जब कोविड-19 महामारी ने दुनिया पर हमला किया तो कई लोगों ने अटकलें लगाई कि ये एक जैविक हथियार है. वैसे तो इस दावे को खारिज कर दिया गया है लेकिन वायरस की उत्पत्ति की पुष्टि अभी तक नहीं हुई है जिसकी वजह से साज़िश के सिद्धांतों को बढ़ावा मिला है. 2021 में अमेरिका के नेशनल इंटेलिजेंस के निदेशक (DNI) के कार्यालय के द्वारा जारी रिपोर्ट समेत कुछ रिपोर्ट में संकेत दिया गया कि चीन में वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (WIV) की लैब में लीक काफी हद तक इस वायरस का स्रोत है. यही रिपोर्ट चीन में लैब लीक के स्रोत को ज़िम्मेदार ठहराने पर अमेरिका के ऊर्जा विभाग के रुख में काफी बदलाव से पहले भी आई थी.
ये बदलाव 2023 की DNI रिपोर्ट के खुलासों से बेहतर ढंग से समझा जा सकता है क्योंकि ये रिपोर्ट इस मामले में एक महत्वपूर्ण दस्तावेज़ है जिसने WIV और उसकी जैव सुरक्षा से जुड़े उपायों के बारे में अहम नतीजों का खुलासा किया है. WIV के काम-काज और सुरक्षा प्रोटोकॉल का व्यापक आकलन करने वाली इस रिपोर्ट ने बताया कि कैसे WIV के रिसर्चर्स ने बेहद ख़तरनाक पैथोजन पर काम करते हुए एहतियाती उपायों का पालन नहीं किया. इसकी वजह से असुरक्षा और लीक का ख़तरा बढ़ गया. इसके अलावा, सही ढंग से प्रशिक्षित कर्मियों समेत BSL-4 लेवल की अपनी मान्यता हासिल करने के एक साल के बाद भी WIV के पास ज़रूरी मानक की कमी थी. रिपोर्ट में इस बात को भी उजागर किया गया है कि वायरस के फैलने के महज़ कुछ महीनों के बाद 2020 तक भी रोगाणुनाशक उपकरण और वेंटिलेशन सिस्टम समेत आधुनिकीकरण के लिए आवश्यक उपकरण की कमी थी. इसके अलावा, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के द्वारा पूछताछ और छानबीन को लेकर चीन के विरोध को दुनिया भर के दूसरे हितधारकों ने भी अच्छी तरह स्वीकार नहीं किया है.
रिपोर्ट में संकेत दिया गया कि चीन में वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (WIV) की लैब में लीक काफी हद तक इस वायरस का स्रोत है.
वैसे तो WIV पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) से अलग काम करता है और ये एक असैनिक प्रयोगशाला है लेकिन अमेरिका के खुफिया समुदाय (IC) का आकलन है कि लोगों के स्वास्थ्य और जैव सुरक्षा से जुड़ी रिसर्च पर WIV के कर्मियों ने PLA के वैज्ञानिकों के साथ तालमेल किया है. वैज्ञानिक समुदाय में ये तालमेल असामान्य नहीं है और इससे WIV की रिसर्च में सैन्य भागीदारी का पता नहीं चलता है. वैसे तो SARS-Cov-2 स्ट्रेन से पहले के वायरस के बारे में किसी प्रमाण का पता नहीं लगा लेकिन PLA और WIV ने कोरोना वायरस समेत अलग-अलग वायरस को लेकर वायरोलॉजी (विषाणु विज्ञान) और वैक्सीन डेवलपमेंट पर रिसर्च को लेकर काम किया है.
जैव सुरक्षा को लेकर चीन का नज़रिया
पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना का जैव सुरक्षा कानून अप्रैल 2021 में लागू किया गया था. इस कानून का प्राथमिक उद्देश्य सक्रिय रूप से नई या अचानक आई संक्रामक बीमारियों के प्रसार को रोकना और नियंत्रित करना है, चाहे वो बीमारी इंसान में हो, जानवर में या पेड़-पौधों में. कानून का एक और महत्वपूर्ण पहलू है बायोटेक्नोलॉजी रिसर्च, डेवलपमेंट और इस्तेमाल को नियम के दायरे में लाना. पैथोजेनिक माइक्रोब (रोगजनक रोगाणु) के साथ काम करने वाली प्रयोगशालाएं संक्रामक बीमारियों के अध्ययन और प्रबंधन में महत्वपूर्ण है. कानून इन प्रयोगशालाओं के लिए सख्त जैव सुरक्षा के उपायों को अनिवार्य बनाता है ताकि दुर्घटनावश या जान-बूझकर ख़तरनाक पैथोजन को बाहर आने से रोका जा सके. वुहान लैब लीक के अनुमानों के इर्द-गिर्द विवादों ने इन उपायों के महत्व को उजागर किया है.
