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24 अप्रैल को सार्वजनिक रूप से जारी ऑस्ट्रेलिया की रक्षा सामरिक समीक्षा 2023 (DSR2023) ऑस्ट्रेलिया के डिफेंस पोस्चर अर्थात उसकी सुरक्षा रुख़ से कम से कम 50 वर्षों में हुए सबसे बड़े बदलाव का संकेत मिल रहा है. 2022 में नवनिर्वाचित अल्बानियाई लेबर सरकार ने यह समीक्षा करने का फ़ैसला किया था. यह समीक्षा तेजी से बदलते ख़तरे के माहौल का जवाब देने के लिए ऑस्ट्रेलिया की बुनियादी सुरक्षा रणनीति और क्षमताओं के तत्काल पुनर्गठन के लिए एक रोड मैप अर्थात दिशा-निर्देश स्थापित करने का काम करती है. समीक्षा में कहा गया है कि वर्तमान में गठित और सुसज्जित ऑस्ट्रेलियन डिफेंस फोर्स अर्थात ऑस्ट्रेलियाई रक्षा बल (ADF) ‘‘अपने उद्देश्य के लिए उपयुक्त नहीं है’’ और ऑस्ट्रेलिया की सुरक्षा रणनीति और रुख़ में मूलभूत परिवर्तन किया जाना चाहिए. सरकार ने इस समीक्षा में दी गई सभी सिफारिशों को स्वीकार कर लिया है.
समीक्षा में कहा गया है कि वर्तमान में गठित और सुसज्जित ऑस्ट्रेलियन डिफेंस फोर्स अर्थात ऑस्ट्रेलियाई रक्षा बल (ADF) ‘‘अपने उद्देश्य के लिए उपयुक्त नहीं है’’ और ऑस्ट्रेलिया की सुरक्षा रणनीति और रुख़ में मूलभूत परिवर्तन किया जाना चाहिए.
समीक्षा में ऑस्ट्रेलिया की सुरक्षा रणनीति और समग्र रक्षा रुख़ में निम्नलिखित प्रमुख बदलाव प्रस्तावित हैं :
अब भविष्य में ADF बल को महत्वपूर्ण क्षमताओं के इर्द-गिर्द तैयार करने की योजना है. ऐसा करने के लिए अभ्यास में उन गैर-ज़रूरी समझी जाने वाली क्षमताओं (जैसे बख्तरबंद क्षमताएं) को भी शामिल करना होगा
ऑस्ट्रेलियाई सेना के लिए DSR 2023 में कुछ ऐसे बदलाव करने के संकेत दिए गए हैं, जो बेहद स्पष्ट दिखाई दे रहे थे. अब सेना अपने लंबे समय से कार्यान्वित संतुलन बल संरचना को छोड़कर इसके बजाय तटीय युद्धाभ्यास संचालन (कुछ मायनों में मरीन के समान) के लिए अनुकूलित होने की तैयारी करेगी. सेना की अनेक इकाइयों को ऑस्ट्रेलिया के उत्तरी तट पर स्थानांतरित किया जाएगा.
ऑस्ट्रेलियाई सेना में किए जाने वाले अहम बदलावों में निम्नलिखित बातें शामिल हैं:
सुरक्षा को लेकर ऑस्ट्रेलिया का अधिकांश ख़र्च पहले से ही समुद्री क्षमताओं पर होता है. अब भविष्य में इसमें उल्लेखनीय वृद्धि देखी जाएगी.
समीक्षा में पहले से ही चर्चित अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम से 368 बिलियन AUD की लागत से परमाणु-संचालित (और पारंपरिक रूप से सशस्त्र) पनडुब्बियों के बेड़े के अधिग्रहण को लेकर घोषित फ़ैसलों की पुष्टि की गई है. अमेरिकी और ब्रिटिश परमाणु पनडुब्बियों की मुख्य रूप से ऑस्ट्रेलिया के पश्चिमी तट पर फ्रीमैंटल में बारी-बारी से तैनात करने का सैद्धांतिक निर्णय हुआ है. समीक्षा ने ऑस्ट्रेलिया के पूर्वी तट पर एक और परमाणु-संचालित पनडुब्बी बेस के स्थापना की सिफ़ारिश भी की है.
