चीन और अमेरिका के बीच तकनीकी युद्ध की झलक कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ चाइना (CPC) के 20वें सम्मेलन के दौरान दिखाई दी. हर पांच साल के बाद होने वाले कम्युनिस्ट पार्टी के सम्मेलन, जिसमें देश की नीतियों की दशा-दिशा तय होती है, से कुछ दिन पहले अमेरिका ने सेमीकंडक्टर और सेमीकंडक्टर के उत्पादन में मदद करने वाले उपकरणों तक चीन की पहुंच को मुश्किल बना दिया. उससे भी महत्वपूर्ण बात ये है कि अमेरिका ने अपने नागरिकों को सेमीकंडक्टर के उत्पादन में शामिल चीन के किसी संस्थान के लिए काम करने या तकनीकी जानकारी देने से रोक दिया.
तकनीक का महा-मुक़ाबला
अमेरिका का रक्षा विभाग चीन की और ज़्यादा कंपनियों, जिन पर पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के साथ संबंध होने का शक है, को शामिल करने के मक़सद से अपने नागरिकों के लिए निवेश की काली सूची में बढ़ोतरी कर रहा है. इसका ये अर्थ है कि अमेरिकी नागरिकों को कई कंपनियों जैसे कि ड्रोन और निगरानी के सामान बनाने वाली कंपनियों DJI टेक्नोलॉजी और झेजियांग दाहुआ टेक्नोलॉजी के साथ-साथ रेलवे का ट्रांज़िट उपकरण बनाने वाली कंपनी CRRC कॉरपोरेशन लिमिटेड में सार्वजनिक तौर पर ख़रीद-बिक्री की जाने वाली प्रतिभूतियों को ख़रीदने या बेचने की इजाज़त नहीं होगी. इन कंपनियों में BGI जीनोमिक्स कंपनी लिमिटेड भी शामिल हैं जो एक बड़े जीन डाटा बैंक का प्रबंधन करती है. चीन की लगभग 50 कंपनियों, जिनमें दूरसंचार क्षेत्र की बड़ी कंपनी हुआवे शामिल है, के साथ सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग इंटरनेशनल कॉरपोरेशन (SMIC) जैसी कंपनियों को जून 2021 में काली सूची में जोड़ा गया था. इस क़दम के ज़रिए अमेरिका चीन की सैन्य-नागरिक मेलजोल की रणनीति, जिसका उद्देश्य प्राइवेट कंपनियों की मदद से जटिल तकनीक तक पहुंच को सुनिश्चित करके PLA के आधुनिकीकरण में योगदान देना है, का मुक़ाबला करना चाहता है. इस तरह बाइडेन प्रशासन ने चीन के उदय के लिए ज़िम्मेदार दो तत्वों- तकनीक और पूंजी- पर अपना आक्रमण तेज़ कर दिया है.
जिन क्षेत्रों में निवेश पर बैन लागू हुआ है, उनका अध्ययन करने पर पता चलता है कि ये अंधाधुंध ढंग से चयन किए गए क्षेत्र नहीं हैं बल्कि वो क्षेत्र हैं जिन्हें चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के द्वारा उभरता क्षेत्र बताया गया था और जिन्हें उनकी ‘चाइना मैन्युफैक्चरिंग 2025’ की योजना में शामिल किया गया था.
जिन क्षेत्रों में निवेश पर बैन लागू हुआ है, उनका अध्ययन करने पर पता चलता है कि ये अंधाधुंध ढंग से चयन किए गए क्षेत्र नहीं हैं बल्कि वो क्षेत्र हैं जिन्हें चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के द्वारा उभरता क्षेत्र बताया गया था और जिन्हें उनकी ‘चाइना मैन्युफैक्चरिंग 2025’ की योजना में शामिल किया गया था. इस परियोजना के तहत चीन का लक्ष्य 2025 तक प्रमुख क्षेत्रों जैसे कि अगली पीढ़ी की सूचना तकनीक, अत्याधुनिक संख्यात्मक नियंत्रण मशीनरी एवं रोबोटिक्स, एरोस्पेस एवं उड्डयन उपकरण, समुद्री इंजीनियरिंग से जुड़े उपकरण एवं उच्च तकनीकी समुद्री जहाज़ का उत्पादन, जटिल रेल उपकरण, ऊर्जा की बचत करने वाले वाहन, इलेक्ट्रिकल उपकरण, कृषि मशीनरी एवं उपकरण, नई सामग्रियां, बायोफार्मास्युटिकल्स एवं ज़्यादा बेहतर प्रदर्शन करने वाली मेडिकल डिवाइस के उत्पादन में वर्चस्व स्थापित करना है. अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के द्वारा अपने 16 नवंबर के भाषण, जिसमें उन्होंने 2024 में राष्ट्रपति पद के लिए अपनी दावेदारी का एलान किया था, में शी की पसंदीदा परियोजनाओं के संदर्भ का अर्थ संभवत: ये है कि प्रतिभूतिकरण में अमेरिकी नियंत्रण के औज़ार का इस्तेमाल भविष्य में चीन को लेकर अमेरिकी वित्तीय एवं निवेश नीति को आकार देगा.
