Published on Dec 29, 2020 Updated 0 Hours ago

भारत का संदेश बिल्कुल साफ़ था. भारत, मालदीव के लोगों द्वारा चुनी गई सरकार के साथ मिलकर काम कर रहा है और देश के सभी राजनीतिक दलों के साथ संवाद के लिए उसके दरवाज़े खुले हैं.

भारत ने संयुक्त राष्ट्र पद के लिए मार्केटिंग का समर्थन किया

भारत के विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने कहा कि अब्दुल्ला शाहिद के कार्यकाल के दौरान ही ‘भारत भी वर्ष 2021-22 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का सदस्य होगा’. फोटो-मिखाइल मेटज़ेल-तास/गेटी.

भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष पद के लिए मालदीव के विदेश मंत्री अब्दुल्ला शाहिद की उम्मीदवारी का समर्थन किया है. मालदीव के दौरे पर गए भारत के विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने इसका एलान किया. मालदीव और भारत के बीच आर्थिक सहयोग मज़बूत होने के बाद, दोनों देशों के राजनीतिक संबंधों को और प्रगाढ़ बनाने की दिशा में उठा ये एक महत्वपूर्ण क़दम है. संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष का चुनाव अगले वर्ष होना है. मालदीव के तीन दिनों के दौरे में हर्षवर्धन श्रृंगला, मालदीव के सभी राजनीतिक दलों के नेताओं से मिले थे. इनमें मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन के नेतृत्व वाले PPM-PNC गठबंधन के नेता भी शामिल हैं. सभी दलों के नेताओं से मुलाक़ात करके विदेश सचिव मालदीव को इस बात का संकेत दिया है कि वहां की घरेलू राजनीति में भारत किसी एक दल या नेता को तरज़ीह नहीं देता.

‘अपने लंबे कूटनीतिक अनुभवों और नेतृत्व के गुणों के कारण विदेश मंत्री अब्दुल्ला शाहिद के पास वो सारे गुण हैं कि वो उठा-पटक भरे इस दौर में महासभा की अध्यक्षता करें. उनके कार्यकाल के दौरान दुनिया मालदीव के बारे में और भी बहुत कुछ जानेगी’

अपने तीन दिनों के दौरे में विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने मालदीव के विदेश मंत्रालय में वार्ता की शुरुआत करते हुए कहा कि, ‘अपने लंबे कूटनीतिक अनुभवों और नेतृत्व के गुणों के कारण विदेश मंत्री अब्दुल्ला शाहिद के पास वो सारे गुण हैं कि वो उठा-पटक भरे इस दौर में महासभा की अध्यक्षता करें. उनके कार्यकाल के दौरान दुनिया मालदीव के बारे में और भी बहुत कुछ जानेगी’

श्रृंगला ने ये भी कहा कि, ‘अब्दुल्ला शाहिद के कार्यकाल के दौरान ही भारत भी वर्ष 2021-22 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का सदस्य होगा.’ उन्होंने कहा कि, ‘भारत, संयुक्त राष्ट्र में मालदीव के साथ मिलकर काम करने की अपेक्षा कर रहा है.’ इस संदर्भ में भारत के विदेश सचिव का बयान, भारत के उस वादे को दोहराना था जो भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मालदीव के विदेश मंत्री शाहिद के साथ हाल ही में एक वेबिनार में किया था.

एक के एक बाद एक बैठकों के दौरान, हर्षवर्धन श्रृंगला ने राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह, संसद के स्पीकर और सत्ताधारी मालदीव डेमोक्रेटिक पार्टी (MDP) के अध्यक्ष मोहम्मद नशीद के अलावा कई मंत्रियों के साथ अलग-अलग और एक साथ मीटिंग की. भारत का इरादा शायद ये था कि विदेश सचिव अपने इस व्यस्त दौरे में मालदीव के ज़्यादा से ज़्यादा नेताओं से मुलाक़ात कर लें.

