Author : Anchal Vohra

Published on Dec 20, 2021 Updated 0 Hours ago

संयुक्त राष्ट्र के अधीनस्थ किए गए शांति समझौते के प्रयास के बावजूद, यमन संकट बदतर होता जा रहा है.

हूती विद्रोह: ‘गृह-युद्ध’ के कगार पर पहुंच गया है मिडिल ईस्ट का देश यमन

पिछले सप्ताह में, ईरान समर्थित हूती विद्रोही एवं सऊदी के नेतृत्व में बने गठबंधन के बीच हो रहे वार प्रतिवार की वजह से यमन में युद्ध और भी तेज़ हो गई है. शनिवार को, हूती विद्रोहियों ने, सऊदी उग्रता के प्रतिउत्तर में और यमन में लगातार हो रहे अपराध और कब्ज़े के विरोध स्वरूप, सऊदी अरब के विभिन्न शहरों में 14 ड्रोन हमला करने का दावा किया.

हूती विद्रोहियों के मिलिटरी प्रवक्ता याहया सरेया ने कहा कि उनके संगठन ने जेद्दाह स्थित अरामको रिफाइनरी और आभा, जीजान और राजधानी रियाद पर कई हमले किए, किन्तु सरेया द्वारा कही गई कुछ बातें गलत पायी गई जिसकी वज़ह से हूती विद्रोहियों के दावों पर शक पैदा हो रहा है.

यमन में संकट की शुरुआत सबसे पहले तब हुई थी जब हूती विद्रोहियों ने सन 2014 मे, रियाद के क्षेत्रीय दुश्मन, तेहरान की मदद से एक बड़े इलाके पर अपना कब्ज़ा कर लिया था

हालांकि, प्रत्युत्तर में सऊदी अरब ने, उनकी संख्या से मेल खाते हुए, हूती एयर डिफेंस सिस्टम, हथियार रखने के डिपो और ड्रोन संचार व्यवस्था को केंद्रित करते हुए कुल 13 आक्रमण किए. इस हवाई हमलों से यमन का सना, सादा, और  मारिब  प्रांत दहल उठा.

यमन में संकट की शुरुआत  

यमन में संकट की शुरुआत सबसे पहले तब हुई थी जब हूती विद्रोहियों ने सन 2014 मे, रियाद के क्षेत्रीय दुश्मन, तेहरान की मदद से एक बड़े इलाके पर अपना कब्ज़ा कर लिया था. इस परिदृश्य में, सऊदीयों की एंट्री साल भर बाद ये सुनिश्चित करने के लिए हुई थी ताकि उनके पड़ोसी देश में एक मित्र सरकार शासन पर काबिज हो. परंतु अनजाने में ही इन घटनाओं नें यमन को इन दो चिर-परिचित प्रतिद्वंदीयों के लिए एक दूसरा छद्म/आभासीय युद्ध का मैदान बना दिया है.

युद्ध में अब-तक महिलाओं और बच्चों समेत कुल 230,000 से भी ज़्यादा यमनियों की मौतें हो चुकी है, पर सऊदी और ईरानी, इस विवाद के और होने वाले खून ख़राबे के खात्मे के लिए ज़रूरी किसी भी प्रकार के समझौते अथवा नतीजे पर आ पाने के समीप बिल्कुल भी नहीं है.

मध्य पूर्व में तेहरान और रियाद के बीच वर्चस्व की कड़वी लड़ाई ने सन 2018 में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के न्यूक्लियर समझौते से बाहर जाने के बाद ही गति पकड़ी

सन 2015 से ही हूती विद्रोही, सऊदी अरब पर रॉकेटों और ड्रोन आदि से हमला करते आ रहे है, परंतु उन्होंने ये हमेशा ख़ुद के लिए नहीं किया. अक्सर सऊदी क्षेत्रों पर हमला किया जाता रहा है, और जैसे ही ईरान को पता चलता तो उसे रियाद स्थित अपने सहयोगी या फिर संयुक्त राष्ट्र को संदेश भेजना पड़ता था.

वर्चस्व की कड़वी लड़ाई

मध्य पूर्व में तेहरान और रियाद के बीच वर्चस्व की कड़वी लड़ाई ने सन 2018 में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के न्यूक्लियर समझौते से बाहर जाने के बाद ही गति पकड़ी. ये सुनिश्चित करने के लिए की ईरान ना तो बम बना पाए और ना ही लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल ख़रीद सके, इस हेतु ही ट्रंप ने समझौते में न केवल ढीले सिरों पर नकेल कसने की मंशा रखी थी बल्कि उनको क्षेत्र में किसी प्रकार के मिलिशिया को अपना समर्थन देने से रोकने को बाध्य करने का था.

