Author : Shivam Shekhawat

Expert Speak Raisina Debates
Published on Sep 10, 2024 Updated 1 Days ago

इस्लामिक अमीरात ऑफ अफ़ग़ानिस्तान द्वारा हाल ही में पारित कानून दुराचार और सदाचार मंत्रालय के बढ़ते महत्व को दिखाते हैं. इतना ही नहीं, इसके ज़रिए इस मंत्रालय की कोशिश ये दिखाने की भी है कि अफ़ग़ानिस्तान की आबादी पर उसका कितना ज़्यादा नियंत्रण है.

तालिबान के शासन का संस्थानीकरण: 'पाप' और 'पुण्य' को कानूनी रूप देने की कोशिश?

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इस्लामिक अमीरात ऑफ अफ़ग़ानिस्तान (IEA) के आधिकारिक गज़ट ने 31 जुलाई 2024 को 35 लेखों के साथ 114 पन्नों का एक दस्तावेज़ प्रकाशित किया. सदाचार को बढ़ावा देने, दुराचार को रोकने और शिकायतों की सुनवाई के लिए मंत्रालय (MPVPV) के निर्देशों को संहिताबद्ध करने और इसके सदस्यों के कर्तव्यों की रूपरेखा तैयार करने की ये पहली कोशिश थी. हालांकि इस कानून में जिन निर्देशों का उल्लेख किया गया है, जो आदेश बताए गए हैं, वो तीन साल पहले से ही लागू हैं. इस बार नई बात ये है कि अफ़ग़ानिस्तान के सर्वोच्च नेता हिबतुल्ला अखुंदज़ादा का अनुमोदन हासिल करने के बाद ही इन कानूनों का दस्तावेज़ीकरण किया जा रहा है. अफ़ग़ानिस्तान में महिलाओं के भविष्य और अफ़ग़ान लोगों की रोज़ाना की शिकायतों के सवाल पीछे धकेल दिए गए हैं. इसकी बड़ी वज़ह ये भी है कि दुनिया के दूसरे हिस्से इस वक्त संघर्ष से जूझ रहे हैं. अफ़ग़ानिस्तान में 20 साल के पश्चिमी शासन के अंत के बाद अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में भी इस देश को लेकर उदासीनता बढ़ गई है. हालांकि, अफगानिस्तान के अंदर तालिबान जिस तरह एक विद्रोही समूह से एक औपचारिक राज्य तंत्र स्थापित करने की तरफ बढ़ रहा है, जिस तरह उसमें बदलाव हो रहा है, उसकी नीतियों का संस्थागतकरण अभी क्रमिक लेकिन विकास के महत्वपूर्ण मोड़ पर हैं. ऐसे में सभी को इस पर ध्यान देने की ज़रूरत है.

अफगानिस्तान के अंदर तालिबान जिस तरह एक विद्रोही समूह से एक औपचारिक राज्य तंत्र स्थापित करने की तरफ बढ़ रहा है, जिस तरह उसमें बदलाव हो रहा है, उसकी नीतियों का संस्थागतकरण अभी क्रमिक लेकिन विकास के महत्वपूर्ण मोड़ पर हैं.


व्यवस्थित और नियंत्रित: नए कानून और उसके निहितार्थ



ये कानून, मुहतासिबों यानी इंस्पेक्टरों या एमपीवीपीवी के आदेशों को लागू करवाने वालों के साथ-साथ अफ़ग़ान लोगों के लिए आदर्श आचरण की एक सूची निर्धारित करते हैं, जिसका उन्हें पालन करना चाहिए. इस कानून की प्रस्तावना ही इसका उद्देश्य स्थापित कर देती है. इसका मक़सद एमपीवीपीवी के कामकाज को औपचारिक बनाना, आदेशों को लागू करवाने वाले लोगों के लिए जिम्मेदारियों के दायरे को परिभाषित करना है. इसमें चार अध्याय हैं. पहला अध्याय उन शर्तों और सिद्धांतों की व्याख्या करता है जिनके तहत आदेशों को लागू करवाने वाला इंस्पेक्टर आम अफ़ग़ानों के खिलाफ कार्रवाई कर सकता है. दूसरे अध्याय में जीवन के विभिन्न पहलुओं के संबंध में प्रवर्तकों के कर्तव्यों के बारे में बताता है. तीसरे अध्याय में इन कानूनों का उल्लंघन करने वालों को मिलने वाली सज़ाओं की रूपरेखा दी गई है. चौथा और अंतिम अध्याय अलग-अलग मुद्दों से संबंधित है. ज़्यादातर में आदेशों को लागू करने वालों के लिए जवाबदेही और प्रतिक्रिया तंत्र की व्याख्या की गई है.