ताकि कोई शिकवा  हो

इस संदर्भ में विदेश सचिव श्रृंगला ने मालदीव के साथ संबंधों को निभाने के अपने पुराने अनुभवों का लाभ उठाते हुए, वहां की अधिकतर पार्टियों के नेताओं से मुलाक़ात की. हर्षवर्धन श्रृंगला, पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन के नेतृत्व वाले प्रोग्रेसिव पार्टी ऑफ़ मालदीव (PPM) और पीपुल्स नेशनल कांग्रेस (PNC) के जिन नेताओं से मिले, उनमें पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद वहीद हसन मानिक और पूर्व उप राष्ट्रपति मोहम्मद जमील अहमद भी शामिल थे. अब्दुल्ला यामीन ने मोहम्मद जमील अहमद के ऊपर तब महाभियोग चलाया था, जब वो जान बचाने के लिए भागे थे. अब जमील अहमद ही यामीन के ख़िलाफ़ चल रहे मुक़दमों से निपटने की क़ानूनी टीम के अगुवा हैं.

भारत के विदेश सचिव ने रिटायर्ड आर्मी कर्नल मोहम्मद नज़ीम से भी मुलाक़ात की. नज़ीम को यामीन ने रक्षा मंत्री के पद से बर्ख़ास्त करने के बाद उन्हें तख़्तापलट की साज़िश रचने के इल्ज़ाम में गिरफ़्तार कर लिया था. श्रृंगला के साथ वार्ता के दौरान नाज़िम अपनी जम्हूरी पार्टी के संस्थापक कासिम इब्राहिम की नुमाइंदगी कर रहे थे. गासिम इब्राहिम ने विदेश यात्रा के बाद ख़ुद को आइसोलेट किया हुआ है. विदेश सचिव श्रृंगला, तीस वर्ष तक (1978-2008) देश के राष्ट्रपति रहे मामून अब्दुल गयूम से भी मिले और भारत-मालदीव के संबंध मज़बूत बनाने में उनके योगदान की सराहना की. मामून अब्दुल गयूम अभी मामून रिफ़ॉर्म मूवमेंट (MRM) नाम के राजनीतिक दल का नेतृत्व कर रहे हैं.

इन बैठकों के दौरान भारत का संदेश बिल्कुल साफ़ था. भारत, मालदीव के लोगों द्वारा चुनी गई सरकार के साथ मिलकर काम कर रहा है और देश के सभी राजनीतिक दलों के साथ संवाद के लिए उसके दरवाज़े खुले हैं. इस संदर्भ में अब्दुल्ला यामीन के गठबंधन के नेताओं से मिलना बहुत अहम है क्योंकि हाल के दिनों में ये गठबंधन, मालदीव से ‘भारत को बाहर निकालने’ का आह्वान करता रहा है. इस मीटिंग के ज़रिए भारत ने मालदीव के विपक्षी दलों को ये संदेश दिया है कि वो किसी भी दोस्ताना देश और उसकी सरकार के घरेलू राजनीतिक विरोधियों के प्रति कोई शिकायत नहीं रखता.

दिलचस्प बात ये है कि विपक्षी दलों का ‘भारत विरोधी अभियान’ भी अब कमज़ोर पड़ गया है. क्योंकि जब इब्राहिम सोलिह की सरकार ने अमेरिका के साथ सैन्य सहयोग के ‘फ्रेमवर्क एग्रीमेंट’ पर दस्तख़त किए तो PPM-PNC गठबंधन ने इसका विरोध नहीं किया, बल्कि अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो के मालदीव दौरे की सराहना ही की थी. इस बात से विदेश और सुरक्षा के मामलों में अब्दुल्ला यामीन के दोहरे रवैये की पोल उनके समर्थकों के सामने ही खुल गई. क्योंकि वो इस मामले में केवल अपने पड़ोसी भारत का ही विरोध करते हैं, वो भी बिना किसी तार्किक कारण के.

विदेश मंत्रालय में बैठक के दौरान हर्षवर्धन श्रृंगला ने कहा कि, ‘हम राष्ट्रपति इब्राहिम सोलिह की इंडिया फर्स्ट नीति की तहेदिल से सराहना करते हैं. हम अपनी ओर से पड़ोसी पहले की नीति के माध्यम से मालदीव को बेहद ख़ास और केंद्रीय भूमिका प्रदान करते हैं.’

