Author : Harsh V. Pant

Published on Dec 19, 2019 Updated 0 Hours ago

ट्रंप को पद से हटाने के लिए सीनेट में दो तिहाई बहुमत की जरूरत पड़ेगी, लेकिन रिपब्लिकन पार्टी जिस तरह से सदन में बहुमत में है, उसे देखते हुए महाभियोग के हश्र का अंदाज़ा लगाना मुश्किल नहीं है

ट्रंप के खिलाफ़ महाभियोग के बहाने राजनीति

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप की फजीहत हो रही है. वह अपने देश के इतिहास में एंड्रयू जॉनसन और बिल क्लिंटन के बाद तीसरे ऐसे राष्ट्रपति बन गए हैं, जिनके खिलाफ़ अमेरिकी हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स (प्रतिनिधि सभा) ने महाभियोग को मंजूरी दी है. ट्रंप पर प्रतिनिधि सभा ने घरेलू राजनीतिक फायदे के लिए पद के दुरुपयोग का आरोप लगाया है. इसके बाद अमेरिकी कांग्रेस की तरफ से उन्हें इसका जवाबदेह ठहराए जाने की राह में अड़ंगा लगाने का भी इल्जाम है. वैसे, प्रतिनिधि सभा में ट्रंप के खिलाफ़ महाभियोग को मंजूरी मिलने की पहले से उम्मीद थी. इसके बावजूद इस मामले के राजनीतिक संकेतों को नजरंदाज़ नहीं किया जा सकता. महाभियोग मामले से अगले साल होने वाले राष्ट्रपति चुनाव की जंग की बुनियाद भी तैयार हो गई है. 2020 में फैसला होना है कि ट्रंप दोबारा सत्ता में लौटेंगे या उनकी जगह अमेरिका को नया राष्ट्रपति मिलेगा. प्रतिनिधि सभा से मंजूरी मिलने के बाद अब मामला सीनेट पहुंचेगा. आख़िरकार उसे ही फैसला करना है कि ट्रंप राष्ट्रपति पद पर बने रहेंगे या नहीं.

इस जंग में दोनों अपने-अपने मोहरे चल रहे हैं. महाभियोग का नतीजा भी तय है. ट्रंप अपनी कुर्सी पर बने रहेंगे. इसके बावजूद अमेरिकी कांग्रेस में इस प्रक्रिया के ज़रिये रिपब्लिकन और डेमोक्रेट्स ने अपने-अपने समर्थकों को संदेश दे दिया है कि वे इस जंग को लेकर किस कदर गंभीर हैं.

असल में महाभियोग के बहाने वहां एक राजनीतिक लड़ाई लड़ी जा रही है. ट्रंप को यह पता है. डेमोक्रेटिक पार्टी के उनके विरोधियों को भी यह मालूम है. इस जंग में दोनों अपने-अपने मोहरे चल रहे हैं. महाभियोग का नतीजा भी तय है. ट्रंप अपनी कुर्सी पर बने रहेंगे. इसके बावजूद अमेरिकी कांग्रेस में इस प्रक्रिया के ज़रिये रिपब्लिकन और डेमोक्रेट्स ने अपने-अपने समर्थकों को संदेश दे दिया है कि वे इस जंग को लेकर किस कदर गंभीर हैं. इसलिए जब प्रतिनिधि सभा में अमेरिका के राष्ट्रपति के खिलाफ़ महाभियोग के प्रस्ताव को मंजूरी दी जा रही थी, तब ट्रंप मिशिगन में एक रैली को संबोधित कर रहे थे. राष्ट्रपति चुनाव में इस प्रांत को लेकर कड़ा मुकाबला होने के आसार जताए जा रहे हैं. रैली में ट्रंप ने समर्थकों से कहा, ‘जब हम नए रोज़गार के मौके बना रहे हैं और मिशिगन के लिए संघर्ष कर रहे हैं, तब अमेरिकी कांग्रेस में बैठे वामपंथी ईर्ष्या, नफ़रत और घृणा से भरे हुए हैं. आप देख रहे हैं न, क्या हो रहा है.’ यह बात साफ है कि सीनेट में ट्रंप बच जाएंगे, लेकिन इस मामले का अमेरिका के लोगों पर क्या असर होगा, यह स्पष्ट नहीं है.

