Author : Sanjay Ahirwal

Published on Jan 19, 2018 Updated 0 Hours ago

Quadrilateral Security Dialogue सुनिस्चित करेगा की दक्षिण चीन सागर और भारतीय महासागर का सभी मित्र देश पूरी तरह से फ़ायदा उठा सके।

Quadrilateral को लेकर चीन परेशान है

रायसिना डॉयलॉग 2018 ने एक ऐतिहासिक मौक़ा दिया अमरीका, जापान, ऑस्ट्रेल्या और भारत के नौसेना अध्यक्षों को एक मंच पर आने का। विषय था इंडो-पसिफ़िक क्षेत्र में अंतर्रष्ट्रिया क़ानून का राज कैसे क़ायम किया जाए ताकि भारतीय महासागर और प्रशांत महासागर सबके लिए सुरक्षित स्थान बन सके और इस के आस पास पड़ने वाले सभी देश व्यापार का फ़ायदा उठा सके। अमरीकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प ने पहले ही एशिया-पसिफ़िक के जगह इंडो-पसिफ़िक शब्द का इस्तेमाल कर इस पूरे इलाक़े को एक नयी परिभाषा दे दी है और इसके साथ ही यह भी तय हो गया है की भारत इस इलाक़े की सुरक्षा और अखंडता में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। साथ ही अमरीका, ऑस्ट्रेल्या, जापान और भारत ने मिल कर Quadrilateral Security Dialogue बनाया है जो सुनिस्चित करेगा की दक्षिण चीन सागर और भारतीय महासागर का सभी मित्र देश पूरी तरह से फ़ायदा उठा सके। इन चारों देशों के नेतृत्व में सभी असीयान देश भी इस महत्वपूर्ण समुन्दरी क्षेत्र का पूरा फ़ायदा उठा पाएँगे।


अमरीकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प ने पहले ही एशिया-पसिफ़िक के जगह इंडो-पसिफ़िक शब्द का इस्तेमाल कर इस पूरे इलाक़े को एक नयी परिभाषा दे दी है।


इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की ग्लोबल अहमियत बढ़ने के साथ बहुत जरूरी हो गया है कि सभी हिस्सेदार साथ आएं और क्षेत्र के सुरक्षा आर्किटेक्चर को मजबूत करें। ग्लोबल समानताओं को कैसे कंट्रोल किया जाए, यह तय करने के लिए वक्त की मांग पूरी करने वाले नए गठबंधन और नई पॉलिसी भी बनानी होगी ताकि समुन्दरी नैविगेशन के लिए सारे रास्ते खुले रहे। किसी पर अंकुश ना हो और सबके स्वीकार करने लायक अंतर्राष्ट्रीय नियम तैयार हो जाए।

भारतीय नौसेना अध्यक्ष एडमिरल सुनील लांबा ने कहा की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले ही इस क्षेत्र में भारत की प्राथमिकता को उजागर करते हुए नयी डॉक्ट्रिन SAGAR यानी Security, Sustainability and Growth for All in the Region के बारे में बात कर चुके हैं। एडमिरल लांबा ने कहा की यह ज़रूरी है की इस क्षेत्र में मौजूद सभी शक्तियों के बीच पारदर्शिता हो, और बातचीत के रास्ते खुले रहें। यह साफ़ है की कुछ शक्तियाँ की मंशा साफ़ नहीं है लेकिन यह समय की माँग है की सभी शक्तियाँ अंतर्रष्ट्रिया क़ानून के अंतर्गत ही काम करें ताकि सब पर पर एक नीति लागू हो सके।

एडमिरल लांबा को आगे बढ़ाते हुए US Pacific Command के कमांडर एडमिरल हैरी हैरिस ने कहा की 2018 में ज़रूरी है की अमरीका के साथ हाथ से हाथ मिला कर भारत कुछ कड़े और साहसी क़दम उठाए। यह समय की माँग है की इंडो-पसिफ़िक क्षेत्र को सबके लिए खुला और सुरक्षित रखा जाए ताकि सभी देश इसका फ़ायदा उठाते हुए समृद्ध हो सकें।

जापान के नौसेना अध्यक्ष एडमिरल कतसूतोशि कवानो ने साफ़ कहा की चीन खुले आम अंतर्रष्ट्रिया क़ानूनों की अनदेखी कर रहा है और नए क्षेत्रों में अपनी मौजूदगी बढ़ा रहा है जो की दूसरे देशों के लिए मुसीबत का सबब है। इस कारण क्षेत्र में अविश्वास पैदा हो रहा है। यह तय है की इंडो-पसिफ़िक क्षेत्र की अखंडता के साथ कोई समझौता नहीं हो सकता।

आस्ट्रेलिया के नौसेना अध्यक्ष वाइस एडमिरल टिम बरेट्ट ने कहा की Quadrilateral Security Apparatus का मतलब सिर्फ़ आर्थिक क्षेत्र में ही सहयोग बढ़ाना नहीं होगा बल्कि चारों मित्र देशों को सेन्य रूप से भी साथ आना होगा ताकि इस क्षेत्र पर किसी की ग़लत दृष्टि ना पड़ सके। अमरीका ने भी कहा की कूटनीति के साथ साथ अगर सेन्य शक्ति उस के पीछे हो तो ही बात बनती है।


भारतीय नौसेना अध्यक्ष एडमिरल सुनील लांबा ने कहा की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले ही इस क्षेत्र में भारत की प्राथमिकता को उजागर करते हुए नयी डॉक्ट्रिन SAGAR यानी Security, Sustainability and Growth for All in the Region के बारे में बात कर चुके हैं।


इंडोनीशिया के Foreign Policy community के अध्यक्ष डीनो पट्टी जलाल ने जानकारी दी कि Quadrilateral को लेकर चीन परेशान है। चीन को लगता है कि Quadrilateral की स्थापना उसके मंसूबों पर अंकुश लगाने के लिए किया गया है।

इस लिए ज़रूरी है की समय रहते इस बढ़ती दूरी को पाटा जाए और एक दूसरे से सहयोग करने के कार्यक्षेत्र ढूँढें जाएँ।

Disaster Response, Anti-Piracy Operations जैसे बहुत से मुद्दे हैं जिन पर सभी साथ मिल कर काम कर सकते हैं, और करते रहें हैं। इस इलाक़े में बढ़ते आतंकवाद से निपटना भी एक बड़ा मुद्दा है। यह सभी ताक़तों के लिए ज़रूरी है की सही प्राथमिकताओं को समझते हुए एक दूसरे से सहयोग बढ़ाएँ ताकि सब एक उज्जवल भविष्य की ओर बढ़ सकें।

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