Author : Saranya

Published on Nov 30, 2021 Updated 1 Days ago

बिग टेक कंपनियों पर और लगाम कसने की कोशिश के तहत चीन ब्लॉकचेन मानकीकरण और एकाधिकार विरोधी क़ानून में संशोधन जैसे नए क़दम उठा रहा है.

चीन की बिग टेक कंपनियों का ख़राब समय इतनी जल्दी ख़त्म होने से रहा..!

उथल-पुथल के दौर से गुज़र रहे चीन के इंटरनेट उद्योग ने ख़ुद को एक और टेढ़े-मेढ़े घुमावदार सफ़र के लिए तैयार किया जब उद्योग एवं सूचना तकनीक मंत्रालय (एमआईआईटी) ने इंटरनेट उद्योग के लिए एक विशेष सुधार योजना का ऐलान किया. इस योजना के तहत इस साल जुलाई में चार पहलुओं, आठ समस्याओं और 22 विशिष्ट प्रकार के उल्लंघनों पर ध्यान दिया गया. यद्यपि ये योजना पिछले साल के एप सुधार योजना पर आधारित है लेकिन इसमें यूज़र के अधिकारों और हितों के उल्लंघन पर ध्यान दिया गया है. इस तरह ये ज़्यादा व्यापक योजना है.

चाइनीज़ कम्युनिस्ट पार्टी के पोलितब्यूरो के 18वें सामूहिक अध्ययन सत्र के दौरान राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने प्रमुख तकनीकों के स्वतंत्र इनोवेशन के लिए ब्लॉकचेन के इस्तेमाल को ज़रूरी खोज बताने और ब्लॉकचेन तकनीक के विकास को तेज़ करने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया

बिग टेक पर लगाम कसने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) एल्गोरिदम आधारित नियम की शुरुआत करने के बाद चीन की सरकार उद्योगों के हिसाब से ब्लॉकचेन मानक तय करने के लिए तैयार है. अक्टूबर 2021 में एमआईआईटी ने नेशनल टेक्निकल कमेटी फॉर ब्लॉकचेन एंड डिस्ट्रीब्यूटेड लेजर टेक्नोलॉजी स्टैंडर्डाइज़ेशन, जिसे ब्लॉकचेन स्टैंडर्ड्स कमेटी भी कहा जाता है, का गठन किया. ये कमेटी ब्लॉकचेन का मानकीकरण करने के लिए ज़िम्मेदार होगी. चाइनीज़ कम्युनिस्ट पार्टी के पोलितब्यूरो के 18वें सामूहिक अध्ययन सत्र के दौरान राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने प्रमुख तकनीकों के स्वतंत्र इनोवेशन के लिए ब्लॉकचेन के इस्तेमाल को ज़रूरी खोज बताने और ब्लॉकचेन तकनीक के विकास को तेज़ करने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया. ब्लॉकचेन स्टैंडर्ड्स कमेटी की शुरुआती बैठक के दौरान ब्लॉकचेन स्टैंडर्ड्स कमेटी के अध्यक्ष और उद्योग एवं सूचना तकनीक मंत्रालय (एमआईआईटी) के उप मंत्री वांग झिजून ने कहा, “महासचिव जिनपिंग के महत्वपूर्ण भाषण के तात्पर्य को लागू करने के लिए ब्लॉकचेन स्टैंडर्डाइज़ेशन कमेटी की स्थापना एक प्रमुख क़दम है.”

कमेटी का उद्देश्य ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर अंतर्राष्ट्रीय संवाद को आकार देना भी है.

