Author : Harsh V. Pant

Published on Jul 20, 2022 Commentaries 0 Hours ago

ख़ुशहाल और समृद्ध देशों में शुमार श्रीलंका की आर्थिक बदहाली के बाद दुनिया के इन मुल्‍कों की चिंता बढ़ गई है. इसमें पाकिस्तान और नेपाल भी शामिल हैं. बता दें कि श्रीलंका अपनी आज़ादी के बाद पहली बार इतने बड़े आर्थिक संकट से गुज़र रहा है.

#श्रीलंका की आर्थिक-राजनीतिक दुर्दशा के बाद दुनिया के कई मुल्‍कों में बजी ख़तरे की घंटी!

ख़ुशहाल और समृद्ध देशों में शुमार श्रीलंका की आर्थिक बदहाली के बाद दुनिया के इन मुल्कों की चिंता बढ़ गई हैइसमें पाकिस्तान और नेपाल भी शामिल हैंबता दें कि श्रीलंका अपनी आज़ादी के बाद पहली बार इतने बड़े आर्थिक संकट से गुज़र रहा है.

श्रीलंका की इस आर्थिक और राजनीतिक दुर्दशा से दुनिया के कई मुल्कों में बेचैनी हैये देश सहमे हुए हैंऐसे में सवाल उठता है कि आखिर इन मुल्कों की चिंता क्या हैकभी एशिया के खुशहाल और समृद्ध देशों में शुमार श्रीलंका की आर्थिक बदहाली के बाद इन मुल्कों की चिंता क्यों बढ़ गई हैबता दें कि श्रीलंका अपनी आज़ादी के बाद पहली बार इतने बड़े आर्थिक संकट से गुज़र रहा हैआइए जानते हैं कि दुनिया के किन मुल्कों पर यह संकट दिख रहा हैक्या दुनिया के अन् मुल्कों पर भी आर्थिक संकट  सकता हैआइए जानते हैं कि इन सब मसलों पर क्या है एक्सपर्ट राय.

जब कोई देश विदेशी क़र्ज़ वक्‍त पर नहीं चुका पाता तो वह डिफॉल्‍टर हो जाता है. यह स्थिति तब उत्‍पन्‍न होती है जब किसी देश के पास विदेशी मुद्रा भंडार नहीं रहता. उन्‍होंने कहा कि इसके पूर्व भी दुनिया के कई मुल्‍क इस तबाही को देख चुके हैं और कई मुल्‍क इस कगार पर खड़े हुए हैं.

1- श्रीलंका आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा हैश्रीलंका में विदेशी मुद्रा भंडार खाली हो चुका हैविदेशी क़र्ज़ नहीं चुका पाने के कारण उसने खुद को डिफाल्टर घोषित कर दिया हैइसके चलते देश में राजनीतिक अस्थिरता की स्थिति उत्पन् हो गई हैश्रीलंका की जनता सड़कों पर प्रदर्शन कर रही हैप्रो हर्ष वी पंत का कहना है कि जब कोई देश विदेशी क़र्ज़ वक् पर नहीं चुका पाता तो वह डिफॉल्टर हो जाता हैयह स्थिति तब उत्पन् होती है जब किसी देश के पास विदेशी मुद्रा भंडार नहीं रहताउन्होंने कहा कि इसके पूर्व भी दुनिया के कई मुल् इस तबाही को देख चुके हैं और कई मुल् इस कगार पर खड़े हुए हैं.

 

2- उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं कि दुनिया में श्रीलंका ही केवल ऐसा मुल् हैजहां आर्थिक मंदी के हालात उत्पन् हुए हैंइसके पूर्व दुनिया के कई मुल् आर्थिक मंदी के दौर से गुजर चुके हैंइसमें प्रमुख रूप से अर्जेंटीनाग्रीसरूसउरुग्वेडोमिनिकन रिपब्लिक और इक्वाडोर शामिल हैलातिन अमेरिकी देश अर्जेटीना वर्ष 2000 से 2020 के बीच दो बार इस दौर से गुज़र चुका हैवर्ष 2012 में ग्रीस डिफाल्टर हो चुका हैवर्ष 1998 में रूस भी डिफाल्टर घोषित हो चुका हैइसी तरह से वर्ष 2003 में उरुग्वे और 2005 में डोमिनिकन रिपब्लिक और वर्ष 2001 में इक्वेडोर डिफाल्टर घोषित हो चुके हैंप्रो पंत ने कहा कि इस वर्ष श्रीलंका के अलावा लेबनानरूससूरीनाम और जाम्बिया समय से क़र्ज़ चुका पाने में विफल रहे हैंबेलारूस भी जल् ही इस कगार पर पहुंच सकता हैउन्होंने कहा कि इसके अलावा दुनिया में करीब 13 मुल्कों पर इस तरह का ख़तरा मंडरा रहा है.

