Published on Jan 29, 2021 Updated 0 Hours ago

समूचे इतिहास के दौरान, ‘बॉम्बे’ दुनिया के साथ अपने संपर्क सूत्र के लिए जाना जाता रहा है और अब वह समय आ गया है कि इन संपर्क सूत्रों का फ़ायदा उठाते हुए मुंबई को एक बार फिर से महान बनाया जाए.

मुंबई की संभावनाओं के विस्तार के लिए ज़रूरी है पैराडिप्लोमैसी

मुंबई लंबे समय से विश्व के लिए ‘भारत का द्वार’ (Gateway of India) रहा है और इस शहर पर दुनिया के अलग अलग देशों का मिलाजुला प्रभाव रहा है. शहर के उत्तरी इलाक़े में मिले तलछट यानी सेंडीमेंट्स इस बात का संकेत देते हैं कि मुंबई के सात द्वीप पाषाण युग के दौरान से बसे हुए हैं. सम्राट अशोक ने तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व इन द्वीपों को अपने साम्राज्य में शामिल किया, और वे हिंदू व बौद्ध धर्म और संस्कृति का एक केंद्र बन गए, जिसके तहत विद्वानों ने कन्हेरी और महाकाली की गुफ़ाओं में शिलालेख़ और मूर्तियां निर्मित कीं. बाद में, इन द्वीपों का नियंत्रण, भारत में जन्मे अलग-अलग देसी राजवंशों के हाथ रहा और इसके बाद पुर्तगाली साम्राज्य ने इसे संभाला. इसके साथ ही एक तरह से वैश्विक शक्ति और राजनीति के साथ इस शहर का लेनदेन शुरु हुआ. पुर्तगाली साम्राज्य से यह ईस्ट इंडिया कंपनी के कब्ज़े में आया, जब इंग्लैंड के चार्ल्स द्वितीय ने 17वीं शताब्दी में ब्रागांजा की राजकुमारी कैथरीन से शादी की और दहेज में उन्हें ‘बॉम्बे’ के सात टापू (मुंबई का तात्कालिक नाम) मिले. इस के बाद, बॉम्बे के गवर्नर विलियम हॉर्नबी की पहल पर समुद्र से कुछ ज़मीन को अलग कर इस शहर का विकास किया गया और इस का मौजूदा रूप अमल में आने लगा. इस के बाद अगले कुछ दशकों में कॉज़वे का निर्माण हुआ और 18वीं शताब्दी के मध्य में, समुद्र में अलग-थलग मौजूद सात टापुओं और दलदल को एक साथ जोड़ा गया.

मुंबई शहर पिछले 150 वर्षों से लगातार विकसित हो रहा है, और पिछले 25 साल में इस शहर ने व्यापार का केंद्र होने से ले कर सेवाएं प्रदान करने वाले शहर के रूप में अपने अस्तित्व को आर्थिक रूप से बदलते हुए देखा है. भारत की वित्तीय राजधानी के रूप में यह शहर प्रमुख कॉर्पोरेट मुख्य़ालयों की मेज़बानी करता है. यह विदेशी निवेश और संयुक्त उद्यमों के लिए मुख्य़ गंतव्य भी है, और दो क्षेत्रीय स्टॉक एक्सचेंज यहां स्थित हैं

मुंबई शहर पिछले 150 वर्षों से लगातार विकसित हो रहा है, और पिछले 25 साल में इस शहर ने व्यापार का केंद्र होने से ले कर सेवाएं प्रदान करने वाले शहर के रूप में अपने अस्तित्व को आर्थिक रूप से बदलते हुए देखा है. भारत की वित्तीय राजधानी के रूप में यह शहर प्रमुख कॉर्पोरेट मुख्य़ालयों की मेज़बानी करता है. यह विदेशी निवेश और संयुक्त उद्यमों के लिए मुख्य़ गंतव्य भी है, और दो क्षेत्रीय स्टॉक एक्सचेंज यहां स्थित हैं, जहां बड़ी से बड़ी भारतीय कंपनियों को पूंजीकृत किया जाता है. इसके साथ ही यह राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय पहुंच वाले छोटे व्यवसायों के लिए भी एक केंद्र है. मुंबई दक्षिण एशिया के सबसे बड़े सांस्कृतिक उद्योग और निर्यातक माने जाने वाले ‘बॉलीवुड’ का घर भी है. बॉलीवुड अब 4 बिलियन अमेरिकी डॉलर का उद्योग है, जिसके राजस्व का एक बड़ा हिस्सा विदेशों से आता है. इसके व्यापार का दायरा बेहद बड़ा है और साल 2017 में भारतीय फिल्मों का व्यापार पिछले साल के 125 मिलियन अमेरिकी डॉलर के मुक़ाबले 367 मिलियन अमेरिकी डॉलर तक बढ़ा. भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए लगातार पैसा कमाने के अलावा, यह क्षेत्र लगभग एक मिलियन लोगों के लिए रोज़गार पैदा करता है, और इसमें नए बाज़ारों में प्रवेश करने की ज़बरदस्त क्षमता है (जैसे कि फिल्म दंगल ने चीन में लगभग 200 मिलियन अमेरिकी डॉलर का व्यापार किया).

