Author : Manoj Joshi

Published on Nov 20, 2017 Updated 0 Hours ago

चीन में कम्युनिस्ट पार्टी का सेना पर पूरी तरह नियंत्रण है, चीन के आंतरिक व वैश्विक परिदृश्य पर इसका क्या असर पड़ सकता है।

शी की नई रणनीति के भारत के लिए क्या निहितार्थ हैं

बीजिंग में शी कार्यकाल के अंतर्गत चीन की उपलब्धियों का दर्शाने वाली प्रदर्शनी।

चीन में 24 अक्टूबर को सम्पन्न कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) की 19वीं कांग्रेस के दौरान नई केंद्रीय समिति (सीसी), पोलित ब्यूरो (पीबी) और पोलित ब्यूरो की स्थायी समिति (पीबीएससी)का चयन किया जाना था,लेकिन महासचिव शी जिनपिंग, जो चीन के सशस्त्र बलों के कमांडर-इन-चीफ भी है की अध्यक्षता मे हो रही इस कांग्रेस का एक और महत्वपूर्ण कार्य केंद्रीय सैन्य आयोग के नए सैन्य सदस्यों का चयन करना था। उसी दौरान एक अन्य निकाय-केंद्रीय अनुशासन एवं निरीक्षण आयोग (सीसीडीआई) का चयन भी किया गया। यह पार्टी का सबसे शीर्ष भ्रष्टाचार निरोधी निकाय है, जिसकी पीएलए को अपने करीब रखने की शी जिनपिंग की रणनीति में अहम भूमिका है।

सीपीसी का सेना पर पूरी तरह नियंत्रण है और इसलिए सीएमसी सरकार की संस्था और पार्टी के अंग, दोनों रूप में कार्य करता है और उसके सदस्यों का सेना में रैंक और सीपीसी में पद या पोजिशन होती है। 2016 में शी ने सीएमसी में सुधार किए।सीएमसी को पीएलए में केवल चार जनरल विभागों का निरीक्षण करना होता था। शी ने इस निकाय का प्रभार अपने हाथों में ले लिया और इसके चार विभागों को समाप्त करके उनके स्थान पर 15 प्रशासनिक विभाग बना दिए। इन विभागों के पास ​पिछले विभागों जैसे अधिकार नहीं थे, क्योंकि काफी सारे अधिकार पुराने सैन्य क्षेत्रों का स्थान लेने वाली पांच नई थिएटर कमांड्स को सौंप दिए गए। इसके अलावा, पुरानी सामरिक सेकेंड आर्टिलर को उन्नत बनाकर पूरी तरह रॉकेट फोर्स में तब्दील कर ​दिया गया और एक नया सामरिक सहायता बल तैयार किया गया। नए विभागों के चैयरमैन के साथ करीबी मौलिक संबंध थे और केंद्रीयकरण पर शी का प्रभाव था और इसे “सीएमसी चैयरमैन दायित्व प्रणाली” का नाम दिया गया है।


कांग्रेस से जो संदेश बाहर आया वह है कि चीन अपनी सेना को विश्वस्तरीय बनाना चाहता है। दूसरे शब्दों में कहें, तो उसे ज्यादा बेहतर हार्डवेयर से सम्पन्न बनाना चाहता है और इनकी कमान ऐसे जनरलों को सौंपना चाहता है जिनके पास सैन्य महारत हो और जो सीपीसी के वफादार भी हों तथा जो उच्च प्रौद्योगिकी और नवाचार पर बल देने वाले सिद्धांतों के अनुसार काम करते हों।


शी ने 18 अक्टूबर को 19वीं सीपीसी कांग्रेस में अपनी वर्क रिपोर्ट में कहा, “सैन्य बल का गठन लड़ने के लिए किया गया है।” उन्होंने कहा, “हमारी सेना लड़ाई की तैयारी को अपने समस्त कार्यों का लक्ष्य समझे और जब उसे युद्ध के लिए बुलाया जाए, तो वह जीत हासिल करने पर ध्यान केंद्रित करे।” अपनी इन टिप्पणियों में, उन्होंने पीएलए को “21वीं सदी के मध्य तक विश्व स्तरीय सेना” में तब्दील करने की चीन की मंशा की घोषणा की।

