भारत और फिलीपींस के द्विपक्षीय सहयोग के संयुक्त आयोग की चौथी बैठक छह नवंबर को हुई थी. इस बैठक की अध्यक्षता, भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर और फिलीपींस के विदेशी मामलों के विभाग के सचिव टियोडोरो लॉकसिन जूनियर ने मिलकर की थी. इस बैठक के बारे में भारत द्वारा जारी किए गए बयान के अनुसार, ‘दोनों देशों के बीच रक्षा और समुद्री क्षेत्र में, ख़ास तौर से सैन्य प्रशिक्षण और शिक्षा, क्षमता का निर्माण, नियमित रूप से आपसी दौरे और रक्षा उपकरणों की ख़रीद में सहयोग को और बढ़ाने पर सहमति बनी.’
दक्षिणी पूर्वी एशिया में चीन ने अपनी सैन्य क्षमताओं और दूसरे देशों पर दबाव बनाने संबंधी क़दमों को कई गुना बढ़ा दिया है. ख़ास तौर से साउथ चाइना सी के विवादित क्षेत्र, जहां ताइवान, मलेशिया, इंडोनेशिया, ब्रुनेई और फिलीपींस भी अपने दावे करते हैं, वहां पर चीन की आक्रामक गतिविधियां काफ़ी बढ़ गयी हैं. दक्षिणी चीन सागर के एक बड़े क्षेत्र पर चीन का दावा और उसके आक्रामक रवैये व नियमों पर आधारित व्यवस्था को लेकर चीन के तिरस्कार भाव के चलते, इस क्षेत्र के अन्य दावेदारों के साथ चीन के वार्ता करने की संभावनाएं बेहद कम हो गई हैं.
दक्षिणी चीन सागर के एक बड़े क्षेत्र पर चीन का दावा और उसके आक्रामक रवैये व नियमों पर आधारित व्यवस्था को लेकर चीन के तिरस्कार भाव के चलते, इस क्षेत्र के अन्य दावेदारों के साथ चीन के वार्ता करने की संभावनाएं बेहद कम हो गई हैं.
फिलीपींस इन्हीं देशों में से एक है, जो चीन के साथ अपने असंतुलित संबंध को सुधारने के बजाय इसका ठीकरा दूसरों पर फोड़ने की कोशिश करता आया है. हालांकि, जैसे-जैसे भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एक्ट ईस्ट की विदेश नीति के तहत भारत और फिलीपींस के बीच सामरिक संबंध गहरे हो रहे हैं, वैसे वैसे फिलीपींस के पास ये अवसर होगा कि वो अपने आप को धीरे-धीरे चीन के बढ़ते प्रभाव के शिकंजे से आज़ाद कर सके.
पूर्वी एशिया के व्यापक क्षेत्र में अमेरिका और चीन के बीच प्रभुत्व की बढ़ती प्रतिद्वंदिता के बीच, सबूत ये इशारा करते हैं कि फिलीपींस ने दोनों देशों के प्रति तटस्थता की नीति अपना रखी है. फिलीपींस की नीतियों को देखकर लगता है कि वो एक तरफ़ तो अमेरिका के साथ क़रीबी सुरक्षा संबंध बनाए हुए है, तो इसके साथ-साथ चीन के साथ मज़बूत आर्थिक रिश्ते बनाने की दुधारी तलवार पर चल रहा है. फिलीपींस को पता है कि चीन के बढ़ते प्रभाव से उसके राष्ट्रीय और सामरिक हितों को गंभीर ख़तरा है. इस बात पर फिलीपींस की वर्ष 2017-2022 की राष्ट्रीय सुरक्षा नीति भी ज़ोर दिया गया है. फिर भी फिलीपींस, खुलकर अमेरिका के साथ नहीं खड़ा हो पा रहा है. इस दुविधा के कारण ही फिलीपींस के लिए अपनी विदेश नीति को स्वतंत्र रूप से संचालित कर पाना मुश्किल हो रहा है.
फिलीपींस की नीतियों को देखकर लगता है कि वो एक तरफ़ तो अमेरिका के साथ क़रीबी सुरक्षा संबंध बनाए हुए है, तो इसके साथ-साथ चीन के साथ मज़बूत आर्थिक रिश्ते बनाने की दुधारी तलवार पर चल रहा है.
दुधारी तलवार पर चल रहा है फिलीपींस
लेकिन, इस दिशा में उम्मीद की एक किरण इस बात से जगी है कि फिलीपींस और भारत के बीच सामरिक संबंध तेज़ी से बढ़ रहे हैं. भारत और फिलीपींस, दोनों ही देश द्विपक्षीय सामरिक साझेदारी की अहमियत और जीवंतता को स्वीकार करते हैं. सच तो ये है कि फिलीपींस की नौसेना के प्रमुख रियर एडमिरल जियोवान्नी कार्लो जे. बाकोर्डो ने भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह को भेजे एक ख़त में लिखा था कि, ‘हमें ये उम्मीद है कि जैसे-जैसे हम अपने समुद्रों को सभी के लिए सुरक्षित बनाने के तरीक़े तलाश रहे हैं, वैसे-वैसे हम आपसी रिश्तों का दायरा बढ़ाने की उम्मीद भी रखते हैं.’ इससे साफ़ पता चलता है कि आज फिलीपींस, भारत के साथ सामरिक एवं सुरक्षा के क्षेत्र में खुलकर सहयोग बढ़ाने का इरादा रखता है.
