाना सबसे अच्छा होगा.’ पाकिस्तानी नौसेना के रणनीतिकारों के मुताबिक़, हिंद महासागर क्षेत्र आर्थिक और सामरिक शक्ति के संतुलन के लिहाज़ से बेहद अहम है. इसके लिए पाकिस्तानी नौसेना के लिए ख़ुद को इस क्षेत्र में एक बड़ी शक्ति और सुरक्षा देने वाली ताक़त के तौर स्थापत करना ज़रूरी है.

हिंद-महासागर में कूटनीतिक होड़

हिंद महासागर में पाकिस्तान के लिए ‘ख़तरों से मुक्त माहौल’ बनाने की बात का सीधा इशारा भारत से ख़तरे की तरफ़ है. इसके अलावा, पाकिस्तानी नौसेना का हर दो साल में होने वाला युद्ध अभ्यास अमन और 2020 में शुरू की गई क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा गश्त का मक़सद हिंद महासागर में पाकिस्तान की कूटनीतिक पहुंच को बढ़ाना है. पाकिस्तान जिस तरह से कुछ देशों के साथ आपसी तौर पर और कई बहुपक्षीय नौसैनिक संवाद कर रहा है, उसे देखते हुए ये बात तार्किक भी लगती है. पाकिस्तानी नौसेना को ये बात बख़ूबी पता है कि भारतीय नौसेना उसे हिंद महासागर के सहयोगात्मक ढांचे से दूर रखना चाहती है. पाकिस्तान, 25 सदस्यों वाले हिंद महासागर नेवल सिंपोज़ियम का भी हिस्सा है. लेकिन, 2022 में जब इस समूह के दस साल पूरे हुए, तो भारत ने पाकिस्तान को आमंत्रित नहीं किया था. हिंद महासागर में साझेदारियां बढ़ाने के पीछे पाकिस्तान का एक मक़सद, भारत के बढ़ते दबदबे का मुक़ाबला भी करना है.

पाकिस्तान के नौसैनिक रणनीतिकार ये बिल्कुल नहीं चाहेंगे कि हिंद महासागर में भारत सामरिक पहल करने में उनसे बाज़ी मार ले. हिंद महासागर में भारत के दबदबे का मुक़ाबला करने के लिए पाकिस्तान के पास चीन से सहयोग का विकल्प सबसे अच्छा है. भारत में बहुत से रणनीतिकार भले ही ये न मानें, लेकिन चीन और पाकिस्तान की नौसेनाओं के बीच ये संवाद हिंद महासागर में कूटनीतिक होड़ का हिस्सा है, न कि चीन (या पाकिस्तान) द्वारा भारत के क़रीबी समुद्री इलाक़ों में ताक़त की नुमाइश करने का.

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