Authors : Ovee Karwa | Sahil Deo

Published on Jul 29, 2023 Updated 0 Hours ago

एजेंसी और लोगों के ख़ुद के प्रभाव पर ध्यान केंद्रित करना, स्थानीय स्तर पर जोख़िम संवाद को प्रोत्साहित करना, अधिकारियों के बीच समन्वय कायम करना और समुदायों और सहयोग पर ध्यान केंद्रित करना, ये सब संवाद रणनीति का कुछ ऐसा हिस्सा हैं जिन्हें अपनाया जा सकता है.

दक्षिण अफ्रीका: ओमिक्रॉन संकट के दौरान ट्विटर के ज़रिये संवाद से मिली प्रभावी संवाद की मिसाल
दक्षिण अफ्रीका: ओमिक्रॉन संकट के दौरान ट्विटर के ज़रिये संवाद से मिली प्रभावी संवाद की मिसाल

ओमिक्रॉन तेजी से दुनिया के कई मुल्कों को अपनी चपेट में ले रहा है और हर देश अलग-अलग तरीके से इस संक्रमण को और बढ़ने से रोकने का उपाय करने में लगे हैं. इसे लेकर जो प्रतिक्रिया दिखाई जा रही है वह आंशिक रूप से सरकारी गतिविधि की समयबद्धता और नतीजों से निर्धारित हो रही है, तो इसके साथ ही लोगों ने सरकारों और अन्य संगठनों द्वारा दी गई जानकारी को कैसे प्राप्त किया, उसे कैसे समझा और इसे लेकर कैसी प्रतिक्रिया दी, इस बात पर भी यह आधारित है. हालांकि, महामारी जैसे संकट के दौरान सूचना देने के लिए कोई सर्वसम्मत संवाद व्यवस्था या दृष्टिकोण नहीं होता है लेकिन ओमिक्रॉन की लहर के दौरान दक्षिण अफ्रीका के प्रभावशाली संवाद रणनीति की बारीकियों को रेखांकित करना इस लेख का मक़सद है. जब भी सरकार बेहतर जोख़िम संचार रणनीतियों को लागू करती है तो ऐसे में उन्हें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इससे जुड़े लोग महज इस संवाद को प्राप्त ही नहीं करते हैं बल्कि वो इस संचार का हिस्सा हैं. क्योंकि लंबे समय में सफलता तभी मिल पाती है जब लोगों का भरोसा हासिल किया जाता है. हम इस बात को प्रदर्शित करते हैं कि कैसे सरकारी अधिकारियों के संवाद को सामुदायिक जुड़ाव के ज़रिए लोगों का भरोसा, उनका जुड़ाव और उनकी भागीदारी को बढ़ाया जा सकता है.

जब भी सरकार बेहतर जोख़िम संचार रणनीतियों को लागू करती है तो ऐसे में उन्हें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इससे जुड़े लोग महज इस संवाद को प्राप्त ही नहीं करते हैं बल्कि वो इस संचार का हिस्सा हैं. 

