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पिछले कुछ हफ़्तों से भारत की सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था बेहतरीन ढंग से काम कर रही है लेकिन भारत जैसे विशाल और विविधतापूर्ण देश के हर कोने में रहने वाली आबादी तक पहुंच बनाने के लिए निजी मेडिकल सेक्टर की मदद की ज़रूरत पड़ेगी.
फ़रवरी के तीसरे हफ़्ते में दुनिया भर में कोविड-19 के करीब-करीब 3 करोड़ टीके लगाए गए. फ़रवरी के चौथे हफ़्ते तक दुनिया के 92 देशों में कोविड टीकाकरण अभियान के तहत 2 अरब 8 करोड़ से ज़्यादा डोज़ लगाए जा चुके थे.
फ़िलहाल औसतन लगभग 64.4 लाख डोज़ रोज़ लगाए जा रहे हैं. प्रतिदिन लगाए जा रहे टीकों की दर में फ़रवरी में एक 15 दिनों के अंदर करीब 38 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई. 8 फ़रवरी को ये आंकड़ा 46.8 लाख था जो 21 फ़रवरी को बढ़कर 64.4 लाख हो गया. टीकाकरण की रफ़्तार पर नज़र रखने वालों के मुताबिक टीके लगाने की गति में आई इस तेज़ी के चलते विश्व की 75 फ़ीसदी आबादी को टीके के दो डोज़ लगाने में लगने वाला औसत समय घटकर अब तकरीबन 4.8 साल हो गया है. टीकाकरण की रफ़्तार बढ़ने और नए टीकों और कोरोना के ख़िलाफ़ रक्षात्मक उपायों पर लगातार हो रहे शोध कार्यों से भविष्य को लेकर नई उम्मीद जगती है.
फिलहाल 70 टीकों का क्लीनिकल ट्रायल चल रहा है और दूसरे 181 वैक्सीन कैंडिडेट्स प्री-क्लीनिकल जांच-पड़ताल की चरण में हैं. 21 वैक्सीन कैंडिडेट्स बड़े पैमाने पर टीकाकरण की सफलता आंकने वाले ट्रायल के निर्णायक दौर में पहुंच चुके हैं जबकि अभी केवल 4 टीकों को पूर्ण प्रयोग की मंज़ूरी दी गई है. ये हैं- फ़ाइज़र-बायोएनटेक, मॉडर्ना (फ़ाइज़र और मॉडर्ना दोनों को बहरीन, सऊदी अरब, स्विट्ज़रलैंड में पूरी तरह से मंज़ूरी दी जा चुकी है हालांकि, अमेरिका, यूरोपीय संघ और कुछ दूसरे देशों में अभी इन्हें आपात इस्तेमाल की ही मंज़ूरी मिली है), सिनोफ़ार्म (चीन, यूएई और बहरीन में मंज़ूर) और सिनोवैक (चीन में सशर्त मंज़ूरी).
वहीं दूसरी ओर, गमालेया स्पूत्निक V (रूस में शुरुआती इस्तेमाल जबकि दूसरे देशों में आपात इस्तेमाल), ऑक्सफ़ोर्ड-एस्ट्राज़ेनेका (यूके, यूरोपीय संघ और दूसरे देशों में आपात इस्तेमाल), भारत बायोटेक की कोवैक्सीन (भारत में आपात इस्तेमाल), कैनसिनो (चीन में एक निश्चित मात्रा में प्रयोग) को सीमित तौर पर आपात इस्तेमाल की मंज़ूरी दी गई है. 16 फ़रवरी को अधिकारियों से मंज़ूरी मिलने के बाद, भारतीय कंपनी भारत बायोटेक ने नाक में दिए जाने वाली और सिर्फ़ एक बार प्रयोग की ज़रूरत वाली वैक्सीन के पहले चरण का ट्रायल शुरू कर दिया है.
दुनिया में कोविड टीकाकरण अभियान में अमेरिका सबसे आगे है. 21 फ़रवरी तक वहां 6 करोड़ 30 लाख टीके लगाए जा चुके हैं. इसके बाद चीन (4 करोड़) (1), यूके (1.8 करोड़) और भारत (1.11 करोड़) का नंबर आता है. हालांकि, अमेरिका और चीन टीके के कुल डोज़ की संख्या के मामले में सबसे आगे हैं लेकिन प्रति 100 व्यक्तियों पर टीके के मामले में इज़रायल बाक़ी दूसरे देशों से कहीं आगे है. वहां प्रति 100 लोगों पर अब तक 78.8 डोज़ दिए जा चुके हैं. ऐसा लगता है कि इस पैमाने पर अमेरिका और चीन पिछड़ रहे हैं. वहां प्रति 100 की आबादी पर क्रमश: 19 और 2.8 डोज़ ही लगाए जा सके हैं. शायद इसकी वजह इज़रायल के मुक़ाबले इन देशों में आबादी का ज़्यादा होना है.