अगले पांच वर्षों में CPC का मुख्य उद्देश्य ज़्यादा आत्मनिर्भरता के ज़रिए और विज्ञान एवं तकनीक में विशिष्ट योग्यता का निर्माण करके उच्च-गुणवत्ता वाला आर्थिक विकास हासिल करना है. शी जिनपिंग ने जहां चीन को ‘बड़े पैमाने पर उत्पादन’ के मॉडल से हटाकर ‘स्मार्ट उत्पादन’ की तरफ़ ले जाने और एक उच्च तकनीक वाली अर्थव्यवस्था में बदलने की कोशिश की है, वहीं अमेरिका के द्वारा चीन की आर्थिक बुनियाद पर हमले की कोशिशों ने चीन की आधुनिकीकरण की पहल को बरकरार रखने के प्रयासों पर सवालिया निशाना लगा दिया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन को ब्लैकमेल करने, थामने, घेरने और दबाव डालने की बाहरी कोशिशें की गईं जिनसे ये संदेश दिया गया कि चीन बुरी तरह घिर गया है. इसके जवाब में चीन जहां दुनिया से ख़ुद को अलग करता नज़र आ रहा है, वहीं ये देखना महत्वपूर्ण है कि वो ‘विशाल तकनीकी दीवार’ के आगे क्या बना रहा है.
टैलेंट की तलाश
पार्टी को शी की रिपोर्ट में एक आधुनिक समाजवादी राष्ट्र के निर्माण के लिए शिक्षा, विज्ञान एवं तकनीक और मानवीय पूंजी पर रणनीतिक खंभे के रूप में लक्ष्य किया गया है. चीन और अमेरिका के बीच तकनीकी प्रतिस्पर्धा की पृष्ठभूमि में शी जिनपिंग अपने देश की मानवीय पूंजी को बेहतर करने और विज्ञान एवं तकनीक का एक इकोसिस्टम बनाने पर ध्यान दे रहे हैं. कोई भी पहल बिना राजनीतिक समर्थन के फल-फूल नहीं सकती है. 20वें पार्टी सम्मेलन के बाद चीन की सत्ताधारी पार्टी में की गई कुछ नियुक्तियां विज्ञान एवं तकनीक के लिए बुनियाद के निर्माण में प्राथमिकता के बारे में बताती हैं. इसका एक उदाहरण है जनरल ली शंगफू को शामिल करना. जनरल शंगफू एरोस्पेस के क्षेत्र में एक टेक्नोक्रेट हैं और वो देश के सशस्त्र बलों पर निगरानी करने वाली संस्था केंद्रीय सैन्य आयोग के शिचांग उपग्रह प्रक्षेपण केंद्र के प्रमुख रह चुके हैं. वैसे अमेरिका ने उनके ख़िलाफ़ 2018 में काउंटरिंग अमेरिकाज़ एडवर्सरीज़ थ्रू सैंक्शन्स एक्ट (CAATSA) यानी अमेरिका के विरोधियों के ख़िलाफ़ आर्थिक प्रतिबंध के ज़रिये मुक़ाबला करने के अधिनियम के तहत उन पर पाबंदियां लगाई थीं.
इकोसिस्टम को विकसित करना
शी जिनपिंग की रिपोर्ट उच्च गुणवत्ता वाले टैलेंट पूल के निर्माण की ज़रूरत पर ज़ोर देती है. इसके लिए एक उचित इकोसिस्टम बनाने की कोशिशें अब जारी हैं. शेंझेन विकास और सुधार आयोग ने पिछले दिनों जटिल चिप के उत्पादन, रिसर्च और विकास के लिए सब्सिडी प्रदान करने की योजना का एलान किया है. अमेरिका के द्वारा लगाई गई व्यापार पाबंदियों का असर इन चिप पर पड़ा है. 14वीं पंचवर्षीय योजना के तहत चीन 2025 तक पूरे देश में 220 उच्च तकनीक वाले क्षेत्रों का निर्माण करने के लिए तैयार है. इसका उद्देश्य महत्वपूर्ण तकनीकों की खोज और ऐसे सामानों का उत्पादन है जो वैश्विक बाज़ार में प्रतिस्पर्धी हों. हॉन्ग कॉन्ग ने टॉप टैलेंट पास स्कीम की घोषणा की है जिसके तहत उन लोगों को दो साल का वीज़ा दिया जा सकता है जिनकी सालाना आमदनी 2.5 मिलियन हॉन्ग कॉन्ग डॉलर (3,18,500 अमेरिकी डॉलर) हो या जो विश्व की टॉप 100 यूनिवर्सिटी में शामिल किसी यूनिवर्सिटी से ग्रैजुएट हो और उसके पास कम-से-कम तीन साल का काम का अनुभव हो.
शी ने चीन के “बेटों और बेटियों” से आह्वान किया कि वो अपनी ऊर्जा ‘राष्ट्रीय कायाकल्प’ पर लगाएं जो कि देश की ऐतिहासिक महानता को बहाल करने की CPC की परियोजना है.
