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सरकार शुरू से ही अपनी तमाम योजनाओं के बारे में कहती आ रही है कि वह साल 2025 तक ये कर देगी, वो कर देगी. अब इसी कड़ी में पांच ट्रिलियन डॉलर की बात जुड़ गयी है. अगर सचमुच भारत की अर्थव्यवस्था इतना हो जाती है, तो सरकार ही क्या, पूरा देश खुश होगा, उसकी तरक्की होगी. यहां असल सवाल यह है कि इस लक्ष्य को भेदने का हथियार कहां है? इसके लिए निवेश बहुत बढ़ाना होगा. निवेश बढ़ाने के लिए पूंजी की जरूरत होगी, जो कहां से आयेगी, मालूम नहीं. बिना निवेश के अर्थव्यवस्था के आकार को नहीं बढ़ाया जा सकता.
मैं यह बात इसलिए कह रहा हूं, क्योंकि सरकार ने अपने अंतरिम बजट में जो भी आंकड़े दिये थे, उनमें से कई में काफी गिरावट नजर आ रही है. जैसे टेक्स रेवेन्यू में एक लाख 67 हजार करोड़ से भी ज्यादा घाटा दिख रहा है. सब्सिडी में भी कटौती दिख रही है. पूंजी खर्च 13600 करोड़ से ज्यादा घट गया है. ऐसे में सवाल यह है कि अर्थव्यवस्था की वृद्धि कैसे संभव हो पायेगी?
बजट में कई अच्छी चीजें भी हैं, जैसे कि हाउसिंग लोन में टैक्स बेनेफिट दिया गया है. यह एक अच्छी पॉलिसी हो सकती है, जिससे कि अर्थव्यवस्था में कुछ तेजी आयेगी. कुछ स्टार्टअप को भी फायदा पहुंचाने की बात की गयी है, यह भी एक अच्छी बात है, लेकिन यह काफी नहीं है.
अर्थव्यवस्था की ग्रोथ के लिए हमें लांग टर्म पॉलिसी की जरूरत होती है. सरकार चाहती है कि एफपीआइ यानी (फॉरेन पोर्टफोलियाे इन्वेस्टमेंट) के जरिये बाहर से पैसा आये, लेकिन एफपीआइ में कैसा और कितना पैसा आता है, यह भी देखना पड़ेगा. दरअसल, यहां से जितना भी पैसा आता है, उसके निकलने की भी उतनी ही गुंजाइश होती है. कल को अगर स्टॉक मार्केट दो हजार प्वॉइंट गिर गया, तो ये सारे पैसे तुरंत निकल भागेंगे. इसलिए यह बहुत भरोसेमंद सहारा नहीं है. इससे बेहतर हाेता है एफडीआइ, जिससे निवेश और उत्पादन बढ़ता है, जो अर्थव्यवस्था के लिए जरूरी तत्व हैं.
सरकार को निवेश बढ़ाने के बारे में एफपीआइ के अलावा कुछ बड़ा सोचना चाहिए, जो लांग टर्म के लिए हो. इस सरकार ने अपने पिछले पांच साल के कामों में कुछ सुधार किया है, उसमें जीएसटी, बैंकरप्सी कोड वगैरह आते हैं, यह अच्छी बात है. कुछ आलोचनाएं शुरू हुईं, तो सरकार कई जनकल्याणकारी योजनाएं लेकर आयी, जो कि ठीक है और यह समाज को आर्थिक रूप से संपन्न बनाने के लिए ठीक है, लेकिन ध्यान देनेवाली बात यह भी है कि अर्थव्यवस्था के आकार को बढ़ाने के लिए सरकार के पास कैसी नीतियां होनी चाहिए?
यह लेख मूल रूप से प्रभात खबर में प्रकाशित हो चुका है.
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Abhijit was Senior Fellow with ORFs Economy and Growth Programme. His main areas of research include macroeconomics and public policy with core research areas in ...
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