Author : Basu Chandola

Expert Speak Raisina Debates
Published on Feb 12, 2025 Updated 0 Hours ago

इस साल के बजट में प्रौद्योगिकी को लेकर दोतरफा दृष्टिकोण अपनाया गया है. एक तरफ टेक्नोलॉजी सेक्टर में सुपर पॉवर बनने की भारत की वैश्विक महात्वाकांक्षाओं का ध्यान रखा गया है, दूसरी तरफ ये कोशिश भी की गई है कि भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल विभाजन को दूर किया जाए.

बजट 2025: तकनीक़ी क्षेत्र में सुपर पॉवर बनने के भारतीय सपने को मिला पंख

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी 2025 को केंद्रीय बजट 2025 पेश किया. अगर सिर्फ़ तकनीक़ी क्षेत्र के लिए की गई घोषणाओं के नज़रिए से देखें तो इस बजट के तीन प्रमुख तत्व विशेष रूप से ध्यान खींचते हैं: पहला; डिजिटल विभाजन को दूर करने की पहल, दूसरा; उभरती प्रौद्योगिकी, नवाचार और गहन तकनीक़ पर ज़ोर, और तीसरा; अलग-अलग क्षेत्रों में तकनीक़ी  समाधानों का एकीकरण करना.

डिजिटल विभाजन को पाटना 

पिछले कुछ वर्षों में भारत ने डिजिटलीकरण में काफ़ी प्रगति देखी है. इंटरनेट का इस्तेमाल बढ़ा है. इंटरनेट में स्थानीय कंटेंट उपलब्ध है. डिजिटल टेक्नोलॉजी तक पहुंच और डिजिटल सेवाओं का लाभ उठाने वालों की संख्या बढ़ी है. इसके बावजूद गांवों में अभी भी डिजिटल विभाजन एक गंभीर समस्या बनी हुई है. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2019-21 के आंकड़ों से इंटरनेट के इस्तेमाल में शहरी-ग्रामीण क्षेत्र का अंतर उजागर हुआ है. शहरी क्षेत्रों में 72.5 प्रतिशत पुरुषों और 51.8 प्रतिशत महिलाओं ने इंटरनेट का उपयोग किया था, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में केवल 48.7 प्रतिशत पुरुषों और 24.6 प्रतिशत महिलाओं के पास इंटरनेट की पहुंच थी. इसी डिजिटल विभाजन को पाटने के लिए, देश की सभी ग्राम पंचायतों को हाई-स्पीड इंटरनेट मुहैया कराने के लिए 2011 में भारतनेट परियोजना शुरू की गई थी.

अपने पहले चरण में भारतनेट परियोजना ने 1 लाख ग्राम पंचायतों को जोड़ा और वहां बुनियादी ढांचा स्थापित किया. दूसरे चरण में ऑप्टिकल फाइबर, रेडियो और सेटेलाइट टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके 1.5 लाख अतिरिक्त ग्राम पंचायतों तक इंटरनेट कवरेज़ सुविधा का विस्तार किया गया. तीसरे चरण का लक्ष्य 5G तकनीक़ी  को एकीकृत करना, बैंडविड्थ क्षमता को बढ़ाना और आखिरी बिंदु तक मज़बूत कनेक्टिविटी सुनिश्चित करना है. बजट 2025 में ग्रामीण क्षेत्रों के सभी सरकारी माध्यमिक स्कूलों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी प्रदान करने की बात कही गई है. 

ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल विभाजन की एक बड़ी वजह ये है कि स्थानीय भाषाओं में सामग्री यानी कंटेंट उपलब्ध नहीं है. स्थानीय भाषा में कंटेंट की कमी गांव के लोगों को इंटरनेट की इस्तेमाल से रोकती है. स्थानीय भाषा में सामग्री मुहैया ना होना किसी व्यक्ति की सूचना तक पहुंच को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती है. 

ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल विभाजन की एक बड़ी वजह ये है कि स्थानीय भाषाओं में सामग्री यानी कंटेंट उपलब्ध नहीं है. स्थानीय भाषा में कंटेंट की कमी गांव के लोगों को इंटरनेट की इस्तेमाल से रोकती है. स्थानीय भाषा में सामग्री मुहैया ना होना किसी व्यक्ति की सूचना तक पहुंच को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती है. इसी को देखते हुए बजट 2025 में भारतीय भाषा पुस्तक योजना की शुरुआत की गई है. इसका उद्देश्य प्राथमिक, माध्यमिक स्कूल और उच्च शिक्षा के लिए स्थानीय भाषाओं में डिजिटल किताबें उपलब्ध कराना है. ये योजना अपनी भाषा में सामग्री प्राप्त करने की लागत कम करने में भी मदद करेगी. इसके अलावा, ज्ञान भारतम मिशन में एक राष्ट्रीय डिजिटल भंडार स्थापित करने का प्रावधान भी किया गया है. इसके ज़रिए हमारी पांडुलिपि विरासत के सर्वेक्षण, दस्तावेज़ीकरण और संरक्षण के लिए भारतीय ज्ञान प्रणालियों का एक राष्ट्रीय डिजिटल भंडार स्थापित किया जाएगा.

जो लोग डिजिटल विभाजन के कारण तकनीक़ी तक पहुंचने में अक्षम हैं, वो इस संचार युग में अक्सर पीछे रह जाते हैं. डिजिटलीकरण से मिलने वाले कई लाभों से वंचित रह जाते हैं. वो उन सुविधाओं, ज़रूरी संसाधनों और सेवाओं तक नहीं पहुंच पाते, जो ऑनलाइन मुहैया कराई जाती हैं. इसीलिए बजट 2025 पोस्ट ऑफिसों के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल सेवाओं की डिलीवरी की सुविधा प्रदान करता है, जिससे वो सरकारी सुविधाओं का फायदा ले सकें. पोस्ट ऑफिस डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर और क्रेडिट सेवाओं के ज़रिए डिजिटल वित्तीय समावेशन की सुविधा भी मुहैया कराएंगे. ये डिजिटल सुविधा वंचितों को डिजिटल प्रशासन और अन्य सेवाओं तक पहुंचने का रास्ता देती है, फिर भले ही उनके पास इसका इस्तेमाल करने के लिए कौशल या तकनीक़ ना हो.

उभरती प्रौद्योगिकी, नवाचार और गहन तकनीक़ पर ज़ोर

पिछले कुछ वर्षों में, भारत ने अनुसंधान और नवाचार के अहमियत को पहचाना है. इस बार के बजट में भी नवाचार पर व्यापक फोकस के साथ इसे महत्व देना जारी रखा गया है. युवा मन में जिज्ञासा और वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देने के लिए अगले पांच साल में सरकारी स्कूलों में पचास हजार अटल टिंकरिंग प्रयोगशालाएं स्थापित की जाएंगी. इन प्रयोगशालाओं का मक़सद पूरे भारत में छात्रों के लिए एक परिवर्तनकारी, समावेशी और टिकाऊ नवाचार इकोसिस्टम का निर्माण करना है. सरकार का मानना है कि इससे युवाओं में नवाचार और उद्यमशीलता को बढ़ावा मिलेगा. इसके अलावा, प्रधानमंत्री रिसर्च फेलोशिप के तहत, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान और भारतीय विज्ञान संस्थान में तकनीक़ी  अनुसंधान के लिए 10,000 फेलोशिप प्रदान की जाएंगी.


भारत AI मिशन को करीब 2,000 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है. ये 2024-25 के बजट की तुलना में 173 करोड़ रुपये ज़्यादा है. बजट में शिक्षा के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में सेंटर ऑफ एक्सिलेंस स्थापित करने का भी प्रावधान है.

