स्तनपान के काफी लाभ है, जो वो हर माँ एवं शिशु दोनों को अत्यंत आवश्यक जरूरी पोषण एवं सुरक्षा प्रदान करती है. माताओं के लिए, ये उनका वजन घटाने में, किसी बीमारियों के जोख़िम को कम करने में एवं प्राकृतिक गर्भनिरोधक के रूप में सहायता प्रदान करती है. वैश्विक स्तर पर, 50 प्रतिशत से भी कम शिशु (0-6 माह वाले) को विशेष रूप से स्तनपान कराये जाते है. नीचे दिए आँकड़े, साल 2030 के लिए वैश्विक तौर पर तय लक्ष्य के विपरीत स्तनपान प्रथा की वर्तमान व्यापकता की ओर इशारा करती है. जन्म के घंटे भर के भीतर महज़ 46 प्रतिशत नवजात शिशुओं को स्तनपान कराया जाता है.
वैश्विक लक्ष्य बनाम स्तनपान दर
Source: UNICEF
पाँच साल की उम्र सीमा के भीतर होने वाली 45 प्रतिशत मौत, कुपोषण से संबंधित है. कुपोषण का तीन गुणा बोझ – शिशुओं के कुशल क्षेम, और उनके अस्तित्व एवं कल्याण को खतरे में डालता है. वैश्विक स्तर पर, पाँच वर्ष की उम्र सीमा वाले 148 मिलियन बच्चे अविकसित है एवं 45 मिलियन बच्चे पूर्ण बर्बादी से पीड़ित है एवं 37 मिलियन बच्चे अनुपात से अधिक वज़न वाले हैं. यह वाकई काफी चिंताजनक स्थिति है.
स्तनपान एवं पोषण की भूमिका
ऐसा पता चला है कि नवजात शिशुओं को भोजन उपलब्ध कराने की प्रथा को और बेहतर बनाना, शिशु के अस्तित्व, उसके विकास और बढ़ोत्तरी के संग जुड़ा हुआ है. स्तनपान न कराने की कीमत इससे होने वाला महत्वपूर्ण आर्थिक नुकसान है जो सालाना 257 से 351 बिलियन डॉलर तक के बीच होता है. संज्ञानात्मक विकास पर स्तनपान की अवधि के प्रभाव पर कराई गई विशेष अध्ययन, विशेष स्तनपान की लंबी अवधि के साथ ही बेहतर एवं पहले से बेहतर आईक्यू का संकेत देती है.
स्तनपान को प्रोत्साहित न करने के पीछे कई विभिन्न कारकों का योगदान है. महिलाओं को विशेष कर लगभग सभी स्तरों पर – चाहे वो घरेलू स्तर पर हो, अथवा सामुदायिक या फिर कार्य स्थलों पर, कई प्रकार की बाधाओं का सामना करना पड़ता है. बाकी और भी अन्य कारक जो स्तनपान को कमज़ोर बनाती है उनमे लैंगिक असमानता, सामाजिक-सांस्कृतिक मानदंड, शहरीकरण, स्तनपान के विकल्प के तौर पर इस्तेमाल योग्य उत्पादों का आक्रामक इस्तेमाल, खराब निवेश एवं स्तनपान सुरक्षा संबंधी नीतियों की कमी आदि है. इस वर्ष आयोजित किए जाने वाली विश्व स्तनपान सप्ताह 2024 की थीम ‘अंतर को कम करना एवं सभी के लिए स्तनपान का समर्थन’ है. इसके तहत ये, सतत् विकास लक्ष्य 1 (गरीबी उन्मूलन), 3 (उत्तम स्वास्थ्य एवं कल्याण) 4 (क्वॉलिटी शिक्षा), 5 (असमानताओं में कमी) एवं 11(टिकाऊ शहर एवं समुदाय) आदि के लक्ष्य प्राप्ति के उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए ‘उत्तरजीविता, स्वास्थ्य एवं कल्याण’ जैसे विषयगत क्षेत्रों के साथ सम्मिलित असमानताओं को कम करने के लिए स्तनपान के समर्थन का आह्वान करता है.
लैंगिक समानता में स्तनपान किस प्रकार से अभिन्न भूमिका अदा कर सकती है, इसके बहुत सारे सबूत उपलब्ध हैं जिसमें जन्म के अंतराल और कार्यक्षेत्रों में अधिकार प्राप्त करने का अधिकार भी शामिल है. कार्यक्षेत्रों में स्तनपान का समर्थन भी बेहतर कार्य उत्पाद में अपना योगदान एवं मूल्यवान होने के भाव उत्पन्न करती है. अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार, विश्व भर में कार्यरत 830 मिलियन से भी ज्य़ादा महिलाओं के पास उचित मैटरनिटी/मातृत्व सुरक्षा का प्रावधान नहीं है. अमेरिकी कार्यस्थलों में स्तनपान नीति के प्रभावों की जांच करने वाली 22 साल के विश्लेषण में ऐसा पाया गया है कि ऐसी नीतियों से स्तनपान के दर में इज़ाफा होता है. संपूर्ण मानव कैपिटल/पूंजी के विकास की दिशा में स्तनपान एक सर्वोत्तम निवेश है जो किसी राष्ट्र द्वारा किया जा सकता है. अगर स्तनपान के प्रोत्साहन की दिशा में 1 यूएस $ का निवेश का जाये तो उससे 35 यूएस$ का फायदा निश्चित है. इसलिये वर्ष 2025 के वैश्विक पोषण लक्ष्य की प्राप्ति के लिए, प्रति नवजात शिशु के ऊपर 4.70 अमेरिकी डॉलर के निवेश की ज़रूरत है.
