कोविड-19 की महामारी ने दुनिया भर में सरकारों के सामने प्रशासन की चुनौतियां पेश की हैं. सरकार के सभी नागरिकों तक सहूलतें पहुंचाने की राह में बाधाएं खड़ी की हैं. इस महामारी के दौरान देखा गया है कि छोटे देशों के लिए तो प्रशासनिक चुनौतियां और भी बड़ी हैं. और इसी कारण से छोटे देशों के नीति नियंताओं के सामने कई बार ये सवाल खड़ा हुआ कि वो किस विकल्प का चुनाव करें और किसे ख़ारिज कर दें. यहां गवर्नेंस या प्रशासन से हमारा मतलब है कि निर्णय लेने की प्रक्रिया और वो प्रक्रियाएं जिनके माध्यम से सरकारी नीतियों को लागू किया जाता है (या नहीं किया जाता).
जहां तक अच्छे प्रशासन की बात है, तो भूटान का दर्ज़ा इसमें काफ़ी ऊंचा है. बर्टेल्समैन ट्रांसफॉर्मेशन इंडेक्स 2020 में प्रशासनिक क्षमता के मामले में भूटान एशिया और ओशियानिया क्षेत्र के 137 देशों में 13वें नंबर पर आता है. भूटान ने अपने राजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक और प्रधानमंत्री डॉक्टर लोटे त्शेरिंग के नेतृत्व में कोविड-19 की महामारी से काफ़ी सफलतापूर्वक निपटने का प्रयास किया है. देश में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों को क्वारंटीन करने, संक्रमित लोगों का पता लगाने, जनता के कोरोना टेस्ट के मामले में बड़ी तेज़ी से काम करके भूटान, अपने यहां इस महामारी के प्रकोप को सीमित करने में काफ़ी हद तक सफल रहा है. भूटान की सरकार ने ग्रॉस नेशनल हैपीनेस (GNH) की राष्ट्रीय नीति पर चलते हुए कोविड-19 महामारी से अपने किसी भी नागरिक की मौत नहीं होने दी है.
किसी भी लोकतांत्रिक देश की सफलता के लिए, उस देश की लोकतांत्रिक संस्थाओं का प्रौढ़ होना और अनुभव प्राप्त करना बेहद महत्वपूर्ण होता है. भूटान भी इसका अपवाद नहीं है. हिमालय की गोद में बसे इस देश ने नए कोरोना वायरस की चुनौती को शुरुआत से ही बेहद गंभीरता से लिया था
किसी भी लोकतांत्रिक देश की सफलता के लिए, उस देश की लोकतांत्रिक संस्थाओं का प्रौढ़ होना और अनुभव प्राप्त करना बेहद महत्वपूर्ण होता है. भूटान भी इसका अपवाद नहीं है. हिमालय की गोद में बसे इस देश ने नए कोरोना वायरस की चुनौती को शुरुआत से ही बेहद गंभीरता से लिया था
लॉकडाउन और भूटान की संस्थाएं
किसी भी लोकतांत्रिक देश की सफलता के लिए, उस देश की लोकतांत्रिक संस्थाओं का प्रौढ़ होना और अनुभव प्राप्त करना बेहद महत्वपूर्ण होता है. भूटान भी इसका अपवाद नहीं है. हिमालय की गोद में बसे इस देश ने नए कोरोना वायरस की चुनौती को शुरुआत से ही बेहद गंभीरता से लिया था. इसी वजह से देश के तमाम संगठनों के सामने बहुत बड़ी चुनौती इस बात की थी कि कोविड-19 के प्रसार को किसी भी क़ीमत पर रोकें, ताकि सामुदायिक संक्रमण की शुरुआत न हो सके.
देखा गया है कि भूटान के अलग अलग सरकारी संस्थानों ने आपस में शानदार तालमेल से काम किया. देश में कोरोना वायरस के संक्रमण का पहला मरीज़ मार्च महीने में सामने आया था. भूटान की राजनीति में यहां की राजशाही की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है. किसी भी मुश्किल वक़्त में देश के राजा की भूमिका और भी अहम हो जाती है. मार्च में कोरोना वायरस का पहला मामला सामने आने के बाद से ही भूटान के राजा लगातार अपने देश के तमाम क्षेत्रों का दौरा कर रहे हैं. वो ख़ुद ही इस वायरस से निपटने की भूटान सरकार की तैयारियों का जायज़ा ले रहे हैं. भूटान के राजा द्वारा शुरू की गई नागरिकों की स्वयं सेवा की योजना डे-सुंग के तहत, इस संकट के दौरान सरकार की मदद करने में भूटान की राजशाही ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है. ड्रक ग्याल्पो रिलीफ किडू यानी ग्रांट के माध्यम से भूटान में उन 23 हज़ार लोगों को तुरंत मदद मुहैया कराई जा सकी, जिन्होंने महामारी के दौरान अपनी रोज़ी रोटी गंवा दी थी.
इस संकट के दौरान सरकार की मदद करने में भूटान की राजशाही ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है. ड्रक ग्याल्पो रिलीफ किडू यानी ग्रांट के माध्यम से भूटान में उन 23 हज़ार लोगों को तुरंत मदद मुहैया कराई जा सकी, जिन्होंने महामारी के दौरान अपनी रोज़ी रोटी गंवा दी थी.
आपातकाल के दौरान अपने अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए भूटान के राजा ने सरकार को पूरे देश में लॉकडाउन लगाने का आदेश दिया था. गेलेफू में एक महिला के कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद ही भूटान में लॉकडाउन लगा दिया गया था. असल में लोगों के बीच ये भय फैल गया था कि भूटान में बड़े पैमाने पर कोरोना वायरस का सामुदायिक संक्रमण शुरू हो चुका है.
