Author : Aditi Ratho

Published on Oct 19, 2019 Updated 0 Hours ago

अगर प्रशासनि ग़लतियोंसे बचा जाए तो संकल्प देश में कौशल विकास ज़रूरतोंको पूरा करने का दमखम रखता है.

स्किल इंडिया मिशन में कहां फिट होता है नया संकल्प प्रोजेक्ट?

भारत में पिछले कुछ दशकों में स्किल डिवेलपमेंट यानी कौशल विकास के क्षेत्र में काफ़ी बदलाव हुआ है. पहले जहां इसके ज़रियेतकनीकी शिक्षा पर जोर दिया जाता था, वहीं अब यह ऐसे बड़े मिशन में बदल गया है, जिसका मक़सदअलग-अलग क्षेत्रों में रोज़गारके मौके बढ़ाना है. 2009-2014 के बीच सरकार ने स्किल डिवेलपमेंट की ज़िम्मेदारीऔर कामकाज कई मंत्रालयों के बीच बांटा था. हालांकि, 2014 में फिर से चुने जाने के बाद सरकार ने इस ट्रेंड को बदल दिया. उसने श्रम व रोज़गारमंत्रालय की ट्रेनिंग और अप्रेंटिस डिविजन को अपग्रेड करके मिनिस्ट्री ऑफ स्किल डिवेलपमेंट एंड आंट्रप्रेन्योरशिप (MSDE) यानी कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय में बदल दिया, जिसे इस क्षेत्र में की जाने वाली कोशिशों के बीच तालमेल बनाने की ज़िम्मेदारीदी गई है. अभी MSDE के तहत आने वाली कई एजेंसियां रोज़गारदर को स्थिर बनाए रखने के लिए सालाना 81 लाख नौकरियां पैदा करने के मुश्किल काम के अलग-अलग पहलुओं के बीच तालमेल बनाने की कोशिश करती हैं. हाल ही में स्किल एक्विजिशन एंड नॉलेज अवेयरनेस फॉर लाइवलीहुड प्रमोशन (संकल्प) प्रोजेक्ट की घोषणा की गई. इसमें कुछ शानदार सुझाव दिए गए हैं, जिनसे पता चलता है कि सरकार पिछले स्किलिंग साइकल यानी कौशल विकास पहल की कमजोरियों पर गौर कर रही है. हालांकि, इसके साथ सवाल यह भी उठता है कि कहीं यह कौशल विकास के तामझाम में एक और कड़ी तो नहीं है. जो एजेंसियां अभी इस काम में लगी हुई हैं, उन्हें मजबूत करना लंबी अवधि में फ़ायदेमंदहो सकता है, बजाय इसके कि इस काम में लगे नौकरशाही के तामझाम को और बढ़ाया जाए.

इस मसले को समझने के लिए पहले MSDE पर गौर करना होगा. अभी इससे कई सरकारी एजेंसियां जुड़ी हुई हैं, जिनमें से हरेक को तय काम सौंपा गया है. MSDE के साथ दूसरे मंत्रालय भी अपने स्किलिंग प्रोग्राम चला रहे हैं. मिसाल के लिए, आवास और शहरी विकास मंत्रालय (MoHUA) नेशनल अर्बन लाइवलीहुड्स प्रोग्राम (NULM) चला रहा है. इसका मतलब यह है कि संकल्प और मौजूदा प्रोग्राम में दोहराव हो सकता है, जिससे एजेंसियों के बीच अपने दायित्व को लेकर भ्रम की स्थिति पैदा हो सकती है. इससे प्रशासनिक स्तर पर बाधाएं खड़ी होंगी. संकल्प की फंडिंग पब्लिक-प्राइवेट-पार्टनरशिप मॉडल के तहत की जा रही है. इसके लिए विश्व बैंक 3,300 करोड़ रुपये देगा, राज्य 600 करोड़ लगाएंगे और इंडस्ट्री पार्टनर्स 4,455 करोड़ रुपये का योगदान करेंगे. इस प्रोजेक्ट की कमान MSDE को दी गई है और स्टेट स्किल डिवेलपमेंट मिशन इसके लक्ष्य हासिल करने में मदद करेंगे. लेकिन एक मसला यह है कि संकल्प और नेशनल स्किल डिवेलपमेंट एजेंसी (NSDA) के मक़सदएक हैं और यह भी MSDE के तहत काम करती है. नीचे दिए गए टेबल में हम इसकी जानकारी दे रहे हैं.

