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Published on Apr 18, 2024 Updated 0 Hours ago

अस्वीकार्यता की गहरी संभावना और विरोधियों के खिलाफ ठोस रणनीतिक प्रभाव सूचक दोहरे सिद्धांतों के रूप में परिभाषित की जाने वाली गुप्त समुद्री कार्रवाई, विशेषकर UAVs द्वारा की जाने वाली कार्यवाही, आज एक एक आकर्षक विकल्प बन रहा है.

जलीय संघर्ष: भविष्य में UAVs  की गुप्त कार्यवाहियां!

अधिकांश विश्लेषकों को यह बात विरोधाभासी लग सकती है कि किसी भी देश के सशस्त्र सेना की एक विशेष शाखा का होना शांति के लिए एक अनिवार्य शर्त है. यह एक ऐसी राय है जो कई दशकों से रणनीतिक सोच के एक प्रमुख पहलू के रूप में कायम है. “एक सुदृढ़ नौसेना युद्ध भड़काने का कारण नहीं बल्कि शांति की पक्की गारंटी है,” अमेरिकी राष्ट्रपति थियोडोर रूजवेल्ट ने 1902 में यह बात कही थी. लगभग एक सदी के अंतराल के बाद रणनीतिक सिद्धांतकार जॉन मियरशाइमर ने अपनी 2004 में लिखी प्रसिद्ध किताब ‘द ट्रैजडी  ऑफ ग्रेट पावर पॉलिटिक्स’ में इस दृष्टिकोण को दोहराया था. मियरशाइमर "पानी के बाधक शक्ति" के अपने सिद्धांत - जो यह कहता है कि महासागर अंतरराज्यीय संघर्ष के लिए प्राकृतिक बाधाएं प्रदान करते हैं - पर प्रकाश डालते हुए लिखते हैं कि "विशालकाय समुद्र विकट बाधाएं हैं जो महत्वपूर्ण शक्ति प्रक्षेपण निवारक साबित होते है."

आज आम उपयोग में आने वाली कई अन्य सैन्य प्रौद्योगिकियों की तरह UAVs का भी तकनीकी विकास शीत युद्ध के शुरुआती वर्षों में प्रारंभ हुआ था. UAVs 1950 के दशक में संयुक्त राज्य अमेरिका के नौसेना विभाग के अनुसंधान कार्यालय द्वारा विकसित किया गया था, जिसका उपयोग सैन्य संदर्भ में केवल 2003 में किया गया. 

हालांकि बहुध्रुवीय वैश्विक परिस्थितियों में पूर्ण दर्जे के नौसैनिक युद्ध हमेशा अटकलों के दायरे में रहता है लेकिन समुद्र के मार्ग से की जाने वाली गुप्त कार्रवाई जो मानव रहित पानी के नीचे के जहाजों (UAVs), जो युद्ध के उपकरण पनडुब्बी का एक विशेष रूप है, के आगमन के साथ अब यह एक वास्तविकता बन चुका है. इस नए बदलाव ने महासागरों को संघर्ष में बाधा के रूप में पहचाने जाने वाली सोच को चुनौती दी है. विरोधियों के ख़िलाफ़ गति के साथ प्रभाव डालने के साधन के रूप में उनकी उपयोगिता और इस कार्यवाही के लिए अधिकृत करने वाले राज्यों के लिए अस्वीकार्यता के विकल्प को देखते हुए, इस नई तकनीक का भविष्य में गुप्त कार्रवाई के लिए छल के साधन के रूप में UAVs की बढ़ती सर्वव्यापकता का क्या मतलब हो सकता है?

