ये लेख हमारी सीरीज़, पाकिस्तान: दि अनरैवेलिंग का एक भाग है.
पाकिस्तान इस वक़्त एक साथ कई चुनौतियों का शिकार है, जो उसके अस्तित्व पर सवालिया निशान लगा रही हैं. इन हालात का फ़ायदा उठाकर सीमा पार से तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) और अफ़ग़ान तालिबान ने अपनी गतिविधियों से पाकिस्तान की चिंताओं में इज़ाफ़ा कर दिया है. आने वाले समय में इसके दूरगामी और घातक परिणाम देखने को मिल सकते है.
9 मई को इमरान ख़ान की गिरफ़्तारी के बाद से ही पाकिस्तान की सड़कों पर अराजकता का राज देखने को मिला था. इस दौरान हुई हिंसा, आग़ज़नी और लूट-पाट से पाकिस्तान को 25 करोड़ पाकिस्तानी रुपए का नुक़सान हुआ. इमरान ख़ान के समर्थकों ने सेना और सरकार के कई ठिकानों पर हमला बोला था.
अफ़ग़ानिस्तान के विदेश मंत्रालय का ये बयान बेहद व्यवहारिक है, जिसमें धैर्य के साथ इस बात का इंतज़ार करने का संकेत है कि पाकिस्तान के हालात किस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं. लेकिन, पाकिस्तान में तालिबान के बयान को अपने मुल्क के अपमान के तौर पर देखा जा रहा है.
पाकिस्तानी फ़ौज के अड्डों और ठिकानों पर विरोध प्रदर्शनों और हमलों को फ़ौज की ताक़त और सम्मान पर चोट बताते हुए, बलोचिस्तान के झोब इलाक़े में तहरीक-ए-तालिबान (TTP) के कमांडर ने फ़ौज के ख़िलाफ़ मुहिम छेड़ने के लिए पाकिस्तानी अवाम को मुबारकबाद दी. तालिबान के कमांडर ने अपने सदस्यों को भी कहा कि वो फ़ौज के ठिकानों पर हमला बोलने में प्रदर्शनकारियों की मदद करें. तहरीक-ए-तालिबान ने तो प्रदर्शनकारियों की मदद का एलान किया. मगर, अफ़ग़ानिस्तान की अंतरिम सरकार के विदेश मंत्रालय की तरफ़ से जारी बयान इसके ठीक उलट था. अफ़ग़ान तालिबान की हुकूमत ने पाकिस्तान के अस्थिर हालात को लेकर चिंता जताते हुए सभी पक्षों से संयम बरतने की गुज़ारिश की, ताकि ये अराजकता सीमा पार करके उसके इलाक़े में दाख़िल न हो सके. ऊपरी तौर पर देखें, तो अफ़ग़ान तालिबान का ये बयान न तो अपवाद है और न ही इस पर कोई हैरानी होती है. आज चूंकि अफ़ग़ान तालिबान, अपनी हुकूमत को मान्यता दिलाने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय को रिझाने का संघर्ष कर रहा है, और पाकिस्तान के साथ उसके रिश्ते भी बहुत अच्छे नहीं हैं. ऐसे में अफ़ग़ानिस्तान के विदेश मंत्रालय का ये बयान बेहद व्यवहारिक है, जिसमें धैर्य के साथ इस बात का इंतज़ार करने का संकेत है कि पाकिस्तान के हालात किस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं. लेकिन, पाकिस्तान में तालिबान के बयान को अपने मुल्क के अपमान के तौर पर देखा जा रहा है.
TTP के लिए फ़ौज और हुकूमत के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन और दंगे बिल्कुल मुफ़ीद वक़्त पर हुए हैं. उत्तरी वज़ीरिस्तान में ख़ुफ़िया जानकारियों पर आधारित कई अभियानों में पाकिस्तान के सुरक्षा बलों ने लगभग 40 आतंकवादियों और TTP के एक बड़े कमांडर को मार गिराया था. अब मुल्क में अंदरूनी संकट के कारण फ़ौज के ऊपर क़ानून और व्यवस्था संभालने का बोझ भी आ गया है. ऐसे में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान को पाकिस्तान के भीतर हमले करने और फ़ौज से नाराज़गी का अप्रत्यक्ष रूप से फ़ायदा उठाकर सेना के अड्डों और सरकारी ठिकानों को निशाना बनाने का बेहतर मौक़ा नज़र आ रहा है. पाकिस्तान में हुकूमत को उखाड़ फेंकने की खुली अपील करते हुए इस आतंकवादी संगठन ने पाकिस्तानी जनता से कहा कि वो सियासी नारेबाज़ी और शांतिपूर्ण प्रदर्शनों के भरोसे रहने बजाय, ताक़त के दम पर जीत हासिल करने के लिए वही तरीक़ा अपनाए, जो अफ़ग़ान तालिबान ने काबुल पर विजय के लिए अख़्तियार किया था.
पाकिस्तान में हो रहे विरोध प्रदर्शनों में कई आतंकवादी संगठन अपने अपने मक़सद से फ़ायदा उठाने की संभावनाएं देख रहे हैं.
पाकिस्तान में हो रहे विरोध प्रदर्शनों में कई आतंकवादी संगठन अपने अपने मक़सद से फ़ायदा उठाने की संभावनाएं देख रहे हैं. पाकिस्तान जैसे मुल्क में जहां हुकूमत और फ़ौज से नाराज़गी बहुत ज़्यादा और दिलों में गहरे तक बैठी है. वहां पर अलग अलग वर्ग अक्सर अपने निजी फ़ायदे को प्राथमिकता देते हुए, मुल्क में अमन और स्थिरता को दांव पर लगा देते हैं. विरोध प्रदर्शनों को लेकर TTP की बयानबाज़ी और इस संकट को मुल्क की ताक़तवर फ़ौज के ख़िलाफ़ बग़ावत के तौर पर पेश करने की कोशिश से, पाकिस्तान में अस्थिरता और बढ़ सकती है.
पाकिस्तान के पंजाब सूबे के कार्यवाहक मुख्यमंत्री मोहसिन रज़ा ऩक़वी ने योजनाबद्ध तरीक़े से विरोध प्रदर्शन और हिंसा को लेकर चिंता जताते हुए ये सवाल उठाया कि आख़िर प्रदर्शनकारियों ने उन्हीं ठिकानों को निशाना कैसे बनाया, जो तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के निशाने पर थे. वैसे तो पाकिस्तान के भीतर अराजक स्थिति पैदा करने में TTP की भूमिका अभी भी सवालों के घेरे में है. लेकिन, मौजूदा संकट का चुपके से फ़ायदा उठाकर अपनी ताक़त बढ़ाने की उसकी कोशिश से इनकार नहीं किया जा सकता है.
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