Author : Shivam Shekhawat

Published on Sep 27, 2023 Updated 0 Hours ago
अलग ढंग से मार्केटिंग? नेपाल में BRI को लेकर चीन की नई कल्पना

चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (CPC) के इंटरनेशनल डेवलपमेंट लाइज़न (संपर्क) ऑफिस ने जुलाई में नेपाल के भीतर सिल्क रोडस्टर प्लैटफॉर्म की शुरुआत की. बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के आरंभ होने के 10 साल बाद चीन के मुताबिक ये “नया कॉन्सेप्ट” नेपाल में BRI के दायरे को बढ़ाने के मक़सद से और राजनीतिक एवं लोगों के बीच आपसी संपर्क को और मज़बूत करने के लिए है. पिछले कुछ महीनों के दौरान नेपाल और चीन के बीच द्विपक्षीय संबंधों पर BRI और इसके तहत आने वाले प्रोजेक्ट से जुड़े घटनाक्रमों का असर देखा गया. चीन ने जहां नेपाल के BRI में शामिल होने से पहले हस्ताक्षर की गई परियोजनाओं को इसमें शामिल करने की कोशिश की वहीं नेपाली पक्ष इस तरह के व्यापक दायरे की अनुमति देने में सावधान रहा है. ये पोखरा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के इर्द-गिर्द विवाद के साथ बुनियादी ढांचे को लेकर सवाल और चीन के द्वारा एकतरफा ढंग से इसे BRI के तहत एक प्रमुख परियोजना घोषित करने के मामले में दिखा था. इसलिए काफी हद तक लोगों के आपसी सहयोग और आदान-प्रदान को BRI के तहत नए प्लैटफॉर्म के रूप में घोषित करना इस बात की पुष्टि करता है कि नेपाल जैसे लैंड-लॉक्ड (समुद्री सीमा नहीं होना) देश में BRI के तहत कुछ प्रगति दिखाने को चीन ने कितना महत्व दिया है. इस प्लैटफॉर्म का उद्देश्य दोनों देशों के बीच पहले से मौजूद सांस्कृतिक और लोगों के बीच आपसी संपर्क को आगे बढ़ाना है ताकि चीन के असर को बढ़ाया जा सके.

सिल्क रोडस्टर– बेहतर भविष्य के सफर में शामिल हों!”

चीन की स्थानीय सरकारों, विश्वविद्यालयों, उद्यमों और संस्थानों” के संसाधनों का इस्तेमाल करने के उद्देश्य के साथ नेपाल की आठ राजनीतिक पार्टियों और चीन के कई वोकेशनल इंस्टीट्यूट एवं व्यवसायों के प्रतिनिधियों की मौजूदगी में इस प्लैटफॉर्म को भक्तपुर में शुरू किया गया. इसमें परियोजनाओं के पांच क्षेत्र हैं- सिल्क रोड एम्बार्कमेंट, सिल्क रोड एंजॉयमेंट, सिल्क रोड एनहांसमेंट, सिल्क रोड एनलाइटमेंट और सिल्क रोड एम्पावरमेंट. इनमें युवा आबादी को तकनीकी हुनर देना, अल्पकालीन शैक्षणिक एवं सांस्कृतिक आदान-प्रदान आयोजित करना, दोनों देशों के उद्यमियों के बीच सहयोग बढ़ाना, सांस्कृतिक प्रदर्शनियां आयोजित करना एवं नेपाल को चीन के सांस्कृतिक और शी जिनपिंग के विचारों के बारे में जानकारी देना और विशेष छोटी-छोटी सेवाएं जैसे कि मुफ्त मेडिकल चेक-अप, बिजली के उपकरणों की मरम्मत, इत्यादि शामिल हैं.

इस प्लैटफॉर्म का उद्देश्य दोनों देशों के बीच पहले से मौजूद सांस्कृतिक और लोगों के बीच आपसी संपर्क को आगे बढ़ाना है ताकि चीन के असर को बढ़ाया जा सके.