UAVs और पोशीदा कार्रवाई: एक संक्षिप्त इतिहास

आज आम उपयोग में आने वाली कई अन्य सैन्य प्रौद्योगिकियों की तरह UAVs का भी तकनीकी विकास शीत युद्ध के शुरुआती वर्षों में प्रारंभ हुआ था. UAVs 1950 के दशक में संयुक्त राज्य अमेरिका के नौसेना विभाग के अनुसंधान कार्यालय द्वारा विकसित किया गया था, जिसका उपयोग सैन्य संदर्भ में केवल 2003 में किया गया. उनका उपयोग गठबंधन बलों द्वारा इराकी बंदरगाह उम्म क़सर के समुद्री माइंस को साफ़ करने के लिए किया गया था. तब से आज तक, दुनिया भर की सरकारों ने UAVs को न केवल पनडुब्बी युद्ध और ख़ुफ़िया जानकारी इकट्ठा करने के साधन के रूप में बल्कि गुप्त कार्रवाई करने के लिए एक उपकरण के रूप में भी इनकी उपयोगिता को मान्यता दी है. इस सन्दर्भ में अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद द्वारा परिभाषित ढांचे को आधार माना जा सकता है जो कहता है कि "कार्यवाहियों को इस तरह से नियोजित और संचालित किया जा सकता है कि इन कार्यवाहियों के लिए कोई भी ज़िम्मेदारी अनधिकृत व्यक्तियों के लिए स्पष्ट नहीं होती और यदि कुछ उजागर भी हो तो अधिकृत सरकार उनके लिए किसी भी ज़िम्मेदारी से इंकार कर सकती है.”

मानवरहित हवाई हमले की तकनीकों की तरह, UAVs की किफ़ायत इसे ‘नॉन-स्टेट एक्टर्स’ के लिए एक आकर्षक साधन की संज्ञा देती है जो अपनी असीमित क्षमताओं का लाभ उठाकर विरोधी राज्यों को मज़बूर करने का प्रयास करते है.

गुप्त कार्यवाहियों से, जिसे अक्सर इसके साथ जोड़ दिया जाता है, ठीक विपरीत, UAVs द्वारा किए गए ऑपरेशन में कार्यवाही के गतिज प्रभाव को पूरी तरह से छिपाना नहीं होता है. इसकी कार्यक्षमता का लक्ष्य दोनों होता है जिसमे मूर्त रणनीतिक प्रभाव को प्राप्त करना और राजनीतिक मंच प्रदान करना शामिल है. इस बाबत, UAVs राष्ट्रों को कई लाभ प्रदान करते हैं. विरोध का सामना करते समय न केवल इनको आसानी से समुद्र तल में फेंका जा सकता है (एक ऐसा प्रयोग जो अभी भी ज़्यादातर ज्ञात नहीं है ) बल्कि UAVs द्वारा प्रतिद्वंद्वी के बुनियादी ढांचे पर जो गतिज प्रभाव डाला जा सकता है वह राष्ट्रों के इरादे के संकेत के रूप में कार्य करता है. ये कार्यवाही दृश्यता प्रदान करती है और इसलिए इसका अंतरराष्ट्रीय राजनीति रणनीतिक प्रभाव भी ख़ासा होता है. 

CNI को ख़तरा 

समुद्र के नीचे से गुज़रने वाले महत्वपूर्ण (राष्ट्रीय) बुनियादी ढांचे (CNI) के नेटवर्क का प्रसार तेजी से परस्पर जुड़ी हुई विश्व व्यवस्था का एक उदाहरण है जो शासन कला की राष्ट्रीय पुनरावृत्तियों पर प्रभाव डालने में सक्षम है और अब वह अंतरराज्यीय प्रतिस्पर्धा के लिए भी एक नया कार्यक्षेत्र प्रदान करता है. सैन्य उद्देश्यों के लिए UAVs का विकास समुद्र के नीचे CNI के विस्तार के साथ हुआ है जो अंतरराज्यीय प्रतिस्पर्धा के लिए एक नया कार्यक्षेत्र प्रदान करता है, जो गुप्त कार्यवाहियों और छल के रूप में प्रकट हो सकता है. नॉर्ड स्ट्रीम पाइपलाइन में सितंबर 2022 में हुआ विस्फ़ोट जिसने यूरोपीय राज्यों की रूसी प्राकृतिक गैस की आपूर्ति को बाधित कर दिया या जनवरी 2022 में आर्कटिक में स्वालबार्ड द्वीपसमूह को नॉर्वेजियन मुख्य भूमि से जोड़ने वाले रूस के फाइबर-ऑप्टिक केबल को नष्ट करना ऐसे दो उदाहरण है जिसमे UAVs का उपयोग करके उन्हें अंजाम दिया गया था. UAVs के इस्तेमाल के इस तरह के उदाहरण प्रतिद्वंद्वी राज्यों के समुद्र के नीचे के बुनियादी ढांचे (CNI) और रणनीतिक संसाधनों जैसे ऊर्जा और डेटा की आपूर्ति श्रृंखला को बाधित करने में UAVs की उपयोगिता को उजागर करती हैं. इनमें से प्रत्येक मामले में, आक्रमण का प्रभाव नाटकीय था और राजनीतिक इरादे के साफ़ संकेत देता था जबकि प्रत्यक्ष रूप से इस कार्यवाही के लिए यह ज़िम्मेदार देशो की भूमिका पर परदा करता है जो किसी भी गुप्त कार्रवाई का प्राथमिक उद्देश्य होता है.

