Published on Jul 26, 2021 Updated 0 Hours ago

हरेक प्रयास, वायु प्रदूषण की सटीक और सामयिक जानकारी के साथ शुरू किये जाने चाहिए

जलवायु परिवर्तन: भारत में वायु प्रदूषण का ब्यौरा

लगातार बढ़ रहा वायु प्रदूषण कुछ सालों से भारत की गंभीर समस्याओं में से एक बन गया है. ज़हरीली हवा न सिर्फ़ स्वास्थ्य के लिए हानिकारक और पर्यावरण के लिए चिंता का सबब है बल्कि अर्थव्यवस्था पर भी इसका बड़ा असर पड़ता है. इससे विकास में बाधा उत्पन्न होती है और लोक कल्याण भी प्रभावित होता है. हेल्थ इफेक्ट इंस्टीट्यूट के अनुसार, साल 2015 में, भारत में 10 लाख से ज्य़ादा असमय मौतों का कारण वायु प्रदूषण था. 2019 में, देश में वायु-प्रदूषण से 18 प्रतिशत मृत्यु हुई. इसी साल अर्थव्यस्था को जीडीपी का करीब 1.4 प्रतिशत नुकसान उठाना पड़ा. अध्ययन में यह बात सामने आयी है कि वायु-प्रदूषण का गंभीर नकारात्मक प्रभाव विभिन्न क्षेत्रों पर पड़ा है जिसमें श्रम उत्पादकता और कृषि उत्पाद भी शामिल है.    

हेल्थ इफेक्ट इंस्टीट्यूट के अनुसार, साल 2015 में, भारत में 10 लाख से ज्य़ादा असमय मौतों का कारण वायु प्रदूषण था. 2019 में, देश में वायु-प्रदूषण से 18 प्रतिशत मृत्यु हुई.

निसंदेह, पिछले कुछ दशकों में शहरीकरण, औद्योगिकीकरण और बढ़ती आबादी जैसे विभिन्न कारणों से भारत में वायु की गुणवत्ता तेज़ी से बिगड़ी है. आईक्यू एयर के मुताबिक, साल 2020 में पूरे विश्व में सबसे ख़राब वायु गुणवत्ता वाले देशों की सूची में भारत तीसरे स्थान पर था. दुनिया के सबसे प्रदूषित 15 शहरों में से 13 केवल उत्तरी क्षेत्र के ही रहे.

सरकार ने वायु प्रदूषण से निपटने के लिए नई नीतियां बनाई है और नियामक एजेंसियां और अन्य संस्थानों का गठन किया है. लेकिन यह नाकाफ़ी है. वर्तमान स्थिति को ध्यान में रखते हुए देश में वायु-गुणवत्ता को सुधारने के लिए बेहतर और ज्य़ादा प्रभावी तरीके अपनाने होंगे. ख़ासकर घनी आबादी वाले शहरी क्षेत्रों में. इसके लिए टेक्नोलॉजी की सहायता अनिवार्य रूप से लेनी होगी. वायु प्रदूषण की समस्या को खत्म करने के लिए निजी क्षेत्रों को आपस में और सरकार के साथ साझेदारी करने के लिए प्रेरित करना होगा, साथ ही सबसे कमज़ोर तबके के लोगों को समुदाय आधारित पहल के माध्यम से इसमें शामिल करना भी उतना ही ज़रूरी है.    

वर्तमान स्थिति को ध्यान में रखते हुए देश में वायु-गुणवत्ता को सुधारने के लिए बेहतर और ज्य़ादा प्रभावी तरीके अपनाने होंगे. ख़ासकर घनी आबादी वाले शहरी क्षेत्रों में.

हालांकि, हरेक प्रयास, वायु प्रदूषण की सटीक और सामयिक जानकारी के साथ शुरू किये जाने चाहिए. इससे यह सुनिश्चित होगा की इस संकट की व्यापकता और विभिन्न दुष्प्रभावों के बारे में जागरूकता बढ़े. सही और पर्याप्त जानकारी का प्रसार इस तरह होना चाहिए जिससे हर व्यक्ति इस दिशा में कार्य करने के लिये प्रेरित हो और एक ऐसे भविष्य के लिए सामूहिक रूप से प्रतिबद्ध हो जहां सभी को साफ़ हवा मयस्सर हो सके. यह तथ्य पत्र ओआरएफ़ की ओर से इसी लक्ष्य के प्रति योगदान देने का एक प्रयास है.    

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