Published on Jun 30, 2023 Updated 0 Hours ago
फोरेंसिक साइंस और भारत की न्यायिक व्यवस्था के बीच सेतु बनाने की कोशिश

आज दुनिया के तमाम देशों में प्रशासन के लिए आपराधिक न्याय व्यवस्था में फोरेंसिक साइंस की अहमियत को बेहद महत्वपूर्ण माना जाने लगा है. पर, भारत में ज़्यादातर लोग इसकी महत्ता समझ पाते, उससे बहुत पहले 2009 में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री ने आपराधिक न्याय व्यवस्था को सुधारने के लिए विश्व स्तर के शैक्षणिक  संस्थान स्थापित करने की शुरुआत की थी. अब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उस समय नेशनल फोरेंसिक साइंसेज़ यूनिवर्सिटी (NFSU) की परिकल्पना करके उसे स्थापित किया था. इस संस्थान में फोरेंसिक साइंस और उससे जुड़े दूसरे विषयों की ही पढ़ाई की जाती थी. इसका मक़सद अंतरराष्ट्रीय मानकों के हिसाब से ज्ञान को बढ़ाना और कौशल विकास में नयापन लाना था. इस नई स्थापित की गई फोरेंसिक यूनिवर्सिटी की मामूली सी शुरुआत के समय से ही गृह मंत्री अमित शाह ने इसका संचालन अपने हाथ में ले लिया था. इसका पहला कैंपस गुजरात के फोरेंसिक साइंस निदेशालय के मौजूदा दफ़्तर में पांच विषयों की पढ़ाई की शुरुआत के साथ खुला था, जो आज एक प्रतिष्ठित राष्ट्रीय अकादेमिक संस्थान बन चुका है.

इसका मक़सद अंतरराष्ट्रीय मानकों के हिसाब से ज्ञान को बढ़ाना और कौशल विकास में नयापन लाना था. इस नई स्थापित की गई फोरेंसिक यूनिवर्सिटी की मामूली सी शुरुआत के समय से ही गृह मंत्री अमित शाह ने इसका संचालन अपने हाथ में ले लिया था.

नेशनल फोरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी (NFSU) ने बहुत कम समय में नई परिस्थितियों के हिसाब से ख़ुद को ढालते हुए फोरेंसिक साइंस से जुड़े तमाम विषयों में अकादेमिक कार्यक्रमों की शुरुआत की है. जब ‘स्किल इंडिया’ की चर्चा तक नहीं शुरू हुई थी, तब से इस विश्वविद्यालय ने एक नया तरीक़ा अपनाया और छात्रों को तजुर्बेकार लोगों की निगरानी में मौजूदा मुक़दमों की जांच करने का मौक़ा देते हुए उनके कौशल विकास की शुरुआत की. आज इस यूनिवर्सिटी में लगभग पांच हज़ार छात्र पढ़ाई करते हैं, जो 70 ख़ास पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री और डिप्लोमा के कोर्स पढ़ रहे हैं. ये कोर्स फोरेंसिक साइंस से जुड़े हर मुमकिन विषय में पढ़ाए जा रहे हैं. इनमें पारंपरिक शाखाओं जैसे कि फिंगरप्रिंट विज्ञान, दस्तावेज़ों की पड़ताल, खाने का विश्लेषण और बैलिस्टिक्स के विषयों के साथ साथ ज़्यादा आधुनिक विषयों जैसे कि डीएनए फोरेंसिक, फोरेंसिक फार्मेसी, फोरेंसिक डेंटिस्ट्री और फोरेंसिक साइकोलॉजी जैसे विषय और उससे भी आगे बढ़कर एकदम ताज़ा विषयों जैसे कि डिजिटल फोरेंसिक्स, मल्टीमीडिया फोरेंसिक्स, फोरेंसिक नैनो टेक्नोलॉजी और फोरेंसिक जर्नलिज़्म जैसे विषयों की पढ़ाई भी की जा रही है. फोरेंसिक साइंस से जुड़े हुए विषयों जैसे कि साइबर सिक्योरिटी, क़ानून, होमलैंड सिक्योरिटी, पुलिस, बिज़नेस इंटेलिजेंस जैसे अकादेमिक कोर्स भी यूनिवर्सिटी ने पढ़ाने शुरू कर दिए हैं.

