Published on Apr 05, 2024 Updated 0 Hours ago

बाइडेन की प्राथमिकताएं चीन को किस हद तक प्रभावित करेंगी?

अमेरिका-चीन संबंध: ड्रैगन को वश में करना, बाइडेन की चुनौती

साल 2020 के राष्ट्रपति पद के चुनावी अभियान के आख़िरी दिनों में, चीन को लेकर बाइडेन के विचार जो और अधिक कठोर प्रतीत हुए, यह बदलाव हाल के वर्षों में चीन के प्रति अमेरिकी विदेश नीति में हुए बदलाव या सुधार को दर्शाता है. पर्यवेक्षकों के मुताबिक, “सहयोग और प्रतिस्पर्धा, को संतुलित करने की नीति  अब बदलकर प्रतिस्पर्धा और टकराव” में तब्दील हो गया है. दुनियाभर में फैली महामारी और इससे हुई बर्बादी, जिसने वियतनाम युद्ध की तुलना में कहीं अधिक अमेरिकी नागरिकों का जीवन ख़त्म किया है, उसने भी चीन के प्रति अमेरिकी रवैये को सख़्त बनाया है.

बाइडेन ने चीन पर सख़्त होने की आवश्यकता को रेखांकित किया है, और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को ‘हुडदंगी’ कहने की सीमा तक चले गए. “मानवाधिकारों की रक्षा और उन्हें आगे बढ़ाने” पर बाइडेन के दबाव ने चीन के कुछ बुनियादी हितों को प्रभावित किया है. बाइडेन ने तिब्बत के मुद्दों से निपटने और तिब्बत के आध्यात्मिक नेता दलाई लामा से मिलने के लिए, नए प्रशासन में एक व्यक्ति नियुक्त करने की बात कही है.

बाइडेन ने चीन पर सख़्त होने की आवश्यकता को रेखांकित किया है, और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को ‘हुडदंगी’ कहने की सीमा तक चले गए. “मानवाधिकारों की रक्षा और उन्हें आगे बढ़ाने” पर बाइडेन के दबाव ने चीन के कुछ बुनियादी हितों को प्रभावित किया है. 

उन्होंने चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) द्वारा वीगर अल्पसंख्यकों के साथ चीन द्वारा किए गए बर्ताव को नरसंहार करार दिया है, और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के अधिकारियों को तिब्बत, शिनजियांग और हॉन्गकॉन्ग में नागरिक स्वतंत्रता और मानवाधिकारों के उल्लंघन के लिए भरपाई करने की बात भी कही है.

चीन और ताइवान के बीच तनाव बढ़ने के साथ, ट्रंप प्रशासन ने परिष्कृत हथियार प्रणालियों (sophisticated weapons systems) की बिक्री शुरू की, जो कि बीजिंग के लिए बेहद तिलमिलाने वाली कार्रवाई थी. यह देखना होगा कि ताइवान को हथियारों की यह बिक्री, क्या बाइडेन के कार्यकाल में भी जारी रहेगी.

ओबामा प्रशासन के कार्यकाल के दौरान, तत्कालीन विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने चीन द्वारा अमेरिकी ऋण की माफ़ी के बदले में, ताइवान का साथ लगभग छोड़ने का मन बना लिया था. 

विकीलीक्स के अनुसार, ताइवान और अमेरिका के संबंध बेहद अनिश्चित भी हैं, क्योंकि ओबामा प्रशासन के कार्यकाल के दौरान, तत्कालीन विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने चीन द्वारा अमेरिकी ऋण की माफ़ी के बदले में, ताइवान का साथ लगभग छोड़ने का मन बना लिया था.

ऐसे में यह सवाल बना हुआ है कि बाइडेन का अभियान उनकी प्रशासनिक नीति में तब्दील होता है या नहीं. इसके अलावा, बाइडेन की प्राथमिकताएं किस हद तक चीन को प्रभावित करेंगी? अमेरिका राष्ट्रपति के रूप में चुने गए जो बाइडेन ने जलवायु परिवर्तन का मुक़ाबला करने के लिए, वैश्विक राय बनाने और इस संबंध में नेतृत्व करने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया है, जिसको लेकर उनके विचार शी जिनपिंग से मिलते हैं. इस संदर्भ को देखते हुए, यह देखा जाना चाहिए कि क्या चीन के साथ बाइडेन की संलग्नता, भारत जैसे देशों की कीमत पर होगी, जो लगातार चीन की आक्रामकता झेल रहे हैं, क्योंकि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी अन्य मुद्दों पर सहयोग के बदले में, ऐसे कई विवादों पर रियायतें मांग सकती है, जो अन्यथा वाशिंगटन के एजेंडे में हैं.

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