12 दिसंबर को जापान, फिलीपींस और अमेरिका (JAPHUS) के पहले त्रिपक्षीय शिखर सम्मेलन ने वेस्ट फिलीपीन सी, ईस्ट चाइना सी और ताइवान स्ट्रेट में बिगड़ती सुरक्षा स्थिति के बीच परंपरागत केंद्रीकृत ढांचे से आगे क्षेत्रीय नियम आधारित व्यवस्था में ज़िम्मेदार हितधारक (स्टेकहोल्डर) के रूप में सामूहिक रूप से व्यापक और अधिक सक्रिय भूमिका निभाने के लिए तीनों देशों के बीच ज़रूरत का उदाहरण पेश किया. इस तरह त्रिपक्षीय व्यवस्था के लिए ज़ोर अमेरिका, फिलीपींस और टोक्यो के बीच उस समय अपने एकीकरण को गहरा करने और सामूहिक प्रतिक्रिया एवं आत्मरक्षा को सुधारने के साझा हितों को दिखाता है जब चीन अंतरराष्ट्रीय कानून की कीमत पर अपने विस्तारवादी हितों को जारी रखना चाहता है.
अमेरिका के रक्षा विभाग की 2023 की रिपोर्ट, जो साउथ चाइना सी, ईस्ट चाइना सी और ताइवान स्ट्रेट में अपनी हरकतों के ज़रिए अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को चुनौती देने में सक्षम प्रमुख प्रतिस्पर्धी के तौर पर चीन को उजागर करती है, क्षेत्र में चीन की बढ़ती आक्रामकता का समाधान करने की आवश्यकता को रेखांकित करती है. ये दो चिंताएं शिखर सम्मेलन होने की प्रमुख वजह हैं. समिट के दौरान तीनों देशों के नेताओं ने पूरे इंडो-पैसिफिक और दुनिया में शांति और सुरक्षा के लिए अपनी निष्ठा को फिर से दोहराया. शिखर सम्मेलन के दौरान चर्चाओं ने औपचारिक रूप से त्रिपक्षीय साझेदारी की शुरुआत की. इसके तहत आर्थिक विकास और सामर्थ्य के साथ IPEF (इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क फॉर सिक्योरिटी) के लिए समर्थन, महत्वपूर्ण उभरती तकनीकों के विकास में साझेदारी और स्वच्छ ऊर्जा की सप्लाई चेन को आगे बढ़ाना शामिल है. दो सबसे महत्वपूर्ण घटनाक्रमों में से पहला है पार्टनरशिप फॉर ग्लोबल इंफ्रास्ट्रक्चर एंड इन्वेस्टमेंट (वैश्विक बुनियादी ढांचे एवं निवेश के लिए साझेदारी) कॉरिडोर के पहले हिस्से के रूप में लुज़ोन इकोनॉमिक कॉरिडोर का एलान. इस पहल का उद्देश्य फिलीपींस के प्रमुख केंद्रों- सुबिक बे, क्लार्क, मनीला और बटंगस के बीच कनेक्टिविटी को बढ़ावा देना है. इस कोशिश के तहत तीनों देशों ने सुबिक बे में रेल नेटवर्क, बंदरगाह का विकास, स्वच्छ ऊर्जा, सेमीकंडक्टर सप्लाई चेन, एग्री बिज़नेस (कृषि व्यवसाय) और नागरिक बंदरगाह में सुधार जैसे महत्वपूर्ण इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट में निवेश तेज़ करने का संकल्प लिया. दूसरा, साझा बयान ने अमेरिकी गठबंधन की प्रतिबद्धता को अटल बताया और साउथ एवं ईस्ट चाइना सी के साथ-साथ ताइवान स्ट्रेट में पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (PRC) के ख़तरनाक और आक्रामक बर्ताव के संदर्भ में इंडो-पैसिफिक में शांति और सुरक्षा बरकरार रखने में तीनों देशों के मज़बूत वादे को रेखांकित किया.
एक बार जब फिलीपींस और जापान रेसिप्रोकल एक्सेस एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर कर लें तो ऐसे अभ्यासों के साजो-सामान में और सुधार आएगा.
अमेरिका-जापान-फिलीपींस शिखर सम्मेलन
समुद्री सुरक्षा पर ध्यान के साथ नेताओं के साझा विज़न स्टेटमेंट ने इंडो-पैसिफिक के समुद्री क्षेत्र को स्वतंत्र, खुला और नियम आधारित रखने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया. समुद्र के कानून पर संयुक्त राष्ट्र संधि (यूनाइटेड नेशंस कन्वेंशन ऑन द लॉ ऑफ द सी या UNCLOS) और 2016 के मध्यस्थ (आर्बिटल) के फैसले, जिसने फिलीपींस के विशेष आर्थिक क्षेत्र में चीन के विस्तारवादी दावों को अमान्य ठहराया था, का पालन करने की ज़रूरत पर साफ ज़ोर के साथ अधिक संख्या में त्रिपक्षीय समुद्री गतिविधियों की घोषणा की गई. एक बार जब फिलीपींस और जापान रेसिप्रोकल एक्सेस एग्रीमेंट (पारस्परिक पहुंच समझौता या RAA) पर हस्ताक्षर कर लें तो ऐसे अभ्यासों के साजो-सामान में और सुधार आएगा. इससे भी महत्वपूर्ण बात ये है कि साझा विज़न स्टेटमेंट ने क्वॉड, ऑकस और अमेरिका-जापान-दक्षिण कोरिया त्रिपक्षीय समेत क्षेत्र में मौजूदा मिनी लेटरल के नेटवर्क के भीतर इस त्रिपक्षीय को जोड़ने की आवश्यकता को भी उजागर किया. ये इस मायने में महत्वपूर्ण है कि JAPHUS की गतिविधियों को इंडो-पैसिफिक में साझा लक्ष्यों पर आधारित दूसरी महत्वपूर्ण साझेदारियों की मदद मिलेगी.