शी ने कहा, सीपीसी का लक्ष्य शक्तिशाली और आधुनिक सेना, नौसेना, वायुसेना और सामरिक सहायता बल का निर्माण करना तथा थिएटर कमांड्स के लिए मजबूत और प्रभावी जॉइन्टऑपरेशन्स कमाडिंग इस्टीट्यूशन्स तैयार करना है। युद्ध कौशल का केंद्र टैक्नॉलोजी होगी और नवाचार पर बल दिया जाएगा। पीएलए अपनी साझा युद्ध क्षमताओं में बढ़ोत्तरी करेगी और साथ ही साथ किसी भी स्थान से गतिविधियां चलाने की क्षमता विकसित करेगी।

मील के पत्थर भी तय किए गए: 2020 तक मशीनीकरण “मूलभूत रूप से प्राप्त कर लिया जाएगा,” क्योंकि “सूचना प्रौद्योगिकी अनुप्रयोगों में काफी प्रगति हुई है और सामरिक क्षमताओं में पर्याप्त सुधार लाया जा चुका है।” [i] आधुनिकीकरण का कार्य काफी हद तक 2035 तक पूरा कर लिया जाएगा।

नया केंद्रीय सैन्य आयोग और संविधान

शी ने सीएमसी के सदस्यों की संख्या को 11 से घटाकर सात तक सीमित कर दिया है। [ii] उन्होंने दो वाइस-चैयरमेन — वायुसेना के जनरल शू कीलियांग — जो पिछले सीएमसी में भी इसी पद पर थे और जनरल झांग यूशिया, जो 2012 के सीएमसी में भी थे और जिन्होंने उपकरण विकास और अंतरिक्ष से संबंधित परियोजनाओं की निगरानी की थी। ये दोनों अधिकारी शी के करीबी सैन्य अधिकारियों में से हैं। जनरल झांग के पिता जनरल झांग जोंगशन 1970 के दशक में पीएलए के लॉजिस्टिक्स विभाग के अध्यक्ष थे, लेकिन 1947 में उन्होंने पीएलए की पूर्वोत्तर सेना कोर की कमान संभाली थी, उन दिनों शी के पिता शी झोंगशन पॉलिटिकल कमीशर थे। दोनों परिवारों के बीच तभी से करीबी रिश्ते हैं। [iii]

इसके अलावा, पीएलए के शीर्षतम अधिकारी पद पर आसीन होने वाले जनरल ली झाओचेंग सीएमसी के जॉइन्ट स्टाफ विभाग के अध्यक्ष थे।​ पिछले साल ही, ली को पीएलए आर्मी के नए मुख्यालय का प्रभार संभालने के लिए पदोन्नत किया गया था। अन्य सदस्यों में पीएलए की सामरिक रॉकेट फोर्स के कमांडर वेइ फेंघे, जो दोबारा नामजद किए गए हैं, पीएलए की पूर्व नौसेना के कमिशर, जनरल झांग शेन्गमिन, सैन्य अनुशासन आयोग के प्रमुख, जो भ्रष्टाचार — विरोधी अभियान जारी रखेंगे — शामिल हैं। इसलिए जनरल झांग को सीसीडीआई का डिप्टी सेक्रेटरी भी बनाया गया, जिसके सेक्रेटरी इस समय नए पीबीएससी सदस्य झाओ लेजी हैं।


कांग्रेस के दौरान पार्टी संविधान में प्रमुख विचारों को भी शामिल किया गया। इनमें इस बात की पुष्टि किया जाना भी शामिल है कि सीपीसी “पीएलए और अन्य पीपुल्स आमर्ड फोर्सेज पर पूर्णतया नियंत्रण बनाए रखेगी,” सेना को सशक्त बनाने के बारे में शी के विचार लागू करेगी, पीएलए के निर्माण, सेना पर राजनीतिक अधिपत्य, सुधार और प्रौद्योगिकी के जरिए मजबूती प्रदान करेगी और उसे कानून के अनुरूप सुदृढ़ बनाएगी, साथ ही साथ “पीपुल्स फोर्सेज का निर्माण करेगी और पार्टी कमांड के आदेश का पालन करेगी, लड़ सकेगी, जीतेगी और सफलता हासिल करेगी तथा बेहतरीन आचरण बरकरार रखेगी।” [iv] कांग्रेस के बाद की गतिविधि