कॉन्सेप्ट पेपर ‘इंट्रोडक्शन ऑफ सिल्क रोडस्टर एंड इट्स फाइव सिग्नेचर प्रोजेक्ट्स’ के मुताबिक, जिसे कई न्यूज़ पोर्टल्स ने देखा है, चीन ने दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया के कई देशों के अनुरोध पर इस प्लैटफॉर्म को लॉन्च किया है. इन देशों ने चीन के साथ ज़्यादा व्यावहारिक सहयोग की इच्छा जताई थी. चीन का कहना है कि ये दूसरे पक्ष के साथ आदान-प्रदान और फ्रेंड्स ऑफ सिल्क रोड क्लब्स जैसे संगठनों के ज़रिए संभव हो सकता है जो अब तक कार्यक्रम के तहत बताई गई गतिविधियों को सुविधाजनक बनाएंगे. स्थानीय स्तर के ये आदान-प्रदान पार्टी और देश के बीच समीकरण को बेहतर बनाएंगे और नेपाल के सामने चीन के विकास की सीख को पेश करेंगे. हालांकि चीन ने इस पहल को BRI के नए हिस्से के तौर पर पेश करने की कोशिश की है लेकिन लोगों के बीच आपसी संपर्क और राजनीतिक पार्टियों के बीच आदान-प्रदान से जुड़ी इसकी ज़्यादातर बातें हमेशा से द्विपक्षीय संबंध का हिस्सा रही हैं.

BRI के दायरे का विस्तार?

जून 2023 में चीन की एक टीम नेपाल-चीन फ्रेंडशिप ड्रैगन बोट रेस फेस्टिवल में शामिल होने के लिए पोखरा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरी. नेपाल के नेताओं ने जहां इस आयोजन के ज़रिए देश में सैलानियों की संख्या को बढ़ावा देने की क्षमता पर ध्यान दिया वहीं चीन ने इस बोट रेस को BRI के तहत द्विपक्षीय सार्वजनिक कूटनीति के उदाहरण के तौर पर प्रचारित किया. पूरी तरह इंफ्रास्ट्रक्चर के प्रोजेक्ट जैसे कि पोखरा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के मामले की तरह BRI के दायरे में सॉफ्ट पावर से जुड़ी पहल को भी शामिल करना एक हताश कोशिश की तरह है ताकि ये दिखाया जा सके कि बड़ी परियोजनाएं अभी भी जिन कठिनाइयों का सामना कर रही हैं, उनके बीच नेपाल में BRI आगे बढ़ रही है.

नेपाल के प्रधानमंत्री प्रचंड सितंबर के आख़िर में तीन दिनों के दौरे पर बीजिंग जा रहे हैं जहां वो चीन के प्रधानमंत्री ली कियांग के अलावा राष्ट्रपति शी जिनपिंग से भी मुलाकात करेंगे. वैसे तो यात्रा का कार्यक्रम पूरी तरह से सामने नहीं आया है लेकिन ऐसी ख़बरें हैं कि नेपाल के प्रधानमंत्री पोखरा हवाई अड्डे के लिए कर्ज़ समेत 2012 तक के दूसरे कर्ज़ों को माफ करने का अनुरोध करेंगे. उनका ध्यान चीन की सरकार से और अधिक अनुदान आधारित परियोजनाओं को शुरू करने के लिए अनुरोध करने पर भी होगा. वो एक ‘प्रमुख परियोजना’ के लिए अनुदान देने का अनुरोध करने की योजना भी बना रहे हैं. इसके लिए चीन में नेपाल के राजदूत ने अनुदान के ज़रिए बड़ी परियोजनाओं की फंडिंग करने की गुज़ारिश की है.

चीन का कहना है कि ये दूसरे पक्ष के साथ आदान-प्रदान और फ्रेंड्स ऑफ सिल्क रोड क्लब्स जैसे संगठनों के ज़रिए संभव हो सकता है जो अब तक कार्यक्रम के तहत बताई गई गतिविधियों को सुविधाजनक बनाएंगे.

जून 2019 में तत्कालीन प्रधानमंत्री ओली के नेतृत्व में नेपाल ने BRI के तहत फंडिंग के लिए कुल 35 परियोजनाओं की पहचान की थी. ये परियोजनाएं इंफ्रास्ट्रक्चर, ऊर्जा, कनेक्टिविटी, व्यापार एवं वाणिज्य के क्षेत्र में थीं. बाद में इन्हें घटाकर नौ परियोजनाओं पर लाया गया. परियोजनाओं में ये कमी शायद चीन की ज़िद और नेपाल की तरफ से अनुदान आधारित प्रोजेक्ट के लिए प्राथमिकता की वजह से की गई. लेकिन चार साल के बाद भी नौ में से एक भी परियोजना पूरी नहीं हुई है.

