Author : Soumya Bhowmick

Published on Mar 04, 2024 Updated 0 Hours ago

पिछले दिनों ब्रिक्स का विस्तार इसे आर्थिक, व्यापार और निवेश के मामलों में ग्लोबल साउथ के लिए एक संभावित आवाज़ बनाता है. 

ब्रिक्स प्लस: वैश्विक चुनौतियों से निपटना और अपने प्रभाव का विस्तार करना

ब्रिक्स गठबंधन एक गतिशील ताकत के तौर पर उभरा है जिसका विज़न केवल सहयोग से आगे तक है. इसके मूल में एक ऐसी वैश्विक आर्थिक प्रणाली स्थापित करने की महत्वाकांक्षा है जहां अलग-अलग देश अपनी ख़ुद की करेंसी का इस्तेमाल करके स्वतंत्र रूप से व्यापार कर सकें और इस तरह विदेशी संगठनों और करेंसी पर निर्भरता कम होगी. ये दृष्टिकोणब्रिक्स प्लसकी धारणा में भी समाहित है. “ब्रिक्स प्लसअतिरिक्त सदस्य देशों को शामिल करने के लिए ब्रिक्स समूह के विस्तार को दर्शाता है. जनवरी 2024 से ईरान, मिस्र, इथियोपिया, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात को शामिल करने का फैसला ब्रिक्स के आगे बढ़ने में एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक अवसर है

ब्रिक्स को समझने में पश्चिमी देशों के लिए चुनौती इसकी अलग-अलग तरह की सदस्यता और पश्चिमी देशों के वर्चस्व वाली वैश्विक आर्थिक व्यवस्था का एक विकल्प प्रदान करने में इस संगठन की भूमिका की वजह से है. ब्रिक्स के विस्तार ने अभूतपूर्व अंतर्राष्ट्रीय ध्यान आकर्षित किया है और एक बार जिसे नज़रअंदाज़ कर दिया गया था वो वैश्विक चर्चा के एक महत्वपूर्ण विषय में बदल गया है. 

वैसे को अर्जेंटीना को भी 2023 के अंत तक ब्रिक्स समूह में शामिल होना था लेकिन नए राष्ट्रपति जेवियर माइली के आने के बाद नीति परिवर्तन की वजह से उसने शामिल नहीं होने का फैसला लिया. इस तरह अर्जेंटीना ने नए नेतृत्व के तहत एक महत्वपूर्ण भू-राजनीतिक कदम उठाया. ब्रिक्स के विस्तार में अब मिडिल ईस्ट के कुछ तेल उत्पादक और कुछ परंपरागत अमेरिकी सहयोगी शामिल हुए हैं. हालांकि मौजूद समय में ब्रिक्स में लैटिन अमेरिका के प्रतिनिधित्व की कमी है, ख़ास तौर पर अर्जेंटीना के बिना. अब चुनौती इस बात की है कि ब्राज़ील के नेतृत्व से समझौता किए बिना लैटिन अमेरिकी देशों को ब्रिक्स की तरफ आकर्षित किया जाए.  

ब्रिक्स को समझने में पश्चिमी देशों के लिए चुनौती इसकी अलग-अलग तरह की सदस्यता और पश्चिमी देशों के वर्चस्व वाली वैश्विक आर्थिक व्यवस्था का एक विकल्प प्रदान करने में इस संगठन की भूमिका की वजह से है. ब्रिक्स के विस्तार ने अभूतपूर्व अंतर्राष्ट्रीय ध्यान आकर्षित किया है और एक बार जिसे नज़रअंदाज़ कर दिया गया था वो वैश्विक चर्चा के एक महत्वपूर्ण विषय में बदल गया है. ये विस्तार ब्रिक्स रूप-रेखा के भीतर अधिक आर्थिक सहयोग, भू-राजनीतिक असर में बढ़ोतरी, अलग-अलग नज़रिया और नई गतिशीलता का वादा करता है. हालांकि विस्तार अलग-अलग हितों को एक साथ रखने और साथ-ही-साथ व्यापार एवं सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में सहयोग के लिए अवसरों की चुनौतियां भी पेश करता है.  

भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस विस्तार के लिए समर्थन जताया. उन्होंने इस बात की तरफ ध्यान आकर्षित किया कि भारत ने हमेशा विस्तार की वकालत की है, उसे ये विश्वास था कि नए सदस्य एक संगठन के रूप में ब्रिक्स को आगे ले जाएंगे. चूंकि ब्रिक्स दुनिया की अर्थव्यवस्था के चौथाई हिस्से का प्रतिनिधित्व करता है और इसमें सबसे शक्तिशाली उभरते देश शामिल हैं, ऐसे में नए सदस्यों से उम्मीद की जाती है कि वो महत्वपूर्ण रूप से वैश्विक आर्थिक और भू-राजनीतिक गतिशीलता को आकार देंगे

रेखा-चित्र 1: G7 और विस्तारित ब्रिक्स के बीच तुलना 

 

स्रोत: रॉयटर्स, वर्ल्ड बैंक 

बाज़ार का विस्तार और समकालीन भू-राजनीति 

ब्रिक्स का विस्तार नए बाज़ार और व्यापार एवं निवेश के अवसर तक पहुंच प्रदान कर बाज़ार में बढ़ोतरी उपलब्ध कराता है. आर्थिक गतिविधियों में ये संभावित उछाल समूह के भीतर आर्थिक विकास और स्थिरता को बढ़ा सकता है. जोखिमों को कम करने और एक अधिक लचीला वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र (इकोसिस्टम) तैयार करने के लिए आर्थिक हितों में विविधता लाना महत्वपूर्ण है

इसके अलावा इन नए सदस्यों को शामिल करने से चर्चा के दौरान नए दृष्टिकोण और अनुभव आएंगे. हर देश की अपनी अनूठी आर्थिक ताकत, चुनौतियां और इनोवेटिव दृष्टिकोण हैं. विस्तारित ब्रिक्स के भीतर विविधता आर्थिक चर्चा को समृद्ध बनाता है और साझा सीख एवं सहयोग के लिए अवसर प्रदान करता है. ये विविधता एक संपत्ति है जो वैश्विक आर्थिक मुद्दों और समाधानों के एक व्यापक दृष्टिकोण को बढ़ावा देती है

इन नए सदस्यों को शामिल करने का भू-राजनीतिक अर्थ ठोस है. ब्रिक्स का विस्तार वैश्विक मामलों में इसके सामूहिक असर को मज़बूत करता है, अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक मुद्दों के संबंध में बातचीत और निर्णय लेने के लिए एक अधिक मज़बूत मंच प्रदान करता है. अपने बढ़े हुए भू-राजनीतिक महत्व के साथ ब्रिक्स प्लस वैश्विक आर्थिक नीतियां तैयार करने और परंपरागत शक्ति की संरचना (पावर स्ट्रक्चर) को चुनौती देने में ज़्यादा फायदा उठा सकता है

इसके अलावा विस्तारित ब्रिक्स सामूहिक रूप से वैश्विक चुनौतियों को हल करने के मामले में बेहतर स्थिति में है. जलवायु परिवर्तन, महामारी, आतंकवाद और क्षेत्रीय संघर्ष के लिए एक संयुक्त मोर्चे की आवश्यकता होती है. विविधता और सामूहिक ताकत इन चुनौतियों के लिए एक अधिक व्यापक और प्रभावी प्रतिक्रिया आसान बनाती हैं. ये संघर्ष में मध्यस्थता की इस संगठन की क्षमता में बढ़ोतरी करती हैं, मानवीय सहायता सुविधाजनक बनाती हैं और उथल-पुथल का सामना कर रहे क्षेत्रों में शांति और स्थिरता को बढ़ावा देती हैं

व्यापक आर्थिक गतिशीलता

ब्रिक्स प्लस के भीतर व्यापार गतिशीलता ने पहले ही सकारात्मक विकास का अनुभव किया है. अन्य ब्रिक्स सदस्यों के साथ चीन के व्यापार का बहुत अधिक विस्तार हुआ है जो संगठन के भीतर एक-दूसरे पर आर्थिक निर्भरता और अधिक सहयोग की संभावना पर ज़ोर देता है. ये बढ़ती व्यापार गतिविधि ब्रिक्स प्लस की आर्थिक ताकत और क्षेत्रीय एवं वैश्विक आर्थिक संपर्क को बढ़ावा देने में इसकी भूमिका को और रेखांकित करती है

कोविड-19 महामारी को लेकर ब्रिक्स के जवाब की तरफ ध्यान बदलें तो इस वैश्विक संकट ने बेरोज़गारी, ग़रीबी और असमानता समेत कई आर्थिक चुनौतियां पैदा की. इसके जवाब में ब्रिक्स के सदस्यों ने एकजुटता का प्रदर्शन किया और विश्व व्यापार संगठन (WTO) में कोविड-19 की वैक्सीन और इलाज के संबंध में बौद्धिक संपदा नियमों को अस्थायी रूप से निलंबित करने जैसी पहल की वकालत की.