समुद्र के नीचे एक बार उपयोग करने योग्य 'आत्मघाती' ड्रोन के लिए एक विस्तृत बाज़ार के निर्माण की संभावना है क्योंकि अब कम लागत और किसी हमले को नकारने पर पूरा ध्यान केंद्रित करना अब एक प्राथमिकता बन गया है. 

मानवरहित हवाई हमले की तकनीकों की तरह, UAVs की किफ़ायत इसे ‘नॉन-स्टेट एक्टर्स’ के लिए एक आकर्षक साधन की संज्ञा देती है जो अपनी असीमित क्षमताओं का लाभ उठाकर विरोधी राज्यों को मज़बूर करने का प्रयास करते है. मार्च 2024 को लाल सागर में तीन प्रमुख फाइबर-ऑप्टिक केबल, जो यूरोप को एशिया और अफ्रीका से जोड़ती है, में की गई तोड़फोड़ के लिए यमन स्थित एक परोक्ष ईरानी आतंकवादी संगठन ‘हूती’ को ज़िम्मेदार माना जाता है हालांकि ‘हूती’ इस ज़िम्मेदारी से इंकार करता है. इस संगठन द्वारा समुद्र के नीचे 'आत्मघाती ड्रोन' का पिछला उपयोग - जिनमें से सबसे सस्ते की कीमत 2,000 अमेरिकी डॉलर से भी कम होने का अनुमान है - उस बड़ी भूमिका को प्रदर्शित करता है जो ऐसे उपकरण ‘नॉन-स्टेट एक्टर्स’ की मदद करने में अदा कर सकते हैं जो अपनी भागीदारी के सबूतों को नष्ट करते हुए अंतरराष्ट्रीय राजनीति में बाहरी प्रभाव डालते है. यह उदाहरण न केवल UAV के उस उपयोगिता पर प्रकाश डालता है जो अस्वीकार्यता के संदर्भ में किसी भी शक्ति को प्रदान करता है बल्कि गतिज गुप्त संचालन को सुविधाजनक बनाने वाली उनकी कम लागत पर भी प्रकाश डालता है.

भविष्य के लिए मायने 

अंतरराज्यीय रणनीतिक प्रतिस्पर्धा के अंतर्गत समुद्री क्षेत्र के फिर आगमन की प्रबलता को प्रतिबिंबित करने के साथ-साथ UAVs का उद्भव विरोधियों के ख़िलाफ़ गुप्त कार्रवाई के लिए नीति निर्णय करने वालों के बाबत एक नई चुनौती की संभावना को भी जन्म देता है.

गुप्त कार्रवाई की उपयोगिता को देखते हुए, यह अनुमान लगाया गया है कि सरकारें UAVs के विकास और इसके लिए अधिक गुप्त क्षमताओं को प्राप्त करने में अब और निवेश करेंगी और उसमें अधिक गहरे समुद्र में गहन जांच करने की प्रौद्योगिकी भी शामिल हैं. UAVs तकनीक का उपयोग कर इकट्ठा की जाने वाली गुप्त जानकारियां उनकी तैनाती करने वाले विरोधी राज्य के व्यापक रणनीतिक इरादे के बारे में ख़ुलासे कर सकती हैं, जिससे तैनाती करने वाले राज्य के लिए अंतरराष्ट्रीय शर्मिंदगी होती है. ऐसी एक घटना जनवरी 2021 को देखा गया जब इंडोनेशियाई अधिकारियों ने सबूत के तौर पर दक्षिण चीन सागर में पाई गई एक चीनी UAV से डिजिटल रूप से संग्रहीत हाइड्रोग्राफिक जानकारी जारी की और चीन द्वारा अंतरराष्ट्रीय समुद्री कानून के उल्लंघन को साबित किया. हालांकि ‘स्टील्थ’ प्रौद्योगिकियाँ लंबे समय से UAV इंजीनियरिंग का अभिन्न अंग रही हैं जैसा कि रूस के 'पोसीडॉन' जहाजों द्वारा दर्शाया गया है, आने वाले समय में सरकारों द्वारा समुद्र के नीचे परिष्कृत निगरानी प्रणालियों द्वारा अवरोधन से बचने के लिए ‘स्टील्थ’ तकनीक के नए रूपों के विकास में अधिक निवेश करने की संभावना है.