शी के अधिकार के लिए पीएलए का महत्व इसी बात से जाहिर हो जाता है कि 25 अक्टूबर को नए नेतृत्व व्यवस्था का खुलासा होने के एक दिन बाद 26 अक्टूबर की दोपहर सीएमसी बैठक के दौरान शी ने इसे अपने संबोधन का एक बिंदु बनाया। बैठक के दौरान उन्होंने वहीं विषय दोहराए, जो उन्होंने उससे पिछले हफ्ते कांग्रेस के उद्घाटन के दौरान पीएलए को 2050 तक विश्व की महानतम सेनाओं में से एक बनाने का प्रयास करने की आवश्यकता के बारे में अपनी वर्क रिपोर्ट में उठाए थे।उन्होंने कहा कि 2020 तक मशीनीकरण मूलभूत रूप से प्राप्त कर लिया जाएगा और आधुनिकीकरण का कार्य काफी हद तक 2035 तक पूरा कर लिया जाएगा। जिन लक्ष्यों को तत्काल हासिल किए जाने की जरूरत हैं, उनमें सामरिक क्षमताओं में विशेषकर सूचना प्रौद्योगिकी में पर्याप्त सुधार लाना शामिल है।बैठक में सीएमसी के निर्वतमान और नए सदस्यों, रक्षा मंत्री चेंग वानक्वान, थिएटर कमांडरों, विभिन्न सैन्य संस्थाओं और अकादमियों के प्रमुखों साथ ही साथ अनुसंधान एवं विकास विशेषज्ञों तथा पीपुल्स आमर्ड पुलिस (पीएपी)नेतृत्व ने भाग लिया। [v]

31 अक्टूबर को, सीएमसी के ‘ग्रुप स्टडी सेशन’ के बाद इस आशय का वक्तव्य जारी किया गया था कि पीएलए आवश्यक रूप से सीपीसी और उसके चैयरमेन के निर्देशों का “किसी भी समय और किसी भी हालात में” पालन करे। इस सत्र की अगुवाई दोनों नए वाइस चैयरमेन-शू और झांग ने की। इसमें कहा गया कि पीएलए “खुद को नए दौर के लिए आवश्यक रूप से चीनी विशेषताओं से युक्त समाजवाद के बारे में शी जिनपिंग के विचारों के साथ जोड़े और अपनी मुकम्मल वफादारी, शुचिता और विश्वसनीयता के प्रति आश्वास्त करे।” [vi]

3 नवम्बर को, शी ने सेना की वर्दी पहनकर सीएमसी के अन्य सदस्यों के साथ जॉइन्ट कमांड के मुख्यालय का दौरा किया और उसके कमांडर-इन-चीफ के रूप में अपनी भूमिका में कमी की तथा पीएलए को अपना पूरा ध्यान लड़ाई की क्षमताओं को प्रखर बनाने तथा जंग में अपनी जीत सुनिश्चित करने के संबंध में निर्देश जारी किए।


शी ने सुरक्षा बलों को “किसी भी दिशा से होने वाली किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहने” का आदेश दिया। उन्होंने कहा कि पीएलए युद्ध की कार्रवाइयों और संभावित दुश्मनों के बारे में और भी अनुसंधान करें और जॉइन्ट कमांड स्किल्स को बढ़ावा दे तथा अभ्यासों को ज्यादा वास्तविक बनाए। मुख्यालय से शी ने जिबूती बेस के साथ टेलीकांफ्रेंस की और उन्हें क्षेत्रीय शांति को बढ़ावा देने का अनुरोध किया। [vii]


पृष्ठभूमि

शी ने 2012 में उस समय सीपीसी और सीएमसी का प्रभार ग्रहण किया था, जब उसका नैतिक बल कमजोर था और व्यापक भ्रष्टाचार ने पीएलए को कमजोर बना दिया था। उन्हें स्थिति में सुधार लाने के लिए तत्काल कड़े निर्देश जारी किए थे। दिसम्बर में “10 नियम” जारी किए गए थे, जिनमें कार्यशैली में बदलाव लाने का आह्वान किया गया था।इन नियमों में भोज, शराब परोसने पर रोक शामिल थी।

शी जिनपिंग ने नवम्बर 2014 में गुतिएन में हुए स्मारक सम्मेलन की ही तरह स्पष्ट तौर पर यह घोषणा की कि “पार्टी कासंगीनों पर नियंत्रण है” 1 नवम्बर, 1929 में हुई मौलिक बैठक में माओ ने “विशुद्ध सैन्य दृष्टिकोण” और इस नजरिए की आलोचना की थी कि पीएलए का काम “क्रांति के राजनीतिक कार्यों को अंजाम देने वाले सशस्त्र निकाय की तरह काम करने की बजाए लड़ना है।” इस संदर्भ में, जितने भी सुधार और बदलाव किए गए, वह ऊपर से किए गए।

