Author : Manoj Joshi

Originally Published दैनिक भास्कर Published on Jan 18, 2024 Commentaries 0 Hours ago

दुनिया के व्यापार का लगभग 12 प्रतिशत हिस्सा स्वेज नहर से होकर गुजरता है. मुश्किल दौर से गुजर रही वैश्विक आपूर्ति-शृंखला के लिए इससे और समस्याएं पैदा होंगी.

स्वेज नहर हमला: भारत पर भी असर पड़ेगा!

यमन के हूतियों पर अमेरिका का हवाई हमला और उसके बाद यमन के द्वारा की गई जवाबी कार्रवाइयां इस बात का सबूत हैं कि गाजा में चल रहा युद्ध अब व्यापक होता जा रहा है और वह एक बड़े क्षेत्र को अपनी चपेट में ले सकता है. अमेरिका ने हूती विद्रोहियों को निशाना बनाया था, जो दक्षिणी यमन में अपने नियंत्रण वाले क्षेत्र के सामने निचले लाल सागर में जहाजों पर हमला कर रहे हैं.

समुद्री जहाजों पर बढ़ते हमले 

मंगलवार को भी ईरान-समर्थित हूतियों ने एक यूनानी कार्गो शिप पर मिसाइल-हमला किया था. अब तक हुए हमलों में स्वेज नहर के माध्यम से यातायात संभालने वाले महत्वपूर्ण क्षेत्र में लगभग दो दर्जन जहाजों को निशाना बनाया जा चुका है. वैश्विक व्यापार का लगभग 12 प्रतिशत हिस्सा (और 20 प्रतिशत कंटेनर) स्वेज से होकर गुजरता है. चिंताएं हैं कि लाल सागर में रुकावट पहले से ही मुश्किल दौर से गुजर रही वैश्विक आपूर्ति-शृंखला के लिए और समस्याएं पैदा कर देगी. भारत की ओर आ रहे दो जहाज भी हमलों की चपेट में आए हैं. इस महीने की शुरुआत में एक भारतीय युद्धपोत ने लाइबेरिया के एक जहाज के अपहरण को सफलतापूर्वक विफल कर दिया था. उसमें बड़ी संख्या में भारतीय चालक दल के सदस्य मौजूद थे.

गुजरात के तट से महज 340 किलोमीटर दूर भी एक जहाज पर ड्रोन से हमला किया गया. पहले ही प्रमुख शिपिंग कंपनियां एशिया और यूरोप के बीच अफ्रीका के केप ऑफ गुड होप से होते हुए लंबा रास्ता अपनाने के लिए अपने जहाजों का मार्ग बदल रही थीं.

शिपिंग लागतें पहले ही बढ़ गई हैं और एक रिपोर्ट के अनुसार चीन और उत्तरी यूरोप के बीच 40 फीट के एक कंटेनर की शिपिंग की कीमत 1500 डॉलर से बढ़कर 4,000 डॉलर यानी दोगुनी से भी अधिक हो गई है. कुछ रिपोर्टों से पता चलता है कि अगर हालात नहीं सुधरे तो आने वाले साल में इससे भारतीय निर्यात में 30 अरब डॉलर तक की गिरावट आ सकती है.

शिपिंग लागतें पहले ही बढ़ गई हैं और एक रिपोर्ट के अनुसार चीन और उत्तरी यूरोप के बीच 40 फीट के एक कंटेनर की शिपिंग की कीमत 1500 डॉलर से बढ़कर 4,000 डॉलर यानी दोगुनी से भी अधिक हो गई है. कुछ रिपोर्टों से पता चलता है कि अगर हालात नहीं सुधरे तो आने वाले साल में इससे भारतीय निर्यात में 30 अरब डॉलर तक की गिरावट आ सकती है.

इस मामले में दिलचस्प यह है कि रूसी जहाजों या रूसी तेल ले जाने वालों को निशाना नहीं बनाया जा रहा है, और न ही चीनी जहाजों को निशाना बनाया जा रहा है. पीएलए नौसेना चीनी जहाजों को सुरक्षा प्रदान करती है. वहीं कुछ जहाज हूती खतरे से बचने के लिए झूठा दावा कर रहे हैं कि उनके पास चीनी चालक दल है.