समुद्र के नीचे एक बार उपयोग करने योग्य 'आत्मघाती' ड्रोन के लिए एक विस्तृत बाज़ार के निर्माण की संभावना है क्योंकि अब कम लागत और किसी हमले को नकारने पर पूरा ध्यान केंद्रित करना अब एक प्राथमिकता बन गया है. ऐसे UAVs अपने सामर्थ्य से कही अधिक असर डालते है और ख़ुद भी नष्ट हो जाते है और इस प्रक्रिया में राज्य के दोषी होने के किसी भी सबूत को ख़त्म किया जा सकता है. हालांकि वे गतिज प्रभाव के माध्यम से रणनीतिक इरादे का संकेत भी देते हैं लेकिन समुद्र के नीचे CNI पर UAV हमलों के भौतिक साक्ष्य प्राप्त करना समय के साथ अधिक कठिन होने की संभावना है. जबकि यूक्रेनी सेनाएं पहले से ही रूस के साथ अपने युद्ध में ऐसे उपकरणों का उपयोग करने के लिए जानी जाती हैं और हूती जैसे ‘नॉन-स्टेट एक्टर्स’ ने 2021 में इजरायली ऊर्जा के बुनियादी ढांचे और तीन साल बाद फाइबर-ऑप्टिक केबल पर हमला किया था और ये घटनाएं एक छोटे किन्तु तेजी से बढ़ते अब तक ध्यान से दूर रहे रक्षा बाज़ार की ओर इशारा करती है. निजी हथियार डीलर, आपराधिक उद्यम और सरकारें सभी इस बाज़ार पर हावी होने की कोशिश कर सकते हैं जिससे आने वाले समय में प्रतिस्पर्धा और बढ़ जाएगी और अंततः बिक्री की कीमत भी कम हो जाएगी. इन सब से UAVs के प्रसार में भी आसानी होगी. 

अस्वीकार्यता की गहरी संभावना और विरोधियों के ख़िलाफ़ ठोस रणनीतिक प्रभाव सूचक दोहरे सिद्धांतों के रूप में परिभाषित की जाने वाली गुप्त कार्रवाई आज एक बहुध्रुवीय और गहन रूप से परस्पर जुड़ी दुनिया में नीति निर्माताओं के लिए एक आकर्षक विकल्प है. यह उनके लिए बहुत लाभदायक है जो प्रतिस्पर्धियों के समकक्ष रहकर उनका लाभ उठाने के साथ-साथ अन्य विकल्पों में होने वाली लागतों से भी बचना चाहते हैं. ऐसे समय में जब समुद्री इलाका तेजी से अंतरराज्यीय रणनीतिक प्रतिस्पर्धा के केंद्र के रूप में कार्य कर रहा है गुप्त कार्रवाई को भी जल्द ही इस क्षेत्र की विशिष्ट परिस्थितियों के अनुकूल होना चाहिए. UAVs की सर्वव्यापकता एक प्रतीक है जो गुप्त कार्यवाही को एक तेजी से परस्पर जुड़े हुए लेकिन बहुध्रुवीय विश्व में ले जा सकता है जहां इंकार करने की क्षमता रणनीतिक लाभ और अंतर्निर्भरता के साथ-साथ समुद्र के भीतर की कार्यवाही की लागत को भी कम करता है. 


अर्चिशमन गोस्वामी ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में इंटरनेशनल रिलेशन्स विषय पर MPhil के छात्र हैं. 

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