इंडो-पैसिफिक में जापान का सामरिक रवैया इसके “स्वतंत्र एवं खुले इंडो-पैसिफिक” (FOIP) की रणनीति के साथ बदला है और ये त्रिपक्षीय गठबंधन इंडो-पैसिफिक में बदलते ताकत के समीकरण के जवाब में जापान के सामरिक गुणा-भाग को रेखांकित करता है, ख़ास तौर पर अमेरिका-चीन की बढ़ती दुश्मनी को देखते हुए. इस त्रिपक्षीय प्रारूप में जापान की भागीदारी एक सामरिक कोशिश है जिसका लक्ष्य उसकी क्षेत्रीय सुरक्षा स्थिति को मज़बूत करना, कूटनीतिक लाभों को बढ़ाना और प्रमुख क्षेत्रीय साझेदार फिलीपींस के साथ-साथ पुराने सहयोगी अमेरिका के साथ पहले से ही अच्छी तरह स्थापित सुरक्षा संबंधों को गहरा करना है.
JAPHUS की सफलता के लिए सामूहिक सामर्थ्य कैसे महत्वपूर्ण है- को ध्यान में रखते हुए ये स्पष्ट है कि रक्षा और आर्थिक क्षमताओं के मामले में फिलीपींस पीछे है. इसे देखते हुए समिट के दौरान कई महत्वपूर्ण सफलताएं मिली जिनका लक्ष्य फिलीपींस की सुरक्षा और आर्थिक सामर्थ्य को बढ़ाना है. उदाहरण के लिए, अमेरिकी कांग्रेस में एक द्विदलीय बिल पेश किया गया जो फिलीपींस की रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने और उसके सैन्य आधुनिकीकरण कार्यक्रम को तेज़ करने के लिए पांच वर्षों में इस दक्षिण-पूर्व एशियाई देश को 2.5 अरब अमेरिकी डॉलर मुहैया कराएगा. इसके अलावा, लुज़ोन इकोनॉमिक कॉरिडोर की भी शुरुआत की गई. पार्टनरशिप फॉर ग्लोबल इंफ्रास्ट्रक्चर एंड इन्वेस्टमेंट के तहत क्षेत्र में ये अपनी तरह की पहली इंफ्रास्ट्रक्चर और विकास परियोजना है.
वैसे फिलीपींस के विकास की गाथा का हिस्सा बनने में अमेरिका की तरफ से सकारात्मक और समन्वित प्रयास किए गए हैं. इनमें फिलीपींस की इनोवेटिव अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में 1 अरब अमेरिकी डॉलर के निवेश की योजना शामिल हैं.
एक बार जब ये शुरू हो जाएगी तो ये अधिक असर वाली इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं में समन्वित निवेश प्रदान करेगी और इसके साथ-साथ देश में और अधिक नौकरियां पैदा करेगी. चीन की तरफ से क्षेत्र में बहुआयामी ताकत दिखाने, जो काफी हद तक अपने छोटे पड़ोसियों के साथ परस्पर निर्भर व्यावसायिक संबंधों का लाभ उठाने पर आधारित है, का बेहतर ढंग से मुकाबला करने के लिए फिलीपींस की आर्थिक शक्ति को बढ़ाना ट्राई लेटरल के हित में है. इसके अलावा आर्थिक कॉरिडोर फिलीपींस को सेमीकंडक्टर सप्लाई चेन में बेहतर स्थिति में लाएगा और इस दक्षिण-पूर्व एशियाई देश को निकेल जैसे अपने महत्वपूर्ण संसाधनों का बेहतर ढंग से इस्तेमाल करने और फायदा उठाने की अनुमति देगा. हालांकि ऐसी परियोजना के आकार को देखते हुए अमेरिका के लिए अपनी दीर्घकालीन प्रतिबद्धता को सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण होगा क्योंकि इस तरह के प्रोजेक्ट की फंडिंग में नौकरशाही की चुनौतियों की वजह से अतीत में दिक्कतें आई थीं. वैसे फिलीपींस के विकास की गाथा का हिस्सा बनने में अमेरिका की तरफ से सकारात्मक और समन्वित प्रयास किए गए हैं. इनमें फिलीपींस की इनोवेटिव अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में 1 अरब अमेरिकी डॉलर के निवेश की योजना शामिल हैं.