AI मिशन के तहत भारत एक व्यापक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) इकोसिस्टम विकसित करने की दिशा में काम कर रहा है. यही वजह है कि इस साल भी बजट में AI पर काफ़ी ध्यान दिया गया है. भारत AI मिशन को करीब 2,000 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है. ये 2024-25 के बजट की तुलना में 173 करोड़ रुपये ज़्यादा है. बजट में शिक्षा के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में सेंटर ऑफ एक्सिलेंस स्थापित करने का भी प्रावधान है. इसी तरह, भारत में सेमीकंडक्टर्स और डिस्प्ले मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम के विकास के लिए संशोधित कार्यक्रम का बजट आवंटन 2,500 करोड़ रुपये से बढ़कर 3,900 करोड़ रुपये कर दिया गया है. वित्त वर्ष 2025-26 के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम (पीएलआई) के लिए आवंटन 5,777 करोड़ रुपये से बढ़कर 9,000 करोड़ रुपये किया गया है.

उभरती प्रौद्योगिकी और गहन तकनीक़ पर भारत ने पिछले कुछ साल से ही ध्यान देना शुरू किया है. इसी का असर है कि कई भारतीय डीप टेक स्टार्टअप भारत ही नहीं विश्व स्तर पर महत्वपूर्ण सफलता हासिल कर रहे हैं. अगली पीढ़ी के डीप टेक स्टार्ट-अप का समर्थन करने के लिए, बजट 2025 में एक डीप टेक फंड ऑफ फंड्स का प्रस्ताव किया गया है. इसके अलावा, डीप-टेक सॉल्यूशन के विकास को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण खनिज भी बहुत ज़रूरी होते हैं. इसीलिए, बजट 2025 में कोबाल्ट पाउडर और अपशिष्ट, लिथियम-आयन बैटरी के स्क्रैप, सीसा, ज़िंक और 12 अन्य महत्वपूर्ण खनिजों पर छूट प्रदान की गई है. बजट 2025 में "मेक इन इंडिया" को आगे बढ़ाते हुए मैन्युफैक्चरिंग मिशन की स्थापना का भी प्रावधान है. ये क्लीन टेक मैन्युफैक्चरिंग के लिए सुविधा और समर्थन मुहैया कराएगा. इसके अलावा, बजट 2025 में निजी क्षेत्र द्वारा संचालित अनुसंधान, विकास और नवाचार पहल को लागू करने के लिए 20,000 करोड़ रूपये का आवंटन किया गया है.

टेक्नोलॉजी का अलग-अलग सेक्टर में इस्तेमाल

मौजूदा दौर में टेक्नोलॉजी का असर बहुत गंभीर होता है. यही वजह है कि सरकार तकनीक़ी  नवाचारों और वैश्विक स्तर पर इस क्षेत्र में हो रहे बदलावों को ध्यान में रखते हुए नियामक सुधार लाने पर विचार कर रही है. इनका उद्देश्य प्रगति को बनाए रखना और इसके दुष्परिणाम रोकना है. इसके अलावा, कई ऐसे क्षेत्र हैं, जहां उभरते प्रौद्योगिकी समाधान का इस्तेमाल किया जा सकता है. इसके कुछ प्रस्तावित उपयोग निम्नलिखित हैं: 