शरीफ सरकार को अब तेजी से ख़र्चों में कटौती करने की जरूरत है, क्योंकि वह अपने राजस्व का 40 फीसद सिर्फ ब्याज भरने के लिए खर्च कर रही है. पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार 9.8 अरब डालर तक गिर गया है. यह पांच हफ्ते के आयात के लिए भी नाकाफी है.

आईएमएफ़ के सहारे पाकिस्तान की अर्थव्‍यवस्‍था

 

इस क्रम में पाकिस्तान को लिया जा सकता हैपाकिस्तान राजनीतिक अस्थिरता के दौर से भले ही निकल गया हो लेकिन उसके आर्थिक हालत नाजुक हैउसकी अर्थव्यवस्था पूरी तरह से आईएमएफ़ यानी अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष पर टिकी हैअंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष पाकिस्तान को क़र्ज़ देने के लिए तैयार हो गया हैलेकिन वैश्विक बाजार में तेल की बढ़ती कीमतों के चलते पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार पर भारी दबाव हैपाकिस्तान में प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की नई सरकार पर इसका जबरदस् दबाव हैशरीफ सरकार को अब तेजी से ख़र्चों में कटौती करने की जरूरत हैक्योंकि वह अपने राजस्व का 40 फीसद सिर्फ ब्याज भरने के लिए खर्च कर रही हैपाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार 9.8 अरब डालर तक गिर गया हैयह पांच हफ्ते के आयात के लिए भी नाकाफी है.

 

इन मुल्‍कों पर लटक रही तलवार

प्रो पंत का कहना है कि जंग के चलते यूक्रेन की हालात जर्जर हो चुकी हैउन्होंने कहा कि आने वाले दिन यूक्रेन के लिए संकट भरा हो सकता हैप्रो पंत ने कहा कि इसी तरह से अर्जेंटीना में विदेशी भंडार की गंभीर कमी हैअर्जेंटीना के पास वर्ष 2024 तक काम करने के लिए पर्याप् क़र्ज़ नहीं हैअफ्रीकी देश ट्यूनीशिया भी संकट के दौर से गुज़र रहा हैराष्ट्रपति कैस सैयद को आईएमएफ़ से क़र्ज़ लेने या कम से कम उसके साथ बने रहने में मुश्किल हो सकती हैहालांकिइस चिंता में कई अफ्रीकी देश हैंलेकिन ट्यूनीशिया सबसे अधिक ज़ोखिम में है.

अर्जेंटीना में विदेशी भंडार की गंभीर कमी है. अर्जेंटीना के पास वर्ष 2024 तक काम करने के लिए पर्याप्‍त क़र्ज़ नहीं है. अफ्रीकी देश ट्यूनीशिया भी संकट के दौर से गुज़र रहा है. राष्ट्रपति कैस सैयद को आईएमएफ़ से क़र्ज़ लेने या कम से कम उसके साथ बने रहने में मुश्किल हो सकती है. हालांक‍ि, इस चिंता में कई अफ्रीकी देश हैं, लेकिन ट्यूनीशिया सबसे अधिक ज़ोखिम में है.

ट्यूनीशिया में बजट घाटा 10 फीसद पहुंच गया हैघाना की स्थिति भी नाज़ुक हैघाना पहले से ही राजस्व का आधा से अधिक क़र्ज़ के ब्याज भुगतान पर खर्च कर रहा हैयहां महंगाई भी 30 फ़ीसद के करीब पहुंच गई हैयही हाल मिस्र का हैमिस्र के पास अगले पांच वर्षों में भुगतान करने के लिए सौ अरब डालर का क़र्ज़ हैइसमे 2024 में 1.3 अरब डॉलर का बांड भी शामिल हैकीनियामिस्रट्यूनीशिया और घाना सबसे मुश्किल स्थिति में हैंक्योंकि रिजर्व की तुलना में क़र्ज़ ज्यादा है.

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यह लेख जागरण में प्रकाशित हो चुका है

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