नई शिक्षा नीति

इसके अतिरिक्त, 2020 में आई नई शिक्षा नीति के तहत नेशनल फोरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी ने फोरेंसिक साइंस, साइबर सिक्योरिटी, कानून और फोरेंसिक एकाउंटिंग के पांच साल के एकीकृत कोर्स भी शुरू किए हैं. अकादेमिक पढ़ाई के साथ साथ रिसर्च और विकास पर ख़ास तौर से ज़ोर दिया जा रहा है. इसके साथ साथ, अकादेमिक और तकनीक की तरक़्क़ी के साथ तालमेल बिठाते हुए NFSU ने दुनिया भर के मशहूर संस्थानों के साथ अकादेमिक सहयोग की बड़ी व्यापक योजना बनाई है और आज की तारीख़ में NFSU, अलग अलग क्षेत्रों के 186 विशेषज्ञ संस्थानों के साथ सहयोग कर रहा है.

इस यूनिवर्सिटी की एक अनूठी बात ये है कि ये देश में ही नहीं विदेश में भी नई प्रयोगशालाएं स्थापित करने या पुरानी लैब को अपग्रेड करने के लिए विशेषज्ञों की सेवाएं मुहैया कराती है. इसकी एक और ख़ूबी ये है कि भारत और कम से कम 70 अन्य देशों के कामकाजी पेशेवर लोगों के लिए बहुत बड़ी तादाद में ट्रेनिंग के कार्यक्रम भी चलाए जा रहे हैं. आज की तारीख़ में NFSU 26 हज़ार से ज़्यादा अधिकारियों को प्रशिक्षित कर रही है, जिसमें FSL, पुलिस, सैन्य बलों, सिविल सर्विस, न्यायपालिका, बैंकिंग, विजिलेंस, कस्टम, इमिग्रेशन वग़ैरह के मौजूदा कर्मचारी शामिल हैं. इनमें से 4300 विदेशी अधिकारी हैं.

भारत और कम से कम 70 अन्य देशों के कामकाजी पेशेवर लोगों के लिए बहुत बड़ी तादाद में ट्रेनिंग के कार्यक्रम भी चलाए जा रहे हैं. आज की तारीख़ में NFSU 26 हज़ार से ज़्यादा अधिकारियों को प्रशिक्षित कर रही है

इतनी तेज़ी से तरक़्क़ी करने और सिर्फ़ 11 वर्षों में आला दर्ज़े की गुणवत्ता हासिल करने के कारण, भारत सरकार ने नेशनल फोरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी को 1 अक्टूबर 2020 को ‘राष्ट्रीय महत्व के संस्थान’ का बेहद प्रतिष्ठित दर्जा दिया था.

उसके बाद से NFSU ने सफलता की कई लंबी छलांगें लगाई हैं. न केवल दिल्ली में इसका पहला कैंपस शुरू हो गया है, बल्कि गृह मंत्रालय की मदद से यूनिवर्सिटी ने गोवा, त्रिपुरा, भोपाल, पुणे, मणिपुर, धारवाड़ और कर्नाटक में अपने कैंपस स्थापित कर लिए हैं और कई दूसरे राज्यों में भी इसके कैंपस खोलने की प्रक्रिया चल रही है. इससे भी बड़ी कामयाबी ये है कि NFSU ने युगांडा के जिंजा में अपना पहला विदेशी कैंपस खोला है और इस तरह वो देश की पहली ऐसी सरकारी यूनिवर्सिटी बन गई है, जिसका विदेश में भी एक कैंपस है.

फोरेंसिक केंद्र की उपयोगिता

पूरे देश में और हर ज़िले में कम से कम एक फोरेंसिक केंद्र स्थापित करने के भारत सरकार के विज़न के अनुसार नेशनल फोरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी ने मोबाइल फोरेंसिक वैन डिज़ाइन (MFVs) करने की एक अनूठी पहल की है. लगातार रिसर्च और अध्ययन करने के बाद यूनिवर्सिटी ने स्वदेश में ही बनाए जाने वाले दो वाहनों के आधार पर व्यापक सुविधाओं से लैस मोबाइल फोरेंसिक लैब का डिज़ाइन तैयार करके उसे विकसित किया है. ये फोरेंसिक वाहन, भारत की परिस्थितियों के अनुरूप हैं और ये गाड़ियां जांच की किट, सैंपल  जुटाने की सुविधा और फोरेंसिक विशेषज्ञता से लैस होती हैं. फोरेंसिक लैब का मूलभूत ढांचा विकसित करने के लिहाज़ से ये पहला क़दम है.