ये जो नए कानून सूचीबद्ध किए गए हैं, वो एमपीवीपीवी अधिकारियों को अपराध करने वालों और सही काम करने से परहेज़ करने वालों, दोनों को अनुशासित करने में सक्षम बनाता है. अनुच्छेद 13 महिलाओं के लिए चेहरा ढकना अनिवार्य करता है, जिससे महिलाएं गैरपुरूषों को आकर्षित ना कर सकें. महिलाओं को तंग या छोटे कपड़े पहनने और सार्वजनिक स्थान पर बोलने की भी मनाही है. तालिबान ही ये तय करेगा कि वो किस चीज को 'अंतरंग' मानता है और फिर वही ये तय करेगा कि जनता के लिए क्या उपयुक्त है, क्या नहीं. महिलाओं को ये आदेश है कि वो उन पुरुषों को ना देखें, जो उनके रक्त संबंधी या विवाह के माध्यम से उनसे संबंधित नहीं हैं. अगर महिलाएं घर से बाहर जाती हैं तो उनके साथ एक महरम होना चाहिए. इस कानून के अनुच्छेद 17 के तहत फोन या कंप्यूटर पर छवियों के उत्पादन और पुनरुत्पादन पर प्रतिबंध है. इसका नतीजा ये हुआ कि मीडिया चैनलों या अन्य संगठनों द्वारा सूचना के प्रसार पर अप्रत्यक्ष रूप से रोक है. यहां मीडिया पर पहले से ही कई तरह के प्रतिबंध हैं और ये अनुच्छेद इन प्रतिबंधों का पूरक है जिसे तालिबान धीरे-धीरे लागू कर रहा है. इस कानून के ज़रिए संगीत पर प्रतिबंध, नशीली दवाओं की लत का उन्मूलन, पुरुषों और महिलाओं के बीच मेलजोल पर रोक, पुरुषों के लिए दाढ़ी रखने की आवश्यकता, पश्चिमी शैली के बाल कटाने पर प्रतिबंध, जुआ, व्यभिचार, सामूहिक प्रार्थनाओं में भाग लेने की बाध्यता की व्यवस्था भी की गई है.



सब पर लागू होने वाला जनादेश: नए मंत्रालय की शक्तियों में वृद्धि



7 सितंबर 2024 को इस्लामिक अमीरात ऑफ अफ़ग़ानिस्तान के अंतरिम कैबिनेट के गठन को तीन साल हो गये. इस मंत्रिमंडल द्वारा लिए गए सबसे महत्वपूर्ण फैसलों में से एक था महिला मामलों के मंत्रालय को बंद करना और सदाचार को बढ़ावा देने, दुराचार को रोकने और शिकायतों की सुनवाई (MPVPV) वाले मंत्रालय को फिर से शुरू करना है. इसके मंत्री मावलवी शेख़ मोहम्मद खालिद हनफ़ी थे. इस मंत्रालय ने पूर्ववर्ती महिला मामलों के मंत्रालय के परिसर को अपने कब्जे में ले लिया. इसके बाद इस मंत्रालय ने महिलाओं के अधिकारों और स्वतंत्रता को भौतिक और प्रतीकात्मक रूप से ख़त्म करने की पहल की. तीन साल से उसने इस पर सक्रिय रूप से काम किया. ये मंत्रालय खुद की भूमिका को उस मचान के रूप में देखता है, जिसने 'इस्लामी व्यवस्था' को कायम रखा है. ये अपनी जिम्मेदारियों को दूसरे सरकारी मंत्रालयों की तुलना में ज़्यादा महत्वपूर्ण मानता है.

ये मंत्रालय सामाजिक व्यवहार के सभी रूपों को विनियमित करने में सबसे आगे रहा है. वो इस सिद्धांत के तहत काम कर रहा है कि व्यक्तियों को एक-दूसरे को जवाबदेह ठहराना चाहिए. यानी अराजकता को रोकने या 'सामाजिक व्यवस्था' को ख़त्म करने के लिए अच्छी बातों को प्रोत्साहित करना चाहिए और बुरी बातों  को हतोत्साहित करना चाहिए.

