Author : Samir Saran

Published on Mar 18, 2020 Updated 0 Hours ago

ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि आपस में जुड़ी हुई दुनिया में कोई वायरस एक देश की सीमा को पार करके अन्य देशों तक पहुंचा है

कोरोना वायरस : वैश्विक राजनीतिक अनिश्चिताओं के दौर में नया ‘पेंच’

कई हफ़्तों का समय बर्बाद करने के बाद आख़िरकार विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोविड-19 (कोरोना वायरस) को वैश्विक महामारी घोषित कर दिया है. चूंकि अभी ये कहना जल्दबाज़ी होगी कि वैश्विक संस्थाओं और तमाम देशों की सरकारों ने सार्वजनिक स्वास्थ्य की इस चुनौती से निपटने में किस तरह की प्रतिक्रिया दी है, तो बेहतर यही होगा कि हम अभी इसकी परिचर्चा को हम बाद के लिए  छोड़ दें. अभी तो कोरोना वायरस (कोविड-19) के तीन आयामों पर टिप्पणी करना उचित होगा.

पहली बात तो ये है कि अभी हम दुनिया में जो माहौल देख रहे हैं, उसकी व्याख्या ‘सूचना की महामारी’ (infodemic) के तौर पर की जा सकती है. सोशल मीडिया के तमाम प्लेटफॉर्म और हमेशा ध्यान आकर्षित करने की जुगत में लगे रहने वाले मुख्य़धारा की मीडिया के कारण आज कोरोना वायरस को लेकर सूचनाओं (अपुष्ट) की बाढ़ सी आ गई है. ऐसे माहौल में बहुत से लोगों के लिए ये तय करना मुश्किल हो रहा है कि सच क्या है और झूठ क्या है. चूंकि आज की तारीख़ में बातों और तथ्यों को बढ़ा-चढ़ा कर सामने रखना आम बात हो गई है. इसके विपरीत, जब एचआईवी के वायरस की खोज हुई थी, तो इस पर आज कोरोना वायरस की तुलना में बेहद संयमित ढंग से सार्वजनिक परिचर्चा हो रही थी.

आज वैश्विक अर्थव्यवस्था में चीन की भूमिका केंद्रीय हो गई है. तो, चीन के महत्वाकांक्षी बेल्ट ऐंड रोड इनिशिएटिव के माध्यम से पर्यटकों, कामगारों ने एक स्थानीय प्रकोप को आज वैश्विक महामारी बना दिया है. जबकि 2003 में सार्स (SARS) वायरस का प्रकोप चीन तक ही सीमित रहा था.

दूसरी प्रमुख़ बात ये है कि कोरोना वायरस के प्रकोप से ये बात फिर से सत्यापित हो गई है कि इतिहास स्वयं को दोहराता है. ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि आपस में जुड़ी हुई दुनिया में कोई वायरस एक देश की सीमा को पार करके अन्य देशों तक पहुंचा है. और ऐसा भी पहली बार नहीं हुआ है कि यात्रियों ने किसी वायरस को दुनिया के अलग-अलग हिस्सों तक पहुंचाया है. साम्राज्यवाद के दौर में एक देश से दूसरे देश जाकर बसने वाले  गोनोरिया, चेचक और अन्य बीमारियों को अपने साथ नई दुनिया तक लेकर गए थे. पुराने दौर में प्लेग के संक्रमित चूहे जहाज़ के ज़रिए दूसरे देशों तक पहुंचे थे. आज वैश्विक अर्थव्यवस्था में चीन की भूमिका केंद्रीय हो गई है. तो, चीन के महत्वाकांक्षी बेल्ट ऐंड रोड इनिशिएटिव के माध्यम से पर्यटकों, कामगारों ने एक स्थानीय प्रकोप को आज वैश्विक महामारी बना दिया है. जबकि 2003 में सार्स (SARS) वायरस का प्रकोप चीन तक ही सीमित रहा था.

क्या अमेरिका में कोरोना वायरस के राष्ट्रीय प्रकोप और इसके संभावित आर्थिक प्रभावों से निपटने के ट्रंप प्रशासन के तौर-तरीक़े का असर, वहां इसी साल होने वाले राष्ट्रपति चुनावों पर भी पड़ेगा?

कोरोना वायरस से जुड़ा तीसरा प्रमुख आयाम ये है कि इसके प्रकोप ने उभरती हुई राजनीतिक वास्तविकताओं में नया पेंच जोड़ दिया है. प्रश्न यह है कि क्या चीन, राष्ट्रपति शी जिनपिंग को आजीवन अपना शासक बनाए रखने के निर्णय पर पुनर्विचार करेगा. या फिर शी जिनपिंग ने एक भरोसेमंद तानाशाही शासन व्यवस्था के फ़ायदों का प्रदर्शन किया है? क्या अमेरिका में कोरोना वायरस के राष्ट्रीय प्रकोप और इसके संभावित आर्थिक प्रभावों से निपटने के ट्रंप प्रशासन के तौर-तरीक़े का असर, वहां इसी साल होने वाले राष्ट्रपति चुनावों पर भी पड़ेगा? क्या यूरोपीय संघ को अपनी अप्रवास नीति पर फिरसे विचार करने को मजबूर होना पड़ेगा? अब जबकि चीन, कोरोना वायरस से प्रभावित इटली और अन्य देशों को सहायता दे रहा है, क्या हम एक अन्य लाल शक्ति वाले सूरज का उदय होते देखेंगे? ये अनिश्चितताएं लंबे समय तक रूपांतरित होती रहेंगी. तब भी, जब हम मौत का तांडव करने वाले कोरोना वायरस के प्रकोप को अगर रोकने में नहीं, तो कम से कम नियंत्रित करने में सफल रहते हैं.

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