Published on Dec 13, 2021 Updated 0 Hours ago

लोगों के लोगों से गहरे होते संबंधों से भारत और दक्षिण कोरिया दोनों, ही सामरिक और वित्तीय बढ़त लेने को तैयार बैठे है.

भारत-दक्षिण कोरिया संबंध: जुड़ते लोग और गहरे होते आपसी संबंध

हाल की कोरियन ड्रामा, स्क्विड गेम्स ने दर्शकों को विस्मित करने के नेटफलिक्स के सारे बड़े रिकॉर्ड्स को धराशाई कर दिया. एक तरफ जहां इस ड्रामा में काम करने वाले सारे कलाकारों को उनके उत्कृष्ट परफॉरमेंस के लिए काफी सराहना मिल रही है, वहीं कोरिया बेस्ड भारतीय मूल के कलाकार अनुपम त्रिपाठी को, इस ड्रामा में निभाए गए एक मासूम और मृदुभाषी प्रवासी मज़दूर,अली की भूमिका के लिए, उनके फैन का ज़ोरदार प्यार मिल रहा है,

सन 2011 में, सियोल में आईसीसी की स्थापना की गई थी, ताकि वहाँ “भारत की समृद्ध संस्कृति को प्रदर्शित की जा सके और भारत और कोरिया के बीच सांस्कृतिक आदान प्रदान को बढ़ावा मिल सके.”   

स्क्विड गेम्स की सफलता और  अनुपम त्रिपाठी की कास्टिंग की वजह से भारत और दक्षिण कोरिया दोनों देश में नज़दीकियाँ और भी बढ़ी हैं. ज्य़ादातर दक्षिण एशियाई कलाकारों को, प्रवासी मज़दूर की भूमिका निभाने के अवसर मिलते है,  खुद अनुपम त्रिपाठी भी ऐसे ही चंद रोल निभाया करते थे. फिर भी, स्क्विड गेम्स के उपरांत, संभवतः दक्षिण एशियाई कलाकारों को कोरियाई फिल्म और ड्रामा में अब और बेहतर और प्रभावशाली भूमिका निभाने के  अवसर मिलेंगे.

लोगों से लोगों के बीच संबंध सांस्कृतिक समझ को और मज़बूत बढ़ाती है

लोगों से लोगों के बीच के संबंध, एक सांस्कृतिक समझ पैदा कर पाने में सहायक होती है. भारतीय सांस्कृतिक संगठन, भारतीय सांस्कृतिक सेंटर (आईसीसी), और भारतीय  रेस्त्रां एक महत्वपूर्ण जंक्शन के तौर पर कार्य करती है, जहां कोरियन और भारतीय आपस में वार्तालाप करते है और एक दूसरे की संस्कृति को व्यक्तिगत तौर पर समझते है. सन 2011 में, सियोल में आईसीसी की स्थापना की गई थी, ताकि वहाँ “भारत की समृद्ध संस्कृति को प्रदर्शित की जा सके और भारत और कोरिया के बीच सांस्कृतिक आदान प्रदान को बढ़ावा मिल सके.”  भारतीय दूतावास के बिल्कुल समीप स्थापित आईसीसी,  दक्षिण कोरिया में भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए  “अन्तराष्ट्रीय योग दिवस’, ‘टैगोर जयंती’, ‘गांधी जयंती’, आदि और बाकी अन्य त्यौहार प्रतिवर्ष मनाती है. आईसीसी अपने कोरियन छात्रों के लिए प्रति वर्ष हिन्दी, कथक और बॉलीवुड डांस क्लासेस आदि का भी आयोजन करती है. ऐसे कार्यक्रम, कोरियाई नागरिकों को एक ऐसा प्लेटफॉर्म मुहैया कराती है, जहां वे भारतीयों के साथ सीधी बात कर सके और उनके समृद्ध संस्कृति के बारे में और भी ज्य़ादा बेहतर जानकारी प्राप्त  कर सके. इसके अलावे, धीरे-धीरे कोरिया में भारतीय आबादी की संख्या भी बढ़ रही है. सन 2019 तक, लगभग 13,236 भारतीय, दक्षिण कोरिया में रह रहे थे. भारतीय समुदाय में छात्र, मज़दूर, व्यापारी वर्ग, शिक्षाविद, आदि शामिल हैं. कोरियन यूनिवर्सिटी जैसे वुमेंस यूनिवर्सिटी, यॉनसे यूनिवर्सिटी, सियोल नेशनलयूनिवर्सिटी, कोरियन यूनिवर्सिटी आदि में, पॉस्को एशिया फेलोशिप और केजीएसपी जैसे छात्रवृत्ति योजना की मदद से काफी भारतीय छात्र अध्यनरत हैं. कुछ भारतीय जो कोरिया में रह रहे है, उन्होंने अपने देश के त्योहारों को मनाने हेतु विभिन्न संगठन भी बना रखा है. उदाहरण के लिए, एसएनयू में बनाए गए भारतीय छात्र संगठन प्रतिवर्ष गणेश चतुर्थी मनाते है और उसमें अपने कोरियाई छात्र, प्रोफेसर और मित्रों आदि को भी निमंत्रित करते है. साथ ही, कई छात्रों ने दक्षिण कोरिया जाने के बाद, कोरियाई भाषा सीखी, और सियोल जैसे महंगे शहर में खुद को बनाए रखने के लिए खुद का व्यवसाय भी शुरू किया है. आज, कई भारतीय रेस्तरां विशेष तौर पर सप्ताहांत में कोरियाई नागरिकों की मेज़बानी करते हैं. भूतपूर्व राजदूत स्कन्द तयाल ने उल्लेख करते हुए बतलाया कि प्रतिष्ठित ‘अशोक’ रेस्तरां कोरिया में विशुद्ध भारतीय ज़ायकेदार भोजन परोसने वाली प्रथम भारतीय रेस्तरां बन गई है. अब तो कई अन्य भारतीय रेस्तरां जैसे ‘ताजमहल’, ‘गंगा’, ‘चक्रा’, आदि, भी आ चुकी है जो कोरियाई लोगों को उनके सांस्कृतिक पूर्वाग्रह से ऊपर उठकर भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति के नजदीक ला पाने में सफल साबित हो रही है.