इसकी शुरूआत आईईए द्वारा लड़कियों के माध्यमिक विद्यालयों में जाने पर प्रतिबंध लगाने से हुई.  इसके बाद महिलाओं की आवाजाही को प्रतिबंधित करने, बाधित करने और नियंत्रित करने के लिए पारित निर्देशों और आदेशों की सूची काफ़ी आगे तक पहुंच गई है. लौकिक अनुपात तक पहुंच गई है. सत्ता में तालिबान की वापसी के तुरंत बाद कुछ सदस्यों ने ये संकेत दिए थे कि अफ़ग़ानिस्तान में सभी के अधिकार सुरक्षित किए जाएंगे. जब ये इन झूठे दावे किए गए तो ये कहा गया कि तालिबान आधुनिक और अपेक्षाकृत उदारवादी हो गया है. इसे तालिबान 2.0 कहा गया. हालांकि, तालिबान के कुछ नेताओं ने अंतरराष्ट्रीय वैधता हासिल करने के लिए शुरू में उदारवादी झुकाव दिखाया, लेकिन इससे कंधार में अखुंदज़ादा और काबुल में मौजूद तालिबानी नेताओं के बीच कलह बढ़ गई है. धीरे-धीरे अखुंदज़ादा ने सत्ता को अपने हाथों में केंद्रित कर लिया है और शुरू में तालिबान ने जो भी वादे किए थे, उनसे पीछे हट गए. इस सत्ता संघर्ष का नतीजा ये हुआ कि शक्तिशाली होने के बाद कंधार गुट ने एमपीवीपीवी के लिए एक विस्तारित जनादेश को जन्म दिया. 2022 तक इसने सबसे ज्यादा निर्देश जारी किए थे. ये मंत्रालय खुद को अफ़ग़ानिस्तान में पुरुषों और महिलाओं के कार्यों का द्वारपाल मानता है.

7 सितंबर 2024 को इस्लामिक अमीरात ऑफ अफ़ग़ानिस्तान के अंतरिम कैबिनेट के गठन को तीन साल हो गये. इस मंत्रिमंडल द्वारा लिए गए सबसे महत्वपूर्ण फैसलों में से एक था महिला मामलों के मंत्रालय को बंद करना और सदाचार को बढ़ावा देने, दुराचार को रोकने और शिकायतों की सुनवाई (MPVPV) वाले मंत्रालय को फिर से शुरू करना है.

अफ़ग़ानिस्तान पर संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन (UNAMA) ने जुलाई 2024 में एक रिपोर्ट जारी की. इस रिपोर्ट में MPVPV की बढ़ती भूमिका और अफ़ग़ानिस्तान में 'भय के माहौल' के बारे में बताया गया था. एमपीवीपीवी ने लोगों के सार्वजनिक व्यवहार की निगरानी करने और दंड देने के काम की जिम्मेदारी अपने ऊपर ली है. इसकी व्यापक भूमिका नई नीतियों के निर्माण में योगदान देने से लेकर इसके कार्यान्वयन और इसे ज़बरदस्ती लागू करवाने तक है. इस मंत्रालय के कामकाज के तीन घटक हैं. पहला, एक नागरिक क्षेत्र जो जनता के साथ जुड़ता है और मार्गदर्शन देता है. हर जिले में सार्वजनिक स्थानों पर इसके 10 सदस्य तैनात होते हैं. दूसरा, एक सैन्य क्षेत्र जो सैनिकों की देखरेख करता है. तीसरा होता है एक शिकायत क्षेत्र. नवंबर 2023 में शिकायतों की सुनवाई के कानून पर एक अलग आदेश पारित किया गया, जिसमें आईईए अधिकारियों के ख़िलाफ किसी भी शिकायत का पंजीकरण और समाधान शामिल था. हर महीने, एक तीन सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल सरकारी कार्यालयों और सैन्य ठिकानों का दौरा करता है, जिससे ये सुनिश्चित किया जा सके कि उनके काम इस्लामिक कानून के मुताबिक हों. 15 अगस्त 2023 से 31 मार्च 2024 के बीच UNAMA ने इस मंत्रालय के प्रांतीय विभागों के सदस्यों द्वारा कथित उल्लंघनों के खिलाफ बल प्रयोग करने के 1,033 उदाहरणों का दस्तावेज़ीकरण किया. 