उन्होंने देश के लिए एक समग्र दृष्टि — द चायना ड्रीम — का सम्मिलित रूप प्रस्तुत किया, जिसमें शुचिता और भ्रष्टाचार पर कार्रवाई करने पर बल देने सहित सेना का आधुनिकीकरण किया जाना शामिल था।उन्होंने इस बात पर बल दिया कि पीएलए का लक्ष्य ज्यादा वास्तविक प्रशिक्षण, बेहतर हथियारों और उपकरणों के माध्यम से युद्ध लड़ने कीअपनी क्षमताओं को विकसित करते हुए हर हाल में “युद्ध लड़ना और जीतना” होना चाहिए।उसके बाद उन्हें पीएलए के इतिहास के सबसे व्यापक सुधारों पर बल दिया, जिसके माध्यम से उन्होंने उसके संस्थागत और कमांड ढांचे में आमूल-चूल परिवर्तन किया। अप्रैल 2016 में उन्होंने सेना की वर्दी में सामने आकर जॉइन्टऑपरेशन्स कमांड सेंटर के निरीक्षण के दौरान कमांडर-इन-चीफ की पदवी ग्रहण की।

पिछले दो साल में, पीएलए ने 300,000 कर्मियों की कटौती की है। सीसीटीवी वृ​त्तचित्र के अनुसार, डिवीजन स्तर की 200 इकाइयों और रेजीमेंट के स्तरपर 1000 से ज्यादा इकाइयों को बंद कर दिया गया। 30 प्रतिशत से ज्यादा सैन्य अधिकारियों को नौकरी से हटा दिया गया और सैंकड़ों जनरलों को नई ड्यूटीज़ पर रिपोर्ट करने का आदेश दिया गया।


इस उद्देश्य के लिए शी ने भ्रष्टाचार-विरोधी मंचों का इस्तेमाल किया। पार्टी कांग्रेस की पूर्व संध्या पर जॉइन्ट स्टाफ विभाग के अध्यक्ष फेंग फेन्घुई भ्रष्टाचार के लिए हटाए गए अधिकारियों की जमात में शामिल हो गए।


उनमें सीएमसी के दो पूर्व वाइस चैयरमेन शू चायहू और गो बॉक्सियांग शामिल हैं। सैन्य मीडिया ने इस बात का खुलासा किया कि पीएलए के भ्रष्टाचार—विरोधी विभाग ने पिछले पांच साल में 4000 मामलों की जांच की तथा भ्रष्टाचार और अन्य खराब आचरणों के लिए 14000 अधिकारियों को को नियंत्रित किया। [viii]

प्रौद्यो​गिकी पर ध्यान

प्रौद्योगिकी, देश की भावी प्रगति के संबंध में शी की योजना के केंद्र में है। असैन्य और सैन्य प्रौद्योगिकी के एकीकरण पर जोर दिए जाने के मद्देनजर — साइबर, विमानन, परिवहन पर फोकस के साथ तथा विध्वंसकारी नवाचारों पर बल दिए जाने केनिहितार्थउसकी सैन्य क्षमता के लिए भी होंगे। अपनी वर्क रिपोर्ट में शी ने “इंटरनेट के गहन एकीकरण, विशाल आंकड़ों और वास्तविक अर्थव्यवस्था सहित कृत्रिम आसूचना” साथ ही साथ “विज्ञान और प्रौद्योगिकी सुपरपॉवर, क्वालिटी सुपरपॉवर, एरोस्पेस सुपरपॉवर, साइबर सुपरपॉवर” के निर्माण की बात कही है। प्रौद्योगिकी नवाचार स्पष्ट तौर पर चीन के भविष्य के लिए शी की आशाओं मजबूती देता है,लेकिन साथ ही उसके सेना के लिए भी निहितार्थ होंगे।

शी ने सैन्य सुधारों, साइबर सुरक्षा और इंफार्मेशनाइजेशन से संबंधित छोटे समूहों की अगुवाई का जिम्मा अपने हाथों में लिया है। ये प्रमुख छोटे समूह अनिवार्य तौर पर किसी मसले के विविध हितधारकों को मिशन मोड में एक साथ लाने वाले कार्य बल हैं। चीन के साइबरस्पेस एडमिनिस्ट्रेशन के माध्यम से शी ने चीन के इंटरनेट क्षेत्र को निर्णय लेने के संबंध में एकीकृत किया है।