अमेरिका के राष्ट्रपति बनते ही जो बाइडेन ने, न्यूक्लियर सौदे को पुनः जिंदा करने के उद्देश्य से, ईरान के साथ बातचीत की शुरुआत की. जहां अब तक इस दिशा में कुछ प्रगति नहीं हुई है, अगले महीने पुनः इस संबंध में बातचीत का सिलसिला शुरू होने वाला है.

विगत अप्रैल माह में बग़दाद में, सऊदी और ईरानी दोनों ही वार्ता के टेबल पर एक दूसरे के समकक्ष आगे आए और उस दौरान यमन पर भी लंबी बहस हुई, परंतु इस विषय में अब तक किसी प्रकार की प्रगति नहीं हुई है.

यमन स्थित, तेल से समृद्ध मरीब को लेकर काफी होड़ है और ये ही इसके निराकरण की कुंजी है. कभी ये यमन की बिजली की आवश्यकता की कुल 40 प्रतिशत जरूरत की पूर्ति करती थी और 29 मिलियन लोगों  के लिए कुकिंग गैस मुहैया कराती थी. 120 किलोमीटर पूर्व मे, सना में, तेल की भरमार है और ये गैस क्षेत्र से भरा हुआ है – अतः इसलिए ये वैश्विक ऊर्जा दिग्गजों के लिए एक बहुत बड़े पैमाने पर निवेश की संभावना है.

यमन में हो रहे युद्ध में, मानव जीवन और मर्यादा बहुत बुरी तरह से आहत हुई है. पाँच वर्ष से कम उम्र के लगभग 2.3 मिलियन बच्चों का कुपोषण के शिकार हुए होने का अनुमान है और इनमें से लाखों बच्चों के दवा और उपचार के अभाव में मृत्यु होने की ख़बर है.

ये एक बहुत बड़े पुरस्कार के रूप में उभरा है कि हूती लोग सुरक्षित रहने की आशा करते हैं, और बाद में, उसे वार्ता की मेज़ पर एक लाभ की स्थिति के तौर पर इस्तेमाल कर सके. ये बढ़ते हुए रूप में, सऊदी नेतृत्व संगठन और इन संगठनों के बीच की लड़ाई का  दृश्य जैसा है. अहमद अवाद बिन मुबारक, सऊदी समर्थित यमन सरकार के विदेशमंत्री, ने कहा कि मरीब का पतन “यमन में राजनीति का अंत और शांति की शुरुआत” का प्रतीक होगा.

गृहयुद्ध की स्थिति उत्पन्न

संयुक्त राष्ट्र द्वारा किए गए शांति के प्रयास ने यमन में लंबे समय तक चलने वाली गृहयुद्ध की स्थिति उत्पन्न कर दी है और ना ही सऊदी एवं ना ही ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों के पीछे हटने को तैयार है. विदेश मंत्री मुबारक ने कहा, “यमन में ईरानी प्रोजेक्ट्स की असफलता, ईरानी प्रोजेक्ट और इस समूचे क्षेत्र की असफलता को सुनिश्चित करेगी,” यमन में उनकी सफलता, संघर्ष के एक नए चरण की शुरुआत भर होगी और हिंसा के नए दौर की ओर ले जाएगी.”

यमन में हो रहे युद्ध में, मानव जीवन और मर्यादा बहुत बुरी तरह से आहत हुई है. पाँच वर्ष से कम उम्र के लगभग 2.3 मिलियन बच्चों का कुपोषण के शिकार हुए होने का अनुमान है और इनमें से लाखों बच्चों के दवा और उपचार के अभाव में मृत्यु होने की ख़बर है. 20 प्रतिशत लोगों को बुनियादी हेल्थकेयर की पहुँच नहीं है और आधी आबादी को शुद्ध और सुरक्षित पेयजल तक की पहुँच नहीं है.

यमन रणनीतिक रूप से एक जलसंधि वाले क्षेत्र पर स्थित है जिस पर से पूरे विश्व की तेल और अन्य शिपमेंट गुज़रती है. यमन में संघर्षों का बढ़ना, हमारी चिंताओं को बढ़ाएगा.

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