इन सब तर्कों और तथ्यों के बावजूद, साल 2019 के ग्लोबल पावर सिटी इंडेक्स (Global Power City Index) जिस के अंतर्गत दुनिया-भर के शहरों का इस आधार पर मूल्याकंन व आकलन किया जाता है कि वह लोगों, पूंजी और उद्यमों को आकर्षित करने की कितनी क्षमता रखते हैं, मुंबई सबसे निचले पायदान पर रहा.

मेयर दिखा रहे हैं रास्ता

इस मायने में, हाल के वर्षों में, ‘शहर के कूटनीति मॉडल’ ने लोकप्रियता प्राप्त की है, जिससे शहर में बढ़ रहे नए इलाक़ों के बीच महत्वपूर्ण संपर्क स्थापित हुआ है. साल 2016 में, लगभग 60 शहरों के प्रथम नागरिक यानी महापौर ‘ग्लोबल पार्लियामेंट ऑफ मेयर्स’ के बैनर तले साथ आए, ताकि वह बहुराष्ट्रीय निगमों, नागरिक समाज के संगठनों और व्यापार निगमों के साथ बेहतर संबंध स्थापित कर सकें और मिलकर काम कर सकें. दुनिया भर में फैली कोविड-19 की महामारी के मद्देनज़र, जब स्थानीय और राष्ट्रीय सरकारें केंद्रीकृत या स्थानीय प्रतिक्रियाओं के मुद्दे पर बहस कर रही थीं, तब मुंबई के सभी मेयर यानी महापौर ने मिलकर महामारी की चुनौती से निपटने के लिए बैठक की और एक स्थानीय राजनीतिक एजेंडे से इतर शहरी मुद्दों पर ध्यान देते हुए, कुछ अद्वितीय व अनूठे समाधान सामने रखे.

दुनिया भर में फैली कोविड-19 की महामारी के मद्देनज़र, जब स्थानीय और राष्ट्रीय सरकारें केंद्रीकृत या स्थानीय प्रतिक्रियाओं के मुद्दे पर बहस कर रही थीं, तब मुंबई के सभी मेयर यानी महापौर ने मिलकर महामारी की चुनौती से निपटने के लिए बैठक की और एक स्थानीय राजनीतिक एजेंडे से इतर शहरी मुद्दों पर ध्यान देते हुए, कुछ अद्वितीय व अनूठे समाधान सामने रखे.