चीन के लोगों ने अपने सुधार को अमेरिका से निपटने की अपनी योग्यता में केंद्रित किया है। पिछले दशक भर से पीएलए में सैन्य मामलों में सूचना प्रौद्योगिकी से प्रेरित क्रांति के आधार पर व्यापक बदलाव हुए हैं।


चीन की सैन्य रणनीति, 2015 श्वेत पत्र में दो प्रमुख विषय हैं। पहला, उच्च प्रौद्योगिकी की विशेषता विशेषकर सूचना के क्षेत्र में और मानवयुक्त और मानव रहित मंचों द्वारा लम्बी दूरी के सटीक हमलों के प्रति रुझान। नए दिशानिर्देशों में रणनीति के लक्ष्यों में बदलाव लाया गया है । अब ये लक्ष्य “इंफॉर्मेशनाइजेशन की परिस्थितियों के अंतर्गत स्थानीय युद्ध जीतने” से बदलकर “इंफॉर्मेशनाइज्ड स्थानीय युद्ध जीतने तक” कर दिए गए हैं। इनमें क्रांतिकारी बदलाव की जगह क्रांति को प्रतिबिम्बित किया गया है।


चीन की क्षमताएं, साथ ही साथ दक्षिण चीन सागर का सैन्यकरण ऐसे बिंदु पर पहुंच चुका है, जहां अमेरिका, चीन की धरती के ज्यादा करीब अपनी शक्ति का प्रदर्शन नहीं कर सकता। दूसरे शब्दों में, 1996 के ताइवान स्ट्रेट संकट के समय अमेरिका की उदार प्रतिक्रिया अब संभव नहीं रही है।शी द्वारा चुनी गई तारीख, 2035 तक,यह मानते हुए कि अमेरिका और चीन दोनों द्वारा अपने मौजूदा मार्गों के साथ आधुनिकीकरण की ओर बढ़ रहे हैं, आप यह पाएंगे कि अमेरिका की ताकत इस्तेमाल की करने की खूबी और घट गई है।

आने वाले वर्षों में, चीन संयुक्त अभियान चलाने के लिए संस्थागत सुधारों पर तकनीकी क्षमताओं की परत चढ़ाने का प्रयास करेगा। दूसरे शब्दों में कहें, तो संयुक्त प्रशिक्षण और संयुक्त कमांड के आधार पर संयुक्त कार्रवाई के सिद्धांत को एकीकृत सी4आईएसआर (कमांड-कंट्रोल-कम्युनिकेशन-कम्प्यूटर-इंटेलिजेंस,सर्विलांसऔर रीकानीसेंस) प्रणालियों के साथ जोड़ेगा। ऐसे नेटवर्क वाले सुरक्षा बल पीएलए को व्यापक महत्व प्रदान करेंगे। [x]

पीएलए की सभी क्षमताओं के बावजूद, चीन की सुरक्षा संबंधी चिंताओं का महत्वपूर्ण फोकस आंतरिक-सीपीसी द्वारा अपनी सत्ता की बहाली की जरूरत रहेगा। इसके लिए,पीएलए की राजनीतिक भूमिका सर्वोपरि है, बिल्कुल वैसे ही, जैसा कि थ्येयनानमन के समय था। इसीलिए एक निरंतर, और तो और दृढ़ विषय, जो शी की टिप्पणियों में सभी जगह है, वह है अपनी लड़ाई क्षमताओं को बढ़ाने की योग्यता के साथ-साथ सीपीसी के प्रति पीएलए के प्रति वफादारी की आवश्यकता।

भारत के लिए निहितार्थ

भारत को इस पर गौर करने की जरूरत है। भूटान के साथ एक विवादित क्षेत्र में सरहद के पास चीन की एक सड़क निर्माण परियोजना को लेकर पीएलए और भारतीय सेना ने 28 अगस्त को अपना 71 दिन का गतिरोध समाप्त किया था। यह विवादित स्थान सिक्किम के बेहद करीब है। यूं तो यह मसला फिलहाल सुलझ चुका है, लेकिन चीन की ओर से उस दौरान दी जा रही धमकियों को याद रखना होगा। चीन की ओर से कहा जा रहा था कि अगर भारत पीछे न हटा, तो चीन को यह मामला बलपूर्वक सुलझाना होगा या फिर जैसा कि उसके प्रवक्ता ने कहा था, “चीन को अपनी क्षेत्रीय अखंडता बरकरार रखने के लिए हर संभव उपाय करने होंगे।” डोकलाम गतिरोध समाप्त होने का एक कारण पीएलए के पास भारतीयों को खदेड़ने की सैन्य क्षमता का अभाव होना भी हो सकता है।

