Published on Dec 03, 2020 Updated 0 Hours ago

ट्रंप प्रशासन का दृष्टिकोण "अल्पकालिक, टुकड़ों में विभाजित और अप्रभावी" रहा है और उनकी रणनीति "समन्वित और प्रभावी" होगी.

चीनी तकनीक को लेकर ट्रंप की नीतियों को क्या बाइडेन पलट देंगे?

अगर अमेरिकी चुनाव के दौरान जोसेफ़ रॉबिनेट बाइडेन जूनियर की, चीनी तकनीक (China-tech) पर दी गईं चुनाव-पूर्व राजनीतिक बयानबाज़ी अगर चुनाव के बाद की कार्रवाइयों में तब्दील हो जाए, तो चीन के साथ वैश्विक स्तर पर हो रहे तकनीकी अलगाव में तेज़ी आ जाएगी. अपने पूरे चुनावी अभियान के दौरान बाइडेन ने ट्रंप की ही तरह चीन से अलगाव की बात कही है. उन्होंने खुले तौर पर और स्पष्ट रूप से चीन को लेकर अपनी सोच को स्पष्ट किया है. उन्होंने कहा, “चीन की सरकार और सरकार की राह पर चलने वाले अन्य कारकों ने अमेरिकी रचनात्मकता पर हमला किया है.”

बाइडेन ने अमेरिकी कंपनियों के ख़िलाफ़, चीन द्वारा राज्य प्रायोजित साइबर जासूसी के लिए साइबर हमलों के मुद्दे को उठाया है, और चीनी कंपनियों पर नए प्रतिबंध लगाने का वादा किया है. 

बाइडेन ने अमेरिकी कंपनियों के ख़िलाफ़, चीन द्वारा राज्य प्रायोजित साइबर जासूसी के लिए साइबर हमलों के मुद्दे को उठाया है, और चीनी कंपनियों पर नए प्रतिबंध लगाने का वादा किया है. लेकिन सबसे महत्वपूर्ण रूप से उन्होंने कहा है कि ट्रंप प्रशासन का दृष्टिकोण “अल्पकालिक, टुकड़ों में विभाजित और अप्रभावी” रहा है और उनकी रणनीति “समन्वित और प्रभावी” होगी.

लेकिन अगर बाइडेन की योजनाएं उनके कार्यों की संकेतक हैं- ये ज़रूरी नहीं कि यह दोनों हमेशा ही सद्भाव यानी क्रम में हों- तो वह आने वाले समय या यूं कहें कि अल्पावधि में ट्रंप की नीतियों को लागू कर सकते हैं. उसके बाद, बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करेगा कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी जो राष्ट्रपति शी-जिनपिंग के नेतृत्व में अराजक और अनियंत्रित रही है, वह किस हद तक झुकती है और सुधारों को अपनाती है. उदाहरण के लिए, क्या बीजिंग अपने 2017 के राष्ट्रीय खुफ़िया कानून के चार अनुच्छेदों (7, 9, 12 और 14) को हटाएगा, जो नागरिकों से लेकर निगमों व कंपनियों तक, हर चीनी इकाई को जासूसों में बदल देता है? इस बात की संभावना न के बराबर है.

चीन के साथ दोराहे पर अमेरिका की रणनीति

इसके अलावा, 13 यूरोपीय देशों के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा में बदलाव का सवाल भी है, जिन्होंने अमेरिका का अनुसरण करते हुए, हुआवेई पर प्रतिबंध लगाने की कारवाई की है.

अमेरिका के रुख़ में बदलाव और यूरोपीय देशों पर इसके प्रभाव से यूरोपीय देशों की संप्रभु स्वायत्तता की धारणाओं पर असर पड़ेगा- उन्हें अमेरिका के ग्राहक राज्य के रूप में देखा जाएगा, जैसे पाकिस्तान और उत्तर कोरिया को चीन का ग्राहक राज्य माना जाता है. 

अमेरिका के रुख़ में बदलाव और यूरोपीय देशों पर इसके प्रभाव से यूरोपीय देशों की संप्रभु स्वायत्तता की धारणाओं पर असर पड़ेगा- उन्हें अमेरिका के ग्राहक राज्य के रूप में देखा जाएगा, जैसे पाकिस्तान और उत्तर कोरिया को चीन का ग्राहक राज्य माना जाता है. यह इस विचार को भी मज़बूत करेगा कि अमेरिका एक भरोसेमंद सहयोगी नहीं है.

“मेड इन अमेरिका” के भविष्य को लेकर बाइडेन के चुनावी वादों और “आर्थिक सुरक्षा” और “राष्ट्रीय सुरक्षा” को ध्यान में रखते हुए, चीन के प्रति अवरोध की संभावना बढ़ेगी. लेकिन साथ ही, विदेशों में अमेरिकी नेतृत्व बहाल करने का उनका उद्देश्य उन्हें कम से कम तीन मोर्चों पर चीन के साथ बातचीत करने के लिए प्रेरित करेगा- उत्तर कोरिया को परमाणु हथियारों से निरस्त करना, विश्व को हरित बनाना चीन में दमन को रोकना. अपनी ओर से बीजिंग, अमेरिका के साथ बेहतर संबंध बनाने के दौरान, इनमें से किसी भी पक्ष पर झुकने को तैयार नहीं होगा. इन वार्ताओं के बीच में मध्यम-मार्ग के रूप में, चीन की तकनीक एक महत्वपूर्ण कारक होगी. यह किस करवट बैठती है इस पर विश्व का तकनीकी क्रम बहुत हद तक निर्भर करेगा.

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