Author : Tanya Aggarwal

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Published on Apr 04, 2024 Updated 0 Hours ago

भारत में डिजिटल सेक्टर में जिस तरह विकास हो रहा है. इंटरनेट का जिस तरह प्रचार और प्रचार हो रहा है, उसे देखते हुए भारत को डाटा सेंटर्स की अहमियत समझनी चाहिए. इसमें निवेश को बढ़ाना चाहिए, जिससे हम इनकी क्षमता का पूरा इस्तेमाल कर सकें.

डाटा सेंटर्स में निवेश से भारत कैसे बन सकता है दुनिया का डिजिटल पॉवरहाउस?

डाटा को किसी भी तकनीक़ी के विकास का आधार माना जाता है. डाटा समाज के अलग-अलग क्षेत्रों में नई खोजों और तकनीक़ी में उन्नति का रास्ता बनाता है. ऐसे में डाटा की जरूरत और इसके प्रबंधन की अहमियत से इनकार नहीं किया जा सकता. डाटा सेंटर मौजूदा दौर में किसी भी डिजिटल प्रणाली का सबसे अहम बिंदु हैं. डाटा की पूरी क्षमता का इस्तेमाल करने और नई-नई विकसित होती तकनीकियों का पूरा फायदा उठाने के लिए ये ज़रूरी है कि डाटा सेंटर के बुनियादी ढांचे पर सावधानीपूर्वक विचार किया जाए. फिर चाहे वो भारत हो या कोई भी और देश. इस लेख में हम डाटा सेंटर्स की अहमियत, भारत में डाटा सेंटर्स पर बढ़ते निवेश, डिजिटल ढांचे को बढ़ावा देने के लिए सरकार की तरफ से की जा रही पहल और इसके विकास की राह में आने वाले चुनौतियां पर चर्चा करेंगे. इस लेख का उद्देश्य डाटा सेक्टर के स्थायी विकास पर बात करना है.

 

भविष्य के लिए निर्माण

फिलहाल 151 डाटा सेंटर के साथ भारत इस वक्त दुनिया में चौदहवें स्थान पर है. करीब 880 मिलियन लोग अभी इसका इस्तेमाल कर रहे हैं. यही वजह है कि डाटा सेंटर्स में निवेश बढ़ा है और ये भारत को डिजिटल पॉवरहाउस बनाने की सरकार की प्रतिबद्धता को भी दिखाता है. अगस्त 2023 में कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्रीज (CII) और कोईलर्स ने “इंडिया डाटा सेंटर : इन्टरिंग क्वांटम ग्रोथ”  नाम से एक साझा रिपोर्ट प्रकाशित की. इस रिपोर्ट में ये कहा गया कि अगले तीन साल में डाटा सेंटर दोगुने हो जाएंगे. 40 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी के साथ इसमें करीब 10 बिलियन डॉलर का निवेश होगा. इनमें से आधे डाटा सेंटर मुंबई में होंगे, जिसके बाद चेन्नई और हैदाराबाद का नंबर आएगा. भारत के डिजिटल क्षेत्र में जिस तरह सफलतापूर्वक काम हो रहा है, उसे देखते हुए ये कहा जा सकता है कि डिजिटल सेक्टर और तकनीक़ी विकास के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर भारत अहम भूमिका निभाने जा रहा है. पिछले कुछ साल से डाटा स्टोरेज और इसकी प्रोसेसिंग की मांग बढ़ी है. इसकी सबसे बड़ी वजह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग की तकनीक़ी में हुआ विकास है. डाटा सेंटर किसी भी तकनीक़ी विकास का केंद्र बिंदु हैं. ऐसे में निजता और गोपनीयता बनाए रखने के लिए डाटा सेंटर की सुरक्षा अहम मुद्दा है. भारत में जिस तरह डिजिटल क्षेत्र का प्रचार और प्रसार हो रहा है, उसे देखते हुए भारत डाटा सेंटर में काफी निवेश कर रहा है, जिससे इस क्षेत्र की पूरी क्षमता का फायदा उठाया जा सके.

डाटा सेंटर किसी भी तकनीक़ी विकास का केंद्र बिंदु हैं. ऐसे में निजता और गोपनीयता बनाए रखने के लिए डाटा सेंटर की सुरक्षा अहम मुद्दा है.

डिजिटल क्षेत्र को आकार देना

भविष्य में डिजिटल होती दुनिया में डाटा सेंटर की अहमियत को मान्यता देते हुए सरकार ने कुछ ऐसे कदम उठाए हैं जो डिजिटल सेंटर मार्केट में पहुंच को आसान बनाएंगे. अगस्त 2023 में भारत ने डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन एक्ट (DPDA) पारित करवाकर व्यक्तियों की निजता की रक्षा को लेकर अपनी प्रतिबद्धता दिखाई. इस महत्वपूर्ण विधेयक का उद्देश्य डाटा सेंटर इंडस्ट्री के तकनीक़ी विकास और नागरिकों की निजता के अधिकार के बीच के अंतर को कम करना है. DPDA में डाटा सेंटर्स को डाटा प्रोसेस करने वाले सेंटर के रूप में चिन्हित किया गया है. हालांकि, डाटा सेंटर्स की पहुंच अभी व्यक्तिगत डाटा तक नहीं है. फिर भी उनके लिए वही मानदंड रखे गए हैं, जो डाटा प्रोसेस सेंटर के लिए होते हैं. इसका फायदा ये होगा कि अगर डाटा सेंटर्स में सुरक्षा में कोई चूक होती है तो उन्हें जवाबदेह ठहराया जा सकेगा. DPDA कानून के तहत डाटा को देश से बाहर भेजने को भी नियंत्रित किया जाता है. साथ ही डाटा सेंटर के बुनियादी ढांचे की गुणवत्ता पर भी ध्यान दिया जाता है.