इसी तरह, भारत के विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने आर्थिक विकास मंत्री फयाज़ इस्माइल और वित्त मंत्री इब्राहिम अमीर से मुलाक़ात करके भारत की ‘खुले द्वार’ की नीति को भी और स्पष्ट कर दिया. ये दोनों ही नेता राष्ट्रपति इब्राहिम सोलिह की टीम के प्रमुख सदस्य हैं. मोहम्मद नशीद इन दोनों मंत्रियों को भ्रष्टाचार के आरोप में हटाना चाहते थे. भारत की ओर से इशारा ये था कि मंत्रियों के कामकाज की समीक्षा करना उसका काम नहीं है. ये मालदीव की जनता और राष्ट्रपति इब्राहिम सोलिह की ज़िम्मेदारी है.

आपसी सहयोग

एक आधिकारिक बयान के अनुसार, राष्ट्रपति इब्राहिम सोलिह के साथ बातचीत के दौरान, विदेश सचिव श्रृंगला ने उन्हें भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ दिसंबर 2018 और जून 2019 में हुई वार्ता के दौरान लिए गए फ़ैसलों को तसल्लीबख़्श तरीक़े से लागू करने की प्रगति की जानकारी दी. राष्ट्रपति ने कोविड-19 महामारी के दौरान भारत द्वारा दिए गए सहयोग की दिल से तारीफ़ की. मालदीव के राष्ट्रपति ने ख़ास तौर से सितंबर 2020 में भारत द्वारा दिए गए 25 करोड़ डॉलर के बजट सहयोग का ज़िक्र किया.

विदेश मंत्रालय में बैठक के दौरान हर्षवर्धन श्रृंगला ने कहा कि, ‘हम राष्ट्रपति इब्राहिम सोलिह की इंडिया फर्स्ट नीति की तहेदिल से सराहना करते हैं. हम अपनी ओर से पड़ोसी पहले की नीति के माध्यम से मालदीव को बेहद ख़ास और केंद्रीय भूमिका प्रदान करते हैं.’ कोविड प्रबंधन के बारे में श्रृंगला ने हाल ही में पर्यटन मंत्री बनाए गए डॉक्टर अब्दुल्ला मासूम की इस बात के लिए तारीफ़ की कि जब विश्व भर में अर्थव्यवस्था पटरी पर लौटने की कोशिश कर रही है, तब मालदीव आने वाले पर्यटकों की संख्या में काफ़ी वृद्धि हुई है.

संसद के स्पीकर मोहम्मद नशीद से मुलाक़ात के दौरान, भारत के विदेश सचिव ने द्विपक्षीय संबंध मज़बूत बनाने में उनके लंबे योगदान को सराहा. रक्षा मंत्री मारिया दीदी से मीटिंग के दौरान हर्षवर्धन श्रृंगला ने द्विपक्षीय रक्षा सहयोग के क्षेत्र में शानदार प्रगति की तारीफ़ की, जिसमें दोनों देशों के बीच साझा EEZ निगरानी, साझा सैन्य अभ्यास और आपदा राहत और मानवीय मदद के अभियान शामिल हैं. भारत के विदेश सचिव मालदीव के आतंरिक मंत्री शेख़ इमरान अब्दुल्ला से भी मिले. अब्दुल्ला धार्मिक दल अदालत पार्टी के अध्यक्ष हैं.

हर्षवर्धन श्रृंगला ने मालदीव के विदेश सचिव अब्दुल गफ़ूर के साथ मिलकर द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति की भी समीक्षा की. इस दौरान दोनों ने कोविडो-19 महामारी से निपटने के तरीक़ों पर भी चर्चा की. गफूर ने इस महामारी से निपटने की मालदीव की कोशिशों में भारत से मिले सहयोग की अपनी सरकार की ओर से तारीफ़ की. गफूर और श्रृंगला ने द्विपक्षीय संबंधों के अलग-अलग क्षेत्रों में हुई प्रगति का भी सकारात्मक विश्लेषण किया. इसमें विकास के क्षेत्र में साझेदारी, स्वास्थ्य सहयोग, संपर्क, व्यापार और आर्थिक संबंध शामिल हैं.