जनवरी 2023 में चीन से एक टीम काठमांडू-केरुंग रेलवे लाइन के लिए व्यावहारिकता का अध्ययन करने नेपाल पहुंची. ये BRI के तहत नौ परियोजनाओं में से एक है लेकिन कोई भी प्रोजेक्ट कंस्ट्रक्शन के चरण तक नहीं पहुंचा है, यहां तक कि प्रोजेक्ट को लागू करने के लिए ढांचा भी तैयार नहीं किया गया है. उस समय कुछ अधिकारियों ने प्रोजेक्ट को लागू करने में देरी के लिए नेपाल में संस्थागत क्षमता की कमी को ज़िम्मेदार ठहराया था. हालांकि नेपाल के मौजूदा राजदूत इस दावे का खंडन करते हैं. उन्होंने आरोप लगाया है कि नेपाल की परियोजनाओं को चीन प्राथमिकता नहीं दे रहा है जिसकी वजह से अभी तक ये साफ नहीं है कि दोनों पक्ष कितना निवेश करेंगे. दोनों पक्षों के बीच हस्ताक्षर किए गए समझौता ज्ञापन (MoU) में प्रोजेक्ट के वित्तीय तौर-तरीके को लेकर स्पष्टता नहीं है जिसकी वजह से ग्रांट और लोन को लेकर बहस शुरू होती है. मार्च 2022 में चीन के सबसे बड़े डिप्लोमैट वांग यी के नेपाल दौरे में इन चिंताओं को उनके सामने रखा गया था. नेपाल के द्वारा ज्यादा कर्ज़ लेने में आनाकानी और BRI के तहत और अधिक सफेद हाथी परियोजनाओं के डर ने चीन की तरफ से सॉफ्ट पावर की कूटनीति पर नए सिरे से ध्यान देने की ज़रूरत पैदा की होगी.

सॉफ्ट पावर के लिए तलाश

सिल्क रोडस्टर प्लैटफॉर्म का ध्यान दोनों देशों में लोगों और राजनीतिक पार्टियों के बीच संबंधों के विकास पर है. शुरुआत के दौरान चीनी पक्ष ने चीन के बारे में और ज़्यादा सीखने के उद्देश्य से विदेशी राजनीतिक दलों के लिए चीन में ‘अल्पकालीन ट्रेनिंग के मौके’ मुहैया कराने की अपनी इच्छा के बारे में बताया. चीन-नेपाल द्विपक्षीय संबंधों में हमेशा राजनीतिक हितों को महत्व दिया गया है. नेपाल में राजनीतिक पार्टियों के साथ रिश्तों को बरकरार रखना एक विदेश नीति का टूल रहा है जिसका इस्तेमाल चीन ने अक्सर किया है. चीन की कम्युनिस्ट पार्टी और नेपाल के कम्युनिस्ट दलों के बीच लगाव का ये एक कारण हो सकता है लेकिन गैर-कम्युनिस्ट पार्टियों को भी कुछ मौकों पर दलीय स्तर की बातचीत का लाभ मिला है. चीन 2016 से ही अफ्रीका के देशों में राजनीतिक पार्टियों के लिए ट्रेनिंग का कार्यक्रम चला रहा है और 2017 में उसने दुनिया भर की अलग-अलग पार्टियों के साथ राजनीतिक दलों के विश्व संवाद का आयोजन किया था. इस संवाद का आयोजन चीन की सरकार के उसी विभाग ने किया था जिसने सिल्क रोडस्टर कार्यक्रम शुरू किया है.

नेपाल के मौजूदा राजदूत इस दावे का खंडन करते हैं, उन्होंने आरोप लगाया है कि नेपाल की परियोजनाओं को चीन प्राथमिकता नहीं दे रहा है जिसकी वजह से अभी तक ये साफ नहीं है कि दोनों पक्ष कितना निवेश करेंगे.

2017 में जब नेपाल की दोनों कम्युनिस्ट पार्टियों का विलय हुआ तो उन्होंने CPC के साथ पार्टी स्तरीय छह बिंदुओं के द्विपक्षीय समझौते पर भी हस्ताक्षर किए. उस वक़्त इस समझौते की वजह से नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (NCP) के 200 सदस्य शी जिनपिंग के विचारों पर आधारित एक वर्कशॉप में शामिल होने के लिए चीन गए थे. उन्होंने उच्च-स्तरीय दौरों, वैचारिक प्रशिक्षण, इत्यादि के माध्यम से CPC के साथ अधिक आदान-प्रदान का विचार रखा. CPC के पहले के कार्यक्रमों में क्षमता निर्माण, चीन की संस्कृति पर लेक्चर, स्थानीय सरकारों तक फील्ड ट्रिप, इत्यादि पर ध्यान दिया गया जिनमें से सभी पहल नये प्लैटफॉर्म के तत्व हैं. लेकिन वर्कशॉप की आलोचना इस डर के साथ की गई कि चीन नेपाल के निर्णय लेने की प्रक्रिया में दखल देने में सक्षम होगा और उसकी संप्रभुता के साथ छेड़छाड़ करेगा.