इसके अतिरिक्त, नारकोटिक्स ड्रग की समस्या से निपटने के लिए नारकोटिक्स और साइकोट्रोपिक  ड्रग्स सब्सटेंसेज़ पर रिसर्च और विकास के लिए NFSU में जुलाई 2022 में आधुनिक सुविधाओं से लैस, एक सेंटर ऑफ एक्सीलेंस  स्थापित किया गया है. इसी मक़सद से अगस्त 2022 में मौजूदा बैलिस्टिक्स रेंज के साथ साथ साइबर सिक्योरिटी, डीएनए फोरेंसिक और फोरेंसिक एवं इन्वेस्टिगेटिव साइकोलॉजी के लिए सेंटर ऑफ एक्सेलेंस स्थापित किया गया था.

फोरेंसिक यूनिवर्सिटी ने विशेषज्ञों की फौज तैयार करने की ज़रूरत पर भी बल दिया है, जिससे इसके छात्र प्रशिक्षण के ज़रिए फोरेंसिक विशेषज्ञ बन सकें. और, इसके साथ साथ, अलग अलग तरह के पुलिस बल भी फोरेंसिक साइंस के ज्ञान और कौशल से लैस हो सकें. इन प्रयासों को तब बड़ी ताक़त मिली जब NFSU ने दिल्ली और चंडीगढ़ पुलिस के साथ बेहद ख़ास सहमति पत्रों (MoUs) पर दस्तख़त किए. इनके तहत दोनों पुलिस बलों में NFSU से प्रशिक्षण हासिल करने वाले फोरेंसिक विशेषज्ञों को भर्ती किया जाएगा, ताकि अपराध की वैज्ञानिक तरीक़े से जांच हो सके. इस दिशा में एक और क़दम ये उठाया गया है कि गृह मंत्रालय के नेतृत्व में इंटरएक्टिव वर्चुअल ट्रेनिंग मॉड्यूल के ज़रिए महिलाओं के प्रति अपराध की जांच की ख़ास ट्रेनिंग दी जाएगी. ये मॉड्यूल NFSU द्वारा विकसित किया जा रहा है, जिससे तमाम राज्यों के पुलिस बलों की क्षमता में वृद्धि की जा सके. इसके अलावा गृह मंत्रालय ने हाल ही में दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया है कि वो राष्ट्रीय राजधानी में छह साल या इससे ज़्यादा की सज़ा वाले सारे अपराधों की जांच में फोरेंसिक इंवेस्टिगेशन  किया जाना अनिवार्य बनाए, ताकि मुजरिमों को सज़ा दिलाने की दर बढ़ सके. ये एक महत्वपूर्ण क़दम है और इससे राष्ट्रीय प्रशासन में आपराधिक न्याय व्यवस्था की अहमियत को रेखांकित करता है.

21वीं सदी के बदलते आयामों ने जटिल और नई चुनौतियां खड़ी की हैं, जिनसे तमाम मामलों में बिल्कुल नए तरह के ख़तरे पैदा हो गए हैं. एक विशेषज्ञ संस्थान के तौर पर नेशनल फोरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी ने उच्च गुणवत्ता की तकनीकी शिक्षा देने के मामले में आगे बढ़कर ज़िम्मेदारी उठाई है 

21वीं सदी के बदलते आयामों ने जटिल और नई चुनौतियां खड़ी की हैं, जिनसे तमाम मामलों में बिल्कुल नए तरह के ख़तरे पैदा हो गए हैं. एक विशेषज्ञ संस्थान के तौर पर नेशनल फोरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी ने उच्च गुणवत्ता की तकनीकी शिक्षा देने के मामले में आगे बढ़कर ज़िम्मेदारी उठाई है और इसके अंतर्गत उच्च स्तर के वैज्ञानिक रिसर्च के साथ साथ फोरेंसिक साइंसेज़ और उससे जुड़े तमाम अलग अलग विषयों में उच्च कौशल वाले विशेषज्ञ तैयार करने का बीड़ा उठाया है. फोरेंसिक यूनिवर्सिटी बड़ी ख़ामोशी से मगर तेज़ी से सफलता की छलांगें लगाते हुए भारत में आपराधिक जांच और आपराधिक न्याय व्यवस्था में सुधार के लिए फोरेंसिक की बढ़ती ज़रूरत को पूरा करने में जुटी हुई है.

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