‘ग्लोबल पार्लियामेंट ऑफ़ मेयर्स’ में इस तरह के कई उदाहरण सामने आए. जैसे, कोलंबिया स्थित पामिरा के मेयर ऑस्कर एस्कोबार ने डिजिटल क्रांति को लेकर बन चुकी खाई को पाटने की दिशा में कोशिशों पर बात की और इस राय को सामने रखा कि इंटरनेट एक मानवाधिकार है और इस बात को समझना ज़रूरी है, ताकि विश्व भर में फैली इस महामारी के संकट दौरान सभी वर्ग के बच्चों के लिए शिक्षा संबंधी उपकरण समान रूप से उपलब्ध करवाए जा सकें. महामारी से पहले पामिरा के लगभग 70 प्रतिशत परिवार अनौपचारिक क्षेत्र के ज़रिए अपनी आय प्राप्त करते थे; महामारी के बाद, इस शहर ने पुर्ननिर्माण की एक पहल के रूप में आंकड़ों का संग्रह शुरु किया, जिस के ज़रिए सभी व्यवसयों का लेखा-जोखा तैयार किया गया और उन्हें औपचारिक क्षेत्र का हिस्सा बनाने की पहल की गई. यह काम मुख्य़ रूप से इन व्यवसायों के पंजीकरण और इन व्यवसायों में जुटे लोगों को उद्यमशीलता से जुड़े पाठ्यक्रमों का हिस्सा बना कर किया गया. इसके अलावा उन्हें ऋण संबंधी सुविधाएं और कर संबंधी लाभ भी दिए गए. इस के अलावा, मोज़ांबिक  के क्वेलिमाने शहर के महापौर मैनुएल डे अराउजो ने महामारी के दौरान शहरी परिवहन व्यवस्था को टिकाऊ बनाने के लिए शहर के प्रयासों पर प्रकाश डाला. उनके शहर में परिवहन के एक माध्यम के रूप में साइकिलिंग को बढ़ावा दिया गया, जिस से महामारी के दौरान यात्राओं पर लगे प्रतिबंध लागू करने में आसानी हुई.

मेट्रो शहर की चिंताएं और समस्याएं

मुंबई भारत की वित्तीय राजधानी है, फिर भी एक आधुनिक सार्वजनिक परिवहन प्रणाली, किफ़ायती आवास और अन्य सुविधाओं में निवेश की कमी के कारण और गुरुग्राम (गुड़गांव) जैसे शहरों में मौजूद सुविधाओं के चलते, भारत की बड़ी से बड़ी कंपनियां मुंबई के बजाय इन शहरों को चुन रही हैं. विकास परियोजनाओं में देरी भी निराशा का एक अहम कारण है. जैसे, साल 2015 से मुंबई के बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स में सिंगापुर और दुबई की तर्ज पर एक अंतरराष्ट्रीय वित्तीय केंद्र बनाने की योजना पर काम चल रहा है, लेकिन इसके बजाय अहमदाबाद में स्थित गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस  टेक-सिटी (Gujarat International Finance Tech-City) को केंद्र सरकार की ओर से अधिक समर्थन मिला है. इसी के साथ, कुछ अन्य राज्य लगातार निवेश के आकर्षक विकल्पों के रूप में उभर रहे हैं, और कई महत्वपूर्ण आर्थिक संस्थान जैसे ट्रेडमार्क पेटेंट कार्यालय, अब मुंबई के बाहर स्थानांतरित किए जा रहे हैं.

मुंबई को अपने अंतरराष्ट्रीय संपर्कों को संजोते हुए, पैराडिप्लोमैसी (स्थानिक कूटनीति) के ज़रिए, अलग-अलग कोशिशों से सीखना चाहिए, ताकि वह अपने स्तर पर मौजूद कई लाभों का फ़ायदा उठा सके. 

मुंबई को अपने अंतरराष्ट्रीय संपर्कों को संजोते हुए, पैराडिप्लोमैसी (स्थानिक कूटनीति) के ज़रिए, अलग-अलग कोशिशों से सीखना चाहिए, ताकि वह अपने स्तर पर मौजूद कई लाभों का फ़ायदा उठा सके. उदाहरण के लिए, मुंबई शहर को कनाडा के अल्बर्टा शहर से बहुत कुछ सीखना है, जिसने जुलाई 2020 में राज्य की बाज़ार तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए और प्रौद्योगिकी व वित्तीय सेवाओं के क्षेत्र में पूंजी प्रवाह के लिए एक एजेंसी बनाई. अल्बर्टा दुनिया भर में कई शहरों में अपने अंतरराष्ट्रीय कार्यालय रखता है ताकि निवेश को बढ़ाया जा सके.