इसी हफ्ते, ट्रंप ने हाउस डेमोक्रेटिक स्पीकर नैंसी पेलोसी को एक खुला ख़त लिखा था, जिसमें उन्होंने उन पर ‘पद के लिए ली गई शपथ तोड़ने का आरोप लगाया था.’ उन्होंने इसमें अमेरिकी लोकतंत्र को लेकर ‘खुली जंग की घोषणा’ की थी. ट्रंप ने लिखा था, ‘नफ़रत से भरी आपकी हरकतों से ज़ाहिर होता है कि उन चीजों की आपको ज़रा भी चिंता नहीं है, जिस पर अमेरिका की बुनियाद पड़ी. देश के निर्माताओं ने जिस चीज़ के लिए अपनी जान की बाज़ी लगा दी, आपके हैरतंगेज़ कारनामे उसे बर्बाद करने पर तुले हुए हैं.’

 महाभियोग प्रक्रिया में दो ध्रुव साफ नजर आ रहे हैं. इससे अमेरिका की राजनीति दो सिरों में बंट जाएगी, जहां मध्य मार्ग गायब हो चुका है. रिपब्लिकन पार्टी के पास सीनेट में बहुमत है. पार्टी पक्का करेगी कि ट्रंप पद पर बने रहेंगे. वह पूरी तरह से अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ खड़ी है. ट्रंप को पद से हटाने के लिए सीनेट में दो तिहाई बहुमत की जरूरत पड़ेगी, लेकिन रिपब्लिकन पार्टी जिस तरह से सदन में बहुमत में है, उसे देखते हुए महाभियोग के हश्र का अंदाज़ा लगाना मुश्किल नहीं है. सीनेट में रिपब्लिक पार्टी के नेता मिच मैकॉनेल यह स्पष्ट कर चुके हैं कि रिपब्लिकन सीनेटर्स का ट्रायल के दौरान ट्रंप की टीम के साथ तालमेल बना हुआ है. कहा जाता है कि सीनेट निरपेक्ष भाव से किसी ट्रायल पर फैसला करता है. हालांकि, मैकॉनेल के बयान से यह बात सिर के बल खड़ी नज़र आ रही है. प्रतिनिधि सभा में भी ऐसा ही नज़ारा दिखा था. यहां डेमोक्रेटिक पार्टी के नेताओं ने महाभियोग के प्रस्ताव को ऐतिहासक कदम बताया. डेमोक्रेटिक पार्टी की नेता और अध्यक्ष नैंसी पेलोसी ने कहा कि ‘अगर हम अब भी कदम नहीं उठाएंगे तो इसका मतलब है कि हम अपने दायित्व का ठीक ढंग से निर्वाह नहीं कर रहे हैं.’ उन्होंने यह भी कहा था कि ‘राष्ट्रपति की बेलगाम हरकतों के कारण महाभियोग ज़रूरी हो गया है.’ दूसरी तरफ, रिपब्लिक पार्टी के नेताओं ने डेमोक्रेटिक पार्टी पर भेदभावपूर्ण और अवैध पड़ताल करने का आरोप लगाया था. हाउस ज्यूडिशियरी कमेटी में शीर्ष रिपब्लिकन नेता डग कॉलिंस ने कहा था, ‘यह महाभियोग गलत धारणाओं पर आधारित है. चुनाव को ध्यान में रखते हुए इसे लाया गया है. वह देखना चाहते हैं कि अमेरिकी जनता के बीच कौन सा माल बिकता है.’

ट्रंप को लेकर वहां के लोग हमेशा की तरह दो धड़ों में बंटे हुए हैं. इसकी वजह भी साफ है. अमेरिकी राजनीति में बीच का कोई रास्ता नहीं बचा है. डेमोक्रेट्स ट्रंप के खिलाफ़ अरसे से महाभियोग की मांग कर रहे हैं. ऐसे में पेलोसी उनकी मांग मानने को तैयार हो गईं, लेकिन शुरू में उन्होंने इसका प्रतिरोध किया था.