दिलचस्प बात तो यह है कि 29 अक्टूबर को, जब पहली बार शिन्हुआ ने खबर दी कि शी ने तिब्बती चरवाहों को क्षेत्र की हिफाजत करने के लिए प्रोत्साहित किया है। उन्होंने यह टिप्पणी दो तिब्बती लड़कियों के खत के जवाब में की, जिसमें उन्होंने पार्टी कांग्रेस के दौरान सीमावर्ती क्षेत्रों में अपने अनुभवों का ब्यौरा दिया था। इसलिए, शी ने उनकी वफादारी और चीन के भूभाग की हिफाजत में उनके योगदान के लिए उनका आभार प्रकट किया। [xi] यह इस बात का स्पष्ट संकेत है कि चीन-भारतसीमा और चीन-भूटान सीमा आने वाले समय चीनी सेना के फोकस का महत्वपूर्ण केंद्र बनी रहेंगी।


भारत के चीन के कई बड़े मसले रहे हैं। दोनों देशों के बीच सीमा को लेकर विवाद है, उन्होंने इसे लेकर युद्ध लड़ा है और वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सहमती नहीं होने के कारण उनके बीच समय-समय पर गतिरोध उत्पन्न होता रहा है। चीन ने पाकिस्तान को भारत की बराबरी तक लाने के लिए बड़ी चतुराई से उसे परमाणु हथियार और प्रक्षेपास्त्र बनाने में सहायता तक की है। इसके अलावा, चीन के विस्तार के कारण पीएलए नौसेना का हिंद महासागर में प्रवेश हो गया, यह भारत को बेहद परेशान करने वाली बात है। इन सभी कारणों से, भारत पार्टी की कांग्रेस से आ रहे संदेशों पर उत्सुकता से नजरे गढ़ाए रहा और सबसे पहली बात यहहै कि ये संदेश सहज नहीं हैं।


कुल मिलाकर, शी की महत्वाकांक्षी आधुनिकीकरण योजना के हमारे के लिए महत्वपूर्ण निहितार्थ हैं। इसके अलावा चीन-भारत सीमा पर सैनिकों की तादाद में वृद्धि में हम ज्यादा दृढ़ता देख सकते हैं,हम हिंद महासागर क्षेत्र में पीएलएएन के सैनि​कों की तादाद बड़ी बढ़ोत्तरी होने की भी अपेक्षा कर सकते हैं। क्षेत्र में पीएलएएन के कार्य को सुगम बनाने के लिए ज्यादा जहाज, बेहतर प्रौद्योगिकी,नए ठिकाने और नए-नए अड्डों के अलावा व्यापक प्रयास और सहयोगियों तथा साझेदारी को जोड़ने का प्रयास किया जा सकता है। सभी मामलों से परे, वास्तविकता यह है कि हमें उन ताकतों का मुकाबला करना होगा,​ जिनकी क्षमताएं हमारी अपनी सुधार प्रक्रिया धीमी गति के कारण हमसे महत्वपूर्ण रूप से अधिक है।


[i] “Strong PLA to better protect global peace,” China Military Online

[ii] Liu Zhen, “ Xi Jinping shakes up China’s military leadership” South China Morning Post October 26, 2017

[iii] Minnie Chan, “General Yang Youxia: Xi Jinping’s ‘sworn brother’ now his deputy on China’s top military body,” South China Morning Post October 25, 2017

[iv] General Program and Constitution of the Communist Party of China—2017 revisions unofficial translation

[v] Top military official pledge loyalty to CPC, Xi” Xinhua.net October 31, 3017

[vi] “Top military officials pledge loyalty to CPC, Xi,” October 31, 2017

[vii] Zhao Lei “Focus on combat readiness, Xi tells PLA,” China Daily November 4, 2017

[viii] Willy Wo-Lap Lam, “The Irresistible Rise of the ‘Xi Family Army’” Jamestown Foundation China Brief October 20, 2017

[ix] M Taylor Favel, “China’s New Military Strategy: “Winning Informationized Local Wars” China Brief vol 15 issue 13 June 23, 2015

[x] Kevin McCauley, PLA System of System Operations: Enabling Joint Operations, (Washingtion DC, Jamestown Foundation, January 2017)

[xi] Xi encourages Tibetan herders to safeguard territory, Xinhuanet November 1, 2017; The Sunday October 29 CCTV evening news took up the issue as well

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