Author : Talal Rafi

Expert Speak Raisina Debates
Published on Jan 23, 2024 Updated 0 Hours ago

श्रीलंका के 2024 के बजट में महत्वाकांक्षी प्रस्ताव हैं जो देश को आगे बढ़ा सकते हैं, हालांकि, अर्थव्यवस्था को वापस पटरी पर ला पाने के लिए राह अभी लंबी है.

बजट 2024: आर्थिक पुनर्निर्माण के लिए श्रीलंका का रास्ता?

हाल ही में पारित 2024 के बजट में कई वादे हैं, लेकिन जब हम श्रीलंका को उसके अतीत के आधार पर आंकते हैं, तो पता चलता है कि यह  प्रमुख बजट प्रस्तावों पर किए जाने वाले खर्च को पूरा करने के लिए आवश्यक राजस्व जुटाने में कामयाब नहीं हो पाता है. बजट ने श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे के लिए एक बड़ी दुविधा खड़ी कर दी. उन्हें अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ़) के कार्यक्रम की ज़रूरतों को संतुलित करना था, लेकिन साथ ही एक लोकलुभावन बजट तैयार करने के अपने गठबंधन के दबाव का भी बचाव करना था क्योंकि 2024 एक चुनावी वर्ष है. वर्तमान में श्रीलंका में आईएमएफ़ का 17वां कार्यक्रम चल रहा है और यह 1965 से ऐसे विभिन्न कार्यक्रमों को अपनाता रहा  है, जिनमें से उसने केवल नौ कार्यक्रम पूरे किए हैं.

श्रीलंका के बजट 2024 में ऐसे कई दिलचस्प प्रस्ताव हैं जो देश को आगे ले जा सकते हैं. सार्वजनिक आवास योजनाओं में रहने वाले किराएदारों को भूमि का स्वामित्व दिया जाना है और एस्टेट श्रमिकों को ज़मीन दी जानी है.

बजट की सकारात्मक बातें 

श्रीलंका के बजट 2024 में ऐसे कई दिलचस्प प्रस्ताव हैं जो देश को आगे ले जा सकते हैं. सार्वजनिक आवास योजनाओं में रहने वाले किराएदारों को भूमि का स्वामित्व दिया जाना है और एस्टेट श्रमिकों को ज़मीन दी जानी है. यह एक महत्वपूर्ण कदम है क्योंकि श्रीलंका में 82 प्रतिशत भूमि सरकार के स्वामित्व में है, इसलिए यह भूमि स्वामित्व प्राप्त करने वाले लोगों को कोई भी पहल करने के लिए आवश्यक वित्तपोषण के लिए ज़मानत के रूप में भूमि का उपयोग करने में सक्षम बनाएगा.

छोटे और मध्यम उद्यम क्षेत्र जो श्रीलंका के सकल घरेलू उत्पाद में 52 प्रतिशत का योगदान देते हैं, को रियायती ऋण दिए गए हैं. इससे इनमें से अधिकांश उद्यमों को जीवित रहने में मदद मिल सकती है क्योंकि कई तो ढह जाने के कगार पर पहुंच चुके हैं. बैंकिंग क्षेत्र के पूंजी सुधार के लिए 450 बिलियन रुपये आवंटित किए गए हैं और दो सबसे बड़े सार्वजनिक बैंकों के 20 प्रतिशत शेयरों का निजीकरण किया जाना है. चूंकि सरकारी बैंकों ने सरकार को ऋण देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिसकी वजह से राजकोषीय घाटा बड़ा हो गया है, इसलिए राज्य बैंकों का निजीकरण जवाबदेही और पारदर्शिता लाएगा. केंद्रीय बैंक अधिनियम पारित किया गया है, और इसकी प्रमुख विशेषताओं में मौद्रिक बोर्ड से वित्त विभाग के सचिव को हटाना, केंद्रीय बैंक को प्राथमिक बाज़ार से सीधे खरीद करने से रोकना और मूल्य स्थिरता को इसके मुख्य उद्देश्य के रूप में रखना शामिल है. इसके परिणामस्वरूप अधिक राजकोषीय अनुशासन हासिल होगा क्योंकि सरकार मौद्रिक वित्त पर भरोसा नहीं कर सकती है. श्रीलंका को अंतरराष्ट्रीय पूंजी बाजारों से बाहर किए जाने का अर्थ यह था कि उसके पास एकमात्र विकल्प राज्य बैंकों से उधार लेना था, यही कारण है कि बैंकों को पुनर्पूंजीकरण की आवश्यकता है. आंशिक निजीकरण के परिणामस्वरूप राजकोषीय अनुशासन अधिक होगा. 

सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के संबंध में भी बजट प्रस्ताव बनाए हैं. श्रीलंका दुनिया की सबसे संरक्षित अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, जिसमें गैर-व्यापार योग्य क्षेत्र का हिस्सा बहुत अधिक है.

सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के संबंध में भी बजट प्रस्ताव बनाए हैं. श्रीलंका दुनिया की सबसे संरक्षित अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, जिसमें गैर-व्यापार योग्य क्षेत्र का हिस्सा बहुत अधिक है. गैर-टैरिफ़ आयात करों को चरणबद्ध तरीके से समाप्त किया जाना है. इससे राजस्व में कमी आ सकती है लेकिन इससे विनिर्माण में मदद मिलेगी क्योंकि आयात की जाने वाली 80 प्रतिशत वस्तुएं मध्यवर्ती और पूंजीगत उत्पाद हैं, जिनकी उत्पादन के लिए ज़रूरत होती है. सीमा प्रबंधन एजेंसियों के लिए एकल खिड़की प्रणाली स्थापित की जानी है. सीमा शुल्क कानूनों का आधुनिकीकरण और नए मुक्त व्यापार समझौते सकारात्मक विकास हैं. बजट में पूंजीगत व्यय पर भी एक बहुत ध्यान दिया गया है, सड़कों और शहरी विकास के लिए  375 बिलियन रुपये का प्रावधान किया गया है, जिससे श्रीलंका में बुनियादी ढांचे की कमी को दूर करने का प्रयास किया जाएगा. हालांकि इससे राजकोषीय संतुलन पर दबाव पड़ेगा लेकिन सरकार का मानना है कि बुनियादी ढांचा सही रहेगा तो इससे निवेश आकर्षित करने में मदद मिलेगी. 

सरकार ने नए देसी और विदेशी विश्वविद्यालयों की स्थापना और मानव संसाधन को बढ़ावा देने के लिए ब्याज मुक्त छात्र ऋण के विकल्प पर भी विचार करने का प्रस्ताव दिया है. इसका मतलब है कि कई छात्र सरकारी विश्वविद्यालय प्रणाली के बाहर भी शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं. 

बजट की चुनौतियां 

इस बजट के साथ इसकी चुनौतियों भी हैं. जिस समय और स्थिति में इसे सरकार के लिए तैयार किया गया है, वह बहुत मुश्किल वाली है. श्रीलंका में रहने वाले गरीबों की संख्या 2019 में 3 मिलियन से बढ़कर 7 मिलियन हो गई है. अर्थव्यवस्था में 2022 में 7.8 प्रतिशत और 2023 की पहली छमाही में 7.9 प्रतिशत की गिरावट आई थी. हालांकि मुद्रास्फीति नियंत्रण में आ गई है, लेकिन पिछले साल की 70 प्रतिशत की उच्च मुद्रास्फीति ने पहले ही श्रीलंकाई उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति को कम कर दिया है.

ऐसे आर्थिक माहौल में, आईएमएफ़ कार्यक्रम मोटे तौर पर राजस्व-आधारित राजकोषीय समेकन पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, क्योंकि दुनिया में सबसे कम सरकारी राजस्व-जीडीपी अनुपात श्रीलंका का है. चूंकि कर राजस्व का लगभग 60 प्रतिशत वस्तु एवं सेवा करों से आता है, इसलिए आवश्यक राजस्व जुटाना चुनौतीपूर्ण होगा क्योंकि अर्थव्यवस्था संकुचन कर रही है. सरकार इस बजट के साथ साल-दर-साल कर में 47 प्रतिशत की वृद्धि की उम्मीद कर रही है, लेकिन पिछले साल की तुलना में एकमात्र बड़ा कर परिवर्तन मूल्य वर्धित कर की दर में 15 प्रतिशत से 18 प्रतिशत की वृद्धि है. यह एक चुनौती होगी क्योंकि श्रीलंका ने 2000 के बाद से अपने राजस्व लक्ष्यों को हासिल नहीं किया है.