वैसे, अन्य देशों की तुलना में भूटान ने अपने यहां काफ़ी देर से लॉकडाउन लगाया था. पहले 11 से 31 अगस्त के बीच 21 दिनों का लॉकडाउन लगाया गया. इस दौरान, भूटान के नागरिकों और संस्थाओं ने आपसी तालमेल की बेहतरीन मिसाल पेश की थी. 21 दिनों के लॉकडाउन के दौरान सर्विलांस के माध्यम से भूटान में 111 कोरोना पॉजिटिव केस पाए गए थे.
भूटान में सबसे अधिक कोरोना पॉजिटिव केस फुएंटशोलिंग नाम के क़स्बे में पाए गए हैं. भूटान की भारत से लगने वाली क़रीब 699 किलोमीटर लंबी सीमा क्षेत्र में स्थित गेलेफू, फुएंटशोलिंग, समद्रुपजोंगखर और समत्से इलाक़े अभी भी कोविड-19 के रेड ज़ोन बने हुए हैं. अभी भी भूटान में लोगों की आवाजाही पर तमाम तरह की पाबंदियां लगी हुई हैं.
संस्थागत स्वाधीनता
आम तौर नीतियां बनाने और शासन चलाने में भूटान के राजा सीधे तौर पर दखल देने से बचते हैं. क्योंकि, ये देश की संसद और सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है. कोविड-19 के संकट के दौरान सरकार की संस्थागत स्वतंत्रता का एक नमूना तब देखने को मिला जब देश में तम्बाकू की बिक्री पर लगी रोक को हटा लिया गया. पहले सेहत के लिए जोख़िम का हवाला देकर भूटान सरकार ने तम्बाकू की बिक्री पर रोक लगाई हुई थी. इसके अलावा बौद्ध धर्म में तम्बाकू को निषिद्ध चीज़ भी माना जाता है.
लेकिन, सरकार ने तम्बाकू उत्पादों की बिक्री को अस्थायी तौर पर मंज़ूरी दे दी. जिससे इसका इस्तेमाल करने वालों के बाहर जाने और तम्बाकू उत्पादों की तस्करी करने को रोका जा सके. क्योंकि इससे वायरस का संक्रमण फैलने का डर था. तम्बाकू की बिक्री को क़ानूनी दर्जा देकर ड्रक न्यामरूप त्शोग्पा सरकार ने भूटानी समाज के लिए एक नैतिक चुनौती खड़ी कर दी थी. इस फ़ैसले को देखने से ये बात और भी मज़बूती से साफ़ हो गई कि भूटान के राजा नीतिगत मामलों में आम तौर पर दखल देने से बचते हैं.
प्रशासन की चुनौतियां
एक सितंबर से भूटान की सरकार ने अपने देश में अनलॉक की प्रक्रिया की शुरुआत कर दी है. हालांकि ये काम चरणबद्ध तरीक़े से किया जा रहा है. कंस्ट्रक्सन जैसे क्षेत्र जहां मज़दूरों की काफ़ी मांग है, उसे काम शुरू करने की इजाज़त दे दी गई है. हालांकि, भूटान में मज़दूरों की भारी कमी है. क्योंकि, बाहर से आकर काम करने वाले लॉकडाउन के दौरान अपने अपने घरों को लौट गए थे. निर्माण के लिए काम आने वाले सामान की आपूर्ति पर भी लॉकडाउन के कारण असर पड़ा है.
इसी तरह, महामारी के चलते भूटान में बन रही पनबिजली परियोजनाओं का निर्माण कार्य भी रुक गया है. अब भूटान की सरकार ऐसे ज़रूरी निर्माण कार्यों जैसे कि हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट को दोबारा शुरू करने के बारे में सोच रही है. इसमें पुनातसांगछू 1 और पुनातसांगछू 2 की पनबिजली परियोजनाएं भी शामिल हैं. जिनका निर्माण कार्य कोविड-19 से बचने के तमाम सुरक्षा उपायों के बीच शुरू किया जा रहा है.
पर्यटन, भूटान की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है. लेकिन, भूटान में टूरिज़्म सेक्टर को मार्च में कोविड-19 महामारी फैलने से पहले के स्तर पर पहुंचने में कई बरस लग जाने का अंदेशा है. महामारी के प्रकोप से भूटान में टूरिज़्म सेक्टर में काम करने वाले चालीस हज़ार से ज़्यादा लोगों पर विपरीत प्रभाव पड़ा है. अब इनमें से कई लोगों ने अपना परिवार चलाने के लिए खेती करनी शुरू कर दी है. भूटान की पर्यटन परिषद इस बात पर विचार कर रही है कि बीमार टूरिज़्म सेक्टर में नई जान डालने के लिए घरेलू पर्यटन उद्योग को क्या क्या मदद उपलब्ध कराई जाए.
अब भूटान की सरकार ऐसे ज़रूरी निर्माण कार्यों जैसे कि हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट को दोबारा शुरू करने के बारे में सोच रही है. इसमें पुनातसांगछू 1 और पुनातसांगछू 2 की पनबिजली परियोजनाएं भी शामिल हैं. जिनका निर्माण कार्य कोविड-19 से बचने के तमाम सुरक्षा उपायों के बीच शुरू किया जा रहा है
भूटान ने नए कोरोना वायरस की रोकथाम में तो काफ़ी प्रभावी कार्य किया है. अब महामारी के दौरान प्रशासन चलाना, ख़ास तौर से आर्थिक रूप से मज़बूती हासिल करना ही भूटान की असली अग्निपरीक्षा है.
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