संक्षेप में कहें तो ब्रिक्स में नए सदस्यों को शामिल करना इसके आर्थिक और भू-राजनीतिक महत्व को बढ़ाता है, बाज़ार के विस्तार एवं व्यापार के विकास के लिए नए रास्ते पेश करता है और वैश्विक वित्तीय मामलों में इसके असर को बढ़ाता है. ये विस्तार ब्रिक्स को आर्थिक, व्यापार और निवेश के मामलों में ग्लोबल साउथ (विकासशील देशों) के लिए एक संभावित आवाज़ के तौर पर स्थापित करता है

कोविड-19 महामारी को लेकर ब्रिक्स के जवाब की तरफ ध्यान बदलें तो इस वैश्विक संकट ने बेरोज़गारी, ग़रीबी और असमानता समेत कई आर्थिक चुनौतियां पैदा की. इसके जवाब में ब्रिक्स के सदस्यों ने एकजुटता का प्रदर्शन किया और विश्व व्यापार संगठन (WTO) में कोविड-19 की वैक्सीन और इलाज के संबंध में बौद्धिक संपदा नियमों को अस्थायी रूप से निलंबित करने जैसी पहल की वकालत की. इसके अलावा ब्रिक्स वैक्सीन रिसर्च और डेवलपमेंटर सेंटर की स्थापना विकासशील देशों में वैक्सीन की कम कीमत सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता और वैक्सीन, डायग्नोस्टिक्स और थेराप्यूटिक्स (चिकित्सा विज्ञान) के लिए ज़्यादा बाज़ार की उपलब्धता को रेखांकित करती है.

वैसे तो ये सामूहिक प्रयास सराहनीय रहे हैं लेकिन इस बात को स्वीकार किया जाता है कि महामारी को काबू करने और वैश्विक आर्थिक बहाली को बढ़ावा देने के लिए बहुत से काम होने बाकी हैं. कोविड-19 का आर्थिक असर साफ था क्योंकि ब्राज़ील, रूस, भारत और दक्षिण अफ्रीका की GDP में 2020 में गिरावट आई. हालांकि 2021 में लगातार सुधार देखा गया. आर्थिक गिरावटों का सामना कर रही दुनिया ने आर्थिक राष्ट्रवाद में बढ़ोतरी और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग ध्वस्त होने जैसी स्थिति देखी है

इन चुनौतियों के जवाब में ब्रिक्स देशों को आर्थिक बहाली के लिए व्यापक आर्थिक नीति समन्वय (मैक्रोइकोनॉमिक पॉलिसी को-ऑर्डिनेशन) और बहुपक्षीय सहयोग को मज़बूत करना चाहिए. एक-दूसरे पर निर्भर दुनिया में और ज़्यादा बिखराव सिर्फ और सिर्फ वैश्विक मंदी को गहरा करेगा और महंगाई को बढ़ाएगा. इसलिए ब्रिक्स देशों को दूसरी उभरती अर्थव्यवस्थाओं के साथ नज़दीकी रूप से काम करना चाहिए और वैश्विक आर्थिक शासन व्यवस्था में सुधार के लिए G20, WTO, विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) जैसे संगठनों से जुड़ना चाहिए. भारत की G20 अध्यक्षता ने ग्लोबल साउथ के देशों के हितों और चिंताओं के प्रतिनिधित्व की अहमियत को रेखांकित किया. असरदार अंतर्राष्ट्रीय मंचों के भीतर ये सहयोग विकासशील देशों की अनूठी चुनौतियों का समाधान करने वाली  नीतियां बनाने के लिए आवश्यक है

मौजूदा विस्तार इस समूह की आर्थिक क्षमता में बढ़ते हित को दिखाता है. लेकिन ब्रिक्स की सफलता और असफलता अलग-अलग आर्थिक आकांक्षाओं और उम्मीदों को जोड़ने की इसकी क्षमता पर निर्भर करती है. 

इस गतिशील और हमेशा बदलते परिदृश्य में ब्रिक्स वैश्विक व्यापार, निवेश और वित्त में एक निर्णायक भूमिका निभाता है. इसमें कोई शक नहीं है कि चुनौतियां बनी हुई हैं लेकिन सामूहिक ताकत और साझा मक़सद ब्रिक्स को एक अपार संभावना वाला मंच बनाता है. जैसे-जैसे ब्रिक्स इन जटिलताओं का सामना करता है वैसे-वैसे कूटनीतिक सहयोग सर्वोपरि बन जाता है और इस तरह ये सुनिश्चित किया जाता है कि ब्रिक्स ख़ुद में बदलाव करता रहे और अपने अलग-अलग सदस्यों के बीच एक साझा आधार तलाशता रहे. बढ़ते वैश्विक आर्थिक तनावों और पारंपरिक बहुपक्षीय संस्थानों की सीमाओं के बीच ब्रिक्स आर्थिक, व्यापार और निवेश के मामलों पर चर्चा के लिए एक केंद्र बिंदु के रूप में खड़ा है. अंत में, मौजूदा विस्तार इस समूह की आर्थिक क्षमता में बढ़ते हित को दिखाता है. लेकिन ब्रिक्स की सफलता और असफलता अलग-अलग आर्थिक आकांक्षाओं और उम्मीदों को जोड़ने की इसकी क्षमता पर निर्भर करती है. 


सौम्य भौमिक ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन में एसोसिएट फेलो हैं

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