Published on Apr 16, 2020 Updated 0 Hours ago

जिस वक़्त दुनिया ज़िंदगी और मौत के भी संघर्ष देख रही है, उस वक़्त चीन अपना अधिकार क्षेत्र बढ़ाने का प्रयास कर रहा है लेकिन, इस महामारी की मदद से चीन एक महाशक्ति बनने की अपनी महत्वाकांक्षा पूरी कर पाएगा या नहीं, इस सवाल का जवाब आने वाले समय में ही मिल सकेगा.

कोविड-19: वैश्विक महामारी से फायदा लेने की जुगत में चीन की फ़ौज

नए कोरोना वायरस की वजह से पूरी दुनिया में फैली कोविड-19 की महामारी का प्रकोप थमने का नाम नहीं ले रहा है. लेकिन, इस महामारी की शुरुआत जिस देश यानी चीन से हुई थी, उसे इस बात का यक़ीन है कि वो इस महामारी के सबसे बुरे दौर से उबर चुका है. चीन के वुहान से शुरू हुए इस नए कोरोना वायरस की महामारी से निपटने में चीन के अभियान की अगुवाई पीपुल्स लिबरेशन आर्मी यानी चीन की सेना कर रही थी. इस वायरस से संक्रमित संदिग्ध लोगों को गिरफ़्तार करने के लिए बड़ी संख्या में पीएलए के सैनिकों को लगाया गया था. और भले ही चीन आधिकारिक तौर पर ये कहे कि उसकी सेना इस वायरस के प्रकोप से अछूती रही. लेकिन, सच तो ये है कि बड़ी संख्या में चीन के सैनिक भी इस वायरस की चपेट में आ गए थे. ये वो सैनिक थे जिन्हें वुहान और इसके आस पास के इलाक़ों में तैनात किया गया था. जो इस नए कोरोना वायरस के संक्रमण का केंद्र था. इसके अलावा चीन ने अपने सैनिकों को हूबे प्रांत में अन्य जगहों पर भी तैनात किया था. वुहान, चीन में पनडुब्बी निर्माण का भी बड़ा केंद्र है. यहां पर पनडुब्बी निर्माण करने वाली कंपनियों को पाकिस्तान और थाईलैंड से ऑर्डर मिले हुए हैं.

चीन में इस महामारी से ‘उबरने’ में जो दो प्रमुख तथ्य सर्वविदित हैं, वो हैं दमन और गोपनीयता. इनकी मदद से चीन की सरकार अपनी सैनिकों में वायरस के संक्रमण की बात को छुपाने में सफल रही है. इसके अलावा चीन की सेना अपनी शक्ति का प्रदर्शन कर रही है. और मौजूदा हालात में दक्षिणी चीन सागर में अपने दावे को और सख़्ती और आक्रामकता से उठा सकती है

चीन में इस महामारी से ‘उबरने’ में जो दो प्रमुख तथ्य सर्वविदित हैं, वो हैं दमन और गोपनीयता. इनकी मदद से चीन की सरकार अपनी सैनिकों में वायरस के संक्रमण की बात को छुपाने में सफल रही है. इसके अलावा चीन की सेना अपनी शक्ति का प्रदर्शन कर रही है. और मौजूदा हालात में दक्षिणी चीन सागर में अपने दावे को और सख़्ती और आक्रामकता से उठा सकती है. साथ ही साथ चीन की सेना, इस महामारी का फ़ायदा उठा कर ताइवान को उग्रता से निशाना बना सकती है. इसीलिए, जब चीन के इस महामारी का प्रकोप थामने की बात आती है, तो तीन विषयों का अवलोकन करना आवश्यक है. पहली बात तो ये है कि नए कोरोना वायरस से चीन के कितने सैनिक संक्रमित हैं. दूसरी बात ये है कि इस वायरस के इन्फ़ेक्शन से वुहान के सैन्य उद्योगों की उत्पादन क्षमता पर कितना बुरा या अच्छा प्रभाव पड़ा है. और तीसरी व आख़िरी बात ये है कि इस महामारी के कारण चीन की सेना के लिए सैन्य कार्रवाई के कितने अवसर उत्पन्न हुए हैं.