दिल्ली स्थित कोरियन सांस्कृतिक केंद्र लगातार कोरियाई गतिविधि जैसे मास्कमेकिंग, किंचीमैकिंग, कोरियन मूवी की स्क्रीनिंग, भाषा क्लासेस, आदि आयोजित करवाती रहती है. और तो और जेएनयू स्थित कोरियन अध्ययन केंद्र कोरियन वर्णमाला का आविष्कार और भारतीय के समक्ष कोरियन संस्कृति को प्रोत्साहित करने के लिए, प्रतिवर्ष हंगेयूल मनाती है. 

हालांकि, भारत  में रहने वाली कोरियाई प्रवासियों की संख्या नगण्य है, भारतीय समुदाय के साथ वे एक सार्थक संबंध साझा करते है. कई कोरियाई लोग अपने बच्चों के बेहतर शिक्षण के तौर पर भारत को एक बेहतर गंतव्य अथवा विकल्प मानते है. अपने दिए एक इंटरव्यू मे, दक्षिण कोरिया के  कॉन्सयूलर जनरल, क्यूंगसू किम, ने कहा कि चूंकि हर परिवार अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा के लिए अमेरिका भेजने का खर्च वहन नहीं कर सकता है, वे अपने बच्चों को अंग्रेज़ी पढ़ने के लिए और सस्ते रहन-सहन के लिए भारत भेजते हैं. इस तरह से, कई कोरियाई नागरिकों को कम उम्र से ही भारतीयों के साथ रहने, वार्तालाप करने के कारण भारतीय संस्कृति में दिलचस्पी लेने को प्रेरित करती है. इसके साथ ही तयाल ने इसका भी उल्लेख किया कि दक्षिण कोरियाई छात्र अपनी उच्च शिक्षा के लिए, भारत में जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी  (जेएनयू) और दिल्ली यूनिवर्सिटी में दाखिला लेते है. दक्षिण कोरिया से आने वाले छात्र अपने देश की सभ्यता और संस्कृति भी अपने साथ लाते है. नई दिल्ली के मजनूं का टीला के सारे लेनों पर कोरियाई हवा का प्रभाव देखने को मिलता है, जहां पर कोरियाई भोजन, खासकर रेमन, कॉस्मेटिक्स, इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स और के-पॉप आइटम आदि से भरे पड़े है. सियोल, बुसन, गुंग द पैलेस, और कोरी’स जैसे कई कोरियन रेस्तरां और कैफे खुले है जो लोगों को कोरियन पकवान परोसते है. काफी भारतीय नागरिक कोरियन प्रोफेशनल शिक्षकों से ताइवांडोऔर कोरियन भाषा सीखते हैं. दिल्ली स्थित कोरियन सांस्कृतिक केंद्र लगातार कोरियाई गतिविधि जैसे मास्कमेकिंग, किंचीमैकिंग, कोरियन मूवी की स्क्रीनिंग, भाषा क्लासेस, आदि आयोजित करवाती रहती है. और तो और जेएनयू स्थित कोरियन अध्ययन केंद्र कोरियन वर्णमाला का आविष्कार और भारतीय के समक्ष कोरियन संस्कृति को प्रोत्साहित करने के लिए, प्रतिवर्ष हंगेयूल मनाती है.