ट्विटर एक प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म है और कोरोना महामारी के दौरान इसे इस्तेमाल करने वालों की संख्या में ज़बर्दस्त बढ़ोतरी देखी गई है. यह पिछले और मौजूदा महामारी के दौरान सूचना के प्रसार के लिए एक असरदार माध्यम के तौर पर देखा गया है. हमने अपने शोध के लिए दक्षिण अफ्रीका की सरकार के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट जैसे डिपार्टमेंट ऑफ़ हेल्थ, साउथ अफ्रीका और नेशनल इंस्टीट्यूट फ़ॉर कम्युनिकेबल डिजीज़ ऑफ़ साउथ अफ्रीका की जांच की. यह जांच 5 दिसंबर से 15 दिसंबर 2021 तक ओमिक्रॉन के चरम के दौरान की गई थी, जिसमें दो स्रोतों में 63 ट्वीट्स के सैंपल थे. ट्विटर पोस्ट को उनकी प्रेरणा, विषय और लक्ष्य के असर (भावना) के आधार पर वर्गीकृत किया गया था. उस वक़्त के दौरान, ओमिक्रॉन के मामले में उछाल के लिए दक्षिण अफ्रीका की सरकारी नीतियां ज़िम्मेदार थीं साथ ही प्रभावी जोख़िम संवाद भी इसके लिए कुछ हद तक ज़िम्मेदार थे. अस्पताल में भर्ती होने वालों की संख्या, अस्पतालों में रहने का औसत समय के साथ ही दक्षिण अफ्रीका में डेल्टा लहर के दौरान देखी गई मौत के आंकड़ों की तुलना में ओमिक्रॉन लहर के दौरान यह बहुत कम रही. दक्षिण अफ्रीका के जोख़िम संवाद की रणनीति से भारत भी महत्वपूर्ण सबक सीख सकता है, जो भरोसेमंद आंकड़ों को प्राप्त करने का अहम हिस्सा हो सकता है, जिससे भ्रमात्मक जानकारी और बिना वजह की घबराहट को कम किया जा सकता है.

दक्षिण अफ्रीका के जोख़िम संवाद की रणनीति से भारत भी महत्वपूर्ण सबक सीख सकता है, जो भरोसेमंद आंकड़ों को प्राप्त करने का अहम हिस्सा हो सकता है, जिससे भ्रमात्मक जानकारी और बिना वजह की घबराहट को कम किया जा सकता है.

साउथ अफ्रीका के डिपार्टमेंट ऑफ़ हेल्थ और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ कम्युनिकेशन डिजीज़ द्वारा किए गए कुछ ट्वीट्स को नीचे रेखांकित किया जा रहा है:

  1.  जोख़िम संवाद के संबंध में दोनों ही विभागों के ट्वीट का मक़सद जानकारी का समन्वय और कोरोना महामारी के रोज़ाना नए मामलों के बारे में, टीकाकरण और कोरोना प्रोटोकॉल के बारे में जागरूकता बढ़ाना था.

    2. जब ट्वीट का लक्ष्य जानकारी के समन्वय को मज़बूत करना था तब इससे समुदाय पर ध्यान केंद्रित किया गया, जहां कोरोना प्रोटोकॉल, हेल्थ शिकायत संबंधी ऐप लॉन्च करने, हेल्थ संबंधित अपडेट और टीकाकरण के लिए प्रोत्साहित करने जैसे संबंधित विषयों की चर्चा की गई. इसके बाद लक्ष्य रखा गया पारदर्शिता, प्रोत्साहन और जनता के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को म़जबूत करने का. किसी भी जानकारी को सनसनीखेज नहीं बनाया गया बल्कि इसे सामान्य तरीके से लोगों तक पहुंचाया गया.

    3. उनके ट्विटर संचार ने संस्थानों, मीडिया और सिविल सोसाइटी संगठनों के साथ सफल सहयोग स्थापित किया. जिन सप्ताह के दौरान संक्रमण अपने चरम पर था, सरकार के आधिकारिक ट्विटर हैंडल कोरोना के साथ दूसरी संक्रामक और उससे संबंधित बीमारियों के बारे में जानकारी देते रहे, जो यह दर्शाता है कि इन बीमारियों के ख़िलाफ़ सरकार ने अपना काम नहीं बंद किया है. यह उनके दृष्टिकोण में व्यावहारिकता को दर्शाता है और बतौर मंत्रालय उनकी संकट के दौरान जनसहयोगी स्वभाव को दर्शाता है.
    चित्र 1: ट्वीट का मक़सद 

स्रोत : डिपार्टमेंट ऑफ़ हेल्थ,  साउथ अफ्रीका (@HealthZA)  और नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर कम्युनिकेबल डिजीज़ ऑफ़ साउथ अफ्रीका (@NICD) के ट्वीटस [5 दिसंबर से 15 दिसंबर 2021 ]; सैंपल साइज : 63 ट्वीट्स.