इसमें कोई दो राय नहीं है कि अपनी सेना को मोर्चे पर लगाने से चीन को कोरोना वायरस के प्रकोप के निपटने में काफ़ी मदद मिली. वो इसके सबसे बुरे प्रभावों से बच निकला. फिर भी, ऐसी ख़बरें हैं कि इस कारण से चीन के सैकड़ों सैनिक कोरोना वायरस की चपेट में आ गए. इस बात को इस तथ्य से और बल मिलता है कि वुहान में चीन की सेना के लॉजिस्टिक सपोर्ट फ़ोर्स (PLALSF) का मुख्यालय भी है. इस बात की पूरी संभावना है कि इस मुख्यालय में तैनात अधिकारी और सैनिक, स्थानीय जनता से घुले मिले होंगे. ऐसे में इस दावे को नहीं माना जा सकता कि चीन की सेना की कई इकाइयां इस वायरस के संक्रमण से बची रह गई होंगी. वुहान, चीन की रेल सेवा का भी बड़ा केंद्र है. और चीन के सशस्त्र बलों (PAP) के जवान भी इस वायरस के प्रकोप से बच सके होंगे. क्योंकि इस सशस्त्र बल को वुहान में लॉकडाउन को सख़्ती से लागू करने की ज़िम्मेदारी दी गई थी. चीन के सशस्त्र बलों को लॉकडाउन लागू कराने की ज़िम्मेदारी वुहान शहर के साथ साथ हूबे प्रांत के अन्य हिस्सों में भी दी गई थी. इसके अतिरिक्त, चीन की सैनिकों को भले ही जैविक और रासायनिक युद्धों के बारे व्यापक विशेषज्ञता हासिल हो. लेकिन, पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की मेडिकल इकाइयों और अर्धसैनिक बलों को वायरस का प्रकोप थामने की जो ज़िम्मेदारी दी गई थी उससे इस बात की संभावना कम ही है कि ये सैनिक, संक्रमण से बचने में सफल रहे होंगे. क्योंकि कोविड-19 की महामारी का संक्रमण बहुत तेज़ी से फैलता है.

इसके अलावा, चीन की सरकार वुहान की अपनी सैन्य औद्योगिक क्षेत्र में स्थित सैन्य उत्पादन की इकाइयों की उत्पादन क्षमता लगातार बढ़ा रही है. हालांकि, वुहान शहर समुद्र तट के किनारे नहीं स्थित है. लेकिन, ये समुद्र तट से क़रीब आठ सौ किलोमीटर दूर, यांग्तज़े नदी के किनारे स्थित है. यांग्तज़े नदी पूर्वी चीन सागर को अंतर्देशीय जलीय परिवहन से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. हाल ही में चीन ने पाकिस्तान और थाईलैंड से ऑर्डर मिलने के बाद अपनी पनडुब्बी निर्माण की क्षमता में काफ़ी बढ़ोत्तरी की है. वुहान में वुचांग शिप बिल्डिंग ग्रुप का मुख्यालय स्थित है. इसके अलावा ऐसे कई इंजीनियरिंग और तकनीकी संस्थान भी वुहान में ही स्थित हैं, जो चीन की सेना की ज़रूरतों को पूरा करने में अहम भूमिका निभाते हैं. यहां पर स्थित कंपनियां एयरक्राफ़्ट कैरियर, रेलगन और पनडुब्बी की तकनीक से जुड़े उपकरण तैयार करने में महत्वपूर्ण रोल निभा रही हैं. यहां से चीन के रक्षा निर्यात का बड़ा हिस्सा भी दूसरे देशों को जाता है. इस बात के पूरे संकेत हैं कि चीन ने अपने सैन्य औद्योगिक इकाइयों को इस वायरस के संक्रमण की गिरफ़्त में पूरी तरह आने से बचा लिया है, ताकि वो अपने डिफेंस से जुड़े ऑर्डर को पूरा कर सके. हालांकि, वुहान में रक्षा उत्पादन को कोरोना वायरस के प्रकोप के पहले के उत्पादन स्तर तक दोबारा पहुंचने में कई महीनों का समय लगेगा.

दुनिया के लगभग सभी देश इस समय वायरस के प्रकोप से जूझ रहे हैं. इससे उनका ध्यान पूरी तरह से कोरोना वायरस की महामारी की रोकथाम में लगा हुआ है. भले ही चीन इस बात से बार-बार और सख़्ती से इनकार करे, लेकिन, इस महामारी ने चीन को सैन्य उपलब्धियां हासिल करने का एक अवसर ज़रूर दे दिया है

अगर, महामारी से उबरने की बात करें, तो ये काफ़ी प्रभावशाली उपलब्धि है. लेकिन, ये तब कहा जाएगा, जब असल में ऐसा हो जाए. इस दौरान बाक़ी के विकसित देश जब हालात सामान्य होने की ओर धीरे-धीरे ही बढ़ रहे होंगे तब चीन अपनी पूरी शक्ति से उत्पादन के लिए तैयार हो चुका होगा. लेकिन, अभी ये सिर्फ़ एक आकलन भर है. और जिस समय बाक़ी दुनिया इस क़हर से उबर ही रही होगा, तो चीन के उत्पादों की दुनिया में उतनी मांग भी शायद न हो. ख़ास तौर से सैन्य उपकरणों की. और चीन की सरकार इस बात से भी आशंकित है कि कहीं उसके यहां वायरस का संक्रमण दोबारा न फैल जाए. इससे चीन के रक्षा उत्पादन को दोबारा शुरू करने की कम्युनिस्ट पार्टी की उम्मीदों पर पानी फिर जाएगा.