DPDA के अलावा सरकार ने 2020 में ड्राफ्ट डाटा सेंटर पॉलिसी भी बनाई. इसका उद्देश्य डिजिटल क्षेत्र में निवेश को प्रोत्साहित करना और नियमन की प्रक्रिया को बेहतर बनाना है. इस नीति के तहत डाटा सेंटर्स और डाटा सेंटर पार्क की स्थापना, उनके नियमन और एक तय समयसीमा के भीतर उनके निर्माण को ज़रूरी स्वीकृति दी जाती है. अगर कोई डाटा सेंटर्स के क्षेत्र में साझा उपक्रम लाना चाहता है, इसमें साझेदारी से काम करना चाहता है तो उसके लिए भी ज़रूरी मानदंडों का उल्लेख इस नीति में किया गया है. राज्यों के स्तर पर भी कई राज्य सरकारों ने डाटा सेंटर्स को बढ़ावा देने का माहौल बनाने के लिए अपनी-अपनी नीतियां बनाई हैं, जिससे डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर का विकेंद्रीकरण और प्रसार हो सके. कुछ राज्य सरकारों ने डाटा सेंटर्स को “आवश्यक सेवाओं” के तहत रखा है, जिससे ये सालभर काम कर सकें. तेलंगाना जैसे कुछ राज्यों ने तो अपने यहां डाटा सेंटर और आईटी पार्क स्थापित करने के लिए बजट में अलग से रकम का प्रावधान किया है.

भारत सरकार भी डाटा सेंटर की अहमियत को समझती है और उनके विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है लेकिन इस क्षेत्र के विकास के लिए सरकारी मदद काफी नहीं है. निजी क्षेत्र का सहयोग और उसका भी इसमें शामिल होना ज़रूरी है. हाल के वर्षों में भारत में डाटा सेंटर उद्योग में निजी क्षेत्र की भागीदारी और निवेश बढ़ा है. निजी क्षेत्र और सरकार की कोशिशों का नतीजा है कि इस सेक्टर में तेज़ रफ्तार से विकास हो रहा है. सरकार ने डाटा सेंटर में निवेश की प्रक्रिया को आसान बनाया है, जिसके सकारात्मक नतीजे भारत की अर्थव्यवस्था और डिजिटल भारत के हमारे महत्वाकांक्षी लक्ष्य पर दिख रहे हैं. डाटा इंफ्रास्ट्रक्चर पर ध्यान देने का फायदा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में दिख रहा है. निजी क्षेत्र के ज़रिए डाटा सेंटर में 1.1 अरब डॉलर का निवेश हुआ है. इसमें से 93 प्रतिशत निवेश विदेशी निवेशकों ने किया है. सितंबर 2023 में अमेरिकी तकनीक़ी फर्म Nvidia ने रिलायंस इंडस्ट्री के साथ मिलकर AI इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप करने का एलान किया. इस साझा उपक्रम में AI पर आधारित कम्प्यूटिंग डाटा सेंटर होगा, जिसकी क्षमता बाद में 2,000 मेगावर्ड (MW)तक बढ़ाई जाएगी.

भारत सरकार भी डाटा सेंटर की अहमियत को समझती है और उनके विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है लेकिन इस क्षेत्र के विकास के लिए सरकारी मदद काफी नहीं है. निजी क्षेत्र का सहयोग और उसका भी इसमें शामिल होना ज़रूरी है.

भारत खुद को तकनीक़ी हब वाले देश के तौर पर पेश करना चाहता है. ऐसे में अन्तर्राष्ट्रीय कारोबारियों और निवेशकों को आकर्षित करने के लिए डाटा सेंटर का इकोसिस्टम मजबूत होना बहुत अहम है. डाटा सेंटर की स्थापना करने के लिए ये ज़रूरी है कि पहले इसके प्रभावों के बारे में समझा जाए. डाटा सेंटर की अहमियत इसलिए भी बढ़ जाती है क्योंकि भारत में स्टार्ट अप और तकनीक़ी क्षेत्र की कंपनियों में तेज़ी से बढ़ोत्तरी हो रही है. ऐसे में अगर उन्हें उच्च गुणवत्ता वाले डाटा सेंटर मिलेंगे तो स्टार्ट अप्स कंपनियों को बेहतर माहौल मिलेगा. वो नए प्रयोग करने को प्रेरित होंगे और रोज़गार भी बढ़ेगा.