  1. जागरूकता और सूचना समरूपता पर केंद्रित ट्वीट्स में सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराया गया और इसे मज़बूत बनाया गया. दोतरफा संवाद बेहतर हो सके इसके लिए, इलेक्ट्रॉनिक टीकाकरण डेटा सिस्टम, टीकाकरण साइटों तक मुफ़्त सवारी, शिकायत ऐप की शुरुआत और मीडिया के साथ सहयोग जैसी पहल की गई. ये पहल और उनका प्रचार सरकार में विश्वसनीयता बढ़ाने में मदद कर सकता है.

    2. विशेषज्ञों और प्रभावशाली लोगों के साथ सहयोग अक्सर लोगों को कोरोना महामारी के ख़िलाफ़ टीकाकरण के लिए प्रोत्साहित करने के लिए पोस्ट किया गया था.

    चित्र 2: ट्वीट का थीम

स्रोत : डिपार्टमेंट ऑफ़ हेल्थ,  साउथ अफ्रीका (@HealthZA)  और नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर कम्युनिकेबल डिजीज़ ऑफ़ साउथ अफ्रीका (@NICD) के ट्वीटस [5 दिसंबर से 15 दिसंबर 2021 ]; सैंपल साइज : 63 ट्वीट्स.


चित्र 3 : ट्वीट का इच्छित प्रभाव

स्रोत : डिपार्टमेंट ऑफ़ हेल्थ,  साउथ अफ्रीका (@HealthZA)  और नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर कम्युनिकेबल डिजीज़ ऑफ़ साउथ अफ्रीका (@NICD) के ट्वीटस [5 दिसंबर से 15 दिसंबर 2021 ]; सैंपल साइज : 63 ट्वीट्स.


संकट काल में किये गये संवाद से मिला सबक, जिसे दूसरे देश सीख कर अपने यहां लागू कर सकते हैं:


ए ) एजेंसी और लोगों की आत्म-प्रभावकारिता:

ट्वीट्स में हमेशा एजेंसी की भाषा और लोगों की आत्म-प्रभावकारिता का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे यह पुष्ट होता है कि ख़ुद को टीका लगवाना और संक्रमण रोकने के उपाय करना लोगों के हाथ में है. इससे निपटने में लोगों को एजेंसी द्वारा कोरोना की गंभीरता के बारे में चेतावनी दी गई थी. जोख़िम संवाद एक बेहतर जरिया है और हर स्थिति में जनता को नियंत्रण की भावना देने में मदद करता है. इसके अलावा, जनता को लगातार स्वास्थ्य शिकायत ऐप का इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित किया गया, जहां सरकार ने यह स्वीकार किया कि जनता की कुछ चिंताओं को पहले उनके द्वारा ध्यान नहीं दिया गया था और वे अब अपने मुद्दों को हल करने के लिए सक्रिय कदम उठा रहे थे. इसने जनता को न केवल प्राप्तकर्ता के तौर पर जोख़िम संवाद के आख़िर में रखा, बल्कि इसमें एक प्रमुख हिस्सेदार के रूप में, जो प्रभावी जोख़िम संवाद में सबसे महत्वपूर्ण रणनीतियों में से एक है, शामिल किया.

बी ) स्थानीय स्तर पर जोख़िम संवाद:
प्रभावी जोख़िम संवाद के सबसे अहम पहलुओं में से एक, ख़ास कर जब जोख़िम बड़े स्तर पर होता है, तब विकेन्द्रीकृत स्थानीय स्तरों पर सार्वजनिक स्वास्थ्य संचार को तैयार करना होता है. अगर संक्रमण के सक्रिय मामलों, पॉजिटिविटी रेट और मौतों के बारे में जानकारी स्थानीय स्तर पर प्रतिदिन अपडेट नहीं की जाती है, तो यह हालात भी भ्रमात्मक सूचनाओं को बढ़ावा देने लगता है. राष्ट्रीय या राज्य सरकार के अधिकारियों के ट्विटर हैंडल लोगों को उनके स्थानीय सार्वजनिक स्वास्थ्य हैंडल का पता लगाने और उसे पालन करने के लिए प्रोत्साहित करने वाले एजेंट के रूप में भी कार्य कर सकते हैं.