लेकिन, DSR2023 में भी नौसेना के सरफेस फ्लीट अर्थात सतही बेड़े में संभावित महत्वपूर्ण परिवर्तनों का संकेत दिया गया है, जिसमें वाइस एडमिरल विलियम हिलाराइड्स, USN (सेवानिवृत्त) द्वारा की गई नौसेना के सरफेस फ्लीट की समीक्षा भी शामिल है. ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि इस समीक्षा में नियोजित नौ यूके-डिजाइन हंटर क्लास फ्रिगेट्स में कमी करने की बात भी शामिल होगी. इन हंटर क्लास फ्रिगेट्स को बहुत कम सशस्त्र होने की वज़ह से आलोचना झेलनी पड़ी है. इसके अलावा बड़ी संख्या में भारी सशस्त्र कॉर्वेट अर्थात लड़ाकू जलपोत हासिल करने अथवा निर्मित करने की भी बात है.
ऑस्ट्रेलिया की वायु सेना को संपत्ति की सुरक्षा और विस्तार के लिए उत्तरी ऑस्ट्रेलिया (हिंद महासागर कोकोस द्वीप क्षेत्र सहित) में हवाई क्षेत्रों के अपने नेटवर्क को तत्काल मज़बूत करने का निर्देश दिया जाएगा.
फ़िलहाल ऑस्ट्रेलिया इस स्तर पर अमेरिका निर्मित बी-21 बमवर्षक विमान हासिल नहीं करेगा. लेकिन समीक्षा में चालक दल के विमानों में दोबारा उपयुक्त होने वाले ‘लॉयल विंगमैन’ ड्रोन के स्वदेशी उत्पादन में तेजी लाने पर बल दिया गया है.
नवीनतम समीक्षा, 2022 के डिफेंस स्ट्रैटेजिक अपडेट में दिए गए पिछले बयानों की पुष्टि करती है. इन बयानों के अनुसार ऑस्ट्रेलिया का प्राथमिक सैन्य हित उसके सबसे नजदीकी क्षेत्र, जिसमें उत्तर-पूर्वी हिंद महासागर शामिल है, को समुद्री दक्षिण पूर्व एशिया के माध्यम से अपने उत्तरी दृष्टिकोण सहित प्रशांत क्षेत्र में शामिल करना है. भारत के लिए, इसका मतलब है कि ADF हिंद महासागर के पूर्वी हिस्से पर अपना ध्यान केंद्रित करता रहेगा और ऐसा करते हुए वह पश्चिमी हिंद महासागर में भविष्य की प्रतिबद्धताओं से बचने की कोशिश करेगा.
यह समीक्षा हालांकि मुख्यतः ऑस्ट्रेलिया की क्षमताओं पर केंद्रित है न कि क्षेत्रीय संबंधों पर आधारित है. यह समीक्षा विशेष रूप से हिंद महासागर क्षेत्र में ऑस्ट्रेलिया के सुरक्षा सहयोग कार्यक्रम के विस्तार की सिफारिश करती है. इसमें संभावित रूप से ऑस्ट्रेलिया के प्रशांत समुद्री सुरक्षा कार्यक्रम (जिसे पैसिफिक पेट्रोल बोट प्रोग्राम के रूप में जाना जाता है) का विस्तार शामिल हो सकता है.
ऑस्ट्रेलियाई रक्षा में DSR2023 एक प्रमुख मोड़ का प्रतिनिधित्व करता है. ऑस्ट्रेलिया की रक्षा रणनीति और उसकी सुरक्षा रुख़ में मूलभूत परिवर्तन के लिए किया गया आह्वान न केवल ऑस्ट्रेलिया के लिए, बल्कि पूरे भारत-प्रशांत क्षेत्र में इसके भागीदारों के लिए वेक-अप कॉल अर्थात सतर्क करने जैसा ही है. यह संकेत देता है कि समय हमारे पक्ष में नहीं है.
यह लेख ऑस्ट्रेलियाई रक्षा विभाग के सहयोग से शुरू किए गए ऑस्ट्रेलिया इंडिया इंस्टीट्यूट के रक्षा कार्यक्रम के एक भाग के रूप में लिखा गया था. इस लेख में व्यक्त सभी विचार लेखक के हैं.
David Brewster, ऑस्ट्रेलिया इंडिया इंस्टीट्यूट के रक्षा कार्यक्रम का नेतृत्व करते हैं और नेशनल सिक्योरिटी कॉलेज, ANU में सीनियर रिसर्च फेलो भी हैं.
Samuel Bashfield, ऑस्ट्रेलिया इंडिया इंस्टीट्यूट के रक्षा कार्यक्रम, ऑस्ट्रेलिया में रक्षा शोधकर्ता हैं.
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David Brewster is one of Australias leading experts on Australias security relationships in South Asia and the Indian Ocean region. He leads the Australia India ...
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