Author : Harsh V. Pant

Published on Dec 24, 2020 Updated 0 Hours ago

चूंकि यूरोपीय संघ ब्रिटेन का सबसे क़रीबी और सबसे बड़ा व्यापारिक साझीदार है, इसलिए आशंकाओं से घिरे उद्योगों के लिए यह बड़ी बात है.

एक बेहतर समझौते के साथ ब्रेग्जिट ने लिया आकार

ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के लिए यह क्रिसमस का बेहद ज़रूरी उपहार है. हालांकि, वह पिछले कुछ महीनों से यह भी कह रहे थे कि लंदन यूरोपीय संघ से अलग होना चाहेगा और कोई समझौता न हुआ, तो भी ख़ुद को मज़बूती से समृद्ध करेगा. फिर भी अनिश्चितता और अनजाने हालात में कूद जाने पर एक असली ख़तरा था, जिसकी वजह से जॉनसन यूरोपीय संघ (ईयू) के साथ वार्ता में अंतिम क्षण तक व्यक्तिगत रूप से शामिल रहने को प्रेरित हुए. वह चार दशक से चले आ रहे रिश्तों में किसी संभावित व्यवधान से बचने की कोशिश करते रहे. जून 2016 के जनमत संग्रह के बाद ब्रिटेन द्वारा यूरोपीय संघ छोड़ने की प्रक्रिया लंबी रही है. वह यूरोपीय संघ छोड़ने वाला पहला देश बन गया है. यूरोपीय संघ छोड़ने के लिए ब्रिटेन के 52 प्रतिशत लोगों ने मतदान किया था. मतदान के बाद से ब्रिटेन और यूरोपीय संघ अपने भावी संबंधों की रूपरेखा बनाने की कोशिश में जुटे थे. अभी जारी व्यवस्था 31 दिसंबर को समाप्त हो रही है, इसलिए समाधान निकालने की जल्दी थी. अंतिम समझौते का अंतिम विवरण सामने नहीं आया है, पर पूरा दस्तावेज़ 1,600 से अधिक पृष्ठों का है, जिसमें ब्रिटेन और यूरोपीय संघ परस्पर कैसे रहेंगे, कैसे काम व व्यापार करेंगे, इन सबके नियम-क़ायदे दर्ज हैं.

दोनों पक्षों की प्राथमिकताएं बहुत अलग-अलग थीं और यह उल्लेखनीय राजनयिक कामयाबी है कि दोनों पक्ष विवादास्पद वार्ताओं के अंत में अपनी-अपनी जीत का एलान कर रहे हैं. बोरिस जॉनसन के लिए यह व्यक्तिगत जीत है, क्योंकि अब वह दावा कर सकते हैं कि वह राष्ट्रीय संप्रभुता की रक्षा में कामयाब रहे.

अंतिम समझौते का अंतिम विवरण सामने नहीं आया है, पर पूरा दस्तावेज़ 1,600 से अधिक पृष्ठों का है, जिसमें ब्रिटेन और यूरोपीय संघ परस्पर कैसे रहेंगे, कैसे काम व व्यापार करेंगे, इन सबके नियम-क़ायदे दर्ज हैं.