वायरोलॉजी रिसर्च के लिए WIV के साथ PLA की भागीदारी के साथ कानून ऐसे ख़तरों को रोकने और उनका मुकाबला करने के प्रावधानों की रूप-रेखा भी तैयार करता है. इसमें निगरानी बढ़ाना, जैविक सामग्रियों को सुरक्षित करना और जैव आतंकवाद की गतिविधियों पर नज़र रखने और उसे कम करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना शामिल है.
कानून इन प्रयोगशालाओं के लिए सख्त जैव सुरक्षा के उपायों को अनिवार्य बनाता है ताकि दुर्घटनावश या जान-बूझकर ख़तरनाक पैथोजन को बाहर आने से रोका जा सके. वुहान लैब लीक के अनुमानों के इर्द-गिर्द विवादों ने इन उपायों के महत्व को उजागर किया है.
प्रमुख प्रावधानों में से एक है केंद्रीय प्राधिकरण की स्थापना जो जैव सुरक्षा के मामले में समन्वय, निगरानी और फैसला लेने की व्यापक ज़िम्मेदारी लेगा. ये प्राधिकरण है नेशनल बायोसिक्योरिटी वर्क कोआर्डिनेशन मेकेनिज़्म. प्रमुख वैज्ञानिकों और जैव सुरक्षा के जानकारों को शामिल करके बनाई गई एक विशेषज्ञ समिति जैव सुरक्षा की रणनीति और नीति को लागू करने पर फैसला लेने से जुड़ी महत्वपूर्ण सलाह प्रदान करेगी. नवीनतम वैज्ञानिक अनुसंधान और तकनीकी प्रगति से हासिल की गई इस समिति की जानकारी प्रभावी और प्रमाण आधारित कदम उठाने में मददगार होगी.
जैव सुरक्षा कानून के अलावा चीन के पास जैव सुरक्षा पर नज़र रखने के लिए शासन व्यवस्था के औज़ार भी हैं. इनमें पैथोजेनिक माइक्रोब लेबोरेटरी के बायोसेफ्टी मैनेजमेंट पर रेगुलेशन, एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक फैलने में सक्षम काफी पैथोजेनिक माइक्रोब से संबंधित प्रयोगशालाओं और प्रायोगिक गतिविधियों की जैव सुरक्षा मंज़ूरी के कार्यान्वयन के लिए उपाय और काफी रोगजनक जानवर सूक्ष्मजीव प्रयोगशाला के जैव सुरक्षा क्रियान्वयन की पड़ताल और मंज़ूरी के लिए उपाय शामिल हैं.
घरेलू रेगुलेशन के अलावा चीन जैविक विविधता सम्मेलन (CBD) पर भी हस्ताक्षर कर चुका है. CBD एक बहुपक्षीय संधि है जिसका उद्देश्य जैव विविधता और मानवीय अखंडता का संरक्षण है. इसके अलावा चीन वैज्ञानिकों के लिए आचार संहिता के उद्देश्य से तियानजिन जैव सुरक्षा दिशा-निर्देश से भी जुड़ा है जिसे तियानजिन गाइडलाइन भी कहा जाता है. ये वैज्ञानिकों और संस्थानों के द्वारा नैतिक रिसर्च के लिए 10 गाइडलाइन का एक सेट है. चीन ने जैविक हथियार सम्मेलन (BWC) पर भी हस्ताक्षर किए हैं. BWC एक बहुपक्षीय संधि है जो जैविक हथियारों को जमा करने, विकसित करने और उनके व्यापार को रोकता है.