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फिलीपींस के राष्ट्रपति डुतेर्ते के बीच टेलीफ़ोन पर हुई बातचीत के दौरान, दोनों ही नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों की प्रगति को लेकर संतोष जताया. इसमें रक्षा सहयोग भी शामिल है. प्रधानमंत्री मोदी ने ज़ोर देकर ये कहा कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत, फिलीपींस को अपना ‘महत्वपूर्ण साझीदार’ मानता है. फिलीपींस ने भी ऐसी ही भावनाओं का इज़हार किया.
इसके अतिरिक्त, फिलीपींस में भारत के पूर्व राजदूत जयदीप मज़ूमदार के मुताबिक़, भारत और फिलीपींस के बीच हथियार और रक्षा क्षेत्र के अन्य संसाधन ख़रीदने की वार्ता भी हो रही है. इसमें ज़मीन से मार करने वाला सुपरसोनिक मिसाइल सिस्टम ब्रह्मोस शामिल है. जयदीप मज़ूमदार ने कहा कि, ‘भारत और फिलीपींस के बीच कई हथियारों की ख़रीद-फ़रोख़्त को लेकर बातचीत चल रही है. जैसे ही यात्रा करना संभव हो सकेगा, वैसे ही रक्षा क्षेत्र के सामानों की देख-रेख करने वाली संयुक्त समिति मिलकर इन विषयों पर चर्चा करेगी.’
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फिलीपींस के राष्ट्रपति डुतेर्ते के बीच टेलीफ़ोन पर हुई बातचीत के दौरान, दोनों ही नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों की प्रगति को लेकर संतोष जताया. इसमें रक्षा सहयोग भी शामिल है.
जहां तक आर्थिक स्तर की बात है तो दोनों ही देशों के बीच निवेश संधि पर वार्ता आगे बढ़ाने के लिए काफ़ी ज़ोर दिया जा रहा है. भारत और फिलीपींस के बीच निवेश संधि के पहले दौर की वर्चुअल बातचीत नवंबर की शुरुआत में हुई थी. इसमें भारत के आर्थिक मामलों के विभाग के अधिकारी और फिलीपींस के व्यापार एवं उद्योग विभाग के अफ़सर शामिल हुए थे.
नए शिखर पर द्विपक्षीय संबंध
रक्षा, राजनीति और आर्थिक मामलों में फिलीपींस और भारत के आपसी संबंध आज नए शिखर को छू रहे हैं. इस साझेदारी का स्तर लगातार बढ़ाने से, फिलीपींस को इस क्षेत्र में चीन के बढ़ते आक्रामक रवैये के कुप्रभावों से निपटने में मज़बूत और सकारात्मक मदद मिल सकेगी.
भारत ने जिस तरह चीन से निपटने की कोशिश की है, उससे फिलीपींस भी कई सबक़ सीख सकता है. इससे उसे अपने हितों के संरक्षण में मदद मिलेगी. भारत को भी अपनी सीमा पर चीन की आक्रामक गतिविधियों का शिकार होना पड़ा है. भारत और फिलीपींस, दोनों ही देश चीन के भौगोलिक पड़ोसी हैं. इसके अलावा दोनों ही देश आर्थिक रूप से काफ़ी हद तक चीन के ऊपर निर्भर हैं. हालांकि, भारत ने दिखा दिया है कि वो चीन के सामने डटकर खड़ा हो सकता है और उसे ऐसा करना भी चाहिए, ख़ासतौर से तब, जब उसके राष्ट्रीय हितों को नुक़सान पहुंचने का ख़तरा हो.
भारत ने जिस तरह चीन से निपटने की कोशिश की है, उससे फिलीपींस भी कई सबक़ सीख सकता है. इससे उसे अपने हितों के संरक्षण में मदद मिलेगी. भारत को भी अपनी सीमा पर चीन की आक्रामक गतिविधियों का शिकार होना पड़ा है. भारत और फिलीपींस, दोनों ही देश चीन के भौगोलिक पड़ोसी हैं.
भारत ने दुनिया को दिखाया है कि चीन के सामने डटकर खड़े होने का मतलब व्यापक स्तर पर युद्ध छेड़ना या पूरी तरह से संबंध समाप्त करने का विकल्प आज़माना ही ज़रूरी नहीं है. भारत ने चीन के साथ संवाद के माध्यम खुले रखे हैं और दोनों देशों के बीच कई स्तरों पर संबंध बने हुए हैं; हालांकि, भारत ने लगातार इस बात पर ज़ोर दिया है और अपने क़दमों से चीन को ये संदेश भी दिया है कि वो अपनी क्षेत्रीय अखंडता और सामरिक हितों से कोई भी समझौता नहीं करेगा.
भारत और फिलीपींस, दोनों ही नियमों पर आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के संचालन को लेकर लोकतांत्रिक मूल्यों और आदर्शों का पालन करते हैं. द्विपक्षीय संबंधों का ये पहलू बेहद ज़रूरी है, क्योंकि दोनों ही देशों के लंबी अवधि के हित काफ़ी मिलते हैं. फिलीपींस और भारत के बीच बढ़ती द्विपक्षीय साझेदारी से दोनों ही देशों को एक ऐसा मंच मिलेगा, जिससे वो न केवल अपने सामरिक हितों की रक्षा कर सकेंगे, बल्कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में नियमों पर आधारित व्यवस्था की हिफ़ाज़त भी कर पाएंगे.
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