उपलब्धियां और असफलताएं

शहरी विकास और सामाजिक कल्याण से जुड़े मुद्दे पर पैराडिप्लोमैसी (स्थानिक कूटनीति) से संबंधित संस्थानों के साथ मिलकर काम करने संबंधी कुछ प्रयास किए गए हैं. दिसंबर 2020 में, मुंबई सी-40 पहल (C-40 initiative) का हिस्सा बना, जो दुनिया-भर में उन शहरों का एक नेटवर्क है, जो जलवायु परिवर्तन को संबोधित करने को लेकर प्रतिबद्ध हैं. साल 2017 में, महाराष्ट्र ने राज्य स्तर पर जलवायु परिवर्तन से संबंधित कार्रवाई का नीतिगत मसौदा तैयार किया और मुंबई की पहचान एक संवेदनशील ज़िले के रूप में की गई. माना जा रहा है कि इस दशक के अंत तक महाराष्ट्र के लगभग सभी शहरों में मौसम से संबंधित चरम घटनाओं में 22 प्रतिशत से 32 प्रतिशत की वृद्धि की संभावना हो सकती है. सितंबर 2020 में, जलवायु और स्मार्ट सिटी परियोजनाओं का सहयोग व समर्थन करने के लिए ‘सिटी क्लाइमेट फाइनेंस  गैप फंड’ (City Climate Finance Gap Fund) शुरू किया गया था ताकि शहर व स्थानीय सरकारों के वित्तपोषण की कमी को पूरा किया जा सके. यह एजेंसी प्रारंभिक स्तर पर जलवायु-स्मार्ट निवेश को बढ़ावा देने, इस से संबंधित कार्यक्रमों को तैयार करने, उनकी गुणवत्ता परखने और इन परियोजनाओं पर अमल को सुनिश्चित करने के लक्ष्य के साथ-साथ, स्थानीय नेताओं की सहायता करने के लिए उन्हें तकनीकी व सलाह संबंधी सेवाएं भी प्रदान करती है. इस पहल का मकसद इस बात की पहचान करना भी है कि सभी प्रोग्राम व परियोजनाएं अमल में लाने योग्य हैं या नहीं.

इस मायने में, मुंबई को सब-नेशनल स्तर पर बहुपक्षीय संधियों और संर्पक को बढ़ावा देना चाहिए, जैसे कि ‘सिटीज़ एलायंस’, जो झुग्गी बस्ती इलाक़ों के विकास के लिए बनाई गई एक वैश्विक भागीदारी है. इन साझेदारियों में अपनी भागीदारी का पैमाना बढ़ा कर मुंबई अपने लक्ष्यों को बेहतर ढंग से पा सकता है. यह ज़रूरी है क्योंकि धारावी पुनर्विकास जैसी परियोजनाएं 15 से अधिक वर्षों से काम कर रही है. इस इलाक़े में कोविड-19 के तेज़ी से प्रसार ने अब उचित स्वच्छता और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी से संबंधित मुद्दों को फिर से रेखांकित किया है, जिस के चलते इस के पुनर्निर्माण में तेज़ी लाने की मांग को बढ़ावा मिला है.

साल 2014 में, शंघाई और मुंबई ने सूचना प्रौद्योगिकी और पर्यटन के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिए समझौतों पर हस्ताक्षर किए. इस के बाद भी दोनों शहरों के नगर निकायों के बीच तालमेल नहीं बन पाया है, और कोई संयुक्त उद्यम सामने नहीं आए हैं. हालांकि, मुंबई का जर्मनी के स्टटगार्ट शहर के साथ भी एक गठजोड़ है, लेकिन मुंबई शहर को एशियाई शहरों के साथ अधिक भागीदारी की ज़रूरत है, जो यूरोपीय देशों के मुक़ाबले इस के साथ अधिक समानताएं साझा करते हैं.

पैराडिप्लोमैसी (स्थानिक कूटनीति) और अन्य शहरों के साथ संपर्क व संबंध, निवेश और प्रौद्योगिकी को आकर्षित करने और सांस्कृतिक समझ को बढ़ावा देने में उपयोगी साबित होते हैं. दक्षिण मुंबई, 40 से अधिक विदेशी वाणिज्य दूतावासों का घर है और यह इस प्रयास में एक अहम भूमिका निभा सकता है. समूचे इतिहास के दौरान, ‘बॉम्बे’ दुनिया के साथ अपने संपर्क सूत्र के लिए जाना जाता रहा है और अब वह समय आ गया है कि इन संपर्क सूत्रों का फ़ायदा उठाते हुए मुंबई को एक बार फिर से महान बनाया जाए.


ये लेख  कोलाबा एडिट सीरीज़ का हिस्सा है.

The views expressed above belong to the author(s). ORF research and analyses now available on Telegram! Click here to access our curated content — blogs, longforms and interviews.