चीन नेपाली छात्रों या किसी दूसरे देश के छात्रों के लिए स्कॉलरशिप के प्रावधान को भी दो-तरफा निवेश की तरह देखता है. इससे चीन के वर्कफोर्स में कम और मध्यम समय के लिए युवा आबादी शामिल होती है और जब वो छात्र अपने देश लौटते हैं तो चीन में मिली शिक्षा उन्हें चीन की संस्कृति और पढ़ाई के तरीके की वकालत करने के लिए सक्षम बनाती है. इस तरह उन देशों में चीन के असर का विस्तार होता है. चूंकि नेपाली छात्रों की एक बड़ी संख्या चीन के स्कॉलरशिप पर निर्भर करती है, ऐसे में ये रुझान कुछ समय के लिए बना रहेगा. 2004-2016 के बीच BRI में शामिल देशों के छात्रों की संख्या बढ़कर चीन में आठ गुना हो गई. BRI की शुरुआत से पहले 2012 में उन देशों के 53 प्रतिशत से कम छात्रों को चीन के सरकार की छात्रवृत्ति मिली थी जो बाद में BRI में शामिल हुए. लेकिन 2016 आते-आते ये आंकड़ा बढ़कर 61 प्रतिशत हो गया. BRI में शामिल देशों के छात्रों के लिए स्कॉलरशिप का प्रचार सिल्क रोड प्रोग्राम के रूप में किया जाता है. जब से नेपाल ने BRI पर हस्ताक्षर किए हैं, तब से चीन ने नेपाली छात्रों को दी जाने वाली छात्रवृत्ति की संख्या में बढ़ोतरी कर दी है. 2018 में लगभग 6,400 नेपाली छात्र चीन में थे. एक नये कार्यक्रम के तहत इन सभी पहल को फिर से दोहराना दिखाता है कि चीन BRI के पहियों को नेपाल में आगे बढ़ाने को कितना महत्व दे रहा है.

भारत और चीन के बीच प्रतिस्पर्धा को लेकर नेपाल के लोगों की राय पर आधारित एक ताज़ा सर्वे से पता चला कि भारत के साथ धार्मिक, सांस्कृतिक और पारिवारिक संबंधों पर आधारित अपनेपन की भावना है और सर्वे में शामिल 70 प्रतिशत लोगों ने नेपाल में भारत को अधिक ध्यान आकर्षित करने वाला देश माना. जिन लोगों ने चीन को अधिक ध्यान आकर्षित करने वाला माना (26 प्रतिशत) उनके लिए राजधानी में बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट की मौजूदगी सबसे मायने रखने वाली चीज़ है. BRI के तहत सॉफ्ट पावर के इन तत्वों को शामिल करना चीन की तरफ से दोनों पक्षों के बीच राजनीतिक और लोगों के स्तर पर संबंधों का और अधिक विस्तार करने और नेपाल के भीतर चीन के असर को बढ़ाने की कोशिशों को दिखाता है. साथ ही BRI एवं इससे जुड़ी परियोजनाओं को नेपाल में किस तरह देखा जाता है, उसे फिर से परिभाषित करने की कोशिश के तौर पर भी दिखाता है. वैसे तो चीन ने दूसरे छोटे देशों जैसे कि श्रीलंका की तरह नेपाल में भी एलिट कैप्चर (एक प्रकार का भ्रष्टाचार जहां सरकारी संसाधनों का इस्तेमाल कुछ ख़ास लोगों के फायदे के लिए किया जाता है) पर भरोसा किया है लेकिन बाद में श्रीलंका जिस रास्ते पर चला उसकी वजह से वो बड़ी परियोजनाओं पर सभी दांव खेलने के मामले में सतर्क हो गया है. ये सतर्कता चीन की इस नई पहल में साफ तौर पर दिखती है. इससे नेपाल में BRI के पहियों को आगे बढ़ाने में मदद मिलती है या नहीं, ये आने वाले महीनों में दिखेगा.


शिवम शेखावत ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन में रिसर्च असिस्टेंट हैं.

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Shivam Shekhawat

Shivam Shekhawat

Shivam Shekhawat is a Junior Fellow with ORF’s Strategic Studies Programme. Her research focuses primarily on India’s neighbourhood- particularly tracking the security, political and economic ...

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