अमेरिका और फिलीपींस के साथ सुरक्षा तालमेल के मज़बूत और विस्तारित दायरे के साथ जापान अपनी सामरिक गहराई को बढ़ा सकता है, संभावित क्षेत्रीय आक्रमणों के सामने अपने विरोध को तेज़ कर सकता है और एक स्वतंत्र एवं खुले इंडो-पैसिफिक को बनाए रखने के लक्ष्य से कोशिशों को मज़बूत कर सकता है. क्षेत्र में जापान के पुराने समर्थन का फायदा उठाकर, विशेष रूप से जापान अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एजेंसी के माध्यम से, तीनों देश पर्याप्त और परिवर्तनकारी निवेश आकर्षित करने के लिए बहुपक्षीय संस्थानों और प्राइवेट इकाइयों के साथ सहयोग करने का इरादा रखते हैं.
साझा लोकतांत्रिक मूल्यों और सामरिक हितों की बुनियाद पर बनी अमेरिका-जापान की साझेदारी ने शीत युद्ध के युग के बाद की जटिलताओं का सफलतापूर्वक सामना किया है और क्षेत्रीय एवं वैश्विक सुरक्षा का एक प्रमुख स्तंभ बनी हुई है. हाल के वर्षों में जापान और अमेरिका ने इंडो-पैसिफिक में बदलते सुरक्षा समीकरण के जवाब में अपने गठबंधन को आधुनिक बनाने और विस्तार देने की कोशिश की है. जापान के द्वारा नई रक्षा गाइडलाइन अपनाने और आधुनिक अमेरिकी सैन्य तकनीक को हासिल करने समेत रक्षा खर्च एवं क्षमता बढ़ाने की उसकी कोशिशें क्षेत्रीय सुरक्षा में एक अधिक सक्रिय रवैये का संकेत देती हैं. तीनों देश सरकारी एजेंसियों और महत्वपूर्ण इंफ्रास्ट्रक्चर की रक्षा करने के उद्देश्य से एक साझा साइबर सुरक्षा ढांचा स्थापित करने के लिए पहले से ही बातचीत कर रहे हैं.
अमेरिका, फिलीपींस और जापान को नेटवर्क आधारित समन्वय के तौर-तरीकों से लगातार जुड़ना चाहिए और सभी तीनों देशों के राजनेताओं और फैसला लेने वालों को नियमित रूप से मिलने और साझा उद्देश्यों एवं चिंताओं पर चर्चा करने के लिए एक मंच मुहैया कराना चाहिए.
निष्कर्ष
तीनों देशों ने जिस तरह से व्यावहारिक और दूरदर्शी योजनाएं तैयार की हैं, उसे देखते हुए शिखर सम्मेलन को सफल बताया जा सकता है लेकिन इस उभरते ट्राइलेटरल की रफ्तार को अधिकतम करने और बनाए रखने की आवश्यकता सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक होगी. ताइवान पर अमेरिका, जापान और फिलीपींस के बीच सामरिक एकजुटता फिलीपींस की रणनीतिक स्थिति और ताइवान में बड़ी संख्या में फिलीपींस के लोगों की आबादी के साथ अलग हो सकती है. इस तरह ये एक प्रमुख लेकिन कम निश्चित किरदार बन जाता है जो ताइवान में संघर्ष की स्थिति में संभावित आर्थिक और मानवीय संकट का सामना करेगा. अमेरिका और फिलीपींस के साथ जापान की गहरी भागीदारी को क्षेत्रीय कूटनीति, ऐतिहासिक संवेदनशीलता और शामिल पक्षों की अलग-अलग सामरिक प्राथमिकताओं की जटिल गतिशीलता का हर हाल में ध्यान रखना होगा. उदाहरण के लिए, समिट राष्ट्रपति बाइडेन के द्वारा US स्टील के अधिग्रहण के निप्पॉन स्टील के फैसले के विरोध और राष्ट्रपति पद पर ट्रंप की संभावित वापसी के परिणामों की वजह से अमेरिका-जापान संबंधों को लेकर चिंताओं के बीच आयोजित हुआ. इसलिए अमेरिका, फिलीपींस और जापान को नेटवर्क आधारित समन्वय के तौर-तरीकों से लगातार जुड़ना चाहिए और सभी तीनों देशों के राजनेताओं और फैसला लेने वालों को नियमित रूप से मिलने और साझा उद्देश्यों एवं चिंताओं पर चर्चा करने के लिए एक मंच मुहैया कराना चाहिए. राष्ट्रीय राजनीति को विदेश नीति के लक्ष्यों के साथ सहजता से तालमेल बैठाना चाहिए ताकि घरेलू राजनीतिक प्रणाली में बदलावों के बावजूद निरंतरता को सुनिश्चित किया जा सके.
प्रत्नाश्री बासु ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन में एसोसिएट फेलो हैं.
डॉन मैकलेन गिल फिलीपींस में काम करने वाले भू-राजनीतिक विश्लेषक और मनीला की डि ला सल्ले यूनिवर्सिटी (DLSU) के डिपार्टमेंट ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज़ में लेक्चरर हैं.
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