वैसे, महाभियोग के इस तमाशे से ट्रंप को लेकर अमेरिकी जनता की राय में रत्ती भर भी बदलाव नहीं हुआ है. ट्रंप को लेकर वहां के लोग हमेशा की तरह दो धड़ों में बंटे हुए हैं. इसकी वजह भी साफ है. अमेरिकी राजनीति में बीच का कोई रास्ता नहीं बचा है. डेमोक्रेट्स ट्रंप के खिलाफ़ अरसे से महाभियोग की मांग कर रहे हैं. ऐसे में पेलोसी उनकी मांग मानने को तैयार हो गईं, लेकिन शुरू में उन्होंने इसका प्रतिरोध किया था. उन्हें पता था कि महाभियोग लाने की प्रक्रिया में राजनीतिक चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा. रिपब्लिकन पार्टी को उम्मीद है कि महाभियोग की प्रक्रिया शुरू होने से उसके समर्थक राष्ट्रपति ट्रंप के पीछे गोलबंद हो जाएंगे. ऐसे में अगले साल नवंबर में होने जा रहे राष्ट्रपति चुनाव में उनकी जीत पक्की हो जाएगी. ट्रंप के समर्थकों का मानना है कि उन्हें पद से हटाने के लिए यह तीन साल पुराना प्लान है. वे मानते हैं कि डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता एक चुनी हुई सरकार का जनादेश इस तरह से छीनने की कोशिश कर रहे हैं.

ट्रंप तीन साल पहले जब अमेरिका के राष्ट्रपति चुने गए थे, उस वक्त वहां का समाज और जनता का स्पष्ट ध्रुवीकरण हुआ था. यह ध्रुवीकरण आज और बढ़ गया है. इसी ध्रुवीकरण की वजह से ट्रंप राष्ट्रपति बने. इसलिए वह उसे कम करने या ख़त्म करने की कोशिश क्यों करेंगे. इस ध्रुवीकरण में डेमोक्रेट्स को भी फायदा नजर आ रहा है, लेकिन अभी तक उसकी तरफ़ से कोई वास्तविक विकल्प पेश नहीं किया गया है. पार्टी किस मुश्किल में है, इसका अंदाज़ा उसके प्राइमरी कैंडिडेट्स को देखकर लगाया जा सकता है. पार्टी की तरफ से राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार कौन होगा, इसका फैसला प्राइमरी के ज़रिये होता है. इसमें एक ही पार्टी के कई नेता आपस में मुकाबला करते हैं. नवंबर 2020 में राष्ट्रपति चुनाव जीतने के लिए डेमोक्रेटिक पार्टी को उन वोटरों को अपने पाले में लाना होगा, जो 2016 में रिपब्लिकन पार्टी के पाले में चले गए थे. जिन लोगों ने बराक ओबामा को वोट दिया था, उनमें से करीब 90 लाख लोगों ने बाद में ट्रंप को वोट दिया. पेनसिल्वेनिया, मिशिगन और विसकॉन्सिन जैसे स्विंग स्टेट्स (जिनके दोनों में से किसी भी पार्टी के साथ जाने की संभावना है) में ट्रंप के खिलाफ़ महाभियोग से ये वोटर डेमोक्रेट्स के पास नहीं आएंगे. वो जितना ट्रंप पर फोकस करेंगे, उतना ही कम समय वे इन राज्यों में रोजी-रोटी के साथ बुनियादी मुद्दों को दे पाएंगे. इससे ट्रंप का हौसला और बढ़ेगा. डेमोक्रेटिक पार्टी के सामने उन 90 लाख़ वोटरों को भी अपनी तरफ लाने की चुनौती है जो पिछले चुनाव में छिटककर ट्रंप की तरफ चले गए थे. शायद यही वजह है कि जब प्रतिनिधि सभा में उनके खिलाफ़ महाभियोग की प्रक्रिया चल रही थी, तब वह मिशिगन में अपने समर्थकों से कह रहे थे, ‘ऐसा लग नहीं रहा है कि हमारे खिलाफ महाभियोग को मंजूरी मिलने जा रही है.’

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