वर्तमान में भारत, अमेरिका के नेतृत्व वाली ऑपरेशन प्रॉस्पेरिटी गार्जियन नामक सुरक्षा-पहल का हिस्सा नहीं है, जिसमें पश्चिमी गठबंधन शामिल है. इसे दिसंबर के मध्य में लॉन्च किया गया था. यह गठबंधन ही यमन में हूती ठिकानों पर हमले कर रहा है. इसके अनेक कारण हैं.

1990 के दशक के बाद जब भारत ने अमेरिका के साथ घनिष्ठ सैन्य संबंध विकसित करना शुरू किया, तब उसकी गतिविधियां पूर्वी हिंद महासागर तक ही सीमित थीं, जो यूएस-इंडो पैसिफिक कमांड का हिस्सा है. हाल ही में भारत संयुक्त समुद्री बल (सीएमएफ) में शामिल हुआ, जो बहरीन स्थित यूएस सेंट्रल कमांड (सेंटकॉम) के नेतृत्व वाला 34 सदस्यीय समूह है. लेकिन भारत एक सहयोगी के रूप में शामिल हुआ है, न कि पूर्ण सदस्य के रूप में. जबकि पाकिस्तान एक पूर्ण सदस्य है.

नई दिल्ली की हूतियों से कोई लड़ाई नहीं है, लेकिन उसे इस तथ्य पर सतर्क रहना होगा कि उन्हें ईरान का समर्थन प्राप्त है और उससे भारत के अच्छे संबंध हैं. दरअसल, इस समय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ईरान के दौरे पर हैं और इसी दौरान पाकिस्तान स्थित बलूच आतंकी समूह जैश अल-अदल के मुख्यालय पर ईरान ने ड्रोन और मिसाइल से हमला किया है.

यात्रा से पहले जयशंकर ने अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन के साथ फोन पर बातचीत की थी और इसमें कोई संदेह नहीं है कि बातचीत में हूतियों का मुद्दा उठा होगा. अमेरिका ने ऑपरेशन प्रॉस्पेरिटी गार्जियन में भारत के शामिल होने को विचाराधीन रखा है, लेकिन फिलहाल तो भारत के साथ ही सऊदी अरब, यूएई, मिस्र और ओमान जैसे अन्य देश इससे बाहर हैं, जिनके अमेरिकियों से घनिष्ठ सैन्य-संबंध हैं. इसका कारण यह है कि हूतियों के हमले इजराइल-हमास युद्ध से जुड़े हुए हैं और भारत समेत ये देश अमेरिकियों के पाले में नहीं दिखना चाहते हैं.

वह समुद्र में गश्त करने के लिए लंबी दूरी के अपने P8I समुद्री टोही विमान का भी उपयोग कर रहा है. यह भारत के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण हो सकता था, यदि उसने अपने सशस्त्र बलों- विशेषकर नौसेना के विकास के लिए पर्याप्त फंडिंग की होती.

इसमें शक नहीं कि लाल सागर में शिपिंग की मुक्त और सुरक्षित आवाजाही सुनिश्चित करना भारत के हित में है. जहां भारत ने हूती-विरोधी प्रयासों में अमेरिका के साथ शामिल होने से परहेज किया है, वहीं उसने इस क्षेत्र में अपनी उपस्थिति भी बढ़ा दी है और ड्रोन और मिसाइल हमलों के खतरे को नाकाम करने के लिए चार बड़े युद्धपोत तैनात किए हैं.

मुश्किल दौर से गुजर रही वैश्विक आपूर्ति-शृंखला

वह समुद्र में गश्त करने के लिए लंबी दूरी के अपने P8I समुद्री टोही विमान का भी उपयोग कर रहा है. यह भारत के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण हो सकता था, यदि उसने अपने सशस्त्र बलों- विशेषकर नौसेना के विकास के लिए पर्याप्त फंडिंग की होती. हम अक्सर हिंद महासागर में ‘नेट सिक्योरिटी प्रोवाइडर’ बनने के अपने लक्ष्य के बारे में बातें करते हैं, लेकिन अभी तक तो हम अपने अलावा किसी अन्य के जहाजों की सुरक्षा करने में तो सक्षम नहीं हुए हैं.

यमन के हूतियों ने खोला मोर्चा ईरान-समर्थित हूती लाल सागर में जहाजों पर हमला कर रहे हैं. दुनिया के व्यापार का लगभग 12 प्रतिशत हिस्सा स्वेज नहर से होकर गुजरता है. मुश्किल दौर से गुजर रही वैश्विक आपूर्ति-शृंखला के लिए इससे और समस्याएं पैदा होंगी.

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