पिछले 23 वर्षों से, श्रीलंका अपने बजट में निर्धारित राजस्व लक्ष्यों को पूरा करने में विफल रहा है. श्रीलंकाई सरकार का लक्ष्य 2024 के बजट के साथ राजस्व में 45 प्रतिशत की वृद्धि करना है, लेकिन 2023 के पहले 9 महीनों में ही, राजस्व में 29 प्रतिशत की कमी आई है. राजस्व लक्ष्यों को पूरा करने में इस नाकामी को आईएमएफ़ की ओर से श्रीलंका को दूसरी किश्त जारी करने में देरी का एक प्रमुख कारण माना जा रहा है. 

सरकार को वैट आधार बढ़ाना होगा या राजस्व बढ़ाने के लिए वैट अवसीमा को कम करना होगा. 22 मिलियन लोगों के इस देश में 3,00,000 से कम ही व्यक्तिगत आयकर जमा करने वालों के रूप में दर्ज हैं और उनमें से 60,000 से कम लोगों ने 2022 तक आयकर का भुगतान किया है.

सरकार को वैट आधार बढ़ाना होगा या राजस्व बढ़ाने के लिए वैट अवसीमा को कम करना होगा. 22 मिलियन लोगों के इस देश में 3,00,000 से कम ही व्यक्तिगत आयकर जमा करने वालों के रूप में दर्ज हैं और उनमें से 60,000 से कम लोगों ने 2022 तक आयकर का भुगतान किया है. बजट में व्यक्तिगत आय कर के आधार को बढ़ाने की योजनाओं का भी ज़िक़्र किया गया है. बैंक में चालू खाता खोलने या वाहन के वार्षिक लाइसेंस को नवीनीकृत करने के लिए एक व्यक्तिगत आय कर संख्या की आवश्यकता हो गई है. सरकार को उम्मीद है कि ऐसे उपायों से कर आधार बढ़ेगा. 

लेकिन सबसे बड़ी चुनौती कार्यान्वयन और जवाबदेही है. आईएमएफ़ द्वारा अधिक राजकोषीय पारदर्शिता को भी आवश्यक बनाया गया था. वेराइट रिसर्च के अनुसार, ऐसे प्रस्तावों की प्रगति के बारे में कुछ भी पता नहीं है जिनमें 97 प्रतिशत धन का उपयोग किया गया है. कार्यान्वयन की कमी भी चिंता किए जाने के लिए एक बड़ा विषय है- कुछ प्रस्ताव अतीत में कई बजटों में शामिल रहे हैं लेकिन कभी लागू नहीं किए गए. इसलिए यह सवाल उठाता है कि इन प्रस्तावों को लागू किए जाने की संभावना कितनी है.

आगे का रास्ता

श्रीलंका को आर्थिक सुधार के लिए एक लंबा रास्ता तय करना है. वर्तमान में, सार्वजनिक ऋण सकल घरेलू उत्पाद का 128 प्रतिशत है और आईएमएफ़ के लक्ष्य के अनुसार, इसे 2032 तक 95 प्रतिशत तक लाया जाना है. राजस्व संग्रह को लेकर चुनौती बनी हुई है और इस मोर्चे पर श्रीलंका को एक दुष्कर काम करके दिखाना है. राजकोषीय पारदर्शिता, जवाबदेही और कार्यान्वयन इससे निपटने की कुंजी हैं. अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में सुधार, निजीकरण और पूंजीगत व्यय में वृद्धि पर ध्यान केंद्रित करना श्रीलंका की दीर्घकालिक आर्थिक वृद्धि के लिए सकारात्मक समाचार है. बहुत कुछ आगामी चुनावों और उसके आधार पर बनने वाले राजनीतिक समीकरणों पर निर्भर करता है, जो श्रीलंका के आगे का रास्ता तय करेंगे क्योंकि राष्ट्र एक चौराहे पर खड़ा है.


(तलाल रफ़ी एक अर्थशास्त्री और विश्व आर्थिक मंच के विशेषज्ञ सदस्य हैं.)

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