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ये बात स्पष्ट दिखती है कि भारत ने वृद्धि और विकास के एक कारक के रूप में प्रौद्योगिकी का तेज़ी और सफलता से इस्तेमाल किया है. 2024-25 के बजट में भी ये रूझान स्पष्ट दिखता है.
23 जुलाई 2024 को वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्रीय बजट पेश किया. इस बजट की एक प्रमुख विशेषता इस बात को स्वीकार करना भी था कि देश के विकास में टेक्नोलॉजी और डेटा पर निर्भरता बढ़ रही है. राष्ट्र की प्रगति के लिए ये बहुत महत्वपूर्ण हैं. वित्त मंत्री ने विस्तार से ये बात बताई कि पिछले दशक में उत्पादकता बढ़ाने और असमानता को कम करने के लिए भारत ने किस तरह प्रौद्योगिकी का लाभ उठाया.
वित्तमंत्री ने डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार के लिए सार्वजनिक निवेश और प्राइवेट इनोवेशन की अहमियत पर बात की. उन्होंने कहा कि इससे आम लोगों के जीवनस्तर में भी सुधार हुआ.
वित्तमंत्री ने डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार के लिए सार्वजनिक निवेश और प्राइवेट इनोवेशन की अहमियत पर बात की. उन्होंने कहा कि इससे आम लोगों के जीवनस्तर में भी सुधार हुआ. निर्मला सीतारमण ने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि उत्पादकता बढ़ाने और असमानता को ख़त्म करने में टेक्नोलॉजी एक महत्वपूर्ण माध्यम है. उन्होंने कहा कि देश नई तकनीकी को अपनाने और डिजिटलीकरण पर ज़ोर देता रहेगा.
2024 के बजट में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) को 21,936 करोड़ रूपये आवंटित किए गए हैं, जबकि पिछले साल उसे 16,549 रूपये मिले थे. MeitY मुख्य तौर पर प्रौद्योगिकी, डेटा, साइबर सुरक्षा और अन्य डिजिटल समाधानों पर काम करता है. इसके अलावा केंद्र सरकार के डिजिटल इंडिया कार्यक्रम, इंडियाAI मिशन, राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र और उत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन योजना को भी वही लागू करता है.
इस बार के बजट में निम्नलिखित प्रमुख क्षेत्रों में टेक्नोलॉजी और डिजिटल समाधानों को शामिल करने के प्रावधान की बात कही गई है.
बजट में ये भी कहा गया है कि अगले तीन वर्षों में किसानों और उनकी ज़मीन को डीपीआई कवरेज़ में लाकर कृषि क्षेत्र में भी इसका कार्यान्वयन किया जाएगा.
पिछले एक दशक में भारत ने बड़े पैमाने पर डिजिटल परिवर्तन देखा है. दुनिया की सबसे बड़ी बायोमेट्रिक आईडी प्रणाली आधार और इंडियास्टैक और दुनिया के सबसे बड़े ओपन एपीआई के साथ भारत ने सफलतापूर्वक अरबों व्यक्तियों और व्यवसायों को जोड़ा है. इससे उनके वित्तीय और सामाजिक समावेशन में मदद मिली है. इस वृद्धि के लिए हर साल MeitY के बजट में भी बढ़ोत्तरी की गई है, जो नीचे दिए गए चित्र से स्पष्ट भी हो रहा है :
चित्र 1: MeitY का बजट (करोड़ रूपये में). स्रोत: लेखक द्वारा 2017-2024 तक के बजट का अध्ध्यन करने के बाद खुद जुटाए गए आंकड़े.
हालांकि ये डेटा देश में तकनीकी-आधारित सभी समाधानों के कार्यान्वयन को कवर नहीं करता है, लेकिन हर साल जिस तरह MeitY का बजट बढ़ाया जा रहा है, इस रुझान से ये बात स्पष्ट होती है कि सरकार की तरफ से डिजिटलीकरण बढ़ाने और सूचना-टेक्नोलॉजी और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योगों के विकास की दिशा में लगातार कोशिशें की जा रही हैं.
डिजिटल परिवर्तन और नई टेक्नोलॉजी को अपनाने का समाज और अर्थव्यवस्था पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है. समावेशी टेक्नोलॉजी समाधानों का विकास कई क्षेत्रों में सतत वृद्धि को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. डीपीआई के विकास से कृषि, स्वास्थ्य और शहरी शासन जैसे क्षेत्रों में मदद मिल रही है. इतना ही नहीं टेक्नोलॉजी के माध्यम से भारत सतत विकास के लिए 2030 एजेंडा और अपने सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) के कार्यान्वयन की दिशा में प्रगति को तेज़ कर सकता है.
डिजिटल डिवाइड को कम करना भी सरकार की जिम्मेदारी है, जिससे वो लोग इसके फायदों से बाहर नहीं रहे, जिन्हें टेक्नोलॉजी का ज़्यादा ज्ञान नहीं है.
लेकिन यहां पर एक चीज का ध्यान रखा जाना ज़रूरी है. सरकार को ये सुनिश्चित करना चाहिए कि इस तकनीकी क्रांति के लाभ कुछ लोगों तक सीमित ना रहें, बल्कि समान रूप से वितरित किए जाएं. डिजिटल डिवाइड को कम करना भी सरकार की जिम्मेदारी है, जिससे वो लोग इसके फायदों से बाहर नहीं रहे, जिन्हें टेक्नोलॉजी का ज़्यादा ज्ञान नहीं है. इसके अलावा ये सुनिश्चित करना भी ज़रूरी है कि तकनीकी-आधारित समाधान सुरक्षित रहें और ये जिम्मेदार डेटा शासन संरचनाओं द्वारा कवर किए गए हों. डेटा का दुरूपयोग ना हो. अगर इन सब चीजों का ध्यान रखा जाए तो ये बात स्पष्ट दिखती है कि भारत ने वृद्धि और विकास के एक कारक के रूप में टेक्नोलॉजी का तेज़ी और सफलता से इस्तेमाल किया है. 2024-25 के बजट में भी ये रूझान साफ दिखता है.
बासु चंदोला ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन में एसोसिएट फैलो हैं.
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Basu Chandola is an Associate Fellow. His areas of research include competition law, interface of intellectual property rights and competition law, and tech policy. Basu has ...
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