पिछले महीने स्टेट एडमिनिस्ट्रेशन फॉर मार्केट रेगुलेशन (एसएएमआर) ने इंटरनेट प्लेटफॉर्म के वर्गीकरण और इंटरनेट प्लेटफॉर्म की ज़िम्मेदारियों को लागू करने के संबंध में दिशा-निर्देशों के दो मसौदों को लोगों की टिप्पणी के लिए जारी किया. एसएएमआर ने उद्योगों जैसे ऑनलाइन बिक्री, सेवा के समय, सामाजिक मनोरंजन, सूचना, वित्तीय सेवाओं, कंप्यूटेशनल एप्लिकेशन इंटरनेट और आकार जैसे बहुत बड़ा (सुपर), बड़ा, मध्यम एवं छोटे के आधार पर इंटरनेट प्लैटफॉर्म को छह श्रेणियों में बांटने का प्रस्ताव रखा. बहुत बड़ा प्लैटफॉर्म उन्हें परिभाषित किया गया जिनके 50 करोड़ से ज़्यादा सालाना सक्रिय यूज़र एवं अलग-अलग कारोबारी प्रोफाइल हैं और जिनका बाज़ार मूल्य एक ट्रिलियन युआन (156 अरब अमेरिकी डॉलर) से ज़्यादा है. बहुत बड़े प्लेटफॉर्म से निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा, डाटा सुरक्षा, जोख़िम प्रबंधन और इनोवेशन के मामले में ज़्यादा ज़िम्मेदारी उठाने की भी उम्मीद की जाती है. प्रस्तावित वर्गीकरण के अनुसार अलीबाबा, टेनसेंट, बाइटडांस और मीटुआन बहुत बड़े प्लेटफॉर्म की श्रेणी में आते हैं. बैदू और नेटईज़ के साथ टेनसेंट, अलीबाबा और बाइटडांस ने पिछले कुछ महीनों के दौरान मेटावर्स से जुड़ी पहल के लिए ट्रेडमार्क एप्लिकेशन दायर किए हैं. “प्लेटफॉर्म के संतुलित विकास” को बढ़ावा देने के लिए नए नियम इन बहुत बड़े प्लेटफॉर्म की स्थिति मुश्किल बना सकते हैं. ये बहुत बड़े प्लेटफॉर्म तकनीकी कंपनियों पर कार्रवाई की शुरुआत के समय से ही सरकार के दबाव का सामना कर रहे हैं.

बहुत बड़े प्लेटफॉर्म से निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा, डाटा सुरक्षा, जोख़िम प्रबंधन और इनोवेशन के मामले में ज़्यादा ज़िम्मेदारी उठाने की भी उम्मीद की जाती है. प्रस्तावित वर्गीकरण के अनुसार अलीबाबा, टेनसेंट, बाइटडांस और मीटुआन बहुत बड़े प्लेटफॉर्म की श्रेणी में आते हैं. 

अलीबाबा और मीटुआन पर जुर्माना

चीन की सरकार तकनीकी कंपनियों पर लगाम कसने के लिए अलग-अलग उपायों का इस्तेमाल कर रही है जिनमें साइबर सुरक्षा क़ानून और एकाधिकार विरोधी क़ानून शामिल हैं. अलीबाबा ग्रुप और मीटुआन पर एकाधिकार विरोधी क़ानून के तहत भारी जुर्माना लगाया गया था. लेकिन कुछ लोगों को लगता था कि मौजूदा क़ानूनों के तहत इन कंपनियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने का पर्याप्त असर नहीं होता है. अब चीन एकाधिकार विरोधी क़ानून को मज़बूत करने के लिए 13 वर्षों में पहली बार अपने एकाधिकार विरोधी क़ानून में संशोधन कर रहा है.

पिछले महीने अमेरिका के स्वामित्व वाली एकमात्र बड़ी सोशल नेटवर्किंग साइट लिंक्ड-इन ने चीन में अपना काम-काज बंद करने का ऐलान किया. इसकी वजह “उल्लेखनीय ढंग से ज़्यादा चुनौतीपूर्ण काम-काज करने का माहौल और ज़्यादा अनुपालन की ज़रूरतें” बताई गई. 

पिछले महीने अमेरिका के स्वामित्व वाली एकमात्र बड़ी सोशल नेटवर्किंग साइट लिंक्ड-इन ने चीन में अपना काम-काज बंद करने का ऐलान किया. इसकी वजह “उल्लेखनीय ढंग से ज़्यादा चुनौतीपूर्ण काम-काज करने का माहौल और ज़्यादा अनुपालन की ज़रूरतें” बताई गई. इसके बाद जिस दिन पर्सनल इंफोर्मेशन प्रोटेक्शन लॉ (पीआईपीएल) लागू हुआ, उस दिन याहू ने भी चीन छोड़ने का ऐलान किया. इसकी वजह चीन के “बढ़ते चुनौतीपूर्ण कारोबारी और क़ानूनी माहौल” को बताया गया. जहां विदेशी बड़ी तकनीकी कंपनियां कुछ हद तक बड़े बाज़ार के नुक़सान को झेल सकती हैं, वहीं चीन की देसी तकनीकी कंपनियां ज़्यादा सरकारी नियंत्रण हावी होने की स्थिति में ख़ुद को संकट की स्थिति में पा रही हैं.

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