Published on Jan 17, 2019 Updated 0 Hours ago

केवल बातचीत ही अफगानिस्तान में चल रहे संघर्ष को समाप्त कर सकती है क्योंकि देश में जो मुद्दे हैं वह कठिन और जटिल हैं।

रायसीना संवाद | अफगानिस्तान में शांति प्रयासों के लिए तालिबान को शामिल करना जरूरी: करजई

अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई का कहना है कि अफगान शांति प्रक्रिया की सफलता और स्थिरता के लिए तालिबानी नेतृत्व की भागीदारी होना बेहद जरूरी है।

दिल्ली में हुए रायसीना डायलॉग में उन्होंने यह बातें कहीं। करजई ने कहा कि तालिबान हमारे देश के हैं इसलिए शांतिवार्ता के लिए हो रहे प्रयासों में उनको शामिल किया जाना आवश्यक है।

उन्होंने अफगान शांति प्रक्रिया के लिए अमेरिका द्वारा अफगान मूल के जालमेय खालिजाद को प्रतिनिधि बनाए जाने का स्वागत किया। उन्होंने आशा व्यक्त की कि अफगानी मूल का होने के कारण वह यहां के मुद्दों और संवेदनाओं को बेहतर ढंग से समझते हैं इसलिए यहां बेहतर तरीके से अपना काम कर पाएंगे।

जब उनसे पूछा गया कि क्या वह इस बात को लेकर चिंतित थे कि अमेरिका अफगानिस्तान से वापस जाएगा तो उनका कहना था कि उन्हें विश्वास नहीं था कि अमेरिका ऐसा करेगा, क्योंकि उन्हें ऐसा लगता था कि वह वहां देश छोड़ने के लिए नहीं आए थे।

हामिद करजई ने कहा कि एक अच्छे विचार के साथ केवल बातचीत ही अफगानिस्तान में चल रहे संघर्ष को समाप्त कर सकती है क्योंकि देश में जो मुद्दे हैं वह कठिन और जटिल हैं।

उन्होंने इस शांति प्रक्रिया के लिए चार महत्वपूर्ण बातें कहीं। पहली, प्रक्रिया पूरी तरह अंतर-अफगान संवाद पर आधारित होनी चाहिए। दूसरी, इस प्रक्रिया में बरते जाने वाली पारदर्शिता को परिभाषित किया जाए। तीसरी, इसे पड़ोसियों और क्षेत्र से सहयोग और समर्थन की जरूरत है। अंत में उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में शांति प्रक्रिया के लिए अन्य देशों के बीच हुआ समझौता शांति निर्धारण का पैमाना नहीं हो सकता।

पूर्व राष्ट्रपति ने इस प्रक्रिया में चीन की भूमिका पर भी बात की। उन्होंने चीन द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सराहना की और कहा कि इस्लामाबाद और बीजिंग के बीच जो संबंध बने हैं उससे भी शांति प्रक्रिया के लिए चल रहे प्रयासों को लाभ होगा।

करजई ने शांति प्रक्रिया के लिए रूस द्वारा किए गए प्रयासों का भी जोरदार तरीके से समर्थन किया। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच बेहद निकट के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध हैं। इस क्षेत्र में कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने के लिए उन्होंने चाबहार बंदरगाह परियोजना का भी जोरदार समर्थन किया। करजई ने इस बात को स्वीकार किया कि बहुत सी वैश्विक शक्तियां अफगानिस्तान में मौजूद थीं क्योंकि अफगानिस्तान जहां पर है वहां उसकी जमीन का रणनीतिक इस्तेमाल किया जा सकता है। उन्होंने इस क्षेत्र में अन्य देशों की भागीदारी का स्वागत किया पर साथ ही अफगानिस्तान के हित में काम करने का आह्वान भी किया।

उन्होंने भारत और अफगानिस्तान के बीच सांस्कृतिक और निकट संबंधों का हवाला देते हुए कहा कि भारत और अफगानिस्तान के बीच स्नेहपूर्ण संबंध हैं। उनके देश को भारत से बहुत उम्मीेदे हैं। भारत अफगानिस्तान के हित में बहुत कुछ कर रहा है, लेकिन लोगों को और ज्यादा से ज्यादा की अपेक्षा है।

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