संकल्प का मकसद  NSDA का लक्ष्य
केंद्र और राज्य स्तर पर संस्थागत उपायों को मज़बूतीदेना NSDA कई राज्यों को स्किल डिवेलपमेंट एक्शन प्लान, कौशल विकास नीतियां तैयार करने में मदद दे रही है. इसके लिए उसने एशियन डिवेलपमेंट बैंक, यूरोपियन यूनियन और डिपार्टमेंट ऑफ इंटरनेशनल डिवेलपमेंट के तकनीकी सहयोग प्रोग्राम के ज़रियेसही प्रशासनिक ढांचा तैयार किया है.
राज्य स्तर पर सभी स्किल ट्रेनिंग एक्टिविटी के बीच तालमेल कायम करना NSDA सभी संबंधित मंत्रालयों और पक्षों के साथ स्किल डिवेलपमेंट की केंद्रीय योजनाओं में तालमेल की ख़ातिरकाम किया है
समाज के वंचित वर्ग को स्किल ट्रेनिंग के अवसर मुहैया कराना, जिसमें ख़ासतौरपर महिलाओं के कौशल विकास पर जोर होगा

SC, ST, OBC, अल्पसंख्यकों, महिलाओं और दिव्यांगों का कौशल विकास सुनिश्चित करना

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जैसा कि ऊपर के टेबल में बताया गया है, संकल्प प्रोजेक्ट के अधिकांश लक्ष्य पहले से NDSA की जिम्मेदारियों में शामिल हैं. इसके बावजूद संकल्प प्रोजेक्ट में दो ऐसी खास बातें हैं, जिनसे NSDA को और असरदार बनाया जा सकता है. इसके तहत NSDA के अंदर यूनिफाइड नेशनल एक्रिडिटेशन बोर्ड बनाने का प्रस्ताव दिया गया है, जो ट्रेनिंग देने वालों और ट्रेनिंग सेंटरों के रजिस्ट्रेशन और एक्रिडिटेशन की शर्तें तय करेगा. इसके साथ वह उनकी ग्रेडिंग भी करेगा, जिससे इन संस्थाओं और केंद्रों की क्वॉलिटी सुनिश्चित की जा सकेगी. वोकेशनल ट्रेनिंग पार्टनर्स (VTP) के भ्रष्टाचार को देखते हुए ऐसा करना जरूरी हो गया था, जो सही तरीके से कोर्स पूरा किए बिना फंड ले रहे थे. एक्रिडिटेशन की प्रक्रिया को सख्त बनाने से ऐसे भ्रष्टाचार पर रोक लगेगी. संकल्प प्रोजेक्ट के तहत एक्रिडिटेशन के लिए एक सख्त व्यवस्था बनाई जा सकती है, जिसमें वोकेशनल ट्रेनिंग पार्टनर्स को फाइनल लेवल एक्रिडिटेशन तभी दिया जाए, जब वे खास संख्या के कोर्स सफलतापूर्वक पूरा करें. इसमें अकेले और सामूहिक स्तर पर छात्रों के अटेंडेंस एक शर्त बनाई जा सकती है.

संकल्प में NSDA के तहत नेशनल स्किल रिसर्च डिविजन बनाने का भी प्रस्ताव दिया गया है, जो अच्छी पहल है. यह स्वतंत्र थिंकटैंक की तरह काम कर सकता है, जो लेबर मार्केट के ट्रेंड का विश्लेषण और स्किल डिवेलपमेंट प्रोग्राम के असर का आकलन करके कौशल विकास के काम में लगी सभी एजेंसियों को सुझाव दे सकता है. इससे स्किल डिवेलपमेंट की नीतियों को और धारदार बनाने में मदद मिलेगी. नेशनल स्किल डिवेलपमेंट कॉरपोरेशन (NSDC) ने बिहार को छोड़कर सभी राज्यों में कौशल विकास में कमियों का पता लगाने के लिए जिला स्तर पर स्टडी की थी, जिसके नतीजे 2013 में प्रकाशित किए गए थे. इंडस्ट्री को कैसे श्रमिकों की जरूरत है, इसका पता लगाने के लिहाज से यह स्टडी कारगर थी और इसका दायरा भी काफ़ी बड़ा था, लेकिन इसमें जो कमियां रह गई थीं, उन्हें राज्य समय-समय पर स्किल गैप एनालिसिस (SGA) के ज़रियेदूर कर सकते हैं. इस काम में यह स्वतंत्र थिंकटैंक मददगार साबित हो सकता है.