और आख़िर में, इस महामारी से चीन की सेना के सामने इस बात के अवसर भी उपलब्ध होंगे कि वो कई क्षेत्रों पर अपने बरसों के दावों को नए सिरे से ठोक सके. हाल ही में चीन की नौसेना ने वियतनाम की मछली मारने वाली नौका को डुबो दिया था. जो चीन की सेना की आक्रामकता का ही एक उदाहरण है. चीन की नौसेना ने दक्षिणी चीन सागर में मार्च महीने में एक युद्धाभ्यास भी किया था. इस समय हिंद-प्रशांत क्षेत्र की क्षेत्रीय शक्तियां और वाह्य ताक़तें, इस महामारी से निपटने में व्यस्त हैं. क्योंकि दुनिया के लगभग सभी देश इस समय वायरस के प्रकोप से जूझ रहे हैं. इससे उनका ध्यान पूरी तरह से कोरोना वायरस की महामारी की रोकथाम में लगा हुआ है. भले ही चीन इस बात से बार-बार और सख़्ती से इनकार करे, लेकिन, इस महामारी ने चीन को सैन्य उपलब्धियां हासिल करने का एक अवसर ज़रूर दे दिया है. इस महामारी ने चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के लिए विभाजनकारी लाभ प्राप्त करने के अवसर मुहैया करा दिए हैं. जिनकी मदद से चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी अपने शासन को वैधता प्रदान करने में जुट गई है. इसीलिए चीन की कम्युनिस्ट पार्टी आज राष्ट्रवाद का नारा ज़ोर शोर से उछाल रही है. और अपनी ही जनता के सामने पीड़ित होने का ढोंग रच रही है. इसके लिए वो चीन की सरकार की हाल के हफ़्तों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लगातार हो रही आलोचना का हवाला देती है. इस रोने पीटने के ढोंग से चीन की सरकार कोरोना वायरस के प्रकोप को थामने में घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी लापरवाहियों पर पर्दा डालना चाहती है.

इसके उलट, आज अमेरिका जैसी बड़ी ताक़त अपनेआप को मुश्किल में पा रही है. अमेरिका अपनी सेना के एक बड़े बेड़े के पूर्वी एशिया में तैनात होने के बावजूद आज असहाय दिख रहा है. चीन की नौसेना और वायुसेना के उलट, अमेरिकी नौसेना आज कोरोना वायरस के संक्रमण की शिकार है. उसके एक एयरक्राफ़्ट कैरियर में कोरोना वायरस का संक्रमण फैल गया है. साथ ही साथ ये इलाक़ा अमेरिका के तट से भी बहुत दूर है. जबकि, चीन के साथ ऐसी कोई मुश्किल नहीं है. क्योंकि, इसकी सेनाओं के लिए चीन की मुख्य भूमि बहुत अधिक दूर नहीं है. अमेरिका के पास ये विकल्प है कि वो जापान और गुआम स्थित अपने नौसैनिक अड्डों से और सैनिकों को पूर्वी और दक्षिणी चीन सागर में तैनाती के लिए बुला सकता है. फिर भी अमेरिकी सेना की मुश्किल ये है कि उसके प्रशांत महासागर के बेड़े में कोरोना वायरस का संक्रमण फैल सकता है. इससे, वैकल्पिक सैनिकों को बुलाने के अमेरिका के अवसर भी सीमित ही हैं. यानी अमेरिका के पास फौरी तौर पर अपने बेड़े को बढ़ाने के लिए सैनिकों की उपलब्धता नहीं है. इसके अलावा, अमेरिका का प्रशांत महासागरीय बेड़ा, अमेरिका की मुख्य भूमि से काफ़ी दूर स्थित है. यानी, अमेरिकी सेना के विकल्प काफ़ी सीमित हैं. लेकिन, चीन के साथ ऐसी कोई चुनौती नहीं है. इससे चीन के सैन्य नेतृत्व के पास अपनी आक्रामकता दिखाने का एक अच्छा अवसर इस महामारी के साथ आया है.

किसी भी संकट को हाथ से निकल जाने देना बहुत बड़ी बर्बादी माना जाता है. ऐसा लगता है कि चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी ने इस कहावत को अपनी अंतरात्मा में बसा लिया है. तभी, जब बाक़ी दुनिया कोरोना वायरस के संक्रमण से जूझ रही है, तो चीन की सेना इस अवसर का लाभ उठा कर अपना प्रभाव क्षेत्र बढ़ाने में जुटी हुई है. जिस वक़्त दुनिया ज़िंदगी और मौत के भी संघर्ष देख रही है, उस वक़्त चीन अपना अधिकार क्षेत्र बढ़ाने का प्रयास कर रहा है. लेकिन, इस महामारी की मदद से चीन एक महाशक्ति बनने की अपनी महत्वाकांक्षा पूरी कर पाएगा या नहीं, इस सवाल का जवाब आने वाले समय में ही मिल सकेगा.

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