भारत में कोरोना के कुल मामले 1 करोड़ 11 लाख को पार कर गए हैं. कोरोना से लड़कर स्वस्थ होने वालों की संख्या भी 1 करोड़ 6 लाख से अधिक हो गई है. 21 फ़रवरी तक कोरोना के चलते अपनी जान गंवाने वालों की तादाद 1 लाख 56 हज़ार 423 थी.
भारत में फ़रवरी के तीसरे हफ़्ते तक कोरोना टीके के 1.11 करोड़ से ज़्यादा डोज़ लगाए जा चुके है. इस लिहाज से दुनिया भर में कुल डोज़ लगाए जाने के मामले में भारत चौथे नंबर का देश बन गया है. यहां प्रति 100 लोगों पर 0.8 डोज़ लगाए गए हैं. फ़रवरी के दूसरे हफ़्ते में भारत में लगभग 24 लाख टीके लगाए गए थे. इसी कालखंड में भारत के औसत टीकाकरण में करीब 15 प्रतिशत का उछाल देखा गया. 14 फ़रवरी को समाप्त हुए हफ़्ते में ये 353,276 था जो 21 फ़रवरी को ख़त्म हुए हफ़्ते में बढ़कर 404,508 हो गया. नीचे दिए गए आंकड़ों से भारत में हर रोज़ हो रहे टीकाकरण की जानकारी मिलती है. सप्ताह के अंत में इसमें खासी गिरावट देखने को मिल रही है क्योंकि उन दिनों में ज़्यादातर सरकारी सुविधाएं बंद रहती हैं. हर रोज़ हो रहे टीकाकरण के आंकड़ों में वो तेज़ी नज़र नहीं आ रही है जिसकी मदद से उच्च वरीयता वाले 30 करोड़ लोगों का तेज़ रफ़्तार से टीकाकरण किया जा सके. अगर कोरोना संक्रमण की कोई अगली लहर आती है तो टीकाकरण की ये सुस्त रफ़्तार महंगी साबित हो सकती है.
कोरोना टीकाकरण के मामले में सफलतापूर्वक 11 लाख डोज़ लगाकर उत्तर प्रदेश देश में पहले पायदान पर बरकरार है जबकि 1,924 डोज़ के साथ केंद्र-शासित प्रदेश लक्षद्वीप का स्थान सबसे नीचे है. आंकड़ों का बारीकी से विश्लेषण करें तो हम पाते हैं कि प्रति 1000 की आबादी पर टीके के 26 डोज़ के साथ लक्षद्वीप पहले नंबर पर है जबकि प्रति हज़ार लोगों पर केवल 4.5 डोज़ के साथ पंजाब और बिहार पिछड़ते दिखाई देते हैं.
फ़रवरी के तीसरे हफ़्ते में कई दूसरे देशों ने अपने टीकाकरण अभियान की शुरुआत की. इसी कालखंड में कोविड टीकाकरण अभियान चलाने वाले देशों की तादाद 73 से बढ़कर 92 तक पहुंच गई. हालांकि, वैक्सीन तक पहुंच के मामले में उच्च और उच्च-मध्यम आय वाले देशों का ही बोलबाला है. मिसाल के तौर पर कनाडा में कोविड टीकाकरण के कॉन्ट्रैक्ट के तहत संभावित तौर पर एक अरब 26 करोड़ लोगों को टीका लगाया जा सकता है- ये संख्या वहां की आबादी की 335 प्रतिशत है. इस रेस में अफ्रीकी देश काफ़ी पिछड़ते दिख रहे हैं- वैक्सीन के मौजूदा कॉन्ट्रैक्ट से वहां की सिर्फ़ 5-6 प्रतिशत आबादी को ही लाभ पहुंचने की संभावना दिख रही है.
अनुमानों के मुताबिक दुनिया की 16 फ़ीसदी आबादी ने कोविड वैक्सीन के 60 प्रतिशत डोज़ अपने इस्तेमाल के लिए जमा कर लिए हैं. वैसे तो दुनिया भर के वैक्सीन निर्माताओं ने टीके तक सबकी ‘समान पहुंच‘ होने का वादा किया है लेकिन सच्चाई ये है कि अब तक ज़्यादातर कॉन्ट्रैक्ट अमीर देशों को ही हासिल हुए हैं.
चित्र 5 से स्पष्ट तौर पर दुनिया भर में वैक्सीन के वितरण में भारी विषमता देखी जा सकती है. इसमें देखा जा सकता है कि अब तक निम्न आय वाले किसी भी देश ने टीकाकरण अभियान की शुरुआत नहीं की है. मौजूदा टीकाकरण अभियान शुरू हुए दो महीने से भी ज़्यादा का वक़्त हो गया है. अब तक ज़्यादातर उच्च-आय वाले देशों ने वैक्सीन कॉन्ट्रैक्ट हासिल कर अपनी अधिकतर आबादी के लिए टीकाकरण अभियान चालू करने में कामयाब रहे हैं. इसके विपरीत निम्न-मध्यम आय वाले सिर्फ़ 11 देशों में ही टीकाकरण अभियान शुरू हो सका है जबकि निम्न आय वाले किसी भी देश में अबतक टीकाकरण शुरू भी नहीं हो सका है.