लोगों से लोगों के बीच संबंध, एक सार्थक और जीवंत रिश्ते की कुंजी है

सांस्कृतिक समझ की मदद से बनी लोगों से लोगों तक के रिश्ते दोनों देशों के बीच के संबंध को जीवंत रख पाने में कारगर है. दक्षिण कोरिया और भारत के बीच के सांस्कृतिक आदान प्रदान में हुई वृद्धि की वजह से व्यवसायों के फलने-फूलने के लिए एक माकूल माहौल तैयार कर दिया है. कोरियाई संस्कृति के प्रति बढ़ी स्वीकार्यता की वजह से कोरियन सामानों की मांग में आई वृद्धि के फलस्वरूप, भारत में, बेकोस, इननिसफ्री आदि जैसे कोरियन स्टोर्स  खुले हैं. कोरियन संस्कृति के प्रति बढ़ती दिलचस्पी, जैसे- के-पॉप, के-ड्रामा, स्नैक्स, और स्किनकेयर, की वजह से भारत में कोरियन सामानों की काफी बिक्री हुई है. उदाहरण के लिए, कोरिकार्ट के संस्थापक सीओ यंग डू , जेएनयू में सिर्फं अन्तराष्ट्रीय संबंध पढ़ने के लिए आए. उन्होंने भारत में कोरियन सामानों के प्रति बढ़ते क्रेज़ को पहचाना और फिर सन 2018 में उन्होंने कोरियाई सामानों से संबंधी ई–स्टोर की शुरुआत की. ठीक उसी तरह, साउथ कोरियाई लोगों के बीच भारतीय संस्कृति के प्रति बढ़ी सहजता और दिलचस्पी की वजह से भारतीयों को ह्यूंदेई , सैमसंग, एलजी आदि में काम करने के उद्देश्य से साउथ कोरिया जाना अब और ज्य़ादा सहज लग रहा है. अब कोरियाई लोग ग सहजता से भारतीय व्यंजन बिरयानी खाते हैं और भारतीय बॉलीवुड संगीत पर थिरकते हुए उन्हें देखना, मानो एक आम बात हो चुकी है.

सन 2014 में, कोरियाई नौसेना की समुद्री जहाज़,”चोई येॉग” को कुछ तकनीकी ख़ामियों की वजह से केरल में डॉक करना पड़ा. उस घटना को याद करते हुए,  कॉन्सयुल  जनरल क्यूंगसू किम ने अपने उल्लेख में कहा कि कैसे उनकी कोरियन क्रू, भारतीय मेहमानवाज़ी, जो उनकी संस्कृति में ही है, से प्रभावित थी. उस घटना के बाद भारत और कोरिया के बीच “संयुक्त मिलिटरी नौसेना अभ्यास”शुरू करने की कवायद शुरू हुई.

उसी तरह से, फर्स्टपोस्ट लिखतता है, कि अगर कोई संबंध सिर्फं वित्तीय फायदे पर आधारित बनाई गई हो तो उद्देश्य पूर्ण होते ही टूटने की संभावना तीव्र हो जाती है. किन्तु लोगों से लोगों तक के कनेक्शन पर आधारीत सांस्कृतिक संबद्धता, किसी रिश्ते की घनिष्ठता को बढ़ाने में और उसके टूटने की संभावना को कम करने में काफी कारगर साबित होती है. इसको समझाते हुए, सन 2014 में, कोरियाई नौसेना की समुद्री जहाज़,”चोई येॉग” को कुछ तकनीकी ख़ामियों की वजह से केरल में डॉक करना पड़ा. उस घटना को याद करते हुए,  कॉन्सयुल  जनरल क्यूंगसू किम ने अपने उल्लेख में कहा कि कैसे उनकी कोरियन क्रू, भारतीय मेहमानवाज़ी, जो उनकी संस्कृति में ही है, से प्रभावित थी. उस घटना के बाद भारत और कोरिया के बीच संयुक्त मिलिटरी नौसेना अभ्यास”शुरू करने की कवायद शुरू हुई. इस तरह से, भारतीय अधिकारी और कोरियन नौसेना सदस्यों के बीच हुए व्यक्तिगत स्तर की बातचीत ने भारत और कोरिया के बीच औपचारिक नीति स्थापित करने की पृष्टभूमि तैयार हो पायी. 2015 में, भारत और साउथ कोरिया ने मिलकर एक विशेष रणनीतिक साझेदारी  की स्थापना की है, जहां वे सुरक्षा, व्यापार, निवेश, विज्ञान और  टेक्नोलॉजी, कल्चर और लोगों से लोगों के आदान-प्रदान हेतु एकमत होकर उसके प्रति अपनी प्रतिबद्धता जतलायी. उसके बाद सन 2017 में, राष्ट्रपति मून जे-इन ने, भारतीय धारा पूर्वी नीति (एईपी ) के समान ही, दक्षिणी नीति (एनएसपी) को लॉन्च किया. इस  synergy या सहक्रिया में और भी कई कारक की भूमिका है जैसे सद्भाव, आर्थिक जुड़ाव और चीन का उद्भव आदि.  एनएसपी, दक्षिण कोरिया को अपने बाज़ार में विविधता  लाने में और चीन के ऊपर अपनी आर्थिक निर्भरता को कम कर पाने में मदद कर रही है. ठीक उसी तरह से, एईपी भारत को, एशिया-पैसिफिक क्षेत्र में, अपनी आर्थिक एकीकरण और सांस्कृतिक संबंधों को फिर से मज़बूत करने में काफी मदद करती है.