SGA रिपोर्ट्स में सिर्फ यही न बताया जाए कि शहरों में अलग-अलग क्षेत्रों में रोज़गारके लिए किस तरह के स्किल की जरूरत है बल्कि इसमें यह भी बताया जाना चाहिए कि ट्रेनिंग ले चुके कितने लोगों को उन क्षेत्रों में नौकरी मिली है. MoHUA NULM ने राज्यों की गवर्निंग बॉडीज के लोकल स्किल गैप एनालिसिस के लिए अलग से अनुदान तय किया है. संकल्प के फंड का इस्तेमाल करके MSDE यह काम कर सकती है. इसके अलावा, संकल्प प्रोजेक्ट का मक़सदNSDA के लेबर मार्केट इंफॉर्मेशन सिस्टम (LMIS) को मजबूत बनाना भी है. अभी LMIS सिंगल विंडो नेशनल डेटाबेस है जिसमें चार केंद्रीय मंत्रालयों के स्किल डिवेलपमेंट के आंकड़े हैं. संकल्प के तहत LMIS एक इंटीग्रेटेड (एकीकृत) प्लेटफॉर्म होगा, जिसमें 20 मंत्रालयों और सभी राज्यों के स्किल डिवेलपमेंट के आंकड़े होंगे. संकल्प एक राष्ट्रीय योजना है, जिसे कई स्तर पर लागू किया जाना है. इसमें पूरे प्रोग्राम की ज़िम्मेदारीMSDE पर है और इसकी जिम्मेदारियां NSDA, NSDC, नेशनल स्किल डिवेलपमेंट फंड और स्टेट स्किल डिवेलपमेंट मिशन के बीच बांटी जाएंगी. हालांकि, इसमें स्किल डिवेलपमेंट के नए पहलुओं पर ध्यान देने की जरूरत है.

संकल्प के लिए अलग ब्यूरोक्रेटिक स्ट्रक्चर बनाना ठीक नहीं होगा, जो ऐसे लक्ष्य हासिल करने के लिए काम करें, जिस पर पहले से ही कई एजेंसियां काम कर रही हैं. मिसाल के लिए, 20 अगस्त 2019 को काम के बंटवारे की जो अधिसूचना जारी हुई, उसमें NSDA और संकल्प को मंत्रालय की अलग-अलग विंग के तहत रखा गया है. इसमें NSDC को ‘इकॉनमिक पॉलिसी एंड नेशनल काउंसिल फॉर वोकेशन एजुकेशन एंड ट्रेनिंग’ और संकल्प को ‘इंटरनेशनल को-ऑपरेशन एंड टेक्नोलॉजी’ के तहत डाला गया है. आख़िरमें इसका ख्याल भी रखा जाना चाहिए कि विश्व बैंक से मिले फंड का इस्तेमाल मौजूदा फ्रेमवर्क और कोर्स को मजबूत बनाने में हो, न कि इससे अलग इकाइयों की फंडिंग हो. शहरों में रहने वाले ग़रीबोंके रोज़गारकी ख़ातिरअलग-अलग योजनाओं के तहत जो फंड दिए जा रहे हैं, उनमें अंतर है. इससे बेवजह का भ्रम बढ़ता है. साथ ही, योजनाओं के तहत किए जाने वाले कामकाज और फंडिंग में भी असमानता की स्थिति पैदा होती है. अगर दायित्व और कामकाज में दोहराव की समस्या खत्म कर दी जाए तो संकल्प प्रोजेक्ट के तहत जो इनोवेटिव प्रपोजल दिए गए हैं, उनसे देश में लगातार बदल रहे कौशल विकास की जरूरतों और मांग को पूरा किया जा सकता है.

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