  • 'ग्रामीण समृद्धि और लचीलापन' कार्यक्रम का उद्देश्य प्रौद्योगिकी समाधानों का इस्तेमाल करके कृषि में अल्परोजगार की समस्या को सुधारना है. इसी तरह, 'कपास उत्पादकता मिशन' का उद्देश्य कपास की खेती में सुधार के लिए सर्वोत्तम विज्ञान और प्रौद्योगिकी सहायता प्रदान करना है, जिससे इसकी उत्पादकता और स्थिरता बढ़े. 
  • ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म श्रमिकों के कल्याण के लिए एक सामाजिक सुरक्षा योजना विकसित की जा रही है. सरकार ई-श्रम पोर्टल पर गिग श्रमिकों के पहचान पत्र और पंजीकरण की व्यवस्था करेगी, और बाद में पीएम जन आरोग्य योजना के तहत स्वास्थ्य देखभाल की व्यवस्था करेगी. गिग वर्कर उन्हें कहते हैं, जो फ्रीलांस काम करते हैं, जैसे कि फूड डिलीवर या ग्रोसरी डिलीवरी का काम करने वाले लोग..ओला या उबर जैसी टैक्सी सर्विस के ड्राइवर भी गिग श्रमिकों के तहत ही आते हैं.
  • अपडेट की गई पीएम स्ट्रीट वेंडर्स आत्मनिर्भर निधि योजना का उद्देश्य स्ट्रीट वेंडरों को मिलने वाली डिजिटल लोन सुविधा में सुधार करना है. यूपीआई-लिंक्ड क्रेडिट कार्ड के ज़रिए उन्हें ऋण दिया जाएगा.
  • भारतटेडनेट नाम से एक डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचा विकसित किया जा रहा है. इसे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए एक एकीकृत मंच के रूप में विकसित करने की योजना है. ये प्लेटफॉर्म दस्तावेज़ीकरण और वित्तपोषण समाधान की सुविधा प्रदान करता है.
  • पीएम गति शक्ति पोर्टल स्थापित करने की भी योजना है. ये सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) को बढ़ावा देगा. इसके ज़रिए प्रासंगिक डेटा और मैप तक पहुंच प्रदान करके परियोजना योजना में निजी क्षेत्र की मदद की जाएगी.
  • राष्ट्रीय भू-स्थानिक मिशन की स्थापना की बात भी बजट में कही गई है. इसका इस्तेमाल मूलभूत भू-स्थानिक बुनियादी ढांचे और डेटा को विकसित करने में किया जाएगा. इस मिशन के ज़रिए भूमि अभिलेखों (लैंड रिकॉर्ड्स) के आधुनिकीकरण, शहरी नियोजन और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के डिजाइन को भी आगे बढ़ाया जाएगा.  


विभिन्न क्षेत्रों में तकनीक़-आधारित समाधानों को अपनाने का ज़िक्र भी बजट में है. ये कोई नया नया चलन नहीं है, बल्कि पिछले बजट की निरंतरता है. इस बात पर ज़ोर दिया जाना ये दिखाता है कि व्यापाक सार्वजनिक हित में तकनीक़ी  का फायदा उठाना सरकार की प्राथमिकता में है. 

बजट 2025 टेक्नोलॉजी को लेकर एक दिलचस्प दोतरफा दृष्टिकोण अपनाता है. एक तरफ ये ग्रामीण डिजिटल विभाजन को पाटने को प्राथमिकता देता है, जो कि एक बहुत ही अच्छा कदम है. 

अब आगे क्या?

बजट 2025 टेक्नोलॉजी को लेकर एक दिलचस्प दोतरफा दृष्टिकोण अपनाता है. एक तरफ ये ग्रामीण डिजिटल विभाजन को पाटने को प्राथमिकता देता है, जो कि एक बहुत ही अच्छा कदम है. चूंकि भारत की करीब 65 प्रतिशत आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है, इसलिए तकनीक़ी विकास का फायदा शहरों से आगे गांवों में भी बढ़ना चाहिए. डिजिटल समावेशन सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वालों को भी डिजिटलीकरण के लाभ मिलें. दूसरी तरफ इस बजट में भारत की वो महत्वाकांक्षा भी दिखती है, जहां भारत खुद को टेक्नोलॉजी सेक्टर के सुपर पॉवर के रूप में देखना चाहता है. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और सेमीकंडक्टर जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों के लिए बजट आवंटन में काफ़ी बढ़ोत्तरी की गई है. इसके अलावा, क्लीन टेक्नोलॉजी और गहन तकनीक़ पर भी ज़्यादा ध्यान दिया जा रहा है. भारत खुद को भविष्य में निरंतर विकास और नवाचार के लिए तैयार कर रहा है. उसका लक्ष्य अपनी अर्थव्यवस्था को तकनीक़-आधारित दिशा में मज़बूत बनाना है.


(बासु चंदोला ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन में एसोसिएट फेलो हैं.)

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