महामारी के बीच भारत ने दुनिया भर के कई देशों की मदद के तौर पर टीके के किफ़ायती डोज़ मुहैया करानी शुरू कर दी. दुनिया में कोविड वैक्सीन के निर्माण में भारत का दूसरा सबसे बड़ा देश बनना तय है. 2021 में भारत ने 3.5 अरब डोज़ के उत्पादन का लक्ष्य रखा है. भारत ने पहले ही अपने ‘वैक्सीन मैत्री’ कार्यक्रम के तहत 2.4 करोड़ डोज़ की आपूर्ति का काम चालू कर दिया है. इसमें से 65 लाख डोज़ तो अनुदान के रूप में दिए गए हैं. भारत का लक्ष्य लैटिन अमेरिका, कैरेबिया, एशिया और अफ्रीका के कुल 49 देशों को किफ़ायती या मुफ़्त वैक्सीन मुहैया कराना है. भारत ने दुनियाभर में फैले संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों के लिए भी 2 लाख डोज़ उपलब्ध कराने का वादा किया है.
सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया (एसआईआई) भारत समेत अपने दूसरे ग्राहक देशों को वैक्सीन मुहैया कराने के साथ-साथ 92 निम्न और मध्यम आय वाले देशों को ऑक्सफ़ोर्ड-एस्ट्राज़ेनेका और नोवावैक्स टीके मुहैया कराएगा. ये मदद वैश्विक टीकाकरण प्रयास- कोवैक्स के तहत की जाएगी. एसआईआई फिलहाल महीने में 5 करोड़ डोज़ का उत्पादन कर रही है जिसे मार्च के अंत तक बढ़ाकर 10 करोड़ डोज़ तक कर दिया जाएगा. फ़रवरी की शुरुआत में प्रारंभिक विश्लेषणों से पता चला था कि ऑक्सफ़ोर्ड-एस्ट्राज़ेनेका की वैक्सीन यूके, ब्राज़ील और दक्षिण अमेरिका में पाए गए कोरोना के नए स्ट्रेन के ख़िलाफ़ भी कारगर रहेगी. वहीं दूसरी ओर एक अन्य अध्ययन से इशारा मिला कि कोविशील्ड वैक्सीन से संक्रमण के फैलाव में 67 प्रतिशत तक की कमी आ सकती है. वैक्सीन के दो डोज़ थोड़े लंबे अंतराल पर लिए जाएं तो इसका प्रभाव और बढ़ सकता है.
वैक्सीन कूटनीति के भारत के प्रयासों की दुनिया भर में सराहना हो रही है. भारत ने दुनिया भर के देशों को लाखों डोज़ वैक्सीन की मदद पहुंचाई है और अब वो अपने घरेलू टीकाकरण अभियान को कामयाब बनाने की कोशिश कर रहा है. सीरम इंस्टीट्यूट के सीईओ अदार पूनावाला ने कहा है कि उनकी कंपनी भारत की घरेलू ज़रूरतों और बाक़ी दुनिया की आवश्यकताओं के बीच संतुलन बनाने की पुरज़ोर कोशिश कर रही है. इसी सिलसिले में उन्होंने दुनिया के बाक़ी देशों से धैर्य बनाए रखने का आग्रह किया है. हालांकि, अभी ये साफ़ नहीं है कि उनका ये बयान भारत सरकार के किसी निर्देश के बाद आया है या फिर इस बयान के ज़रिए वो अपने इंस्टीट्यूट के लिए कुछ और मोहलत सुनिश्चित करना चाह रहे हैं. वैसे अभी हालात ये हैं कि कोविशील्ड की आपूर्ति उसकी मांग की तुलना में कहीं पीछे छूट गई है.
ये बात सही है कि भारत अपने यहां की उच्च प्राथमिकता वाली आबादी को टीका लगाने के लिए हर मुमकिन जतन कर रहा है लेकिन अभी तक इन प्रयासों से उम्मीद से सुस्त नतीजे ही हाथ लगे हैं. ऐसी ख़बरें आई हैं कि आने वाले हफ़्तों में देश में टीकाकरण की रफ़्तार को 50 लाख डोज़ प्रतिदिन किए जाने का इरादा है. ख़बरों के हिसाब से टीकाकरण में निजी कंपनियों और संस्थानों के सहयोग से छह महीने से भी कम समय में 50 करोड़ से भी ज़्यादा लोगों को टीके लगाए जा सकते हैं. हालांकि, पिछले कुछ हफ़्तों से भारत की सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था बेहतरीन ढंग से काम कर रही है लेकिन भारत जैसे विशाल और विविधतापूर्ण देश के हर कोने में रहने वाली आबादी तक पहुंच बनाने के लिए निजी मेडिकल सेक्टर की मदद की ज़रूरत पड़ेगी.
(1) चीन में टीकाकरण के आंकड़े में 9 फ़रवरी के बाद कोई बदलाव नहीं हुआ है.
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Kriti Kapur was a Junior Fellow with ORFs Health Initiative in the Sustainable Development programme. Her research focuses on issues pertaining to sustainable development with ...
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