Author : Sohini Nayak

Published on Feb 17, 2022 Updated 0 Hours ago

साल 2022 के आर्थिक विकास के अनुमानों को पूरा करने के लिए, भूटान को अपनी अर्थव्यवस्था को फिर से वापस पटरी पर लाने के लिए मज़बूत नीतिगत उपायों को अपनाना होगा. 

भूटान का आर्थिक पुनरुद्धार

कोरोना महामारी के चलते भूटान की अर्थव्यवस्था गंभीर आर्थिक चुनौतियों से जूझ रही है. जैसा कि एशियाई विकास बैंक (एडीबी) द्वारा विस्तार से बताया गया है कि सरकार की सख़्त नियंत्रण वाली नीतियों और दोतरफा राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन ने देश में आपूर्ति श्रृंखला को प्रभावित किया है, पर्यटन क्षेत्र को बाधित किया है, जिसका नतीजा है कि प्रवासी श्रमिकों का देश से पलायन हुआ है और इससे कुशल और अकुशल श्रमिकों की भारी कमी हुई है. श्रमिकों की इस कमी के चलते देश की ढांचागत परियोजनाओं में ठहराव आ गया है जिससे आम लोगों की आजीविका बुरी तरह प्रभावित हुई है.

देश ने साल 2020 से सकल घरेलू उत्पाद में गिरावट देखना शुरू किया, जब यह पिछले वर्ष के मुकाबले 178.56 बिलियन से घटकर 171.51 बिलियन हो गया. 

देश ने साल 2020 से सकल घरेलू उत्पाद में गिरावट देखना शुरू किया, जब यह पिछले वर्ष के मुकाबले 178.56 बिलियन से घटकर 171.51 बिलियन हो गया. इसके अलावा साल  2020 में सकल घरेलू उत्पाद, अब तक के सबसे निचले स्तर की वृद्धि दर -10.08 प्रतिशत पर पहुंच गई. हालांकि, विश्लेषकों ने 2022 में भूटान के लिए उम्मीद की भविष्यवाणी की है, जब 2022 तक देश का सकल घरेलू उत्पाद 3.7 प्रतिशत तक पहुंचने के साथ, दक्षिण एशिया क्षेत्र (एसएआर) में 7.6 प्रतिशत की कुल वृद्धि दर्ज़ की जा सकती है, क्योंकि माना जा रहा है कि तब तक कोरोना महामारी से संबंधित आर्थिक रूकावटों का दौर ख़त्म हो जाएगा. बहरहाल, भूटान के लिए, उसके आकार और भौगोलिक स्थिति को देखते हुए, अर्थव्यवस्था में पुनरुद्धार का काम एक कठिन चुनौती की तरह है.

कमज़ोरियां


अक्सर यह तर्क दिया जाता है कि भूटान की कमज़ोर आर्थिक स्थिति के पीछे दो सेक्टर – जल विद्युत और पर्यटन सेक्टर, पर लगातार निर्भरता प्रमुख वजह हैं. क्योंकि भूटान की जीडीपी, निर्यात और सरकारी राजस्व ज़्यादातर इन्हीं दो सेक्टर पर निर्भर हैं. यहां पर यह उल्लेख किया जाना चाहिए कि जलविद्युत मुख्य रूप से ऊर्जा उद्योगों से जुड़ा हुआ है, इसलिए ज़रूरी नहीं कि पर्याप्त रोज़गार देश में पैदा हो. यही नहीं, कोरोना महामारी के चलते देश का पर्यटन सेक्टर भी पीछे हो गया है जिसकी वजह से आर्थिक स्थिति में गिरावट आई है.

भारत की ओर पश्चिम बंगाल का अलीपुरद्वार ज़िला और सीमा चौकी के रूप में जयगांव है, जहां आमतौर पर 600 से 700 ट्रक होते हैं जो लोगों की आसान आवाजाही के साथ-साथ हर दिन दोनों तरफ की सीमा से गुजरते हैं, लेकिन हाल के दिनों में यह भी ठप हो गया है जिससे कारोबार बुरी तरह प्रभावित हो रहा है.