चार सहमति पत्रों पर हस्ताक्षर हुए

विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला के मालदीव प्रवास के दौरान दोनों देशों ने चार सहमति पत्रों पर भी दस्तख़त किए. इसमें ग्रेटर माले कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट के लिए भारत द्वारा 10 करोड़ डॉलर की मदद शामिल है. ये मालदीव के इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा विकास का प्रोजेक्ट कहा जा रहा है, जिसमें 6.7 किलोमीटर लंबा थिल-माले ब्रिज बनेगा, जो राजधानी माले, विलीमाले, गुलहीफालहू अंतरराष्ट्रीय बंदरगाह और थिलाफ्फुशी द्वीपों को आपस में जोड़ेगा. भारत ने इस प्रोजेक्ट के लिए मालदीव को रियायती दर पर 40 करोड़ डॉलर का क़र्ज़ भी आसान और पारदर्शी शर्तों पर दिया है.

ग्रेटर माले कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट के लिए भारत द्वारा 10 करोड़ डॉलर की मदद शामिल है. ये मालदीव के इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा विकास का प्रोजेक्ट कहा जा रहा है, जिसमें 6.7 किलोमीटर लंबा थिल-माले ब्रिज बनेगा, जो राजधानी माले, विलीमाले, गुलहीफालहू अंतरराष्ट्रीय बंदरगाह और थिलाफ्फुशी द्वीपों को आपस में जोड़ेगा.

भारत और मालदीव ने युवा और खेल मामलों में सहयोग बढ़ाने के सहमति पत्र पर भी दस्तख़त किए, जिसका मक़सद एथलीटों और कोच के लिए प्रशिक्षण और अनुभव की सुविधाएं मुहैया कराना है. नेशनल स्टेडियम में एक आउटडोर कार्यक्रम के दौरान विदेश सचिव श्रृंगला ने 67 द्वीपों पर मालदीव की सरकार द्वारा चुने गए बच्चों के पार्क भी सौंपे. ख़बरों के मुताबिक़, इस कार्यक्रम में मालदीव के कम से कम 70 सांसद शामिल हुए थे.

दोनों देशों ने जिन दो अन्य सहमति पत्रों (MoU) पर दस्तख़त किए वो उच्च प्रभाव के सामुदायिक विकास योजनाओं के दो प्रोजेक्ट से संबंधित हैं. एक तो हा धालू द्वीप के हनिमाधू में एक कृषि अनुसंधान केंद्र की स्थापना और दूसरा अद्दू शह के हुलहुधू में ड्रग से डिटॉक्स करने के केंद्र की स्थापना से संबंधित हैं. इन सहमति पत्रों में कृषि अनुसंधान केंद्र की स्थापना के लिए 17 लाख मालदीवी रुपए और डिटॉक्स सेंटर की स्थापना के लिए 79 लाख मालदीवी रुपए की मदद शामिल है.

मांग आधारित और पारदर्शी

नेशनल स्टेडियम में हुए कार्यक्रम में हर्षवर्धन श्रृंगला ने कहा कि, ‘दोनों देशों द्वारा पोषित लोकतांत्रिक परंपराओं का सम्मान करते हुए, भारत का मालदीव के साथ विकास संबंधी सहयोग पारदर्शिता, कम लागत और जिस देश में प्रोजेक्ट हो उसके मालिकाना हक़ पर आधारित है. GMCP प्रोजेक्ट लागू करने में भी इन्हीं सिद्धांतों का पालन किया जाएगा.’ उन्होंने कहा कि, ‘मालदीव में भारत द्वारा संचालित विकास संबंधी प्रोजेक्ट मांग आधारित हैं और इनमें हर स्तर पर मालदीव की सरकार की भागीदारी होगी. इन प्रोजेक्ट के टेंडर जारी करने और ठेके देने की ज़िम्मेदारी भी मालदीव की सरकार की होगी.’ ज़ाहिर है हर्षवर्धन श्रृंगला ने ऐसे मामलों में अपारदर्शी और एकतरफ़ा फ़ैसले लेने वालों पर भी बिना नाम लिए (चीन पर) निशाना साधा.