‘लाल पूंजी वाला इकोसिस्टम’ बनाने की CPC की कोशिशें हाल के वर्षों में तेज़ हुई हैं.
चीन प्रतिभूति विनियामक आयोग (CSRC) के अध्यक्ष यी हुईमैन ने पूंजी बाज़ारों को “विज्ञान और तकनीक में इनोवेशन” करने वाली कंपनियों की तरफ़ “फंड का निर्देश” करने को कहा. 2019 में शंघाई विज्ञान एवं तकनीक बोर्ड ने उच्च तकनीक और रणनीतिक तौर पर उभरते क्षेत्रों की कंपनियों को वित्तीय सुविधा देने के उद्देश्य से काम-काज शुरू किया. इसके बाद कंपनियों की लिस्टिंग 25 से बढ़कर 300 से ज़्यादा हो गई. नवंबर 2021 में बीजिंग शेयर बाज़ार ने इनोवेशन पर आधारित कंपनियों में फंड डालने के उद्देश्य से ट्रेडिंग की शुरुआत की. नवंबर 2022 में CSRC के उपाध्यक्ष फैंग शिंगहे ने इस बात को दोहराया कि प्राइवेट इक्विटी कंपनियों और वेंचर कैपिटल इन्वेस्टमेंट को सेमीकंडक्टर, नई ऊर्जा, कंप्यूटिंग और फार्मास्युटिकल्स से जुड़ी कंपनियों को वित्त प्रदान कर तकनीकी इनोवेशन को निश्चित रूप से बढ़ावा देना चाहिए.
शी ने चीन के “बेटों और बेटियों” से आह्वान किया कि वो अपनी ऊर्जा ‘राष्ट्रीय कायाकल्प’ पर लगाएं जो कि देश की ऐतिहासिक महानता को बहाल करने की CPC की परियोजना है. शी की संकल्पना के अनुसार चीनी नस्ल एक है, चाहे किसी व्यक्ति की राष्ट्रीयता कुछ भी हो. शी को उम्मीद है कि उनकी राष्ट्रवादी आवाज़ उन लोगों पर असर करेगी जो कि एक “बढ़ते चीन” में योगदान करने के लिए उत्सुक हैं. चीन और अमेरिका के बीच तकनीकी मुक़ाबले के बीच में जीव विज्ञानी निएंग यान के फ़ैसले, जिन्होंने प्रिंसटन यूनिवर्सिटी को छोड़ने का निर्णय लिया और चीन जाकर शेंझेन की स्थानीय सरकार के द्वारा स्थापित एक रिसर्च और डेवलपमेंट सेंटर में काम करेंगी, ने चीन के सोशल मीडिया पर तहलका मचा दिया है. उनकी वापसी को अमेरिका-चीन तकनीकी युद्ध के बीच एक देशभक्ति वाला क़दम माना जा रहा है.
कभी-कभी विपरीत परिस्थितियों में भी अवसर मिल सकता है. वैसे तो अमेरिका के द्वारा सेमीकंडक्टर को लेकर लगाए गए नियंत्रण का उद्देश्य इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में चीन को टैलेंट से दूर रखना है लेकिन CPC इसका इस्तेमाल महत्वपूर्ण तकनीकी पद पर मौजूद अमेरिका की नागरिकता रखने वाले चीनी मूल के लोगों को चीन की चिप कंपनियों की तरफ़ लुभाने के लिए कर सकती है. इस कोशिश में चीन ताइवान की सरकार के प्रयोग का अनुसरण कर सकती है जिसके तहत उसने मॉरिस चैंग (जिन्होंने बाद में ताइवान सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी की स्थापना की थी) का इस्तेमाल किया. मॉरिस चैंग को 80 के दशक में सेमीकंडक्टर क्षेत्र के निर्माण को बढ़ावा देने के तहत टेक्सस इंस्ट्रूमेंट में सबसे बड़े पद के लिए अनदेखा किया गया था.
क्या शी जिनपिंग की देशभक्ति वाली पुकार प्रवासियों को वापस लाने में मदद करेगी? पहला, चीन और पश्चिमी देशों के बीच गहन वैचारिक संघर्ष और घरेलू कारण जैसे कि खुली अभिव्यक्ति पर नियंत्रण एवं कठोर ज़ीरो-कोविड नीति विदेशों में पढ़े चीन के नागरिकों की वतन वापसी और आधुनिक तकनीकी क्षेत्रों में काम करने को रोक सकती है. दूसरा, चीन की अर्थव्यवस्था में गिरावट ट्रेनिंग के लिए संसाधनों के आवंटन और विदेशी टैलेंट को नौकरी पर रखने को महत्वपूर्ण रूप से सीमित कर सकती है. आख़िर में, चूंकि महत्वपूर्ण आर्थिक घटकों जैसे कि तकनीक, पूंजी और मानवीय पूंजी को लेकर चीन और अमेरिका का नज़रिया अलग-अलग है, ऐसे में चीन महत्वपूर्ण तकनीकों के मामले में विदेशी निर्भरता कम करने के लिए आत्मनिर्भरता हासिल करने की तरफ़ बढ़ने के लिए मजबूर होगा.
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