इस्लामिक कानूनों के तहत सीमाएं तय करना

MPVPV के मुखिया हनफ़ी ने सदाचार कानूनों की घोषणा और शरिया को बढ़ावा देने को इस्लामिक अमीरात ऑफ अफ़ग़ानिस्तान की सीमा रेखा (रेड लाइंस) के तौर पर इस्लामी कानून की व्याख्या के साथ वर्गीकृत किया है. तालिबान ने ये स्पष्ट कर दिया है कि दुनिया के साथ उसका जुड़ाव 'इस्लामिक ढांचे' के भीतर होगा. हालांकि तालिबान ने ये भी कहा है कि वो लोगों की चिंताओं को सुनेंगे. उनका समाधान करेंगे. कार्यान्वयन उदार होगा, लेकिन इस्लामिक कानूनों में समझौता किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं किया जाएगा. हालांकि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने इन कानूनों की निंदा की है. UNOHCR ने इसे रद्द करने की मांग की है, लेकिन फिर भी संयुक्त राष्ट्र ने अफ़ग़ानिस्तान में सभी हितधारकों के साथ जुड़ने का फैसला किया है. आईईए ने अपनी आलोचना के बाद UNAMA के साथ सहयोग करने से इनकार कर दिया है.

तालिबान द्वारा एक व्यवस्थित देश के निर्माण की कोशिशों की आंकलन करते हुए हारून रहीमी बताते हैं कि कि तालिबान का पहला और दूसरा शासनकाल किस तरह एक 'अस्पष्ट' और 'अव्यवस्थित' राजनीतिक प्रणाली है. इसमें सत्ता का विकेंद्रीकरण करना और फिर उसे संस्थागत बनाना हमेशा मुश्किल रहा है. 

तालिबान द्वारा एक व्यवस्थित देश के निर्माण की कोशिशों की आंकलन करते हुए हारून रहीमी बताते हैं कि कि तालिबान का पहला और दूसरा शासनकाल किस तरह एक 'अस्पष्ट' और 'अव्यवस्थित' राजनीतिक प्रणाली है. इसमें सत्ता का विकेंद्रीकरण करना और फिर उसे संस्थागत बनाना हमेशा मुश्किल रहा है. ये कामचलाऊ व्यवस्था अलग-अलग समूहों के बीच मतभेद और संघर्ष की वज़ह बनती है. अप्रैल 2022 में आईईए के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश अब्दुल हकीम हक्कानी ने अफ़ग़ानिस्तान पर एक किताब जारी की, जिसकी प्रस्तावना खुद अमीर ने लिखी थी. ये किताब अफ़ग़ानिस्तान को दो समूहों में वर्गीकृत करती है. पहला, टैक्स पर आधारित और दूसरा, मार्गदर्शन पर. इसमें मार्गदर्शन को ज़्यादा अहमियत दी गई है. ये ऐसी प्रवृत्ति है जो दिखाती है कि एमपीवीपीवी का महत्व क्यों बढ़ रहा है. 

एमपीवीपीवी का धीरे-धीरे विकास हो रहा है. शुरू में इसमें कई पदों की कमी थी. यही वजह थी कि शुरूआती दिनों में ये मंत्रालय अपने आदेशों को लागू नहीं करवा सका. पिछले जवाबदेही सत्र में मंत्रालय के सदस्यों ने बताया कि वर्तमान में उनके पास 7,000 कर्मचारी हैं. हालांकि एमपीवीपीवी ने जिस तरह दूसरे मंत्रालय के कामकाज में भी घुसपैठ करने की कोशिश की है, उसकी कुछ मंत्रालयों ने निंदा भी की. उदाहरण के लिए सूचना और संस्कृति मंत्रालय ने अप्रत्यक्ष रूप से अन्य मंत्रालयों को उसके कार्यक्षेत्र में दख़ल नहीं देने को कहा. उसने इस बात को दोहराया कि देश में मीडिया मामलों का प्रबंधन करने का अधिकार सिर्फ उसके पास है. मार्च 2024 में जब एमपीवीपीवी ने सरकारी कर्मचारियों को टोपी पहनने और दाढ़ी रखने का आदेश दिया, तो तालिबान के कई सदस्यों ने सार्वजनिक रूप से इसका विरोध किया. इसके बाद इस आदेश में कुछ परिवर्तन कर उसे उदार बनाया गया.