मालदीव की जनता के लिहाज़ से देखें तो कृषि अनुसंधान केंद्र और डिटॉक्स सेंटर का चुनाव भी बेहद महत्वपूर्ण है. क्योंकि इसके ज़रिए भारत ने स्पष्ट किया है कि ये फ़ैसला करने का अधिकार केवल मालदीव की सरकार को है कि वो किन प्रोजेक्ट के लिए विदेशी मदद की आकांक्षी है. संसद के स्पीकर मोहम्मद नशीद ने राष्ट्रपति के तौर पर अपने कार्यकाल (2008-12) के दौरान खारे पानी से खेती के मामले में इज़राइल से तकनीकी मदद मांगी थी. इस्लामिक देशों के बीच इज़राइल के प्रति पारंपरिक द्वेष वाले भाव के चलते और ख़ुद नशीद के नेतृत्व के प्रति घरेलू विरोध के चलते उनकी सरकार पर ‘धार्मिक इल्ज़ाम’ लगाए गए थे. इसके चलते नशीद को अपना कार्यकाल पूरा होने के डेढ़ बरस पहले ही राष्ट्रपति पद छोड़ना पड़ा था.

इसी तरह, डिटॉक्स सेंटर की मालदीव में बहुत सामाजिक अपील है, क्योंकि वहां ड्रग का उपयोग बहुत बढ़ गया है. राजधानी माले के अलावा अन्य इलाक़े भी ड्रग की समस्या से जूझ रहे हैं, क्योंकि लोग आवास की कमी, टूटते वैवाहिक रिश्तों और परिवारों और विकास संबंधी अन्य दबावों का सामना कर रहे हैं. अगर थिला-माले पुल का मक़सद राजधानी माले में भीड़ को कम करना है. देश की पांच लाख आबादी (2020 के आंकड़े) में से 40 प्रतिशत लोग माले में ही रहते हैं. ऐसे में ये डिटॉक्स सेंटर नशे के आदी लोगों और उनके मां-बाप की काफ़ी मदद कर सकेगा, जिन्हें अभी पेशेवर मदद के लिए श्रीलंका और भारत (तिरुवनंतपुरम और चेन्नई) जाना पड़ता है.

डिटॉक्स सेंटर की मालदीव में बहुत सामाजिक अपील है, क्योंकि वहां ड्रग का उपयोग बहुत बढ़ गया है. राजधानी माले के अलावा अन्य इलाक़े भी ड्रग की समस्या से जूझ रहे हैं, क्योंकि लोग आवास की कमी, टूटते वैवाहिक रिश्तों और परिवारों और विकास संबंधी अन्य दबावों का सामना कर रहे हैं.

जब इन दोनों केंद्रों की इमारत तैयार हो जाएगी, तो ज़ाहिर है इनके संचालन के लिए भारत को दूसरी तरह से भी मदद करनी पड़ेगी. जैसे कि मालदीव के पेशेवरों को भारत में और ख़ुद उनके देश में प्रशिक्षण देना. इसके साथ-साथ मालदीव की सरकार को अपने यहां तलाक़ के बढ़ते मामलों को देखते हुए, शादीशुदा जोड़ों के लिए परामर्श केंद्रों की स्थापना करने के बारे में भी विचार करना चाहिए. क्योंकि, टूटते घरों के चलते ही किशोर और युवा लड़के-लड़कियां, सड़कों पर आवारागर्दी करने और नशे की मदद लेने को मजबूर होते हैं और बदनाम ‘माले गैंग’ का हिस्सा बन जाते हैं. इसकी बड़ी वजह चुनाव और देख-रेख के लिए विकल्पों की कमी है. अगर इस बारे में भी मालदीव मदद मांगता है, तो भारत उसे वित्तीय और तकनीकी सहयोग उपलब्ध करा सकता है.


ये लेख मूलत: ORF South Asia Weekly में प्रकाशित हो चुका है.

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