 सैमसंग ने भारत स्थित नोएडा में प्रमुख मोबाइल फोन कारखाना की शुरुआत की है जिसकी वजह से नोएडा के इर्द गिर्द अनेकों कोरियन रेस्तरां खुल गए है. ये रेस्तरां कोरियन और भारतीय दोनों तरह के व्यंजन परोसते है और सांस्कृतिक आदान प्रदान के यथोचित अवसर प्रदान करते है. 

भारत और कोरिया के बीच नीतियों की ऐसी तालमेल ने दोनों देशों के बीच के ऐतिहासिक संबंधों को पुनःताज़ा करने में काफी मदद की है, जिसे पहले काफी नजरंद़ाज किया गया था. सांगूक यूसा (तीन राज्यों के यादगार लम्हे) में अयोध्या की राजकुमारी का सुरीरत्ना या    ह्यू ह्वांग-ओक का    का राजा किम सूरो के साथ शादी की बात कही गई है, जिससे दोनों देशों के बीच एक ऐतिहासिक कड़ी  स्थापित होती है. सन् 2018 में, दक्षिण कोरिया की प्रथम महिला किम जुंग-सूक ने अयोध्या में दिवाली मनाया, और उनके दौरे के बाद दोनों देशों के बीच के ‘घनिष्ट’ संबंध को पुनः पुनर्जीवित किया. उनके दौरे के बाद से दोनों देशों के बीच के संबंध फिर से फल-फूल रहे हैं, चूंकि भारत ने दक्षिणी कोरिया के लोगों के लिए ‘ऑन अराइवल’ यानि आगमन उपरांत वीज़ा दिए जाने की शुरुआत की है. समान रूप से, एनएसपी और एईपी के बीच के तालमेल ने भारत और कोरिया के बीच लोगों से लोगों तक के संबंध काफी गहरे हुए हैं. उदाहरण के लिए, सैमसंग ने भारत स्थित नोएडा में प्रमुख मोबाइल फोन कारखाना की शुरुआत की है जिसकी वजह से नोएडा के इर्द गिर्द अनेकों कोरियन रेस्तरां खुल गए है. ये रेस्तरां कोरियन और भारतीय दोनों तरह के व्यंजन परोसते है और सांस्कृतिक आदान प्रदान के यथोचित अवसर प्रदान करते है.

सारांश

लोगों से लोगों तक के संबंध भारत-दक्षिणी कोरिया के लिए उत्पाद और चालक दोनों ही है. कुछ साल पहले तक, भारतीयों के लिए मानचित्र पर दक्षिण कोरिया मात्र एक छोटा सा देश भर था, और दक्षिण कोरिया के लोग इंडोनेशिया के साथ भारत को भ्रमित करते थे. परंतु जैसे जैसे समय बीतता गया, दोनों देश लोगों से लोगों तक के संबंधों की वजह से और भी नज़दीक आते गए और इस वजह से दोनों देशों की विदेश नीति में और भी बेहतर तालमेल बनता गया. इसके अलावा, एनएसपी और एईपी के  कारण भारतीय और कोरियाई लोगों बीच के आर्थिक और सांस्कृतिक आदान प्रदान  भी बढ़ गए हैं. ऐसी कोई भी वार्ता, भारतीय और कोरियाई लोगों को अपने सांस्कृतिक अवरोधों से पार पाने में मदद करेगी और उनकी विदेश नीति को और भी बेहतर गति प्रदान करने में सहायक होगी, साझा की गई रुचियों के माध्यम से बने कनेक्शन से मानसिक दूरियाँ कम होती है और एक साझा सांस्कृतिक आधार बनाता है, जो कि किसी भी देश के आपसी संबंधों को मजनूत बनाने में सहायक होती है. इसलिए, एक औपचारिक नीति और अर्थपूर्ण वार्ता दोनों देश, भारत और दक्षिण कोरिया को एक दूसरे के नज़दीक ला सकेगी और ज़रूरत पड़ने पर एक दूसरे की मदद करने को सदैव ही तत्पर रहेगी.

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