सी  ) सामुदायिक दृष्टिकोण और सार्वजनिक सहयोग:
सरकारों द्वारा जोख़िम संवाद हमेशा समावेशी होना चाहिए, और तो और दोतरफा संवाद कायम करने में निजी क्षेत्र के हितधारक और लोग भी शामिल होने चाहिए.  दक्षिण अफ्रीका के मामले में, मीडिया, स्वास्थ्य संस्थानों और सिविल सोसाइटी संगठनों के साथ सहयोग के बारे में नियमित रूप से ट्वीट किए गए थे. इससे लोगों को संक्रमण के जोख़िम के बारे में जागरूकता विकसित करने और जोख़िमों को संभालने की उनकी सरकार की क्षमता पर भरोसा कायम करने में मदद मिली.

डी ) अधिकारियों के बीच समन्वय:
जो अधिकारी संबंधित मामले देख रहे हैं उनके बीच समन्वय दिखाना साझी ज़िम्मेदारी और भरोसे को कायम करने के लिए बेहद अहम है, ये ऐसा जरिया है जिसे आसानी से अपनाया जा सकता है. एक मामले में जहां स्वास्थ्य विभाग और एनआईसीडी के बीच नए मामलों की रिपोर्टिंग में विसंगति पाई गई थी, वहां फौरन सुधार के उपाय किए गए और भ्रम की स्थिति पैदा होने पर उसी दिन माफी मांग ली गई. इससे जनता के बीच इस बात को मज़बूती प्रदान करने में मदद मिली कि संबंधित अधिकारियों के बीच समन्वय था, और वे जिन स्रोतों का इस्तेमाल कर रहे थे वह भरोसेमंद था.

ई ) सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का अधिक प्रभावी ढंग से उपयोग करना :
आधिकारिक सूचना के प्रसारण के लिए ट्विटर और फेसबुक जैसे प्लेटफॉर्म पर विशेष हैशटैग निर्दिष्ट करना, टीकाकरण और एहतियात के उपायों को प्रोत्साहित करना स्थानीय अधिकारियों के लिए बेहतर कुशलता से प्रतिक्रिया देने में एक उपयोगी जरिया साबित हो सकता है. दक्षिण अफ्रीका में हैशटैग जैसे  #वैक्सीनेट टू सेव साउथ अफ्रीका, #वैक्सीनरॉलआउटएसए, #वूमा वैक्सीनेशन और #कंपलेंट्सऐप ट्वीटर द्वारा अधिकृत किए गए थे. ऐसे हैंडल को अलग-अलग सोच के लिए और ज़्यादा बेहतर और स्पष्ट तरीके से इस्तेमाल किया जा सकता है.

प्रभावी संकट संवाद के लिए जोख़िम संवाद में अलग-अलग हितधारकों को शामिल करना बेहद ज़रूरी होता है.  इसलिए हम इस बात का प्रस्ताव करते हैं कि ग़लत सूचना का मुक़ाबला करने, जनता के विश्वास को मज़बूत करने और कोरोना उपयुक्त व्यवहार (सीएबी) को बनाए रखने के लिए दो-तरफ़ा संवाद स्थापित करना महत्वपूर्ण है.  हमारे द्वारा सुझाए गए संचार रणनीति की बुनियाद स्थानीय स्तर पर पारदर्शिता और नागरिक भागीदारी को बढ़ाने में है.

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Ovee Karwa

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Ovee is a Research Associate at CPC Analytics. She has done her bachelor's in Literary and Cultural Studies and is interested in understanding power oppression ...

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Non-resident fellow at ORF. Sahil Deo is also the co-founder of CPC Analytics, a policy consultancy firm in Pune and Berlin. His key areas of interest ...

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