इसके अलावा एक प्रमुख कारोबारी भागीदार के रूप में भारत पर भूटान की निर्भरता – देश में मुद्रास्फीति के प्रभावों समेत , पड़ोसी देश में मंदी या राजनीतिक अस्थिरता फैलने वाले प्रभावों को बढ़ाता है. भारत 2020 में 9,489 करोड़ के कारोबारी मूल्यांकन के साथ भूटान का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार होने का गौरव साझा करता है, जो भूटान के कुल व्यापार का लगभग 82.6 प्रतिशत है. इसी तरह, भूटान को भारत का आयात भूटान के कुल आयात मूल्य का 77.1 प्रतिशत है जबकि भूटान से भारत में 90.2 प्रतिशत आयात किया जा रहा है. क्योंकि भूटान ने अपने सभी अंडों को एक ही टोकरी में रखने का जोख़िम उठाया है, लिहाज़ा इसके गंभीर परिणाम भी उसे भुगतने पड़ रहे हैं. यहां तक कि 2022 के जनवरी में कोरोना के ओमिक्रॉन वेरिएंट के सामुदायिक प्रसार के चलते भूटान की आर्थिक राजधानी – फुएंत्शोलिंग – में सात दिनों का लॉकडाउन लगाना पड़ा, जिससे भारत के साथ भूटान की कारोबारी गतिशीलता में बाधा पैदा हुई. भारत की ओर पश्चिम बंगाल का अलीपुरद्वार ज़िला और सीमा चौकी के रूप में जयगांव है, जहां आमतौर पर 600 से 700 ट्रक होते हैं जो लोगों की आसान आवाजाही के साथ-साथ हर दिन दोनों तरफ की सीमा से गुजरते हैं, लेकिन हाल के दिनों में यह भी ठप हो गया है जिससे कारोबार बुरी तरह प्रभावित हो रहा है.

आगे का रास्ता..

अब जबकि अनुमान लगाया जा रहा है कि साल 2022 में अर्थव्यवस्था सामान्य तौर पर पटरी पर लौटेगी तो यह केवल कोरोना के ख़िलाफ़ टीकाकरण अभियान चलाने, गतिशीलता बहाल करने, निवेश ख़र्च करने और पर्यटन उद्योग को पुनर्जीवित करने जैसे मज़बूत नीतिगत उपायों के द्वारा ही मुमकिन हो सकता है. हालांकि, कहा जा रहा है कि खाद्य़ और परिवहन के लिए मुद्रास्फीति काफी अधिक रहने की आशंका है जो जीवन की मूलभूत बुनियादी ज़रूरतों में शामिल है.  यह वित्तीय वर्ष 2020 में 3.0 प्रतिशत से बढ़कर वित्तीय वर्ष 2021 में 6.4 प्रतिशत हो गया है. हालांकि, साल 2022 में, इस मुद्रास्फीति के 2022 में घटकर 5.3 प्रतिशत होने की संभावना जताई जा रही है क्योंकि कहा जा रहा है कि भारत में क़ीमतें कम हो सकती हैं और जैसे ही वाहनों की आवाजाही होगी तो भूटान के घरेलू व्यापार में सुधार हो सकता है. एडीबी के भूटान के प्रभारी, अत्सुशी कानेको ने स्पष्ट रूप से कहा है कि, “विकास की उम्मीदें कम होती दिख रही हैं, ख़ासकर पर्यटन सेक्टर में अपेक्षित सुधार नहीं हुआ है, नए रूपों के साथ अभी भी कोरोना वायरस का प्रकोप बना हुआ है, भारत में भी अपेक्षित सुधार से कम तेजी दिख रही है; बिगड़ते गैर-निष्पादित ऋण अनुपात के कारण वित्तीय दबाव बढ़ रहा है; और सबसे अहम सरकारी निवेश पर आधारित परियोजनाओं का कार्यान्वयन देरी से हो रहा है”  इन सभी वजहों से देश में हलचल बनी रहेगी.

भले ही शाही सरकार प्रोत्साहन योजनाओं के साथ उदार नज़र आती हो लेकिन सफलता और विफलताओं के लिए जो संकेतक हैं उन्हें हर योजनाओं के लिए निर्धारित किए जाने चाहिए जिससे भूटान भी संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्धारित न्यूनतम विकसित देश के सूचकांक से ख़ुद को बाहर निकाल सके. 

आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने के लिए, वित्तीय स्थिरता लाने के लिए गैर-निष्पादित ऋण (एनपीएल) का निपटारा करने जैसे उपाय बेहद अहम हैं. इससे वित्तीय संस्थानों को ऋण देना अधिक स्वायत्त हो जाएगा. इसके अलावा, आर्थिक क्षमता के दूसरे क्षेत्रों को भी बहु-हितधारकों के जुड़ाव और एक उचित कार्य योजना के साथ पहचाना जा सकेगा. इसके साथ ही देश में आर्थिक विकेंद्रीकरण होने के साथ-साथ शक्ति का आवंटन भी होना चाहिए. यह सरकार, निजी संगठनों और विकास भागीदारों के बीच एक संघीय ढांचे को प्रदर्शित करता है, जिससे प्रक्रिया निर्बाध हो जाती है. भले ही शाही सरकार प्रोत्साहन योजनाओं के साथ उदार नज़र आती हो लेकिन सफलता और विफलताओं के लिए जो संकेतक हैं उन्हें हर योजनाओं के लिए निर्धारित किए जाने चाहिए जिससे भूटान भी संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्धारित न्यूनतम विकसित देश के सूचकांक से ख़ुद को बाहर निकाल सके. यह बिल्कुल सही समय है जब भूटान साल 2022 के आर्थिक विकास के अपने लक्ष्यों पर खरा उतर सके.

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