 

डाटा तक पहुंच और निजता की सुरक्षा में संतुलन कैसे?

जब भी किसी तकनीक़ी क्षेत्र में विकास होता है तो उसके कुछ दुष्प्रभाव भी सामने आते हैं. डाटा के मामले में ऐसा होता है. डाटा से विकास तो होता है लेकिन साथ ही निजता और साइबर सिक्योरिटी को लेकर चिंताएं भी बढ़ती हैं. ऐसे में डाटा स्टोरेज और प्रोसेसिंग की क्षमता बढ़ाने के साथ-साथ ये भी ज़रूरी है कि प्राइवेसी और साइबर सिक्योरिटी की चिंताओं को दूर किया जाए. सबसे बड़ी समस्या साइबर सिक्योरिटी को लेकर है. इंटरनेट के प्रचार और प्रसार के बाद डाटा सेंटर ही साइबर हमले के निशाने पर होते हैं. स्वास्थ्य, शिक्षा और रिटेल उद्योग साइबर हमले की दृष्टि से सबसे संवेदनशील क्षेत्र हैं. ऐसे में डाटा सेंटर की सुरक्षा और उस पर भरोसा बनाए रखने के लिए साइबर सिक्योरिटी सिस्टम को मजबूत बनाना सबसे ज़रूरी है. इसके अलावा बिजली की अनुपलब्धता, प्रशिक्षित कर्मचारियों की कमी और ऑफिस खोलने के लिए मंहगी ज़मीन या जगह भी डाटा सेंटर के विकास में बाधा खड़ा करती हैं.

हालांकि, डाटा सेंटर खोलने वाली कंपनियां इन सब चीजों का ध्यान रखती हैं और उसी हिसाब से योजना बनाती हैं लेकिन अगर राज्य और केंद्र सरकार के स्तर पर कुछ मदद दी जाएगी तो भारत में इंटरनेट इस्तेमाल करने वालों और डाटा सेंटर के बीच का जो अंतर है, उसे कम किया जा सकता है. 151 डाटा सेंटर्स के साथ भारत ग्लोबल रैकिंग में चौदहवें नंबर पर है, वहीं अमेरिका में 5,000 डाटा सेंटर हैं जबकि अमेरिका में इंटरनेट इस्तेमाल करने वालों की संख्या भारत से आधी है. भारत में अब डाटा स्टोरेज और प्रोसेसिंग की मांग बढ़ रही है. इसलिए डाटा सेंटर के इकोसिस्टम को मजबूत करने के लिए इस क्षेत्र में आने वाली समस्याओं का समाधान खोजना चाहिए. तभी डाटा सेंटर में निवेश बढ़ेगा.

भारत की असली डिजिटल ताकत

भारत जिस तरह डाटा सेंटर के बुनियादी ढांचे का विकास कर रहा, उसमें निवेश कर रहा है, वो ये दिखाता है कि वैश्विक स्तर पर तकनीक़ी क्षेत्र का अगुआ बनने के लिए भारत कितना प्रतिबद्ध है. डाटा सेंटर के विकास में राह में आने वाली चुनौतियों, जैसे कि बिजली की कमी, निजता को लेकर चिंताएं, प्रशिक्षित कर्मचारियों का ना मिलना और महंगी ज़मीन-ऑफिस, से निपटने की रणनीति बनाई जा रही है. लेकिन इसकी वजह से पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव पर भी ध्यान देना ज़रूरी है. डाटा सेंटर का एक मजबूत नेटवर्क ना सिर्फ भारत के डिजिटल लक्ष्यों को हासिल करने में मददगार होगा बल्कि दूसरे क्षेत्रों में भी डिजिटलाइजेशन के फायदे मिलेंगे. 

DPDA कानून को लागू करना और डाटा सेंटर में निवेश बढ़ाना इस दिशा में अहम कदम हैं. लेकिन यहां ये भी याद रखना ज़रूरी है कि प्रोद्यौगिकी का क्षेत्र एक ऐसा क्षेत्र हैं जहां नई तकनीक़ी, नए डाटा आते रहते हैं, इसलिए तकनीक़ी विकास अनंतकाल तक चलने वाली प्रक्रिया है.

DPDA कानून को लागू करना और डाटा सेंटर में निवेश बढ़ाना इस दिशा में अहम कदम हैं. लेकिन यहां ये भी याद रखना ज़रूरी है कि प्रोद्यौगिकी का क्षेत्र एक ऐसा क्षेत्र हैं जहां नई तकनीक़ी, नए डाटा आते रहते हैं, इसलिए तकनीक़ी विकास अनंतकाल तक चलने वाली प्रक्रिया है. इसका मतलब ये हुआ कि किसी भी तकनीक़ी के विकास के बारे में ये नहीं कहा जा सकता है कि ये अंतिम विकास है. इसलिए तकनीक़ी विकास की प्रक्रिया में शामिल सभी हिस्सेदारों, जैसे कि सरकार, उद्यमी और कारोबारियों को चाहिए कि वो तकनीक़ी क्षेत्र में लगातार होने वाले बदलावों को समझें और उसी हिसाब से अपनी रणनीति और नियमन की नीतियां बनाएं.

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