कई सकारात्मक बातों के बावजूद, स्तनपान को अब भी काफी कम महत्व दिया जाता है. ‘मदर्स मिल्क टूल’ नामक एक नई तकनीक के ईजाद ने समाज के समक्ष महिलाओं के द्वारा दिये जाने वाले अवैतनिक देखभाल कार्यों के माध्यम से, स्तनपान के आर्थिक मूल्यों को दर्शाया है. वैश्विक स्तर पर, कुल 35.6 बिलियन लीटर ब्रेस्टमिल्क (स्तनपान) का उत्पादन होता है, जिसमें से कुल 22 बिलियन लिटर (38.2 प्रतिशत) स्तनदुग्ध सांस्कृतिक बाधाओं एवं बाहरी वातावरण की वजह से नष्ट हो जाता है. भारत प्रतिवर्ष कुल उत्पादित 8.7 बिलियन लीटर में से 40 प्रतिशत मातृदूध का नुकसान वहन करता है.
आई. एल.ओ. कन्वेंशन 2000 के अनुसार, “महिलाओं को अपने बच्चों के स्तनपान कराने के लिए रोज़ एक या एक से अधिक ब्रेक या फिर बच्चों को दैनिक स्तनपान के लिए उनके कार्य के घंटों में कमी का अधिकार दिया जाना चाहिए.” महिलायें मातृत्व सुरक्षा के लिए अधिकृत है और कन्वेंशन संख्या 183 कहती है कि, “मातृत्व अवकाश 14 सप्ताह से कम का नहीं होना चाहिए, वहीं सिफारिश संख्या 191 कहती है कि, मातृत्व अवकाश कम से कम 18 सप्ताह का होना चाहिए.” स्तनपान का समर्थन, महत्वपूर्ण मानवीय एवं आर्थिक लाभ वाले नियोक्ताओं के लिए काफी लाभप्रद है. 2017 में संशोधित भारत की मातृत्व बेनेफिट (लाभ) अधिनियम 1961, में 26 सप्ताह के मातृत्व अवकाश का प्रावधान किया गया है. स्तनपान एवं मातृत्व अवकाश के प्रावधानों को प्रभावित करने वाले कारकों के एक गुणात्मक अध्ययन के अनुसार, व्यक्तिगत, पारिवारिक एवं कार्यस्थलों सहित कई विभिन्न कारक, सफल स्तनपान में अपना महत्वपूर्ण योगदान करते हैं. स्तनपान के समर्थन की दिशा में पिताओं की काफी अहम भूमिका होती है; उनका ज्ञान एवं उनकी शिक्षा एक अदद सहायक कारक है. पिताओं की जानकारी और अध्ययन उन्हें अपने पार्टनर के स्तनपान यात्रा को समर्थन देने, सहूलियत और भावनात्मक सहयोग प्रदान करने, एवं समुदाय में अपने साथियों को इसके महत्व के प्रति संवेदनशील बनाने की भूमिका में, काफी सराहनीय एवं सहायक कारक रही है.
निष्कर्ष
स्तनपान के विकल्प के तौर उत्पादों की आक्रमक मार्केटिंग, आकर्षक प्रमोशन और उपहार आदि की काफी बड़ी मात्रा में किए जाने वाले इस्तेमाल से भी महिलाओं के आत्मविश्वास और स्तनपान के प्रति के उनके विश्वास को हतोत्साहित किया जा रहा है. 2022 में 73 बिलियन यूएस डॉलर के शुद्ध सेल अथवा बिक्री एवं 2032 तक 185 बिलियन यूएस डॉलर के अनुमानित बिक्री के पूर्वानुमान के साथ, स्तन-दुग्ध प्रतिस्थापन व्यवसाय में कई गुणा बढ़त दर्ज हुई है.
‘स्तन-दुग्ध के विकल्प की मार्केटिंग’ संबंधी अंतरराष्ट्रीय संहिता के राष्ट्रीय स्तर पर कार्यान्वयन, स्टेट्स रिपोर्ट पर आधारित 2024 की रिपोर्ट से यह पता चला है कि 194 देशों में से 146 देशों के पास स्तनदुग्ध के विकल्प के विपणन की अंतरराष्ट्रीय संहिता का समर्थन करने के लिए एक नियोजित कानूनी समाधान उपलब्ध है. यूनिसेफ़ के अनुसार, स्तनपान का दर अमीर और ग़रीब देशों में काफी अलग-अलग थे. उन देशों में कीमत स्वाभाविक तौर काफी ऊंची थी जहां उचित नीतियाँ थी एवं सुरक्षित रखने, समर्थन करने एवं स्तनपान को प्रोत्साहित करने योग्य कार्यक्रम थे. नॉर्वे में, जन्म के प्रथम घंटे के भीतर ही लगभग 98 प्रतिशत शिशुओं को स्तनपान कराया जाता है और 78 प्रतिशत शिशुओं को छह महीनों तक खासकर स्तनपान कराया जाता है. नॉर्वे में नवजात अभिभावकों को 49 सप्ताह के मातापिता के अवकाश के साथ ही स्तनपान कराने वाली माताओं को 30 मिनट के दो ब्रेक स्तनपान अवकाश के तौर पर दिये जाते हैं.
स्तनपान एक बुनियादी मानवीय अधिकार एवं सामूहिक ज़िम्मेदारी दोनों ही है. स्वास्थ्य सुविधा, सामाजिक सुरक्षा, बेहतर पोषण, और कार्यक्षेत्र में स्तनपान कराए जाने के लिए उपलब्ध क्षेत्र या जगह, पर बनाई गई समावेशी नीतियों के समर्थन द्वारा परिवारों एवं अर्थव्यवस्था दोनों को मज़बूती प्रदान करते हुए एक लंबी यात्रा तय कर सकती है.
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