समझौते के बाद आर्थिक अनिश्चितता भी ख़त्म हो गई है, समझौते ने सुनिश्चित कर दिया है कि ब्रिटेन और यूरोपीय संघ के बीच सीमा पर एक-दूसरे के उत्पाद पर कोई शुल्क व कोटा नहीं होगा. चूंकि यूरोपीय संघ ब्रिटेन का सबसे क़रीबी और सबसे बड़ा व्यापारिक साझीदार है, इसलिए आशंकाओं से घिरे उद्योगों के लिए यह बड़ी बात है. यूरोपीय संघ एकल बाजार की रक्षा करना चाहता था. यह ब्रेग्जिट वार्ता का एक प्रमुख बिंदु था. आश्चर्य नहीं कि यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने ज़ोर देकर कहा है कि प्रतिस्पर्द्धा के नियम निष्पक्ष रहेंगे और इतने ही रहेंगे. इंतजार की घड़ी भले थम गई हो, मगर समझौते पर अभी ब्रिटेन व यूरोपीय सांसदों की मुहर लगना शेष है. समय कम है, यूरोप की संसद में इस वर्ष हस्ताक्षर नहीं हो सकेंगे, पर ब्रिटेन सरकार 30 दिसंबर को इस सौदे पर मतदान के लिए वेस्टमिंस्टर के सांसदों को बुलाएगी. यह समझौता 1 जनवरी को किसी भी सूरत में लागू होगा और दोनों पक्ष बाकी बाधाओं को दूर करने में जुटेंगे.

नया साल आम ब्रिटेनवासियों के लिए कुछ बड़े बदलावों के साथ शुरू होगा. अब जब ब्रेग्जिट का वास्तविक असर पड़ेगा, तब यह देखना दिलचस्प होगा कि आम ब्रिटिश नागरिक उन बदलावों पर कैसी प्रतिक्रिया देते हैं.

हालांकि, कई मोर्चों पर चुनौतियां कायम हैं. इस समझौते के क्रियान्वयन पर करीब से नज़र रखी जाएगी. नया साल आम ब्रिटेनवासियों के लिए कुछ बड़े बदलावों के साथ शुरू होगा. अब जब ब्रेग्जिट का वास्तविक असर पड़ेगा, तब यह देखना दिलचस्प होगा कि आम ब्रिटिश नागरिक उन बदलावों पर कैसी प्रतिक्रिया देते हैं. ब्रिटेन के यूरोपीय संघ की सीमा शुल्क व्यवस्था और एकल बाजार से बाहर होने के साथ 2021 से यूरोपीय संघ में प्रवेश करने वाले ब्रिटिश नागरिकों के लिए काफी गैर-शुल्क बाधाएं होंगी. सेवा क्षेत्र के साथ-साथ डाटा लेन-देन जैसे विषय भी बाद में स्पष्ट होंगे. वैसे दोनों पक्ष भविष्य की चुनौतियों के बावजूद अब तक के नतीजों से ख़ुश होंगे. यह बातचीत नुकसान रोकने की कवायद थी, जिसमें दोनों पक्ष सफल नज़र आ रहे हैं. बोरिस जॉनसन ने कहा है कि हमने अपने क़ानूनों और अपने भाग्य को अपने हाथों में वापस ले लिया है. पर उन्होंने यह भी कहा कि ब्रिटेन सांस्कृतिक, ऐतिहासिक, रणनीतिक और भौगोलिक रूप से यूरोप से जुड़ा रहेगा.

महामारी, अर्थव्यवस्थाओं में गिरावट, आत्मकेंद्रित अमेरिका, आक्रामक चीन और इंडो-पैसिफिक में एक अपूर्व हलचल के बीच यूरोपीय संघ और ब्रिटेन, दोनों को अपने दायरे से परे भी देखना होगा.

इस वर्ष यूरोपीय संघ और ब्रिटेन के सामने चुनौतियां नाटकीय रूप से बढ़ी हैं. महामारी, अर्थव्यवस्थाओं में गिरावट, आत्मकेंद्रित अमेरिका, आक्रामक चीन और इंडो-पैसिफिक में एक अपूर्व हलचल के बीच यूरोपीय संघ और ब्रिटेन, दोनों को अपने दायरे से परे भी देखना होगा. कुछ हद तक ब्रेग्जिट के बावजूद दोनों का साथ काम करना रणनीतिक अनिवार्यता भी है. कहीं न कहीं यह भी एक समझ है, जिससे दोनों पक्षों के बीच क्रिसमस की पूर्व संध्या पर समझौता मुमकिन हुआ है.


यह लेख हिंदुस्तान अख़बार में प्रकाशित हो चुका है. 

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