सही इस्लामिक तौर तरीकों को लागू करने और बुराइयों को रोकने वाले विभाग ने कानून बनाने की अपनी प्रक्रिया के दौरान सामाजिक व्यवहार को विनियमित करने के नियमों को आठ लेखों द्वारा स्पष्ट किया था. इन नियमों को भी उन कानूनों में शामिल किया गया, जो अभी बनाए गए हैं. इनकी निगरानी की जिम्मेदारी भी इसी विभाग के पास है. इस विभाग के लोगों के पास इन कानूनों के उल्लंघन के मामले में दोषियों को सज़ा देने का अधिकार. सेना, अस्पतालों और अन्य मंत्रालयों में इनके मुखबिर थे, जो विदेशियों और सहायता एजेंसियों की निगरानी करते थे. इनका अधिकार क्षेत्र अस्पतालों तक फैल गया. नशीली पदार्थों की लत, छवियों और मूर्तिपूजा पर प्रतिबंध, संगीत और कुछ खास क्षेत्रों के अलावा दूसरे सेक्टरों में महिलाओं के बाहर काम करने पर प्रतिबंध लगाना, ये सब ऐसे कानून थे, जो तालिबान के पहले कार्यकाल के दौरान भी शासन का हिस्सा थे. हालांकि तालिबान के पहले शासन के दौरान उस समय के सभी प्रशासनिक और कार्यकारी निर्णयों के काम की जिम्मेदारी मंत्रिपरिषद को सौंपी गई थी, लेकिन तब सर्वोच्च परिषद ने अधिकारों के क्रियान्वयन में अपने प्रभाव को लागू किया. कुछ ऐसा ही तालिबान के दूसरे कार्यकाल में यानी वर्तमान में दिख रहा है. यही वज़ह है कि सदाचार को बढ़ावा देने और दुराचार को रोकने वाले मंत्रालय को ज़्यादा महत्व दिया जा रहा. इस मंत्रालय को सर्वोच्च परिषद सबसे महत्वपूर्ण मानती है.

अब जबकि तालिबान को अफ़ग़ानिस्तान की सत्ता में आए तीन साल से ज़्यादा वक्त हो चुका है, वो इस्लामिक अमीरात ऑफ अफ़ग़ानिस्तान में अपनी शासन व्यवस्था का संस्थानीगतकरण करने के लिए पहले की तुलना में अपेक्षाकृत बेहतर स्थिति में है.

निष्कर्ष 

अफ़ग़ानिस्तान के उथल-पुथल भरे इतिहास में MPVPV ने एक लंबी यात्रा तय की है. इसने इस्लामिक अमीरात ऑफ अफ़ग़ानिस्तान के एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक संस्थानों के तौर पर अपनी भूमिका को बनाए रखा है और खुद में बदलाव भी किए हैं. मौजूदा परिस्थितियों में आईईए के लिए ये दिखाना बहुत महत्वपूर्ण है कि उसने जो कानून बनाने हैं, उनका सही तरीके से पालन हो रहा है. ऐसा होने पर ही वो दुनिया को दिखा सकता है कि अफ़ग़ानिस्तान के लोगों पर उसका कितना नियंत्रण है. हालांकि तालिबान ने अपने पहले कार्यकाल में भी अफ़ग़ानिस्तान को एक 'व्यवस्थित देश' बनाने की जो कोशिश की थी, उसे विफल ही माना जाता है, लेकिन खास बात ये है कि एक विद्रोही समूह के रूप में तालिबान का जिन क्षेत्रों में पूरी तरह नियंत्रण हुआ करता था, यानी इस मंत्रालय पर तालिबान का हमेशा ध्यान रहा है. अब जबकि तालिबान को अफ़ग़ानिस्तान की सत्ता में आए तीन साल से ज़्यादा वक्त हो चुका है, वो इस्लामिक अमीरात ऑफ अफ़ग़ानिस्तान में अपनी शासन व्यवस्था का संस्थानीगतकरण करने के लिए पहले की तुलना में अपेक्षाकृत बेहतर स्थिति में है. हालांकि कुछ चुनौतियां अभी बनी हुई हैं. तालिबान ने सार्वजनिक व्यवहार को नियंत्रित करने के लिए बहुत व्यापाक कानून और विस्तृत दिशानिर्देश बना दिए हैं. इन कानूनों को लागू करने से रोज़मर्रा के अनुभव कई बार बहुत कड़वे और बेहूदा भी साबित हुए हैं. इसके बावजूद इन कानूनों को लागू करने की तालिबान की ज़िद ये दिखाती है कि अफ़ग़ानिस्तान की जनता पर अपना नियंत्रण कायम रखने के लिए किस हद तक जाने को तैयार हैं.


शिवम शेखावत ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन के स्ट्रैटजिक स्टडीज़ प्रोग्राम में जूनियर फेलो हैं.

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