वुहान लैब लीक के अनुमान से सबक और भविष्य की शासन व्यवस्था
इन घरेलू रेगुलेटरी उपायों को शुरू करने और अंतर्राष्ट्रीय संधियों में शामिल होने के बाद भी कोविड-19 में चीन की कथित भागीदारी और वुहान लैब लीक का अनुमान लेबोरेटरी की सुरक्षा से जुड़ी चर्चाओं में एक प्रमुख केंद्र बिंदु रहा है, विशेष रूप से जैव सुरक्षा को लेकर वैश्विक दृष्टिकोण में. इस मामले के बाद से चीन और दुनिया भर में महत्वपूर्ण शासन व्यवस्था से जुड़े तौर-तरीकों को शामिल करने के लिए कई प्रमुख क्षेत्र हैं.
इसका एक प्रमुख कारण चीन की नीतियों और दृष्टिकोणों का साफ नहीं होना है. इसका समाधान करने के लिए चीन को प्रयोगशाला के स्तर पर सुधारों को लागू करके जैव सुरक्षा के मानकों को बढ़ाने की ज़िम्मेदारी लेने की आवश्यकता है. इसमें अंतर्राष्ट्रीय मानक के अनुसार सुरक्षा प्रोटोकॉल को बढ़ाना और ट्रेनिंग, सुरक्षा कार्यान्वयन और रिसर्च में अंतर्राष्ट्रीय सहयोगियों के द्वारा जांच को सुनिश्चित करना शामिल होगा. अंतर्राष्ट्रीय सहयोग इसे बढ़ावा दे सकता है जो वैश्विक जैव सुरक्षा के उपायों को बढ़ाने और विश्वास बनाने के लिए महत्वपूर्ण है. चीन की नीतियों और दृष्टिकोणों में खुलापन और पारदर्शिता इस प्रक्रिया के लिए महत्वपूर्ण है.
चीन के द्वारा जैव सुरक्षा कानून और दूसरे संबंधित नियमों को लागू करना इन चिंताओं का समाधान करने की दिशा में एक कदम का प्रतीक है.
वैसे तो चीन पहले ही CBD, BWC और तियानजिन गाइडलाइन पर हस्ताक्षर कर चुका है लेकिन उसे आगे अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिक समुदाय के साथ बातचीत भी सुनिश्चित करनी चाहिए, यहां तक कि रिसर्च के चरण में भी. दुनिया भर में विज्ञान और तकनीक में रिसर्च और डेवलपमेंट को ज़िम्मेदार बनाना चाहिए और इस तरह ये पारदर्शी होना चाहिए. डेटा और नतीजों को खुलकर साझा करने से भरोसा तैयार करने और वैश्विक जैव सुरक्षा के उपायों को बढ़ाने में मदद मिल सकती है.
कोविड-19 महामारी ने दुनिया भर में मज़बूत जैव सुरक्षा के उपायों की महत्वपूर्ण आवश्यकता को रेखांकित किया है. WIV और चीन के इर्द-गिर्द की जा रही छानबीन गैर-ज़िम्मेदाराना कार्रवाइयों के लिए चीन को दोषी ठहराना आसान बनाती है. लेकिन इन आरोपों की जहां अभी भी जांच की जा रही है, वहीं चीन और दुनिया भर के दूसरे देशों को ज़िम्मेदारी लेने और ये सुनिश्चित करने की ज़रूरत है कि संक्रमण के ज़रिए लोगों की सेहत से जुड़ी चिंताएं मानवीय गलती का नतीजा तो नहीं है. साथ ही ये भी देखना होगा कि प्राकृतिक महामारियां कम हो जाएं. घरेलू नियमों और वैश्विक मानकों को मज़बूत करने से ऐसी लीक या महामारी की आशंका काफी कम हो सकती है. चीन के द्वारा जैव सुरक्षा कानून और दूसरे संबंधित नियमों को लागू करना इन चिंताओं का समाधान करने की दिशा में एक कदम का प्रतीक है. और अधिक पारदर्शिता एवं अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिक समुदाय के साथ बातचीत से ऐसे नतीजे काफी कम किए जा सकते हैं. इस तरह एक अधिक सुरक्षित वैश्विक महौल सुनिश्चित किया जा सकता है.
श्राविष्ठा अजय कुमार ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन के सेंटर फॉर सिक्योरिटी, स्ट्रेटजी एंड टेक्नोलॉजी में एसोसिएट फेलो हैं.
[1] The highest level of biosafety is reserved for dealing with pathogens and viruses that have no immediate cure or treatment and high virulence.
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